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रविवार, अक्टूबर 07, 2012

“अंधी नगरी चौपट राजा” (चर्चा मंच-1025)

मित्रों!
रविवार के लिए देखिए!
मेरी पसन्द के कुछ लिंक!


हम देख न सके,,,

रोज पढते रहे अखबार हम देख न सके,
आप कब हो गए सरकार हम देख न सके,!

हमने तो आपको अपने करीब देखा था,
बीच में कांच की दीवार हम देख न सके,!...


उठो सखी री माँग संवारो...

लंबे*अंतराल के बाद कथावाचक ने कुछ लिखने की ठानी है। अक्टूबर के जिस महीने में अंचल की सुबह शीत की बूंदों से शुरु होती थी, वहां अभी भी गरमी जारी है...
अनुभव
वाहन और सापेक्षतावाद : सरोजकुमार

मैं जब मोटर में बैठता हूँ मुझे ताँगे-बुर्जुआ ऑटोरिक्शे फड़तूस टेम्पो सड़कछाप और साइकिलें सर्कसिया लगती हैं! मैं जब ताँगे में बैठता हूँ मुझे मोटरें सफेद हाथी...
एकोऽहम्

पल पल बदलता आसमां (एक हवाई यात्रा )

१५ मिनट में आसमां का बदलता रंग ...पल पल मेरे कैमरे में कैद कुछ पल * *नीचे उतरते वक्त , ऊँचाई से दिखता दिल्ली का नज़ारा * *पल पल बदलता आसमां का रंग * * लैंडिंग के वक्त खुलते पंख * *एक और धुंधला नज़ारा * *अलगे ही पल-पल और नीचे ...और नीचे * *रनवे पर उतरते समय * *पूरी तरह से रुकने के बाद * *सभी फोटो मोबाईल से लिए गए हैं ......अंजु (अनु)*
चौदह चश्मे चक्षु पर, चतुर चोर बैमान
दृष्टिकोण दृष्टि-दोष से त्रस्त है, मानव अभिनव-ज्ञान । चौदह चश्मे चक्षु पर, चतुर चोर बैमान
रविकर की कुण्डलियाँ
रूप निरूपा राय बदल, अब तक माँ रही कहावत नारी
नारी – मत्तगयंद छंद सवैया
[ मत्तगयंद सवैया – 7 भगण तथा अंत में 2 गुरु यानि 7 SII ,2 SS ]
तू जग की जननी बनके, ममता दुइ हाथ लुटावत नारीनेहमयी भगिनी बनके…
अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)
त्रिवेणी

जहाँ से अहल ए दिल लेकर अज़ाब लौट आये..
कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली
मुस्कराहट एक बड़ा हथियार है !!
कल सुबह कॉलेज जाती हुई एक बच्ची नजर आई , कुछ लंगडाती हुई . शायद चप्पल टूट गयी थी. झेपी मुस्कराहट के साथ चप्पल घिसट कर चलते देख थोडा दुःख हुआ तो थोड़ी हंसी भी आई . मुस्कुराने के बहाने भी कैसे अजीब होते हैं..
ज्ञानवाणी
रुबाईयाँ 20X5=100
योरोप की तरह अपना भी भारत जागे,
क्या कहना, निकल जाए ये सबसे आगे,
बन जाएँ सभी हिन्दी मुकम्मल इन्सां ,
गर धर्म ओ मज़ाहिब की मुसीबत भागे…
Junbishen
चील की गुजरात उड़ान

*चील की गुजरात उड़ान * * * *अधिक नहीं बस चार कौवे थे ,* * **कभी कभी ऐसा जादू होता है ,* * **ये सब कौवे चार बड़े सरताज हो गए ,* * **इनके मुखिया चील गिद्ध और बाज़ हो गए…
कबीरा खडा़ बाज़ार में
तिरूपति बालाजी ,आंध्र प्रदेश
तिरूपति मंदिर भारत का सबसे ज्यादा अमीर मंदिर है । पूरे विश्व के धनी मंदिरो मे भी इसकी गिनती होती है । विश्व में जितने भी धर्मो के धार्मिक स्थान है जैसे कि मुसलमानो के लिये मक्का मदीना , ईसाइयो के लिये वेटिकन और यहूदियो के लिये येरूशलम आदि सभी स्थानो की तुलना में यहां पर हर साल ज्यादा श्रद्धालु आते हैं…
कालिख तो पुत ही गई सोनिया जी !

