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गुरुवार, अक्टूबर 04, 2012

( बृह्स्पति की महिमा )चर्चा -1022

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
आज बृह्स्पतिवार है तो देखते हैं बृह्स्पति की महिमा और इसका दाम्पत्य जीवन पर असर 
चलते हैं चर्चा की ओर
गेसूदराज़ 

रचनाकार
निरामिष
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JAISWAL
ZEAL
मेरा फोटो
"लिंक-लिक्खाड़"
******************
आज के लिए बस इतना ही 
धन्यवाद 
*****************

54 टिप्‍पणियां:

  1. अच्चे लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा!
    अब बारी-बारी से सब लिंकों पर जाते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  2. माननीय महेंद्र श्रीवास्तव जी !किसी पार्टी को मान्यता देना न देना चुनाव आयोग का दायरा है .और उससे भी ऊपर जनता की अदालत है .जिस पार्टी को कुल मतों का एक न्यूनतम

    निर्धारित अंश प्राप्त नहीं होता है उसे चुनाव आयोग मान्यता नहीं देता है .लाल बत्ती की गाड़ियां हिन्दुस्तान के आम आदमी का रास्ता रोकके खड़ी हो

    जातीं हैं .

    यहाँ कैंटन छोटा सा उपनगर है देत्रोइत शहर का .दोनों वेन स्टेट काउंटी के तहत आते हैं .ओबामा साहब कब आये कब गए कहीं कोई हंगामा नहीं होता

    ,हिन्दुस्तान में तमाम

    रास्ते रोक दिए जाते हैं जैसे कोई सुनामी आने वाली है .लाल बत्ती क्या पद प्रतिष्ठा का आपके लिए भी प्रतीक है ?केजरीवाल साहब अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए लाल

    बत्ती का प्रावधान नहीं रखना चाहते तो आपको क्या आपत्ति है ?

    प्रति रक्षा मंत्री रहते भी जार्ज साहब ने सिक्योरिटी नहीं रखी थी कोठी के बाहर .



    केजरीवाल साहब के इस कदम से आपको क्या आपत्ति है .और वह मंद मति तो हमेशा ही सिक्योरिटी को बिना बताए कलावती के घर पहुंचता है .जिसे

    आम आदमी से

    खतरा है उसे सियासत का क्या हक़ है प्रजातंत्र में ?इस देश का आदर्श महात्मा गांधी रहे हैं .जो पैसिंजर ट्रेन से चलते थे .लाल बत्ती वाली गाड़ी नहीं थी

    उनके पास .आप


    केजरीवाल साहब से इतना क्यों आतंकित हैं .?

    अन्ना और अरविन्द

    जवाब देंहटाएं
  3. लो फिर आगये आधा सच वाले .और साथ में इनके कई क्लोन .

    जवाब देंहटाएं
  4. ठिठोली या पुरुष की वास्तविक सोच !

    तू मैं ,(शादी से पहले )

    तूमैं ,(हो गई शादी ,तू मैं मिलके हम हो गए )

    तू तू .में में .... (हो गई कलह शुरु शादी के बाद )

    मंत्री जी इसी बात को व्यंजना में भी कह सकते थे .


    अब भुगतो !

    हमारे नेता-------?

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा..

    जवाब देंहटाएं
  6. बृह्स्पति की महिमा

    शादी हुई नहीं
    पति पत्नी
    गृह खुद हो जाते हैं
    वैवाहिक जीवन
    कैसा होगा ये
    तो उनके
    आपस में चक्कर
    लगाने के तरीके
    भी बताते है
    ऊपर से बाकी के
    नौ गृह मिलकर
    दोनो को घुमाते हैं
    जो समझते हैं
    फूल पत्ती
    अगरबत्ती चढा़ते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  7. माननीय महेंद्र श्रीवास्तव जी !किसी पार्टी को मान्यता देना न देना चुनाव आयोग का दायरा है .और उससे भी ऊपर जनता की अदालत है .जिस पार्टी को कुल मतों का एक न्यूनतम

    निर्धारित अंश प्राप्त नहीं होता है उसे चुनाव आयोग मान्यता नहीं देता है .लाल बत्ती की गाड़ियां हिन्दुस्तान के आम आदमी का रास्ता रोकके खड़ी हो

    जातीं हैं .

    यहाँ कैंटन छोटा सा उपनगर है देत्रोइत शहर का .दोनों वेन स्टेट काउंटी के तहत आते हैं .ओबामा साहब कब आये कब गए कहीं कोई हंगामा नहीं होता

    ,हिन्दुस्तान में तमाम

    रास्ते रोक दिए जाते हैं जैसे कोई सुनामी आने वाली है .लाल बत्ती क्या पद प्रतिष्ठा का आपके लिए भी प्रतीक है ?केजरीवाल साहब अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए लाल

    बत्ती का प्रावधान नहीं रखना चाहते तो आपको क्या आपत्ति है ?

    प्रति रक्षा मंत्री रहते भी जार्ज साहब ने सिक्योरिटी नहीं रखी थी कोठी के बाहर .



    केजरीवाल साहब के इस कदम से आपको क्या आपत्ति है .और वह मंद मति तो हमेशा ही सिक्योरिटी को बिना बताए कलावती के घर पहुंचता है .जिसे

    आम आदमी से

    खतरा है उसे सियासत का क्या हक़ है प्रजातंत्र में ?इस देश का आदर्श महात्मा गांधी रहे हैं .जो पैसिंजर ट्रेन से चलते थे .लाल बत्ती वाली गाड़ी नहीं थी

    उनके पास .आप


    केजरीवाल साहब से इतना क्यों आतंकित हैं .?

    अन्ना और अरविन्द

    जवाब देंहटाएं
  8. चिश्ती सिलसिला
    बहुत सुंदर !
    एक नया विषय नयी जानकारी !

    जवाब देंहटाएं
  9. सोनिया गांधी की जै बोलने के अलावा इन्हें कुछ नहीं आता .


    तू मैं ,(शादी से पहले )

    तूमैं ,(हो गई शादी ,तू मैं मिलके हम हो गए )

    तू तू .में में .... (हो गई कलह शुरु शादी के बाद )

    मंत्री जी इसी बात को व्यंजना में भी कह सकते थे .


    अब भुगतो !

    हो रहा भारत निर्माण ------?

    जवाब देंहटाएं
  10. माननीय महेंद्र श्रीवास्तव जी !किसी पार्टी को मान्यता देना न देना चुनाव आयोग का दायरा है .और उससे भी ऊपर जनता की अदालत है .जिस पार्टी को कुल मतों का एक न्यूनतम

    निर्धारित अंश प्राप्त नहीं होता है उसे चुनाव आयोग मान्यता नहीं देता है .लाल बत्ती की गाड़ियां हिन्दुस्तान के आम आदमी का रास्ता रोकके खड़ी हो

    जातीं हैं .

    यहाँ कैंटन छोटा सा उपनगर है देत्रोइत शहर का .दोनों वेन स्टेट काउंटी के तहत आते हैं .ओबामा साहब कब आये कब गए कहीं कोई हंगामा नहीं होता

    ,हिन्दुस्तान में तमाम

    रास्ते रोक दिए जाते हैं जैसे कोई सुनामी आने वाली है .लाल बत्ती क्या पद प्रतिष्ठा का आपके लिए भी प्रतीक है ?केजरीवाल साहब अपने चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए लाल

    बत्ती का प्रावधान नहीं रखना चाहते तो आपको क्या आपत्ति है ?

    प्रति रक्षा मंत्री रहते भी जार्ज साहब ने सिक्योरिटी नहीं रखी थी कोठी के बाहर .



    केजरीवाल साहब के इस कदम से आपको क्या आपत्ति है .और वह मंद मति तो हमेशा ही सिक्योरिटी को बिना बताए कलावती के घर पहुंचता है .जिसे

    आम आदमी से

    खतरा है उसे सियासत का क्या हक़ है प्रजातंत्र में ?इस देश का आदर्श महात्मा गांधी रहे हैं .जो पैसिंजर ट्रेन से चलते थे .लाल बत्ती वाली गाड़ी नहीं थी

    उनके पास .आप


    केजरीवाल साहब से इतना क्यों आतंकित हैं .?

    जवाब देंहटाएं
  11. जकरबर्ग ने कर ली शादी

    मार्क ज़करबर्ग
    तूने शादी की
    बहुत नेक की
    हमें ज्यादा मजा
    इसलिये भी
    नहीं आया
    क्यौकि सिर्फ
    एक ही की !

    जवाब देंहटाएं
  12. पेटू हो रहा है स्पैम बोक्स निकालो इसके पेट से टिप्पणियाँ .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ये चक्कर मेरे समझ में भी नहीं आता है
      चर्चा मंच का स्पैम डब्बा वीरू की
      टिप्पणियों को ही बस क्यों खाता है ?

      हटाएं
  13. जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है

    खबर मिल गयी थी चर्चा मंच पे
    लिखी है आपने एक सुंदर गजल
    लगा हमको उसके बाद ही
    कि चलो पढ़ कर भी देख लें !

    जवाब देंहटाएं
  14. पंडित जी और सरकार सशक्त व्यंग्य .

    जवाब देंहटाएं
  15. तर्पण श्रद्धा का

    रखेंगे नहीं वो हमेशा रखते हैं
    मा बाप बच्चों को कभी भी
    अकेला कहाँ कब रखते हैं
    शरीर माना की छोड़ देते हैं
    आत्मा अपने वो हमेशा ही
    सारे बच्चों के दिल के
    हमेशा ही नजदीक रखते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  16. कौओं की मौज

    कौऎ तो बस पूरी
    सब्जी ही खा पाते हैं
    काजू किश्मिश भी
    बहुत लोग दिखाते हैं
    बुजुर्ग जिनके घरों के
    जिंदगी भर जिन्हें
    नहीं देख पाते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  17. काँव काँव

    खूबसूरत टिप्पणियाँ लगा के
    पोस्ट को जब लगाता है
    रविकर सूरज की तरह
    सबके लेखों को एक
    अलग ही रोशनी से
    चमका सा ले जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  18. खुद की जड़ें---

    अनगिनत तारे
    आकाश गंगा के
    चमकते सब हैं
    दिखते सब हैं
    एक चमक अपने
    जल से दिखाता है
    दूसरा जलता है
    और चमक जाता है !

    जवाब देंहटाएं
  19. नेताओ की घड़ी

    एक पत्रकार नरक में गया ...
    उसने वहाँ कुछ घड़ियाँ देखी
    कुछ घडी (घड़ी )तेज चल रही थी.(थीं ).....घड़ी.....थीं
    कुछ धीरे धीरे
    एक घडी तो बिलकुल बंद थी
    उसने पूछा ..
    ऐसा क्यों हो रहा है ..
    ... नर्क के .. कर्मचारी ने बताया
    जो जितना झूठ पृथिवी पर बोला........पृथ्वी ....
    उसकी घडी उतनी तेज चल रही है
    जो घडी(घड़ी) नहीं चल रही है.......घड़ी ....
    वह विवेकानंद की घडी है ..

    पत्रकार ने ..पूछा ..
    नेताओं की घडी किधर है ..
    कर्मचारी ने कहा ..
    वह तो आफिस में लगी है ..
    वो क्यों ..
    क्योकि वह बहुत तेज घुमती है .......घूमती है ....
    हमलोग उसे पंखे की तरह..................यार बब्बन पांडे यह कविता अंग्रेजी के अखबार में कैसी छप सकती है ?अखबार का नाम चेक करें .रचना बढ़िया लाएं हैं .आभार .
    इस्तेमाल कर रहे हैं
    ( (टाइम्स ऑफ़ इंडिया से साभार )

    जवाब देंहटाएं
  20. अनुशासनहीनता पर वे कत्तई(कतई ) दया नहीं दिखाते. कुछ लोग पीठ पीछे उनको ‘हेकड़ सिंह’ भी बोलते हैं. इसलिए लोग उनसे भय भी ....

    यूनियन .....पुरुषोत्तम पांडे जी बहुत सशक्त रचनाएं लातें हैं समाज की सच्चाइयों की परतों से बावस्ता करवाती हुईं .हमें इनसे शिकायत है ये अपना स्पिम बोक्स चेक नहीं करते .आजकल कोयला खोरों की तरह यह भी टिपण्णी खोर हो रहा है .
    बरात लौटी बैरंग
    "बारात"......वापस लौटी ...सामाजिक बदलाव का डंका जोर से पीटती है .



    जवाब देंहटाएं
  21. पहले तो आप अपनी काल गणना शुद्ध कर लो .ग्रह नौ नहीं अब आठ हैं .प्लूटो (यम )से ग्रह का दर्जा छीना जा चुका है यह आकार में चन्द्रमा से भी छोटा होने की वजह से अब लघु ग्रह बोले तो प्लेनेटोइड कहलाता है .

    वैसे ज्योतिष- गीरी का विषाणु चैनलिया बड़े जोर शोर से फैला रहें हैं ,अब यह ब्लॉगजगत को भी संक्रमित करने लगा .


    आज बृह्स्पतिवार है तो देखते हैं बृह्स्पति की महिमा और इसका दाम्पत्य जीवन पर

    जवाब देंहटाएं
  22. लगता है "आधा -सच" से कुछ विशेष ही प्रेम था स्पैम बोक्स का .हम भी कहाँ हार मानने वाले थे लगे रहे .मेहनत का फल मीठा होता है .

    जवाब देंहटाएं
  23. काला हंसा निरमला, बसै समुन्दर तीर

    पंख पसारै बिख हरै, निरमल करै सरीर



    बहुत बढ़िया पोस्ट है भाई साहब एक परम्परा से वाकिफ करवाती हुई .



    चित्र कूट के घाट पे भई संतन की भीड़ ,

    तुलसी दास चन्दन घिसें ,तिलक देट रघुबीर ....सियावर रामचन्द्र की जै .


    चिश्ती सिलसिला

    जवाब देंहटाएं
  24. वस्तुतः 'श्राद्ध और तर्पण'=श्रद्धा +तृप्ति। आशय यह है कि जीवित माता-पिता,सास-श्वसुर एवं गुरु की इस प्रकार श्रद्धा-पूर्वक सेवा की जाये जिससे उनका दिल तृप्त हो जाये। लेकिन पोंगा-पंथियों ने उसका अनर्थ कर दिया और आज उस स्टंट को निबाहते हुये लोग वही कर रहे हैं

    जवाब देंहटाएं

  25. अन्ना की टोपी उछाल रहे अरविंद !
    महेन्द्र श्रीवास्तव
    आधा सच...

    सच्चे में विश्वास की, दिखती कमी अपार ।
    जलें तभी तो चार में, पूरे चूल्हे चार ।
    पूरे चूल्हे चार, पार्टी बना मना लें ।
    मिल झूठे हरबार, नई सरकार बना लें ।
    अन्ना बाबा संत, इकट्ठा होंय अगरचे ।
    होय देश खुशहाल, बोलबाला रे सच्चे ।

    जवाब देंहटाएं
  26. "गद्यगीत" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
    उच्चारण

    है सटीक यह व्याख्या, फैले जीवन रंग |
    रंग- ढंग कुछ नए किन्तु, करते रविकर दंग ||

    जवाब देंहटाएं
  27. बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया..

    हालाकि मैं गैरजरूरी समझता हूं गैरजरूरी लोगों की बातों का जवाब देना। लेकिन दूसरे लोगों में किसी तरह का भ्रम ना हो इसलिए एक दो बातें रख दे रहा हूं।

    पार्टी को मान्यता देना न देना चुनाव आयोग के दायरे में है, ये बात किसे समझा रहे हैं, मैने क्या कुछ कहा इस मामले में.. खैर.
    दूसरी बात लालबत्ती की.. आप लेख पढ़ते नहीं है कुछ भी लिखते रहते हैं। मेरे लेख में आप जैसे लोगों के लिए जानकारी दी गई है कि लालबत्ती का प्रावधान क्या है, कौन इस्तेमाल कर सकता है, इसमें बताया गया है कि सांसद और विधायक को लालबत्ती लगाने का संवैधानिक अधिकार है ही नहीं। फिर केजरीवाल क्यों कह रहे हैं कि उनके सांसद विधायक लाल बत्ती इस्तेमाल नहीं करेंगे।

