निरवंशी नवाब : नव-कथा (100 शब्द)
नजफगढ़ के नवाब गुलाब गोदी गुरिल्ला युद्ध में मारे गए । शहजादी परीजाद की शादी रुहेले सरदार रोबे खान से हुई ही थी कि परीजाद की ननद की घोड़े से गिरकर मौत हो गई । उसका इकलौता देवर भी पानीपत के मैदान में डूब मरा। सरदार के अब्बू की रहस्यमय-परिस्थिति में मौत हो चुकी है -अब सास एवं पति के साथ वह अपनी रियासत की उन्नति में लगी हुई है -दिन हजार गुनी, रात लाख गुनी |
शायद नजफ़गढ़ पर भी शहजादी की नीयत खराब है- तभी तो 45 साल की उम्र में भी इसका भाई शहजादा असलीम कुँवारा है - कुँवारे के भांजा-भांजी ही मारेंगे भाँजी-
का बरखा जब.....
संजय @ मो सम कौन ?
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दतिया का महल
Pallavi saxena
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Untitled
वीना
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हिंदी साहित्य पहेली 102 कहानी के लेखक को पहचानना है
अशोक कुमार शुक्ला
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दवा-परीक्षणःमुनाफ़े के खेल में पिसते सरोकार
Kumar Radharaman
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बनाना रिपब्लिक के अमीर मैंगो मैन के की क्या ख्वाईश है? आज की असेम्बली मे भगत तुम नकली नही असली बम्म फोड दो. |
आओ आओ घोटाला करें (हास्य व्यंग्य )
Rajesh Kumariat
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यहाँ जलेबी छाप, रचे रविकर कुण्डलियाँ -
रविकर
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क्षणिकाएँ -
Saras
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"सपनों की कसक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण) |
यह नेह क्यों, अनुराग क्यों?(Arvind Mishra) |
साथीउपासना सियाग |
भारत बनाना रिपब्लिक नहीं, कुप्रंबंधन का शिकार है. (India-banana-bad-mgmt)
अवधेश पाण्डेय
नहीं बनाना वाडरा, नाना मम्मा दोष । मूरख जनता बन रही, लुटा लुटा के कोष । लुटा लुटा के कोष , होश सत्ता ने खोया । वैमनस्य के बीज, सभी गाँवों में बोया । लोकतंत्र की फसल, बिना पानी उगवाना । केला केलि करोड़ , अकेला देश बनाना ।। |
SADA
अवसरवादी धूर्तता, पनप रही चहुँओर । सत्ता-गलियारे अलग, झेलें इन्हें करोर । झेलें इन्हें करोर, झेल इनको हम लेते । किन्तु छलें जब लोग, भरोसा जिनको देते । वो मारक हो जाय, करे जीवन बर्बादी । अगल बगल पहचान, भरे हैं अवसरवादी ।। |
चर्चा मंच पर कई लिंक्स देखी हैं और कुछ बाकी हैं |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढ़िया काव्य टिप्पणियाँ .नूरा कुश्ती तो बहुत देखी यहाँ नूरा कुंडली कुंडली खेल रहें हैं आप और अरुण कुमार निगम साहब .बढ़िया तंज़ और व्यंजना ला रहे हो नित्य प्रति रविकर भैया .
जवाब देंहटाएंयहाँ जलेबी छाप, रचे रविकर कुण्डलियाँ -
रविकर
"लिंक-लिक्खाड़"
एक छोर पर आत्म करुणा दूसरे पर आत्म गुमान आत्माभिमान प्रश्नवाचक -
जवाब देंहटाएंजो दीन है औ शीर्ण है
सब विध जरा अधीन है
क्या तुम्हे अब दे सकेगा
जो स्वयं आर्त है, दयार्द्र है
पूछता जाता हूँ विस्मित
छोड़ नव आकर्षणों को
मुझी पर है किसी का
यह नेह क्यों, अनुराग क्यों?
यह नेह क्यों, अनुराग क्यों?
(Arvind Mishra)
क्वचिदन्यतोSपि...
बहुत बढ़िया काव्य टिप्पणियाँ .नूरा कुश्ती तो बहुत देखी यहाँ नूरा कुंडली कुंडली खेल रहें हैं आप और अरुण कुमार निगम साहब .बढ़िया तंज़ और व्यंजना ला रहे हो नित्य प्रति रविकर भैया .
जवाब देंहटाएंये स्पैम बोक्स फिर आगया अपनी औकात पे .संभालो इसे .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया काव्य टिप्पणियाँ .नूरा कुश्ती तो बहुत देखी यहाँ नूरा कुंडली कुंडली खेल रहें हैं आप और अरुण कुमार निगम साहब .बढ़िया तंज़ और व्यंजना ला रहे हो नित्य प्रति रविकर भैया .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया काव्य टिप्पणियाँ .नूरा कुश्ती तो बहुत देखी यहाँ नूरा कुंडली कुंडली खेल रहें हैं आप और अरुण कुमार निगम साहब .बढ़िया तंज़ और व्यंजना ला रहे हो नित्य प्रति रविकर भैया .
जवाब देंहटाएंहलुवा कर लो भैया हलवा को .
जवाब देंहटाएंप्यार जलेबी
प्यार है हलवा
सबको दिखाओ इसका जलवा /
प्यार का प्यार स्वीट डिश की स्वीट डिश .बहुत खूब .हमतो कहते ही हैं इसे स्वीट डिश .
आओ ! खेलें प्यार-प्यार
babanpandey
रोमांटिक कविताएं
Baap Badaa N Bhaeyaa
हटाएंSabase Badi Hai Maeyyaa.....