आधा सच..
कर रहा है उसी से अब दिलजोई भी
सिखा है उसी से हमने ग़ज़लगोई भी , बड़ी काम की है उसकी साफगोई भी फिर कोई पल हमने संजोई भी…
कविता-एक कोशिश
sex अश्लीलता फैला रहा है "नवभारत टाइम्स "

" sex पर बात करना और किसी को गाली देना अगर आपको नहीं आता है तो पढ़िये "नवभारत टाइम्स " देश का सबसे बड़ा मीडिया ग्रुप आपको सीखा देगा अभद्र गालीया कैसे दी जाती है और सेक्स पर कैसे बोला जाता है...शर्म आती है जब *" **INDIATIMES, THE TIMES OF INDIA ,THE ECONOMICS TIMES*नवभारत टाइम्स" जैसा महान ग्रुप आज अपने वेबसाइट पर अभद्र और अश्लीलता फैला रहा है और हैरत की बात तो ये है की यहाँ पर बिंदास्त आप किसी को भी कैसी भी गाली दो आपकी कमेन्ट हटाई नहीं जाएगी और ना ही आपको इस "नवभारत टाइम्स "के साइट एडमिन कुछ कहेंगे…
बस यूँ ही

सन्नाटा......
आधी रात की तन्हाई....* *बड़ी अजीब होती है !* *बस ! हम ही हम* *यहाँ कोई दूसरा नहीं...!* *खुद कहते हम...* *सुनते भी हम..!* *एक अजीब सा सन्नाटा * *भीतर-बाहर...
अजित गुप्ता का कोना
समापन खण्‍ड – विवेकानन्‍द ने अमेरिका में 11 सितम्‍बर 1893 को भारतीय संस्‍कृति को स्‍थापित किया
खेतड़ी नरेश राजा अजीत सिंह‍ को पुत्र प्राप्ति हुई और तब उन्‍हें स्‍वामीजी का ध्‍यान आया। वे बेचैन हो गए, उन्‍होंने दीवान जी को कहा कि दीवान जी बहुत बड़ी भूल...
पूरा आलेख पढ़ने के लिए निम्न लिंक देखिए!

समापन खण्‍ड – विवेकानन्‍द ने अमेरिका में 11 सितम्‍बर 1893 को

प्रसून
मुकुर(यथार्थवादी त्रिगुणात्मक मुक्तक काव्य)(ख) झरोखे से (१)विगत यादों की लम्बी डोर | - इस लघु मुक्तक काव्य की 'वन्दना' के उपरान्त यह पहला खण्ड,कल्पना- यथार्थ का संगम है | इस रचना में प्रतीकों के माध्यम से पूरे विश्व में विचित्र परिवर्तन की और...
अंधी नगरी चौपट राजा
राखे बासी त्यागे ताज़ा.
अंधी नगरी चौपट राजा.
वो देखो लब चाट रहा है
खून मिला है ताज़ा-ताज़ा.
फटे बांस के बोल सुनाये
कोई राग न कोई बाजा. अंदर-अंदर सुलग रही है
इक चिंगारी, आ! भड़का जा.
बूढा बरगद बोल रहा है
धूप कड़ी है छावं में आ जा.
जाने किस हिकमत से खुलेगा
अपनी किस्मत का दरवाज़ा.
हम और उनके शीशमहल में?
पैदल से पिट जाये राजा?
वक़्त से पहले हो जाता है
वक़्त की करवट का अंदाज़ा.---देवेंद्र गौतम
कोलस्ट्रम : शिशु का हक है..
प्रोजेक्ट प्रोत्साहन प्रोजेक्ट प्रोत्साहन जिला चिकित्सालय डिण्डोरी में 8 अगस्त 2012 से लागू किया गया एक ऐसा नवाचार है जिससे कुपोषण के 22% मामलों को रोकने में में सहायता मिलेगी.इस परियोजना के ज़रिये माताओं को स्तनपान और शिशुओं की सुरक्षा के लिए जागरूक करने हेतु डिण्डौरी जिले जिला चिकित्सालय में शुरू किये गये इस प्रोजेक्ट से 112 से अधिक शिशुओं को कोलस्ट्रम मिला है…
वक्त -वक्त की बात

Tere bin
Dr.NISHA MAHARANA
* * * तुम- तुम* * *

आप- आप कह, न चिढ़ाया करो,
मुझे जान बूझ कर, न रुलाया करो..
Zindagi se muthbhed
वो सुबह ...!!! 

