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Tuesday, October 30, 2012

मंगलवारीय चर्चामंच (1048)अपमान से सम्मान का तेज बढ़ता है

आज की मंगलवारीय चर्चा में 
आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की 
आप सब को नमस्ते 
आप सब का दिन मंगल मय हो 
अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लोग्स पर 

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असुर मर्दिनी .. - चंड-मुंड , 
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आखिर क्यूँ दर्द दिल का मैं जाने क्यूँ दबाए बैठा हूँ, 

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कुछ रिश्‍ते ... (6) कुछ रिश्‍ते होते हैं ऐसे, जिनमें 

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तस्वीर लघुकथा तस्वीर मनोज कुमार उसने 

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पिटाई और अकल - माल्या 
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'ह्रदय-व्यापार..' ... "देखो, थम गयी सृष्टि.. रुक 

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- नमस्कार मित्रों, मैंने आज अपने इस ब्लॉग को
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मठाधीश वाल्मीकि जयंति पर विशेष....
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रोज एक धमाका - पेपर में 
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अपमान से सम्मान का तेज बढ़ता है

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें.
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आदि कवि के याद में

डॉ.सुनीता at समय-सुनीता - 
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padamnabham palace ,पदमनाभम पैलेस

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किताबों की दुनिया - 75

नीरज गोस्वामी at नीरज -
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समूह में पहली बार कैम्पटी फ़ॉल भ्रमण kampty fall group tour

संदीप पवाँर (Jatdevta) at जाट देवता का सफर
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अन्याय

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बस आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ अगले मंगल वार फिर मिलूंगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय 

38 comments:

  1. Hello aaj free net chalane ka post pura ho gaya free airtel aur idea se internet chalane ke liye aaj hi aaye computer world hindi
    कंप्यूटर वर्ल्ड हिंदी।फ्री इन्टरनेट चलाये सम्पूर्ण भाग

    मोबाईल वर्ल्ड। फ्री- Movie,विडियो,Mp3,गेम,song,App.,मोबाईल टिप्स & ट्रिक

    उमंगें और तरंगेएहसास और बेहद संवेदनशील भावना

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  2. बढ़िया लिनक्स की चर्चा ......

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  3. आज के चार्च मंच पर प्रकाशित रचनाओ को सजों सजों कर लागने के लिये श्रीमति राजेशकुमारी जी का हार्दिक धन्‍यवाद और युनिक ब्‍लाग की तरफ से भी उनका आभार
    www.yunik27.blogspot.com

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  4. राज कुमारी जी आज भी कई रंग लिए चर्चामच |आपकी महनत को दाद देनी होगी |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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  5. बहुत सुंदर चर्चा बेहतरीन सूत्रों के साथ !

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  6. कार्टून को भ सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार

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  7. Virendra Kumar SharmaOctober 30, 2012 12:09 AM
    Only veg and non-veg
    In the present scheme there are no distinguishing marks for egg and milk products, other than the broad vegetarian and non-vegetarian classifications. As per the present specifications, egg-products would be considered as non-vegetarian, while milk and milk-products are vegetarian and are marked with the green symbol.[1] But there is a common misconception that the brown dot denotes egg-products and that meat-products are distinguished by a red dot.[2] But there is in fact no such provision in the approved standard.

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    Virendra Kumar SharmaOctober 30, 2012 12:12 AM
    milk comes out of an animal???how can that be veg???it applies same for the eggs too....it comes out of a hen!....so vegans should consume egg too....imagine a world without milk....the poor vegans hav to go without all the dairy products.....no wonder they made the milk an exception....pure vegans dont even consume animal mink...they drink soya milk...

    ReplyDelete

    Virendra Kumar SharmaOctober 30, 2012 12:14 AM
    milk comes out of an animal???how can that be veg???it applies same for the eggs too....it comes out of a hen!....so vegans should consume egg too....imagine a world without milk....the poor vegans hav to go without all the dairy products.....no wonder they made the milk an exception....pure vegans dont even consume animal mink...they drink soya milk...

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    Virendra Kumar SharmaOctober 30, 2012 12:14 AM
    Vegetarians don’t eat:
    • Meat
    • Poultry
    • Game
    • Fish, shellfish and crustacea
    • Slaughterhouse by-products such as gelatine, rennet and animal fats.

    Vegetarians do eat:
    • Vegetables, pulses, grains, bread, cheese, eggs, fruit, nuts, cereals and seeds....

    People who don’t eat red meat but do eat chicken or fish are making a very important first step, but they aren’t vegetarians. We usually call such people meat-reducers.

    People who avoid all animal products, including eggs, milk, dairy products and honey as well as meat, poultry and fish are called vegans.

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    Replies

    अदाOctober 30, 2012 1:01 AM
    Sharma ji,

    Thanks a lot. This may be the Indian perception but not Universal.
    I have seen in some countries people consider milk as a NON VEGETARIAN therefore any milk product is considered NON VEG including butter, cheeze etc. They avoid eating these things in their fasting period.

    Reply

    Virendra Kumar SharmaOctober 30, 2012 12:15 AM
    Vegetarians don’t eat:
    • Meat
    • Poultry
    • Game
    • Fish, shellfish and crustacea
    • Slaughterhouse by-products such as gelatine, rennet and animal fats.

    Vegetarians do eat:
    • Vegetables, pulses, grains, bread, cheese, eggs, fruit, nuts, cereals and seeds....

    People who don’t eat red meat but do eat chicken or fish are making a very important first step, but they aren’t vegetarians. We usually call such people meat-reducers.

    People who avoid all animal products, including eggs, milk, dairy products and honey as well as meat, poultry and fish are called vegans.

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  8. आभार राजेश कुमारी जी , इस चर्चा के लिए !

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  9. गांधीजी गाय के दूध को गाय का खून कहते थे इसीलिए ता -उम्र उन्होंने बकरी का दूध पीया .भले शुद्ध दूध में मौजूद खाद्य कोलेस्ट्रोल कोशाओं की

    बढ़वार

    के लिए लाज़मी है लेकिन होल क्रीम मिल्क और दुग्ध उत्पाद दिल के लिए अब बहुत मुफीद नहीं माने जाते .मोटा रुल जो एनीमल प्रोडक्ट है मांस (ख़ास

    कर

    रेड मीट ),अंडा आदि दिल के लिए नहीं अच्छा .

    नामचीन दिल के रोगों के माहिर तो मच्छी में मौजूद बेहद प्रचारित और हाइप ओमेगा फेटि एसिड्स को भी निरापद नहीं मानते .सारा जीवन उन्होंने

    शाका हार के हवाले कर दिया .आपने जीरो फेट कुकिंग पर सौ से ज्यादा किताबें लिखीं हैं खुद पका के दिखातें हैं .यह आंखन देखि है सुनी सुनाई नहीं है

    हमने इण्डिया परिवास केंद्र और इंडिया इंटर -नेशनल सेंटर,नै दिल्ली , में ज़नाब के सेमीनार अटेंड किये हैं .विश्व हृदय दिवस पर विस्तार भाषण सुना है .

    हम जीरो फैट की बात नहीं करते 1%,2%फैट युक्त ही भला .खालिस दूध और दुग्ध उत्पाद हृदय की सेहत के लिए अच्छे नहीं माने जातें हैं अब .और

    मांसाहार तो कतई नहीं .अलबत्ता जिन्हें जीवन शैली रोग पाले रखने का शौक है खाए शौक से कौन रोकता है .दूध पशु उत्पाद होते हुए भी अपेक्षा कृत

    निरापद और सात्विक आहार है . भले स्तन पाई पशुओं का प्राथमिक आहार है लेकिन अब तो होमोसेपियन की माँ ही लड़के स्तन पान करा पाती है बा -

    मुश्किल 4 -6 माह आप बछड़े बछियों की बात कर रहीं हैं दुसरे छोर पर मांसाहार के पक्ष में खड़ी दिखलाई देतीं हैं .

    बकरी पांति खात है ताकि मोटी खाल ,

    जे नर बकरी खात हैं तिनको कौन हवाल .

    संत कवि बरसों पहले इशारा कर गए थे -शाकाहार ही भला .

    आज अमरीका जुगत निकाल रहा है कैसे गौ मांस को कम कोलेस्ट्रोल युक्त बनाके कैंसर रोग समूह से बचा जाए .विश्व में शाकाहार के प्रति एक चेतना

    पर्यावरण पारितंत्रों की सुरक्षा के मद्दे नजर भी आई है .फ़ूड पिरामिड में मांसाहार ज्यादा इनपुट एनर्जी मानता है .

    (ज़ारी )

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  10. धरती धरती परबत परबत गाता जाए बंजारा ,

    लेके दिल का एक तारा .

    अपना अपना जीवन दर्शन है कोई क़ानून का फंडा खड़ा कर फंड खाता है और विदेश मंत्रालय हथिया लेता है कोई संतोष लिए बंजारा बन जाता है .बढ़िया प्रस्तुति .ये बंजारे तो एक पूरा पारितन्त्र साथ लिए चलते हैं ,कुत्ता ,और बैल गाडी ,और एक लालटेन ,लोहे के औज़ार और बस मोटी रोटी पर लालमिर्च लहसुन की चटनी .

    दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी झूठी
    शान दिखाय, रखे नित

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  11. तस्वीर
    मनोज कुमार
    मनोज

    नेह पिता का सर्वदा, हरदम आशिर्वाद ।
    कूड़े कचरे में पड़े, पर बाकी उन्माद ।
    पर बाकी उन्माद, अगर आश्रम में होते ।
    गुरु नानक सा हाथ, किये चिर निद्रा सोते ।
    अब रविकर आश्वस्त, नहीं डिस्टर्ब होयगा ।
    'धूप' 'अगर' उजियार, शोर बिन यहाँ सोयगा ।।

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  12. "रिश्वत में गुम हो गई प्राञ्जलता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
    उच्चारण

    रिश्वत अस्मत से रहे, किस्मत आज खरीद |
    मंहगाई में रोज वे, मना रहे बकरीद |
    मना रहे बकरीद, यहाँ पर होते फांके |
    हवा रहे हम फांक, लगाते दुष्ट ठहाके |
    तड़क-भड़क ये सड़क, करे उनका नित स्वागत |
    किस्मत अपनी रोय, बचा के रखते अस्मत ||

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  13. Your memory is like a game of telephone
    Virendra Kumar Sharma
    ram ram bhai
    याद-दाश्त अच्छी रहे, सिखा रहे गुर गूढ़ ।
    हुई आज कमजोर यह, क्या जवान क्या बूढ़ ।
    क्या जवान क्या बूढ़, भुलक्कड़ लेकिन बनिए ।
    लाभ दिखे प्रत्यक्ष, उधारी लेकर तनिये ।
    भूल बुरी हर बात, साथ में हुई घटित जो ।
    कर ईश्वर को याद, हुआ है हृदय व्यथित जो ।।

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  14. रविकर जी आपकी सक्रियता और सहृदयता दोनों के लिए शुक्रिया .आपके ब्लॉग से (सभी ब्लागों से )टिप्पणियाँ साफ़ हो रहीं हैं आपको ई -मेल भी भेजा

    लेकिन वाही ढ़ाक के तीन पांत .मजेदार बात यह है शास्त्री जी के ब्लोग्से भी वही टिप्पणियाँ गायब हुईं हैं जो लिंक लिख्खाड बांचने के बाद हमने की थीं .

    राजेश कुमारी जी का आभार सुन्दर साज़ सज्जा और सेतु चयन और हमने बिठाने के लिए चर्चा -ए -चौपाल में .

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  15. प्रजातन्त्र का तो, हुआ "रूप" ओझल,
    यहाँ ज़िन्दगी अब नरक बन गई है।
    बहुत सुन्दर रचना है बस चित्र असंगत है अब कौन मेज़ के नीचे से रिश्वत लेता है .क़ानून का फंडा डाल फंड खाता है आदमी ,सरे आम सुबह शाम तरक्की पाता है आदमी .

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  16. रविकर जी की कुंडलियाँ पातीं नित विस्तार .



    अस्सी घाट, शरद पूर्णिमा और चाँदनी की पदचाप
    देवेन्द्र पाण्डेय
    बेचैन आत्मा


    अमृत वर्षा से हुई, श्वेत खीर अभिसिक्त ।
    छक कर खाई है सुबह, उदर नहीं है रिक्त।
    उदर नहीं है रिक्त, टेस्ट मधुमेह कराना ।
    भले चित्र अवलोक, चित्त में इन्हें समाना ।
    चित्रकार आभार, परिश्रम का फल पाओ ।
    स्वस्थ रहे मन-बदन, और भी चित्र दिखाओ ।।

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  17. मन की इस वैतरणी भाव गंगा में कौन न बह जाए .मनोहर अति सुन्दर भाव जगत की रचना सशक्त सम्प्रेष्ण लिए .बधाई .

    अपमान से सम्मान का तेज बढ़ता है
    रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें.

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  18. बहुत सुन्दर लिंक्स संजोये हैं।

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  19. काफी लिंक्‍स मिले ..
    बहुत सुंदर चर्चा .

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  20. सुंदर लिंक... मैंने हिंदी प्रेमियों के लिये एक मंच बनाया है... सभी चर्चा मंच के आययोजकों व समर्थकों से मेरा निवेदन है कि आप सब इस मंच में शामिल हों और औरों को भी प्रेरित करें... इस मंच की संपूर्ण जानकारी मेरे ब्लौग पर है... http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

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  21. सुन्दर लिंक्स

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  22. 'बदनाम हुये तो क्या हुआ नाम तो हुआ' और 'नंग बड़े परमेश्वर से'ये सब कहावतें सुनी तो बहुत थीं इस 'चर्चा' के माध्यम से प्रत्यक्ष साक्षात्कार भी हो गया।

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  23. dhanyvaad ---kaafe achchhee charchaa hogaye....

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  24. मेरी रचना को चर्चा मंच तक पहुचने के लिए मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया करती हूँ और भी बहुत से अच्छे लिंक्स हैं आपकी लगन और मेहनत को प्रणाम |

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  25. मेरी रचना को मंच पर सम्मिलित करने के लिए शुक्रिया|

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  26. शुक्रिया ,शुक्रिया ,शुक्रिया .

    मनोज कुमार
    उसने अपने मृत पिता की तस्वीर बेड रूम में लगा ली।
    रोज़ सुबह अपने जन्म-दाता को देखकर दिन की शुरुआत करता। तस्वीर के इर्द-गिर्द उसने अपनी, बीवी और बच्चों की तस्वीरें भी रख दीं, जैसे पिता का परिवार पूरा हो गया हो। आशीष-वर्षा की कल्पना में मन सन्तोष से भर उठा।
    एक दिन दूर का रिश्तेदार घर आया। उसकी पत्नी ने इसकी पत्नी के कान में कहा, “मरे हुए लोगों के साथ अपनी तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। और वह भी बेड रूम में ! ........ अशुभ होता है।”
    पत्नी के मन में शंका के बीज पलने लगे।
    पिता की तस्वीर अब स्टोर रूम की शोभा बढ़ा रही थी।
    ***
    Posted by मनोज कुमार at 6:00 am

    तस्वीर पर माला चढ़ाने से बोध होता है नहीं पन का,किसी के कालातीत हो जाने का .तस्वीर से बोध होता है यहीं कहीं हैं आस पास .दीवार पे क्यों टांगें .

    कान में जो भी फुसफुसाया वह नकारात्मक सोच है ,केकड़ा वृत्ति है एक केकड़ा दूसरे को बढ़ते देख उसकी टांग खींचता है .ईर्ष्या तू न गई मेरे मन से .
    *********
    मनोज
    तस्वीर - लघुकथा तस्वीर मनोज कुमार उसने

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  27. सोचने को है बाध्य
    क्या लाभ ऐसी बहस का
    जिसका कोइ ओर ना छोर
    यूँ ही समय गवाया
    कुछ भी समझ न आया
    सर दर्द की गोली का
    खर्चा और बढ़ाया |
    आशा

    भ्रष्टाचार करो ,तरक्की पाओ ,क़ानून से विदेश पद मंत्री पाओ .

    बिलकुल मत शरमाओ ,जो मिल जाए खाओ ,
    सर्व भक्षी कहलाओ .



    बधाई इस परिवेश प्रधान रचना की चुभन के लिए .

    Akanksha
    रोज एक धमाका - पेपर में

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  28. खट्टे-मीठे, रसीले,
    सख्त और पिलपिले
    अफ़सोस कि
    सबके सब गए बिक !

    'मैंगो पीपुल ऑफ़
    बनाना रिपब्लिक ' !!

    बढ़िया विचार कणिकाएं दोनों .बधाई

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  29. तुलसी हाय गरीब की कभी न खाली जाए ,

    बिना सांस के जीव से ,लौह भसम हो जाए .

    लुहार की धौकनी पशु चरम से ही बनी होती है ,ये मृत पशु की आह ही है की लुहार के इधर से फूंक मारने पर उधर रखा लोहा भी भस्म हो जाता है .निस्सहाय को कत्ल करने का हिसाब कयामत के दिन मांगा

    जाएगा .जीव की कराह भी असर दिखाएगी।मान मत मान ,तेरा अभिमान ,अपने को पहचान .
    काव्य मंजूषा
    क्या गाय या भैंस का दूध....शाकाहारी है ??? -

    ReplyDelete
  30. सुंदर चर्चा रही आज की | सभी कड़ियाँ उम्दा |
    आभार |

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  31. कुछ कहना है.............

    दोहा कुण्डलि सोरठा , छंद सवैया संग
    शब्द-चयन को देखकर,रविकर जी हम दंग
    रविकर जी हम दंग , कथानक में प्रवाह है
    सच कहते हैं लोग ," चाह है वहाँ राह है "
    खण्ड-काव्य ने भ्रात ,हमारे मन को मोहा
    छंद सवैया संग , सोरठा कुण्डलि दोहा ||

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  32. क्या गाय या भैंस का दूध....शाकाहारी है ???

    कोई दुहता भैंस को , कोई दुहता गाय
    अरे शेरनी को कभी, दुहकर जरा बताय
    दुहकर जरा बताय,सदा कमजोर मरा है
    जो साधन सम्पन्न, हमेशा हरा-भरा है
    बछड़ा भूखा देख - देख कर ममता रोई
    बेजुबान का दर्द , भला क्या जाने कोई ||

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  33. कुछ रिश्‍ते ... (6) - कुछ रिश्‍ते होते हैं ऐसे, जिनमें

    बिना रक्त सम्बंध के,कुछ रिश्तों में जान
    कुछ रिश्ते हैं बोझ-से,जीवन में व्यवधान
    जीवन में व्यवधान ,और कुछ ईश्वर जैसे
    धर्म समाया मूल , वहाँ कटुता हो कैसे
    कुछ रिश्ते विश्वास,न तोड़ें मरते दम तक
    बदले युग या काल,चले आते हैं हम तक ||

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  34. आप सभी का दिल से आभार

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