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Friday, October 26, 2012

सुबह सुबह इस तरह, कहीं कोई मरता है-चर्चा मंच 1044


"खेल-खेल में रेल चलायें" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



आओँ बच्चों  खेल सिखायें।
खेल-खेल में रेल चलायें।।


"पुस्तक समीक्षा-
“खामोश खामोशी और हम" 
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)


 दो माह पूर्व मैं बड़े पुत्र से मिलने के लिए देहरादून गया 
तो चाचा-भतीजी के आभासी रिश्तों से जुड़ी 
डॉ.(श्रीमती) नूतन गैरोला से भी मिलने के लिए 
उनके निवास पर चला गया। 
ब्लॉगिस्तान की बहुत सी बातें उनसे साझा करने के बाद जब मैं चलने लगा तो भतीजी ने मुझे 
खामोश खामोशी और हम
काव्य संग्रह की एक प्रति मुझे भेंटस्वरूप दी! 
    खामोश खामोशी और हम काव्य संग्रह को ज्योतिपर्व प्रकाशनगाजियाबाद (उ.प्र.) द्वारा प्रकाशित किया गया है। जिसका सम्पादन हिन्दी ब्लॉगिस्तान की जानी-मानी ब्लॉगर और साहित्यविदूषी रश्मि प्रभा ने किया है। बढ़िया जिल्दसाजी वाले इस संकलन में 268 पृष्ठ हैं और 18 रचनाधर्मियों की रचनाओं को इस संग्रह में समाहित किया गया है,जिसका मूल्य 299/- रुपये मात्र है। इस संकलन में प्रत्येक रचनाधर्मी की छः-छः रचनाओं को संकलित किया गया है।


विजयादशमी

विजयादशमी,
एक मात्र पर्व नहीं
यह एक प्रतीक है -?
कई सारी बातों का
साहस और सच्चाई का
बुराई और अच्छाई का

बेटी बचाओ अभियान (गीत – 2)

श्रीमती सपना निगम (हिंदी )


दीप-पर्व पर आओ मिल-जुल
लक्ष्मी स्तुति-गान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.
--------

नन्हीं पायल की छमछम बिन
आंगन भी किस मन हरषाये
बिना फुलझरी - दीपशिखा के
दीवाली किस मन को भाये.
--------

बिन बिटिया के दीप-पर्व पर
क्या घर को वीरान करें
लें संकल्प हृदय से, आगत
लक्ष्मी का सम्मान करें.

ग़ज़ल (खार)

Madan Mohan Saxena  

काश यह खबर भी 'उल्टा पुल्टा' हो 

atul shrivastava

बांटा जीवन भर हँसी, जय भट्टी जसपाल |
हंसगुल्ले गढ़ता रहा, नानसेंस सी चाल |
नानसेंस सी चाल, सुबह ले लेता बदला |
जीवन भर की हँसी, बनाता आंसू पगला |
उल्टा -पुल्टा काम, हमेशा तू करता है |
सुबह सुबह इस तरह, कहीं कोई मरता है ||


सादर नमन 

जसपाल भट्टी

जैराम कक्कू........

निर्दोष दीक्षित 
 
जय जय जय जयराम जी, जय जय राम रमेश ।
शौचालय से जोड़ते, बबलू शादी केस ।
बबलू शादी केस, ठेस लगती है भारी ।
शौचालय गर नहीं, रखेंगे सुता कुँवारी ।
मोबाइल दो बाँट, जमीने रक्खो लय लय ।
टॉयलेट गर नहीं, कुंवारा बबलू जय जय ।।





 SADA




कार्टून कुछ बोलता है- एक नया योग !

पी.सी.गोदियाल "परचेत"  
 
 पूर्ती का इक अर्थ है, गुणन गुणा का काम ।
फुर्ती से कर पूर्ती, दे मंत्री पैगाम।
 दे मंत्री पैगाम, रास्ता बड़ा बना लो ।
छोटा सा इक पाथ, हमारे घर में ढालो ।
पतली चलनी आज, मोटा सूप बिसूरती ।
बाड्रा ना सलमान, हुआ  बदनाम पूर्ती ।।

42 comments:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा!
    देवता रोज सुबह मरते हैं और राक्षस जीवित हो जाते हैं।
    आज का यही सत्य है!
    आभार रविकर जी!

    ReplyDelete
  2. सेतु गत काव्यात्मक टिप्पणियाँ एक से बढ़के एक -

    तेरे कंधे पे रखी है जबसे बन्दूक ,

    डुबकी यमुना में लगे ,मोहन मन मुख मूक
    सुबह सुबह इस तरह, कहीं कोई मरता है-चर्चा मंच 1044

    एकल रहती नार, नहीं प्रतिबन्ध यहाँ है-
    बाड्रा ना सलमान, हुआ बदनाम पूर्ती -

    ReplyDelete
  3. Sonia Gandhi and Congress Secret Billions Exposed
    www.iretireearly.com › NewsShare

    by Chris Snelling - in 3,319 Google+ circles - More by Chris Snelling
    Jan 7, 2011 – Rahul Gandhi Controversies ... Rahul Gandhi caught at the US airport by FBI with a sum of $200, 000 with him and his Spanish girlfriend.
    You visited this page.

    Rahul gandhi Exposed by a IIT student...NITIN GUPTA... - Page 6
    www.indiandefence.com › ... › Social & Political IssuesShare
    15 posts - 5 authors - May 21, 2011
    Original Post By xXX-Nair:::Saab-XXx. Debunked!!! Amid a controversy over Rahul Gandhi's foreign degrees, the University of Cambridge said ...

    News for rahul gandhi controversies

    Cabinet reshuffle likely on Oct 28, no decision on Rahul Gandhi yet: Sources
    IBNLive‎ - 19 hours ago
    ... some ministers caught in controversies like coal minister Sriprakash Jaiswal. ... -No suggestion yet on Rahul Gandhi joining the Cabinet.
    Rahul unlikely to figure in cabinet reshuffle
    Peninsula On-line‎ - 1 hour ago

    कसीदे और भी हैं फिर कभी .एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :


    बृहस्पतिवार, 25 अक्तूबर 2012

    आईये मिलते हैं श्री राहुल गाँधी जी से -

    भारतीय राजनीति में आने वाला रविवार इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाने की प्रबल सम्भावना है जब जन जन के प्रिय नेता श्री राहुल गाँधी कैबिनेट में शामिल होंगें -
    ''Rahul Gandhi may get a berth after Cabinet reshuffle on Sunday TOI 9 hrs ago
    NEW DELHI: Prime Minister Manmohan Singh is expected to shuffle his Cabinet on Sunday in an exercise that may carry Congress general secretary Rahul Gandhi's stamp and mark an end to the long wait among ministerial aspirants in party ranks. ''

    आईये मिलते हैं श्री राहुल गाँधी जी से -



    shri rahul gandhi
    [facebook se sabhar ]




    यूं तो राहुल गाँधी जी का जीवन एक खुली किताब की तरह है .स्व .श्री राजीव गाँधी जी व् सोनिया गाँधी जी के सुपुत्र राहुल जी का जन्म 19 जून १९७० को नईदिल्ली में हुआ .राहुल जी ने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी [ यूं..के. ]से डेवलपमेंट इकोनोमिक्स में एम् .फिल की डिग्री हासिल की है .राहुल जी की - प्राथमिक शिक्षा के उन्नतिकरण ,समाज के दलित व् अन्य शोषित वर्गों के सशक्तिकरण से सम्बंधित मुद्दों में,अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों- आदि में विशेष रुचि है .खेलों में राहुल जी को-Scuba diving , swimming , cycling , playing squash में विशेष दिलचस्पी है .इतिहास ,समाज शास्त्र,अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध ,विकास,प्रबंधन व् जीवनी आदि विषयों को पढना उन्हें भाता है व् शतरंज व् flying उनके प्रिय समय व्यतीत करने के साधन है . अब तक वे निम्न पदों को सुशोभित कर चुके हैं -

    Positions Held
    2004
    Elected, to 14th Lok Sabha
    Member, Committee on Home Affairs
    5 Aug. 2006
    Member, Committee on Home Affairs
    5 Aug. 2007 onwards
    Member, Committee on Human Resource Development
    2009
    Re-elected to 15th Lok Sabha (2nd ter
    31 Aug. 2009
    Member, Committee on Human Resource Development


    एक लोकसभा सदस्य के रूप में राहुल जी का परिचय इस प्रकार है --'' Details of MemberParticularsDescriptionNameShri Rahul GandhiConstituency from which I am electedAmethiState from which I am electedUttar PradeshPolitical party nameIndian National CongressPresent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410Permanent Address12, Tughlak Lane,New Delhi - 110 011Tels. (011) 23795161 Fax. (011) 23012410''[india.gov.in से sabhar ]



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  4. Swiss Accounts
    www.rahulgandhiindia.com/sonia_gandhi_swiss_accounts.phpShareClick here to proceed.

    Rahul Gandhi And Controversies About His Life
    www.veethi.com › Articles › People › PoliticsShareMar 3, 2012 – RAHUL GANDHI is the prestigious heir of Nehru-Gandhi family, son of Rajiv Gandhi and grandson of Indira Gandhi. As his father Rajiv, ...

    अब क्या मिसाल दूं मैं तुम्हारे जमाल की (ज़माल को कमाल पढ़िए )

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  5. Rahul Gandhi responds to WikiLeaks controversy on Hindu - Ndtv.com
    www.ndtv.com › Wikileaks RevelationsShareDec 17, 2010 – WikiLeaks controversy on Rahul Gandhi's Hindu extremism remarks - Rahul Gandhi has reacted to the WikiLeaks controversy over his alleged ...

    धन्य है भारत देश इस मंद मति बालक की भी प्रबुद्ध लोग आरती उतारने लगे .स्विस बैंक से पैसा निकाल ज़नाब इंडोनेशिया ,मलेशिया में अपार संपत्ति खरीद चुकें हैं .क्योंकि स्विस तो अब निशाने पे है .जिसे लिंक चाहिए भेजे ई -मेल @ -veerubhai1947@gmail.com

    ReplyDelete
  6. विरोधाभास
    निंदक सारे हो गए, जहरीले शकरंद
    चढ़ा चने के झाड़ पे, लेते हैं आनंद
    हास्य
    साँझ सबेरे साब को, गर न लगाया तेल
    श्रम चाहे जितना करो, हो जाओगे फेल
    आश्चर्य
    आज भोर का स्वप्न है, हुई गरीबी दूर
    लोकपाल बिल हो गया, ज्यूँ का त्यूँ मंजूर
    उम्मीद
    नथ, बिंदी, बिछुवा नहीं, बनूँ न कंगन हाथ
    बस चंदन बन अंत में, जलूँ उसी के सा
    SP/2/1/6 आज भोर का स्वप्न है, हुई गरीबी दूर - धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन'
    सज्जन के ये दोहरे आप से सीधा संवाद करते हैं .हमारे वक्त का आईना है .पति को परमेश्वर मानने वाली आश्रिता का बड़ा ही मार्मिक बिम्ब है

    ReplyDelete
  7. सौन चिरैया सी तुम हो मेरे प्रेम की परवाज़ .बहुत सशक्त रचना .प्रेमाकर्षण की

    ReplyDelete
  8. विरोधाभास
    निंदक सारे हो गए, जहरीले शकरंद
    चढ़ा चने के झाड़ पे, लेते हैं आनंद
    हास्य
    साँझ सबेरे साब को, गर न लगाया तेल
    श्रम चाहे जितना करो, हो जाओगे फेल
    आश्चर्य
    आज भोर का स्वप्न है, हुई गरीबी दूर
    लोकपाल बिल हो गया, ज्यूँ का त्यूँ मंजूर
    उम्मीद
    नथ, बिंदी, बिछुवा नहीं, बनूँ न कंगन हाथ
    बस चंदन बन अंत में, जलूँ उसी के सा
    SP/2/1/6 आज भोर का स्वप्न है, हुई गरीबी दूर - धर्मेन्द्र कुमार 'सज्जन'
    सज्जन के ये दोहरे आप से सीधा संवाद करते हैं .हमारे वक्त का आईना है .पति को परमेश्वर मानने वाली आश्रिता का बड़ा ही मार्मिक बिम्ब है

    ReplyDelete
  9. आओँ(आओ ) बच्चों खेल सिखायें।

    खेल-खेल में रेल चलायें।।


    नेताओं की रेल बनाएं ,

    मंद मति उसमें बिठलाएं .सुन्दर बाल गीत .सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य लिए .

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरे ख्याल से ये लाइन वीरेंद्र कुमार शर्मा जी की है...



      " मंद मति उसमें बिठलाएं .सुन्दर बाल गीत .सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य लिए . "


      शर्मा जी बिठलाएं कोई शब्द नहीं है, यहां होना चाहिए बैठाएं

      शर्मा जी अगर आप ध्वनि भी गलत लिखेंगे तो कैसे चलेगा।

      सर यहां हम तो आपसे सीखते हैं और आप हैं कि छोटे मोटे शब्द भी गलत लिखतें हैं।

      मुझे बहुत निराशा होती है...

      या तो ज्ञान देना बंद कर दीजिए या फिर सही लिखना सीख लीजिए..


      Delete
  10. बढिया चर्चा
    अच्छे लिंक्स
    मुझे शामिल करने के लिए आभार

    ReplyDelete
  11. सुन्दर चर्चा के लिए आभार रविकर जी!

    ReplyDelete
  12. बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है आपने।

    ReplyDelete
  13. रविकर बेहतरीन लिंक्स चुन-2 कर लाये और सजाये हैं आज की चर्चा में।

    ReplyDelete
  14. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स के साथ उम्‍दा चर्चा ... आभार

    ReplyDelete
  15. सुंदर चर्चा मंच सजाया है मेरी रचना को शामिल करने के लिये आभार

    ReplyDelete
  16. बहुत ही उम्‍दा संकलन के लिये चर्चा मंच का आभार

    ट्रेन की वर्तमान स्थिति का पता करे

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  17. मंहगाई गीत गाई घूस करे श्रृंगार ।
    घोटालों के घुंघरू बंध नाचे भ्रष्टाचार ।।

    ReplyDelete
  18. क्या बात है दोस्त खूबसूरत पैनोरमा उकेर दिया आपकी आँख ने इस सारे क्षेत्र का .बधाई .


    The beauty of a Lake
    Manu Tyagi
    yatra (यात्रा ) मुसाफिर हूं ..............

    ReplyDelete
  19. बहरहाल आज का दिन मीडिया के लिए "काला दिन" है, लेकिन मैं कहता हूं कि ये'" एतिहासिक ""...दिन है।।।।।।।।।।ऐतिहासिक .........इतिहासिक लिखो गलती नहीं होगी भाई साहब !आपकी

    बाडीलंग्वेज।।।।।।।बॉडी लैंग्विज .....काहे लफड़े में पड़ते हो देह - मुद्रा ,देह भाषा लिखो या रोमन में ही लिख दो कोई निर्धारित उच्चारण तो है नहीं इन शब्दों का ब्रितानी कुछ और अमरीकी और

    भारतीय कुछ और .

    इस पूरे मामले के पेंच से आपने वाकिफ करवाया शुक्रिया .बढिया खबर दोनों सिलसिलेवार .

    महेंद्र भाई भाषा कोई मृत जिन्स नहीं है प्रयोग से आगे बढती है .सिखलाएँ ,दिखलाएं ,नहलाएं ,धुलवाएँ ,मिलवाएं सभी प्रचलित हैं .भाषा का ढर्रा वेगवान है .गत्यात्मक अवधारणा है भाषा सचल है

    अचल नहीं .बहर सूरत अच्छा लगा आप हमारे लिखे को पहचानने लगे .शुक्रिया .आप गलतियां बतलाते रहें हम भी सीखते रहेंगे .मकसद है ब्लॉग पर बढिया भाषा आये .

    ReplyDelete
    Replies
    1. किस मास्टर ने आपको पढाया कि इतिहासिक लिखो....
      अब मैं जान गया आपके ज्ञान को...

      हाहाहहाहाहाहहा

      अब अंग्रेजी के शब्द खूब इस्तेमाल होते हैं और मैं करता हूं। आपसे सीखने की जरूरत बिल्कुल नहीं है।

      आप लिखिए रेलवे स्टेशन को भग भग अड्डा मैं तो स्टेशन ही लिखूंगा

      सच में मै आपको थोड़ा पढा लिखा भी मानता था, पर अब आपने साबित कर दिया..

      वैसे भी देख रहा हूं कि तमाम ब्लागों पर आपको लोग ऐसे ही जवाब दे रहे हैं..


      लेकिन आप लगे रहिए

      Delete
    2. हाहाहहाहाहा

      बाडी लंग्वेज = देह भाषा, देह मुद्रा

      आप ही लिखिए और आप ही समझिए....

      एक जानकारी चाहता हूं

      आपके यहां कोई और भी है जो हिंदी का ज्ञान रखता हो, प्लीज आप एक बार उनसे चेक करा लिया करें

      Delete
  20. महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 26, 2012 11:49 AM
    मेरे ख्याल से ये लाइन वीरेंद्र कुमार शर्मा जी की है...



    " मंद मति उसमें बिठलाएं .सुन्दर बाल गीत .सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य लिए . "


    शर्मा जी बिठलाएं कोई शब्द नहीं है, यहां होना चाहिए बैठाएं

    शर्मा जी अगर आप ध्वनि भी गलत लिखेंगे तो कैसे चलेगा।

    सर यहां हम तो आपसे सीखते हैं और आप हैं कि छोटे मोटे शब्द भी गलत लिखतें हैं।

    मुझे बहुत निराशा होती है...

    या तो ज्ञान देना बंद कर दीजिए या फिर सही लिखना सीख लीजिए..

    महेंद्र भाई भाषा कोई मृत जिन्स नहीं है प्रयोग से आगे बढती है .सिखलाएँ ,दिखलाएं ,नहलाएं ,धुलवाएँ ,मिलवाएं सभी प्रचलित हैं .भाषा का ढर्रा वेगवान है .गत्यात्मक अवधारणा है भाषा सचल है

    अचल नहीं .बहर सूरत अच्छा लगा आप हमारे लिखे को पहचानने लगे .शुक्रिया .आप गलतियां बतलाते रहें हम भी सीखते रहेंगे .मकसद है ब्लॉग पर बढिया भाषा आये .

    ReplyDelete

  21. कितने स्वरूप है खड़ी बोली के जिन्हें भाषा सहज ही आत्म सात करती आगे बढती है .अंग्रेजी से सीखो धारण कैसे किया जाता है समोसा और पूरी भी अब ऑक्सफोर्ड शब्द कोष में मिलेंगे .आप

    आंचलिक शब्द प्रयोग पर ही बिदक गए भाई साहब .

    ReplyDelete
  22. बहुत उम्दा लिंक, शानदार चयन, मुझे चर्चा में शामिल करने व "अवधी" को स्थान देने के लिए धन्यवाद, आभार।

    आपकी पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं -
    बांटा जीवन भर हँसी, जय भट्टी जसपाल |
    हंसगुल्ले गढ़ता रहा, नानसेंस सी चाल |
    नानसेंस सी चाल, सुबह ले लेता बदला |
    जीवन भर की हँसी, बनाता आंसू पगला |
    उल्टा -पुल्टा काम, हमेशा तू करता है |
    सुबह सुबह इस तरह, कहीं कोई मरता है ||

    भ्रष्टाचार के खिलाफ़ अपने अनोखे अंदाज़ में आवाज़ उठाने वाले जसपाल भट्टी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete
  23. मेरी रचना शामिल करने के लिये आभार,,,रविकर जी,,,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी पोस्ट (विजयादशमी) का लिंक ठीक कर दे,पोस्ट खुल नही रही है,,,

      Delete
  24. एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :

    आईये मिलते हैं श्री राहुल गाँधी जी से -
    डॉ शिखा कौशिक ''नूतन ''
    (विचारों का चबूतरा )पर

    अब तो लोग रावण की भी आरती उतारने लगें हैं .भारत के कई अंचलों में बाकायदा रावण की पूजा होती है .कोई कंस की करना चाहे उसकी भी करे .जिसने पूजा करने की ठान ही ली है उसे उसके इरादे से भला कौन डिगा सकता है .
    जो भी गुण शिखा जी ने राहुल बाबा में बताएं हैं वह सारे गुण और योग्यताएं उनमें होंगी .लेकिन माननीय सुब्रामनियम स्वामी ने तो यह खुलासा किया था ये अपनी पढ़ाई बीच में छोडके चले आये थे .

    बेशक वह भारत के इतिहास और भूगोल ,और परम्परा को छोड़के बाकी सब ज्ञान सरणियों के माहिर होंगें .अंतर -राष्ट्रीय क्या वह अंतर -कोस्मिक ज्ञान के भंडार हैं .लेकिन भारत के भूगोल और इतिहास और परम्परा के बारे में वह कुछ नहीं जानतें हैं .

    बाकी कोई किसी की पूजा करे ,उसे किसी तर्क से प्रभावित नहीं किया जा सकता .हम जानना चाहते हैं यह राहुल शब्द कहीं राहु से तो नहीं बना प्रत्यय लगाके जैसे मंजु से मंजुल ,मधु से मधुर बन जाता है .भाषा विद महेंद्र श्रीवास्तव इसपर प्रकाश डालें .मुझे तो पता नहीं है .वे भाषा विद हैं वही बताएं .

    ReplyDelete
  25. महेंद्र श्रीवास्तव जी ज्ञान का प्रवाह कभी अवरुद्ध नहीं होता .आदमी सारी ज़िन्द्गी सीखता है .सीखने की
    नीयत होनी चाहिये .जो सीखने का भाव कम आलोचना का मूल भाव लेकर चलता है वह पहले ही निंदा
    रस से भरा हुआ है .बात को घुमा फिराकर कहना ,विनम्र भाषा में गाली देना है वैसे कुछ लोग तो बिना
    बोले भी गाली देते हैं .



    लेकिन एक बात साफ़ है न तो आप मुझे आदर्श मानते हैं न सीखने की आपकी नीयत है .भले मैं इतना
    ज्ञान वान नहीं हूँ लेकिन इतना छूंछ भी नहीं हूँ किसी को कुछ सिखला न सकूं .
    एक प्रतिक्रिया महेंद्र श्रीवास्तव लिखी पर :
    Replies

    महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 26, 2012 11:49 AM
    मेरे ख्याल से ये लाइन वीरेंद्र कुमार शर्मा जी की है...



    " मंद मति उसमें बिठलाएं .सुन्दर बाल गीत .सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य लिए . "


    शर्मा जी बिठलाएं कोई शब्द नहीं है, यहां होना चाहिए बैठाएं

    शर्मा जी अगर आप ध्वनि भी गलत लिखेंगे तो कैसे चलेगा।

    सर यहां हम तो आपसे सीखते हैं और आप हैं कि छोटे मोटे शब्द भी गलत लिखतें हैं।

    मुझे बहुत निराशा होती है...

    या तो ज्ञान देना बंद कर दीजिए या फिर सही लिखना सीख लीजिए..

    ReplyDelete
    Replies
    1. शर्मा जी

      प्लीज आप पहले हिंदी को ठीक से जान लें। वाकइ हसी आती है। मेरे आफिस में इस समय आप टाइम पास है।
      लोग आपके के कमेंट पढ़ते हैं, फिर कहते हैं कि "टिप्पणी " शब्द तक आप सही लिखते हैं, नहीं कैसे लोगों के बीच ज्ञान देने पहुंच जाते हैं।

      मैं पूरी गंभीरता से बात कर रहा हूं 10 लाइन लिखिए, उसमें आप कम से कम 20 गलती करेंगे..

      फिर शब्दों को लेकर आप जो कहेंगे वही ठीक नहीं है। ठीक वो है जो ज्ञानी लोग कहें, या फिर शब्दकोष । ठीक है..

      ब्लागर मित्रों को भी सलाह देना चाहूंगा कि प्लीज अगर शर्मा जी आपके ब्लाग पर कोई गलती निकालते हैं, तो कृपया उसे किसी और जानकार से पूछ लें, क्योंकि शर्मा जी कि हिंदी तो गलत है ही उनकी जानकारी भी बहुत कम यानि शर्मा जी की भाषा में मंद बुद्धि टाइप..



      Delete
  26. "महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 26, 2012 11:51 PM
    शर्मा जी

    प्लीज आप पहले हिंदी को ठीक से जान लें। "वाकइ हसी आती है।" मेरे आफिस में इस समय आप टाइम पास "है"।
    लोग आपके के कमेंट पढ़ते हैं, फिर कहते हैं कि "टिप्पणी " शब्द तक आप सही लिखते हैं, नहीं कैसे लोगों के बीच ज्ञान देने पहुंच जाते हैं।

    मैं पूरी गंभीरता से बात कर रहा हूं 10 लाइन लिखिए, उसमें आप कम से कम 20 गलती करेंगे..

    फिर शब्दों को लेकर आप जो कहेंगे वही ठीक नहीं है। ठीक वो है जो ज्ञानी लोग कहें, या फिर शब्दकोष । ठीक है..

    ब्लागर मित्रों को भी सलाह देना चाहूंगा कि प्लीज अगर शर्मा जी आपके ब्लाग पर कोई गलती निकालते हैं, तो कृपया उसे किसी और जानकार से पूछ लें, क्योंकि शर्मा जी कि हिंदी तो गलत है ही उनकी जानकारी भी बहुत कम यानि शर्मा जी की भाषा में मंद बुद्धि टाइप.."
    वीरुभाई उवाच -

    वाकई हंसी आनी भी चाहिए टिपण्णी पढ़के ......

    मेरे आफिस में इस समय आप टाइम पास "हैं ".....चलिए बिलकुल नाकारा तो नहीं हैं .....

    दास कबीर जतन से ओढ़ी ,ज्यों के त्यों ,धर दीन्हिं चदरिया ........

    बघनखे पहनके अपने घर में खिड़की दरवाज़े बंद कर बैठे रहो ,मोडरेशन की चाशनी चाहते रहो .

    ReplyDelete
  27. "महेन्द्र श्रीवास्तवOctober 26, 2012 11:51 PM
    शर्मा जी

    प्लीज आप पहले हिंदी को ठीक से जान लें। "वाकइ हसी आती है।" मेरे आफिस में इस समय आप टाइम पास "है"।
    लोग आपके के कमेंट पढ़ते हैं, फिर कहते हैं कि "टिप्पणी " शब्द तक आप सही लिखते हैं, नहीं कैसे लोगों के बीच ज्ञान देने पहुंच जाते हैं।

    मैं पूरी गंभीरता से बात कर रहा हूं 10 लाइन लिखिए, उसमें आप कम से कम 20 गलती करेंगे..

    फिर शब्दों को लेकर आप जो कहेंगे वही ठीक नहीं है। ठीक वो है जो ज्ञानी लोग कहें, या फिर शब्दकोष । ठीक है..

    ब्लागर मित्रों को भी सलाह देना चाहूंगा कि प्लीज अगर शर्मा जी आपके ब्लाग पर कोई गलती निकालते हैं, तो कृपया उसे किसी और जानकार से पूछ लें, क्योंकि शर्मा जी कि हिंदी तो गलत है ही उनकी जानकारी भी बहुत कम यानि शर्मा जी की भाषा में मंद बुद्धि टाइप.."
    वीरुभाई उवाच -

    वाकई हंसी आनी भी चाहिए टिपण्णी पढ़के ......

    मेरे आफिस में इस समय आप टाइम पास "हैं ".....चलिए बिलकुल नाकारा तो नहीं हैं .....

    दास कबीर जतन से ओढ़ी ,ज्यों की त्यों ,धर दीन्हिं चदरिया ........

    बघनखे पहनके अपने घर में खिड़की दरवाज़े बंद कर बैठे रहो ,मोडरेशन की चाशनी चाटते रहो .

    ReplyDelete

  28. इतिहास में इक प्रत्यय लगाके इतिहासिक शब्द बनता है और विज्ञान में इक लगाके विज्ञानिक ,समाज में इक लगाके समाजिक (स्रोत डॉ राम विलास शर्मा ).

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  29. बहुत अच्छे लिनक्स संजोये हैं आपने रोचक प्रस्तुति व् मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने हेतु आभार

    ReplyDelete

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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