हटाएंप्यार जलेबी
प्यार है हलवा
सबको दिखाओ इसका जलवा /
बहुत बढ़िया काव्य टिप्पणियाँ .नूरा कुश्ती तो बहुत देखी यहाँ नूरा कुंडली कुंडली खेल रहें हैं आप और अरुण कुमार निगम साहब .बढ़िया तंज़ और व्यंजना ला रहे हो नित्य प्रति रविकर भैया .
जवाब देंहटाएंबेनु सुधा बरसन लगी ,मन में उठत हिलोर
जाने कैसे रात गयी ,होने को है भोर ||
हरे भरे वन महकते ,फूलन लगे पलाश |
उस मधुवन में खोजती, विरहण मन की प्यास ||
आशा जी सक्सेना प्रकृति नटी के सौन्दर्य की साथ गोप किलोल का रस वर्षन पूरी रचना में हैं ,
हरित बांस की बांसरी ,मुरली लइ लुकाय ,सौंह धरे ,भौहन हँसे ,देन करत नट जाय .
मनुहार
Asha Saxena
Akanksha
जवाब देंहटाएंनींद की REM STAGE (RAPID EYE MOVEMENT) में खाब आते हैं .यह वह अवस्था है जब हम गहन निद्रा में होतें हैं .पुतलियाँ तेज़ दौड़ रही होतीं हैं .कभी देखिए बच्चों को सोते हुए .यह डेढ़ घंटे का चक्र होता है .ख़्वाब प्राय :इसी चक्र के दौरान आतें हैं .उलझी हुई गुत्थियों को सुलझाते हैं खाब .अप्राप्य को प्राप्य बना हमारी वासनाओं का शमन कर के चले जाते हैं .दिन में इसीलिए ख़्वाब नहीं आते अकसर क्योंकि ९० मिनिट के इस चक्र से पहले ही हम उठ जातें हैं .दिन में इतना कहां सोते हैं .
बढ़िया विश्लेषण ख़्वाबों का ..
"सपनों की कसक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
जवाब देंहटाएंलोग भी नासमझ होते है -........hain हैं
बड़ा बनने की होड़ में
अक्सर कभी छोटी कभी ओछी बातें कर बैठते हैं ..
काश यह जाना होता कि
बड़ा बनने के लिए
सिर्फ एक लकीर खींचनी होती है -
दूसरे के व्यक्तित्व के आगे -
अपने व्यक्तित्व कि एक छोटी लकीर ...!............अपने व्यक्तित्व .......की ....एक छोटी लकीर
.सुना था कभी -
शरीर के अनावश्यक अंग झड जाते हैं -.....झड़ ...........
और जिन्हें इस्तेमाल करो -
वे हृष्ट पुष्ट हो जाते हैं ....
मैंने हाल ही में-
दीवारों के कान उगते देखे हैं !
बढ़िया प्रस्तुति .
बड़े बड़ाई न करें ,बड़े न बोलें बोल ,
रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल .
कृपया छ :/छह कर लें "छ" के स्थान पर .
जवाब देंहटाएंआओ आओ घोटाला करें ,
हाई कमान के पदचिन्हों पर चलें .
इटली के दामाद बनें .
आओ आओ घोटाला करें (हास्य व्यंग्य )
Rajesh Kumariat
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
आओ प्यारे बच्चों आओ ,
जवाब देंहटाएंघोटालों पर बलि बलि जाओ ,
इटली को सब शीश नवाओ .
रोचक चर्चा, सुन्दर पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मनोहारी सूत्रों सहित सजी हुई आज की चर्चा !
जवाब देंहटाएंइस बदजात व्यवस्था पर आपने ज़बर्जस्त तंज़ किया है .सोनिया जी ने वहां जाके कहा -गैंग रैप आज सारे भारत में हो रहे हैं .माननीय इसका अर्थ वैसा ही
जवाब देंहटाएंनिकलता है जैसा आपकी स्व .सासू जी के उस वक्तव्य का जो उन्होंने भ्रष्टाचार के बारे में व्यक्त किए थे -करप्शन इज ए ग्लोबल फिनोमिना .
यहाँ अर्थ यह निकलता है -हरियाणा क्यों पीछे रहे जब पूरे भारत में गैंग रैप हो ही रहें हैं तो .
इन लोगों को पता ही नहीं चलता संजय भाई ये बोल क्या रहें हैं .संवेदन शून्य हैं ये तमाम लोग .कलावती की थाली उड़ाने वाला नदारद है कश्मीर की
वादियों में हवा बदली के लिए .जय हो .
जीजा के गले में पड़ा केजरीवाल स्साला घूमें ठंडा पहाड़ .
का बरखा जब.....
संजय @ मो सम कौन ?
मो सम कौन कुटिल खल ...... ?
बढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
आभार रविकर भाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर पठनीय लिंक्स हार्दिक आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत ही आक्रर्षक ढंग से प्रस्तुत की है आपने सतरंगी चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
एक तो सुन्दर सुन्दर लिंक तिस पर शर्मा जी की टीप
जवाब देंहटाएंबेमिसाल्
बहुत ही अच्छे लिंक्स ... आभार
जवाब देंहटाएंआपका स्वागत है उपासना जी कभी यहाँ भी पधारें
जवाब देंहटाएंरोचक चर्चा, सुन्दर अच्छे लिंक्स .
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक्स
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर... गजब की प्रस्तुति, http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को 'चर्चा मंच' पर स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार
जवाब देंहटाएंवाह रविकर जी धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआभार मित्रवर।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिक्स के साथ सार्थक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार