1माँ तुझको मनाते हैं आजा.डॉ.सुभाष भदौरिया
ग़ज़ल
पलकों को बिछाते हैं आजा.
ज़ख़्मों को छिपाते हैं
आजा.
हम गीत भी गाते हैं आजा.
माँ तुझको मनाते हैं आजा. |
2इससे मीडिया पर पाबंदियों की माँग बढ़ेगी
pramod joshi
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3आत्महत्याओं का दौर
कौशलेन्द्र
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4यों रूठा ना करो
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)
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5कभीं अकेले में ही सही सोचना ----
J Sharma
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6प्रलय की भविष्यवाणी झूठी है-ये दुनिया अनूठी है (पुनर्प्रकाशन)
विजय राज बली माथुर
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7
नहीं कहें आभार, कभी भी बड़के आके-
7-C"मेरा सुझाव अच्छा लगे तो इस कड़वे घूँट का पान करें"
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
स्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख | मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ | इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ | करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये | कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
7-Fबांध न मुझ को बाहू पाश में .....
Suman
पुष्पराज तू दुष्ट है, मद पराग रज बाँट । तन मन मादकता भरे, लेते हम जो चाट । लेते हम जो चाट, नयन अधखुले हमारे । समझ सके ना रात, बंद पंखुड़ी किंवारे । छलता रे अभिजात्य, भूलता सत रिवाज तू । छोड़े मुझको प्रात, छली है पुष्पराज तू ।।
ram ram bhai
अधकचरे नव विज्ञानी, परखें पित्तर पाख । दिखा रहे अनवरत वे, हमें तार्किक आँख । हमें तार्किक आँख, शुद्ध श्रद्धा का मसला । समझाओ यह लाख, समझता वह ना पगला । पर पश्चिम सन्देश, अगर धरती पर पसरे । चपटी धरती कहे, यही बन्दे अधकचरे ।। |
12बिरजू क कनियाँ
मदन कुमार ठाकुर
|
नैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार |
महत्त्वपूर्ण इनसे अधिक, मात-पिता व्यवहार | मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा | पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा | खेल वीडिओ गेम, जीत की हरदम इच्छा | मारो काटो घेर, करे क्या नैतिक शिक्षा || |
15"कानून में बदलाव लाना चाहिए" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण -
माफ
करने की अदा, अच्छी नहीं मेरे हुजूर,
अब
लचर कानून में बदलाव लाना चाहिए।
“रूप” दिखलाकर नहीं दौलत कमाना चाहिए,
अपनी
मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए। |
"मेरा सुझाव अच्छा लगे तो कड़वे घूँट का पान करें"मित्रों! बहुत दिनों से एक विचार मन में दबा हुआ था! हमारे बहुत से मित्र अपने
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर या फेसबुक पर अपनी प्रविष्टि लगाते हैं। वह यह तो चाहते हैं कि लोग उनके यहाँ जाकर अपना अमूल्य समय लगा कर विचार कोई बढ़िया सी
टिप्पणी दें। केवल इतना ही नहीं कुछ लोग तो मेल में लिंक भेजकर या लिखित बात-चीत में भी अपने लिंक भेजते रहते हैं। अगर नकार भी दो तो वे फिर
भी बार-बार अपना लिंक भेजते रहते हैं। लेकिन स्वयं किसी के यहाँ जाने की जहमत तक नहीं उठाते हैं..
एक प्रतिक्रिया :वीरुभाई
ब्लॉग का मतलब ही है संवाद !संवाद एक तरफा नहीं हो सकता .संवाद है तो उसे विवाद क्यों बनाते हो ?जो दोनों के मन को छू जाए वह सम्वाद है जो
एक
के मन को आह्लादित करे ,दूसरे
के मन को तिरस्कृत वह संवाद नहीं है .
भले यूं कहने को विश्व आज एक गाँव हो गया है लेकिन व्यक्ति व्यक्ति से यहाँ बात नहीं करता .पड़ोसी पड़ोसी को नहीं जानता .व्यक्ति व्यक्ति के बीच
का संवाद ख़त्म हो रहा है .जो एक प्रकार का खुलापन था वह खत्म हो रहा है ब्लॉग इस दूरी को पाट सकता है .ब्लॉग संवाद को जिंदा रख सकता है .
इधर सुने उधर सुनाएं .कुछ अपनी कहें कुछ हमारी सुने .
गैरों से कहा तुमने ,गैरों को सुना तुमने ,
कुछ हमसे कहा होता ,कुछ हमसे सुना होता .
जो लोग अपने गिर्द अहंकार की मीनारें खड़ी करके उसमें छिपके बैठ गएँ हैं वह एक नए वर्ग का निर्माण कर रहें हैं .श्रेष्ठी वर्ग का ?
बतलादें उनको -
मीनार किसी की भी सुरक्षित नहीं होती .लोग भी ऊंची मीनारों से नफरत करते हैं .
बेशक आप महानता का लबादा ओढ़े रहिये ,एक दिन आप अन्दर अंदर घुटेंगे ,और कोई पूछने वाला नहीं होगा .
अहंकार की मीनारें बनाना आसान है उन्हें बचाए रखना मुश्किल है -
लीजिए इसी मर्तबा डॉ .वागीश मेहता जी की कविता पढ़िए -
तर्क की मीनार
मैं चाहूँ तो अपने तर्क के एक ही तीर से ,आपकी चुप्पी की मीनार को ढेर कर दूं -
तुम्हारे सिद्धांतों की मीनार को ढेर कर दूं ,
पर मैं ऐसा करूंगा नहीं -
इसलिए नहीं कि मैं तुमसे भय खाता हूँ ,सुनो इसका कारण सुनाता हूँ ,
क्योंकि मैं जानता हूँ -
क़ानून केवल नाप झौंख कर सकता है ,
क़ानून के मदारी की नजर में ,गधे का बच्चा और गाय का बछड़ा दोनों एक हैं -
क्योंकि दोनों नाप झौंख में बराबर हैं .
अभी भी नहीं समझे ! तो सुनो ध्यान से ,
जरा इत्मीनान से ,कि इंसानी भावनाओं के हरे भरे उद्यान को -
चर जाने वाला क़ानून अंधा है ,
कि अंधेर नगरी की फांसी का फंदा है ,
जिसे फिट आजाये वही अपराधी है ,
और बाकी सबको आज़ादी है .
(समाप्त )
वीरुभाई :
इसीलिए मैं कहता हूँ ,कुछ तो दिल की बात कहें ,कुछ तो दिल की बात सुने।
नावीन्य बना रहेगा ब्लॉग जगत में .
रविकर जी आपके लिंक हमेशा बेहतरीन एक-एक चुनकर लाये गये होते है। जब भी अच्छे लिंक मिलते है अच्छा लगता है।
जवाब देंहटाएंएकहू ओंकार .अल्लाह कहो या मसीह या कहो परमात्मा .बहुत बढ़िया सन्देश देती ईद पर ख़ास रचना .ईद मुबारक .
जवाब देंहटाएंचाहे गीता बांचिये या पढ़िए कुरआन ,
तेरा मेरा प्रेम ही हर पुस्तक की जान .
ईद मुबारक .मुबारक भ्रमर सार .
ईद मुबारक
Surendra shukla" Bhramar"5
BHRAMAR KA DARD AUR DARPAN
एक नियंता विश्व का, वो ही पालनहार ।
मानव पर करता रहे, अदल बदल व्यवहार ।
अदल बदल व्यवहार, हार को जीत समझता ।
मेरा तेरा ईश, करे बकवाद उलझता ।
समझ धर्म का मूल, नहीं कर तू नादानी ।
झगडे झंझट छोड़, बोल ले मीठी वाणी ।।
अपना न्यौता बांटते, पढवाते निज लेख |
जवाब देंहटाएंस्वयं कहीं जाते नहीं, मारें शेखी शेख |
मारें शेखी शेख, कभी दूजे घर जाओ |
इक प्यारी टिप्पणी, वहां पर जाय लगाओ |
करो तनिक आसान, टिप्पणी करना भाये |
कभी कभी रोबोट, हमें भी बहुत सताए ||
हाँ कई ब्लोगाचारी महारथी हैं ,
स्पैम बोक्स बने टिपण्णी डकारें .
इनके ब्लोगों को प्रभु तारें ,
प्रभु भाव यह खुद ही धारें .
जन मन की आवाज़ को स्वर दिया है भाई साहब .सलामत रहो ,रखो ये ज़ज्बा .
जवाब देंहटाएंक़ातिलों को जेल में कबतक खिलाओगे कबाब,
ऐसे गद्दारों को फाँसी पे चढ़ाना चाहिए।
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा-
जवाब देंहटाएंनैतिक शिक्षा पुस्तकें, सदाचार आधार |
महत्त्वपूर्ण इनसे अधिक, मात-पिता व्यवहार |
मात-पिता व्यवहार, पुत्र को मिले बढ़ावा |
पति-पत्नी तो व्यस्त, बाल मन बनता लावा |
खेल वीडिओ गेम, जीत की हरदम इच्छा |
मारो काटो घेर, करे क्या नैतिक शिक्षा ||
दुर्घटना के गर्भ में, गफलत के ही बीज |
कठिनाई में व्यर्थ ही, रहे स्वयं पर खीज |
रहे स्वयं पर खीज, कठिन नारी का जीवन |
मौका लेते ताड़, दोस्ती करते दुर्जन |
कर रविकर नुक्सान, क्लेश देकर के हटना |
इनसे रहो सचेत, टाल कर रख दुर्घटना ||
नीति परक रविकर वचन ,गुनी जन लेते जान ,
पूर्ती आप कर लीजिए रविकर चतुर सुजान .
उजागर कर देश की राजनीति का ये हाल,
जवाब देंहटाएंवाकई कर दिया आपने अद्भुत एक कमाल,
हर देश-भक्त की जुबां से, निकले यही दुआ,
अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !
कृत्य काले सब आड़ में धवल देह-भेष की,
हाथ साफ़ कर रहे है शठ, तिजोरी पे देश की,
चौतरफा फैला रहे ये भ्रष्ट,अपना माया-जाल,
मौसेरे सब भाईयों ने, मिल-बाँट खाया माल !
खौप खाने लगा है तुमसे सत्ता का हर दलाल,
शुक्रिया आपका,सुखी रहो,जियो हजारों साल !
देश-भक्तों की जुबां से बस निकले यही दुआ,
अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !!
Posted by पी.सी.गोदियाल "परचेत" at Saturday, October 27, 2012
बहुत सटीक खुलासा आज के भारत का- .जय अन्ना जय केजरीवाल ,जलती रहे ,तेरे हौसलों की मशाल .चिठ्ठाकार साधना वैद जी के शब्दों में
अन्ना "गांधी "हो गए ,"भगत सिंह " अरविन्द ,
बिगुल बज उठा क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द .
उजागर कर देश की राजनीति का ये हाल,
जवाब देंहटाएंवाकई कर दिया आपने अद्भुत एक कमाल,
हर देश-भक्त की जुबां से, निकले यही दुआ,
अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !
कृत्य काले सब आड़ में धवल देह-भेष की,
हाथ साफ़ कर रहे है शठ, तिजोरी पे देश की,
चौतरफा फैला रहे ये भ्रष्ट,अपना माया-जाल,
मौसेरे सब भाईयों ने, मिल-बाँट खाया माल !
खौप खाने लगा है तुमसे सत्ता का हर दलाल,
शुक्रिया आपका,सुखी रहो,जियो हजारों साल !
देश-भक्तों की जुबां से बस निकले यही दुआ,
अमर रहे अन्ना और अरविन्द केजरीवाल !!
Posted by पी.सी.गोदियाल "परचेत" at Saturday, October 27, 2012
बहुत सटीक खुलासा आज के भारत का- .जय अन्ना जय केजरीवाल ,जलती रहे ,तेरे हौसलों की मशाल .चिठ्ठाकार साधना वैद जी के शब्दों में
अन्ना "गांधी "हो गए ,"भगत सिंह " अरविन्द ,
बिगुल बज उठा क्रान्ति का ,जागेगा अब हिन्द .
बांध न मुझ को बाहू पाश में .....
जवाब देंहटाएंमै,
सुरभि हूँ
फूल की ...
महकती हूँ
पल भर ...
महका कर
सारा परिसर
उड़ जाती हूँ
निस्सीम
गगन में,
बांध न तू
रुनझुन-रुनझुन
कर छंदों की
मोहक कड़ियों से
बांध न तू
नाजूक फूलों की
लड़ियों से
बांध न तू
मुझ को अपने
बाहू पाश में
उड़ने दे निस्सीम गगन में ,छंद मुक्त ,....मन के द्वार .बहुत सुन्दर प्रस्तुति सूक्ष्म समेटे जीवन का सार .
प्रस्तुतकर्ता Suman पर 10:36 pm
रुकता नहीं है काफिला जाँ बाजों का हिम्मत वालों का ,आएं कितने तूफ़ान ....निकल पड़े तो निकल पड़े ......ये हिंडोला हिम्मती .
जवाब देंहटाएंसुरकण्डा देवी की बर्फ़ व उत्तरकाशी से नरेन्द्रनगर तक बारिश bike trip
जवाब देंहटाएंजाट देवता का सफर
बारिस की रिश ना सकी, वेग जाट का थाम ।
देवी दर्शन के बिना, कहाँ उसे विश्राम ।
कहाँ उसे विश्राम, यात्रा पूर्ण अखंडा ।
पार करे व्यवधान, दर्श देवी सुरकंडा ।
रविकर की हे जाट, करो तो तनिक सिफारिस ।
है कौन जो सके कदम इनके थाम .
रुकता नहीं है काफिला जाँ बाजों का हिम्मत वालों का ,आएं कितने तूफ़ान ....निकल पड़े तो निकल पड़े ......ये हिंडोला हिम्मती .
जवाब देंहटाएंहै कौन जो सके कदम इनके थाम .
ये जीवट है उद्दाम .
शनिवार, 27 अक्तूबर 2012
जवाब देंहटाएंयों रूठा ना करो
शिकवे कबूल लूंगा, तू मुझको बता तो दे,
या कह दे सारी बात, जो उसका पता तो दे.
गुल से पूछा, गुलशन से पूछा, भंवरों ने भी कह दिया- उनको नहीं पता,
शबनम कुछ कहने को थी, मगर मैंने उसको छू दिया- बस यही हुई खता,
शिकवे कबूल लूंगा...
सितारे तोड़ दूंगा, तू पर्दा उठा तो दे,
जन्नत को लूट लूंगा, तू पलकें उठा तो दे.
हवाओं से पूछा, फिजाओं से पूछा, मौसम ने भी कह दिया- उनको नहीं पता,
बादल कुछ कहने को था मगर पहले ही रो दिया- कुछ भी नहीं सका बता,
शिकवे कबूल लूंगा ...
ये जान अब है तेरी, गर्दन उठा तो दे,
दिल काट तुझको दूंगा, खंजर उठा तो दे.
मैंने इनसे पूछा, मैंने उनसे पूछा, जमाना यों हँस दिया- उनको नहीं पता,
अरे, खुदा से पूछने को था मगर, मैंने तुझको पा लिया- और क्या बचा बता?
शिकवे कबूल लूंगा ...
मनुहार का राग का गीत ,राग मल्हार .गा मन बार बार यूं ही गा ,कुछ तो आए करार .बहुत बढिया प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंमनुहार का राग का गीत ,राग मल्हार .गा मन बार बार यूं ही गा ,कुछ तो आए करार,मनुवा हमार . .बहुत बढिया प्रस्तुति .शिकवे क्या सब कुछ क़ुबूल लूंगा .
बहुत बढ़िया सहज सरल मनुहार माँ के चरणों में अर्पण समर्पण आपका ,मुबारक बाद .बार बार गुरुवार प्रणाम .
जवाब देंहटाएंग़ज़ल
पलकों को बिछाते हैं आजा.
ज़ख़्मों को छिपाते हैं आजा.
हम गीत भी गाते हैं आजा.
माँ तुझको मनाते हैं आजा.
दानव भी सताते हैं आजा.
अपने भी भुलाते हैं आजा.
दीपक तो जलाते हैं सब ही,
हम दिल भी जलाते हैं आजा.
अपने ही नहीं औरों के भी ग़म,
काँधे पे उठाते हैं आजा.
हम सत्य की राहों में हँस- हँस
सब कुछ ही लुटाते हैं आजा.
कलापारखी कविवर जी,
जवाब देंहटाएंसभी उम्दा लिंक्स है जरुर पढुंगी
आभार मेरी रचना को शामिल किया है !
रविकर जी सुंदर चर्चा... मेरी रचना "अदभुत माया" शामिल की गयी आभार... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स देखे...
सादर
अनु
हमारी पोस्ट का लिंक देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अंकल!
जवाब देंहटाएंसादर
बड़ी ही रोचक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंब्लाग को शामिल करने हेतु धन्यवाद एवं आभार दिनेश जी।
जवाब देंहटाएंरविकर सर नमस्कार, सुन्दर लिंक्स शामिल किये हैं आज की चर्चा में बहुत-2 आभार.
जवाब देंहटाएंbadhiya charcha
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा ...
:-)
Aabhaar Aapka !
जवाब देंहटाएंAabhar Aapka Ravikarji
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रविवारीय चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंअगर तु मनुज को दुःख न देता, तेरा नाम प्रभु कोई न लेता।
क्षमा दया को भूल जाता जन, पाषाण बन जाता उसका मन।
कहीं धूप कहीं है छांव, अदभुत है प्रभु तेरी माया।
सोचता हूं कभी कभी, ये जग तुने कैसा बनाया।
अपने अर्जित कर्म बढ़ाओ,सुख सारे जग का पाओ ,
7-I
अदभुत माया
Kuldeep Sing
man ka manthan. मन का मंथन।
फुर्सत में भगवान् हैं, धरे हाथ पर हाथ ।
धरती पर ही हो गए, लाखों स्वामी नाथ ।
लाखों स्वामी नाथ , भक्त ले लेकर भागे ।
चढ़े चढ़ावा ढेर, मनोरथ पूरे आगे ।
करिए कुछ भगवान्, थामिए गन्दी हरकत ।
करें लोक कल्याण, त्यागिये ऐसी फुर्सत ।।
बेहतरीन सूत्रों को समाये हुऎ रविकर के अपने बेहतरीन अंदाज के साथ बेहतरीन चर्चा!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रही आज की चर्चा | एक से बढ़कर एक लिंक | आभार |
जवाब देंहटाएंdhanyvaad ravikar ji...
जवाब देंहटाएं“रूप” दिखलाकर नहीं दौलत कमाना चाहिए,
जवाब देंहटाएंअपनी मेहनत से मुकद्दर को बनाना चाहिए।--- kya bat hai shaastree ji -----sundar ..
nice links nice prsentation
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा.
जवाब देंहटाएंप्रिय रविकर जी बहुत सुन्दर चर्चा रही हर विषय दिखे सुन्दर प्रस्तुति और छवियाँ भी ..मेरे ब्लॉग से ईद मुबारक रचना को भी चर्चा मंच पर स्थान मिला ख़ुशी हुयी लोग समभाव रखें पर पीड़ा न हो तो आनंद और आये
जवाब देंहटाएंआभार
भ्रमर ५