    मेरे ख्याल से पहले लेख को पढिए और बातों को समझने की भी कोशिश कीजिए। समझ में ना आए तो बच्चों की मदद ले लीजिए। खैर आप से ऐसी उम्मीद करना बेईमानी है।

    अमेरिका की बात करके लोग अपने को बुद्धिजीवि की श्रेणी में रखने की कोशिश करते हैं.। कैसे समझाऊं आपको कि अभी भारत अमेरिका नहीं है। भारत में कितने प्रधानमंत्रियों की हत्या हो चुकी है, जानते होंगे ना, अमेरिका में भी किसी बड़े नेता की आतंकवादी घटना में हत्या हुई है।

    सोचता हूं कि आपकी बातों को जवाब देने का कोई मतलब नहीं, लेकिन मानव स्वभाव में खामिया होती ही हैं।

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुन्दर लिंक ..मेरी रचना को मान देने के लिए मैं बहुत आभारी हूँ..

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत सुन्दर लिंक..मेरी रचना को मान देने के लिए माप का बह्त बहुत आभार...

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सुन्दर लिंक..मेरी रचना को मान देने के लिए आप का बहुत बहुत आभार....

    जवाब देंहटाएं
  31. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  32. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए धन्‍यवाद दि‍लबाग जी.

    जवाब देंहटाएं
  33. महेंद्र श्रीवास्तव जी !इस भारत देश में सांसद विधायक क्या हर दल्ला कोयला खोर लाल बत्ती लगाए घूम रहा है .एक दो इनके माथे पे भी डिजिटल बत्ती लगनी चाहिए .बहरसूरत आपने मुझे मान सम्मान दिया शुक्रिया करता हूँ जहे नसीब .ये नाचीज़ किस काबिल है .आपको चाहिए नारदीय चिरकुट .हाँ हाँ जी करने को .उन्हें भी सिर्फ माता जी की जै बोलना ही आता है .

    जवाब देंहटाएं
  34. बेटे जी! हेनरी फोर्ड म्यूजियम घूमने आओ .मिशिगन राज्य में है .यहाँ वो तमाम कारें रखी हुईं हैं जिनमें सफर करते हुए अमरीकी राष्ट्र पतियों को गोलियां लगीं थीं .

    भारत में गोलियां लगने की वजह भी राजनीतिक रहीं हैं एक ने भिंडरे वाला को सिर चढ़ाया दूसरे ने तमिल ईलम के सुर सुर में सुर मिलाया .

    यहाँ तो आतंक वादी भी आम मुजरिम भी सरकारी माफ़ी (राष्ट्र पति दया याचिका )की एक ही सूची में रहते हैं .

    ओबामा ने ओसामा को पाक में हेलिकोप्टर दस्ते भेज के मरवाया .तुम पाल रहे हो दूध पिलाके साँपों को . इतिहास का ज्ञान थोड़ा दुरुस्त कर लो .

    जवाब देंहटाएं

  35. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए
    पंखो से करना क्या है,चलो आसमां को ही झुका के देख लें
    हाँ परवाज़ ज़िन्दगी की हौसलों से ही भरी जाती है परों से नहीं .
    गिरतें हैं शहसवार(घुड़सवार ) ही मैदाने जंग में ,वो तिफ्ल(जीव आत्मा ) क्या जो रेंग के घुटनों के बल चले .
    बहुत सुन्दर प्रयोग किया है आपने -इस शैर का -
    ज़िन्दगी ज़िंदा दिली का नाम है ,
    मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिएंगे .

    जवाब देंहटाएं

  36. आसमां छूने की जिद्द है अगर ,तो हौसले बुलन्द चाहिए........ज़िद कर लें जिद्द को

    गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में ,वह तिफ्ल क्या गिरे जो ,घुटनों के बल चले यह शुद्ध रूप है इस शैर का .शह सवार होता है शाही सवारी करने वाला .


    जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है

    जवाब देंहटाएं
  37. महेंद्र श्रीवास्तव जी !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .जिस भिंडरावाले को अकाली राजनीति को दफन करने के लिए खडा किया गया .वह भस्मासुर बन गया इंदिराजी के लिए .अब भस्मासुर से तो शिवजी को भी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था .दूसरों के लिए आग जलाओगे तो खुद भी जल जाओगे उसमें .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है आग को नहीं .तो भाई साहब थोड़े लिखे को बहुत समझना .आप समझदार हैं .

    जवाब देंहटाएं
  38. महेंद्र श्रीवास्तव जी !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .जिस भिंडरावाले को अकाली राजनीति को दफन करने के लिए खडा किया गया .वह भस्मासुर बन गया इंदिराजी के लिए .अब भस्मासुर से तो शिवजी को भी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था .दूसरों के लिए आग जलाओगे तो खुद भी जल जाओगे उसमें .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है आग को नहीं .तो भाई साहब थोड़े लिखे को बहुत समझना .आप समझदार हैं .
    महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 4, 2012 9:30 AM
    बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया..

    हालाकि मैं गैरजरूरी समझता हूं गैरजरूरी लोगों की बातों का जवाब देना। लेकिन दूसरे लोगों में किसी तरह का भ्रम ना हो इसलिए एक दो बातें रख दे रहा हूं।
    एक बात और मैं आप जैसों को ज़वाब देना एक दम से ज़रूरी समझता हूँ .

    जवाब देंहटाएं
  39. महेंद्र श्रीवास्तव जी !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .जिस भिंडरावाले को अकाली राजनीति को दफन करने के लिए खडा किया गया .वह भस्मासुर बन गया इंदिराजी के लिए .अब भस्मासुर से तो शिवजी को भी जान बचाने के लिए भागना पड़ा था .दूसरों के लिए आग जलाओगे तो खुद भी जल जाओगे उसमें .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है आग को नहीं .तो भाई साहब थोड़े लिखे को बहुत समझना .आप समझदार हैं .
    महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 4, 2012 9:30 AM
    बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया..

    हालाकि मैं गैरजरूरी समझता हूं गैरजरूरी लोगों की बातों का जवाब देना। लेकिन दूसरे लोगों में किसी तरह का भ्रम ना हो इसलिए एक दो बातें रख दे रहा हूं।
    एक बात और मैं आप जैसों को ज़वाब देना एक दम से ज़रूरी समझता हूँ .

    जवाब देंहटाएं
  40. फिर से स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है अब तो पुष्ट हुआ इसे महेंद्र श्रीवास्तव जी से या फिर मुझसे खुंदक है

    जवाब देंहटाएं
  41. फिर से स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है अब तो पुष्ट हुआ इसे महेंद्र श्रीवास्तव जी से या फिर मुझसे खुंदक है

    जवाब देंहटाएं
  42. फिर से स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है अब तो पुष्ट हुआ इसे महेंद्र श्रीवास्तव जी से या फिर मुझसे खुंदक है .

    महेंद्र श्रीवास्तव साहब !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .भिंडरावाले को पंजाब में अकाली राजनीति का खात्मा करने के लिए इंदिराजी ने ही पैदा किया था .वही उनके लिए भस्मासुर बन गया .भस्मासुर पैदा करना आसान है उसे संभालने के लिए शिव बनना पड़ता है .

    दूसरों के लिए आग जालोगे तो खुद भी जल जाओगे .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है असावधानी पूर्वक लगाईं आग को नहीं .यही ला -परवाही राजीव जी से भी हुई थी .

    जवाब देंहटाएं
  43. फिर से स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है अब तो पुष्ट हुआ इसे महेंद्र श्रीवास्तव जी से या फिर मुझसे खुंदक है .

    महेंद्र श्रीवास्तव साहब !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .भिंडरावाले को पंजाब में अकाली राजनीति का खात्मा करने के लिए इंदिराजी ने ही पैदा किया था .वही उनके लिए भस्मासुर बन गया .भस्मासुर पैदा करना आसान है उसे संभालने के लिए शिव बनना पड़ता है .

    दूसरों के लिए आग जालोगे तो खुद भी जल जाओगे .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है असावधानी पूर्वक लगाईं आग को नहीं .यही ला -परवाही राजीव जी से भी हुई थी .

    महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 4, 2012 9:30 AM
    बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया..

    हालाकि मैं गैरजरूरी समझता हूं गैरजरूरी लोगों की बातों का जवाब देना। लेकिन दूसरे लोगों में किसी तरह का भ्रम ना हो इसलिए एक दो बातें रख दे रहा हूं।

    जवाब देंहटाएं

  44. तनाव और तोंद दोनों कम करेगी डीप ब्रीदिंग
    एकाग्रता बढ़ाने के लिए डीप ब्रीदिंग से बड़कर(बढ़कर ) कोई दूसरा विकल्प नहीं है। डीप ब्रीदिंग से दो फायदे हैं। पहला तनाव कम होता है दूसरा यह कि इंसान ओवरईटिंग नहीं करता। ......बढ़कर ....


    हाल ही में हुए शोध अध्ययनों से मालूम हुआ है कि तेज गति से साँस लेने वालों को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। गहरी साँस लेने से अस्थमा के रोग में राहत मिलती है। इससे शरीर द्वारा निर्मित पेनकिलर्स रिलीज होने लगते हैं। इससे सिरदर्द, अनिद्रा, पीठ का दर्द तथा तनाव जनित अन्य दर्दों से राहत मिलती है। डीप ब्रीदिंग से मस्तिष्क को किसी एक काम पर केंद्रित करने में मदद मिलती है(सेहत,नई दुनिया,सितम्बर 2012 द्वितीयांक)।

    भाई साहब बहुत बहुत शुक्रिया आपका. बेहद उपयोगी प्रासंगिक जानकारी प्रस्तुत की है आपने .अपने ब्लॉग पोस्ट पे पल प्रति पल टिपण्णी चेक करना भी कम घातक साबित नहीं हो रहा है .

    इधर एक ब्लॉग दंगल भी चला हुआ है जो थोड़ा बहुत इस तनाव को कम ज़रूर करता होगा .

    जवाब देंहटाएं
  45. चलो जी !चेहरा कुछ तो काम आरहा है इस मुखौटाई दौर में .बढ़िया तंज .

    Wednesday, October 3, 2012

    कार्टून :- फ़ेसबुक के टैगि‍यों को समर्पि‍त


    बहुत बढ़िया है जी चलो चेहरा कुछ तो काम आरहा है मुखौटों के दौर में .

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    जवाब देंहटाएं
  46. उम्‍मीद थी कि बांध बना है,

    तो गांव में उजाला भी होगा,

    पर वह उम्‍मीद धूमिल हो गई,

    बहुत सुन्दर प्रयोग है दोस्त बहुत खूब ,बहुत खूब ,बहुत खूब .

    मेरे जल में तूफानों के भंवर पड़ते हैं,

    आज भी लोग,

    मेरे जल से आचमन की चेष्‍टा करते हैं,

    इसकी के सा‍थ जन्‍मा,.............इसी के साथ जन्मा कर लें ...

    और समस्‍त संसार ही,

    प्रेमाशिक्‍त हो जाए,.......प्रेमासिक्त हो जाए ......कर लें ....

    हे प्रिये तुम्‍हें याद है न

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति .बधाई .

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  47. Virendra Sharma
    फिर से स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है अब तो पुष्ट हुआ इसे महेंद्र श्रीवास्तव जी से या फिर मुझसे खुंदक है .

    महेंद्र श्रीवास्तव साहब !जो असावधानी से आग जलाते हैं वह खुद भी उसमें जल जाते हैं .भिंडरावाले को पंजाब में अकाली राजनीति का खात्मा करने के लिए इंदिराजी ने ही पैदा किया था .वही उनके लिए भस्मासुर बन गया .भस्मासुर पैदा करना आसान है उसे संभालने के लिए शिव बनना पड़ता है .

    दूसरों के लिए आग जालोगे तो खुद भी जल जाओगे .सूर्य को पीठ से सेंका जा सकता है असावधानी पूर्वक लगाईं आग को नहीं .यही ला -परवाही राजीव जी से भी हुई थी .

    महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 4, 2012 9:30 AM
    बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए शुक्रिया..

    हालाकि मैं गैरजरूरी समझता हूं गैरजरूरी लोगों की बातों का जवाब देना। लेकिन दूसरे लोगों में किसी तरह का भ्रम ना हो इसलिए एक दो बातें रख दे रहा हूं।

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  48. .उन्होंने कहा है मैं अकेला ही एक ब्रीफकेस (के)......के .....फ़ालतू है यहाँ .... लेकर वहां पहुँच जाऊं । ..आगे पुलिस के साथ मिलकर वे दोनों संभाल लेंगें। ''

    आगे पढ़ें: रचनाकार: कहानी लेखन पुरस्कार आयोजन -106- शिखा कौशिक की कहानी : पापा मैं फिर आ गया

    http://www.rachanakar.org/2012/10/106.html#ixzz28NBGNERu उसे पांच मिनट बाद सामने की ओर से ईख हिलते(हिलती ) नज़र आये(आई ) और पीछे से भी कुछ कदमों

    की आहट सुनाई दी। .वह सावधान हो गया।



    । उनमें से एक ने रिवॉल्वर मुकेश की कांपती.......(कनपटी ) ....से सटा दिया ।

    प्रियांशु (के )......को ...बुखार है और मीनाक्षी उसकी देखभाल में लगी रहती है।

    -मिनाक्षी (मीनाक्षी )घर के बहार (बाहर )लॉन में इंतजार करती दिखाई देगी । ..वैसा कुछ नहीं हुआ क्योंकि मिनाक्षी.....(मीनाक्षी )........ उसे नहीं दिखाई दी।

    मुकेश की नज़र दीवार पर गयी तो वही.....(वहीँ )... टिक गयी

    इस तरह तुम और मीना यहाँ दिल्ली में ऐसे दुखी रहोगे तो हम वहां कानपूर......(कानपुर ).... में कैसे चैन से रह पाएंगे

    ..उन्होंने मरकर भी उस नन्ही सी जान को सुकून न लेने दिया। प्रियांशु की शिनाख्त छिपाने के लिए उसका चेहरा मरने.....(मारने ) ...के बाद तेजाब से झुलसा दिया।

    शिरीष ,उत्तम और संगीता अस्पताल लगभग रोज़ आते थे पर तुम्हारे सामने आने.....(का ).छूट गया है ...का ...... साहस न कर पाते कि कहीं उनके मुंह से ये बात न निकल जाये।

    ..लेकिन हाँ अब ध्यान से सुनों......(सुनो )...... ..मैं

    और तुम्हारी माँ कल को कानपूर (कानपुर )लौट जायेंगे। ..तुम्हे और मीनाक्षी को मजबूत दिल का होकर प्रियांशु के हत्यारे को फांसी के तख्ते तक पहुँचाना है। ''

    बहुत ही कसावदार है इस कहानी का तानाबाना एक भी शब्द फ़ालतू नहीं .पाठक की आशंका मुकेश के साथ -साथ ही आगे बढती जाती है .

    एक छोटा सा फ्लेश बैक का आभास भी जैसे मुकेश हिमांशु की याद से बाहर निकल आया हो तब जब उसने कहा हाँ ...हत्यारे को फांसी .....

    हिन्दुस्तान में घटित इन हृदय विदारक घटनाओं का ऐसा मार्मिक ,कारुणिक चित्र आपने उकेरा है किसी चित्रकार की कूची से .बधाई इस सशक्त कहानी के लिए .एक मारक सन्नाटा

    बुनती है कहानी ,तदानुभूति क्या पाठक उस हादसे को जीने ही लगता है .

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  49. बड़ी अजीब बात है भाई साहब स्पैम बोक्स खाली करो .

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