* मुझे अब भी याद है* *बचपन की वो सुबह ...* *जब ऑफिस जाने से पहले...* *पिता के साथ ...* * हरी दूब में....* * मेरी स्वछंद किलकारियां* *उनकी आँखों में ...
अनुभूति / Anubhuti...
इनटू द वाइल्ड : युवा का जनून

सिनेमा एक ऐसा क्षेत्र है जिसकी समझ मुझे बेहद कम है.
कारण कई हो सकते हैं लेकिन यह एक ऐसी चीज है जिसका अफ़सोस मुझे हमेशा रहा है. तमाम दोस्तों ने इस अफसोस ...
असुविधा
"अपने को बरगद मत मानो"

अपनी सीमा को पहचानो।
अपने को बरगद मत मानो।।
जहाँ उजाला होता पहले,
वहाँ कुटिल मत कदम बढ़ाओ।
जिसने ज्ञान दिया दुनिया को,
उसको मत तुम पाठ पढ़ाओ।
नाहक बैर न मन में ठानो।…
अन्त में देखिए यह कार्टून!
आजकल कांग्रेसियों का मनपसंद गाना...

cartoonsbyirfan.com

38 टिप्‍पणियां:

  1. इस "धीर" का था इल्जाम जमाने भर पर,
    और खुद अपना ही किरदार हम देख न सके,!
    बहुत सुन्दर गज़ल लायें हैं इस मर्तबा आप .

    मित्रों!
    रविवार के लिए देखिए!
    मेरी पसन्द के कुछ लिंक!

    हम देख न सके,,,

    रोज पढते रहे अखबार हम देख न सके,
    आप कब हो गए सरकार हम देख न सके,!

    हमने तो आपको अपने करीब देखा था,
    बीच में कांच की दीवार हम देख न सके,!...

    जवाब देंहटाएं
  2. रविवार, 7 अक्तूबर 2012
    कांग्रेसी कुतर्क
    कांग्रेसी कुतर्क

    क़ानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद साहब कह रहें हैं .पहले से सब कुछ पता था तो चैनल पे क्यों न दिखाया ?सबको पता होना चाहिए .

    तो भाई साहब जो ज्ञात सत्य है उसपे अब हाय तौबा क्यों मची है .

    एक और तर्क देखिए कांग्रेसी कह रहें हैं :वाड्रा प्राइवेट आदमी है .मान लिया चलिए .

    फिर सारे कांग्रेसी वकील बने प्रवक्ता उसकी तरफदारी क्यों कर रहें हैं ?देखिए वाड्रा ऐसा योजक ,संयोजक तत्व बन गए हैं जिन्होनें पार्टी और सरकार का परस्पर विलय करवा दिया है .अब पार्टी सरकार बन गई है .और सरकार पार्टी .पूछा जाना चाहिए इनमें से माताजी किसकी मुखिया है .पार्टी की ?सरकार की ?

    जवाब देंहटाएं
  3. वहीं जब वक्त मिलता है तो ईंट-गिट्टी और सिमेंट ......(सीमेंट ).......सीमेंट के जरिए आशियाने को नई ऊंचाई देने लगता है। ऐसे में




    लिखावट आराम फरमाने लगता





    है, जो असल में ठीक नहीं है।

    बढ़िया कथांश .

    रविवार, 7 अक्तूबर 2012
    कांग्रेसी कुतर्क
    कांग्रेसी कुतर्क

    क़ानून मंत्री श्री सलमान खुर्शीद साहब कह रहें हैं .पहले से सब कुछ पता था तो चैनल पे क्यों न दिखाया ?सबको पता होना चाहिए .

    तो भाई साहब जो ज्ञात सत्य है उसपे अब हाय तौबा क्यों मची है .

    एक और तर्क देखिए कांग्रेसी कह रहें हैं :वाड्रा प्राइवेट आदमी है .मान लिया चलिए .

    फिर सारे कांग्रेसी वकील बने प्रवक्ता उसकी तरफदारी क्यों कर रहें हैं ?देखिए वाड्रा ऐसा योजक ,संयोजक तत्व बन गए हैं जिन्होनें पार्टी और सरकार का परस्पर विलय करवा दिया है .अब पार्टी सरकार बन गई है .और सरकार पार्टी .पूछा जाना चाहिए इनमें से माताजी किसकी मुखिया है .पार्टी की ?सरकार की ?

    जवाब देंहटाएं
  4. सुन्दर सार्थक बेहतरीन प्रस्तुति ।
    आभार शास्त्री जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सार्थक बेहतरीन प्रस्तुति ।
    आभार शास्त्री जी ।

    जवाब देंहटाएं

  6. तू जग की जननी बनके, ममता दुइ हाथ लुटावत नारी
    नेहमयी भगिनी बनके, यमुना - यम नेह सिखावत नारी
    शैलसुता बन शंकर का, तप-जाप करे सुख पावत नारी
    हीर बनी जब राँझन की, नित प्रेम -सुधा बरसावत नारी ||

    तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी
    तू जग में बिटिया बनके , घर आंगन को महकावत नारी
    कौन कहे तुझको अबला,अब जाग जरा मुसकावत नारी
    वंश चले तुझसे दुनियाँ, तुझ सम्मुख शीश नवावत नारी ||
    भाव अर्थ गति और रूपक की गत्यात्मक व्यंजना और अन्विति साकार हुई सांगीतिक आवेग के साथ .
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 7 अक्तूबर 2012
    कांग्रेसी कुतर्क

    जवाब देंहटाएं

  7. क्या बात है अज़ीज़ जौनपुरी साहब .खुश्बू दे रहा है हर अश आर उनके साँसों की ,होने की ....
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 7 अक्तूबर 2012
    कांग्रेसी कुतर्क .....

    जवाब देंहटाएं
  8. ये शास्त्रीजी स्पैम बोक्स टिपण्णी खाने लगा है .

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  9. तू जग की जननी बनके, ममता दुइ हाथ लुटावत नारी
    नेहमयी भगिनी बनके, यमुना - यम नेह सिखावत नारी
    शैलसुता बन शंकर का, तप-जाप करे सुख पावत नारी
    हीर बनी जब राँझन की, नित प्रेम -सुधा बरसावत नारी ||

    तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी
    तू जग में बिटिया बनके , घर आंगन को महकावत नारी
    कौन कहे तुझको अबला,अब जाग जरा मुसकावत नारी
    वंश चले तुझसे दुनियाँ, तुझ सम्मुख शीश नवावत नारी ||
    भाव अर्थ गति और रूपक की गत्यात्मक व्यंजना और अन्विति साकार हुई सांगीतिक आवेग के साथ .
    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    रविवार, 7 अक्तूबर 2012
    कांग्रेसी कुतर्क

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  10. बेहद सशक्त चित्र व्यंग्य ".चिठ्ठी आई है आई है चिठ्ठी आई है .."....

    वाल कजरी , पढ़के सुनाई है ,

    माताजी भी हड़काई है ,

    अन्ना ने भी दी दुहाई है ,

    वाड्रा की पतंग उड़ाई है .....

    जवाब देंहटाएं
  11. माँ का दूध पिया है हमने,
    तुम बोतल पर पलने वाले।
    नहीं सामने टिक पायेंगे,
    बैसाखी पर चलने वाले।
    मत कमान को हमपर तानो।
    अपने को बरगद मत मानो।।

    बहुत सशक्त रचना है खुले बाज़ार से सीधा संवाद करती हुई .बधाई .हमें और हमारी "चील की गुजरात उड़ान" को चर्चा मंच पर बिठाने के लिए आपका हृदय से आभार .

    जवाब देंहटाएं
  12. कालिख तो पुत हीं गई सोनिया जी । दर्द को बयां करता है , लगता है , हम तो बर्बाद हो हीं गये सोनिया जी ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कालिख तो पुत ही गई सोनिया जी !
      महेन्द्र श्रीवास्तव
      आधा सच...
      आज और कल में फरक, नहीं सफेदी बात |
      कम काली है शर्ट जो, पहनो वो बारात |
      पहनो वो बारात, सिनेमा बड़ा पुराना |
      चोरों की बारात, देखने अब क्या जाना |
      घर आया दामाद, उतारो मियां आरती |
      दस करोड़ का गिफ्ट, भेंटती सास भारती ||

      हटाएं
  13. तमाम तरह के यथार्थ और वायवी (वर्चुअल) खेल उपलब्ध है ...(हैं ).....। कभी पैदल, कभी मालगाड़ी की सवारी करते हुए वह.... लॉस एंजेल्स ...लासएन्जिलीज़ .....पहुँचता है। राह में मिली एक किशोरी से उसे प्रेम होता है मगर( ......लासएन्जिलीज़ अमरीका के दूसरे आबादी बहुल राज्य दक्षिण पश्चिम कैलिफोर्निया का एक नगर )
    । दोनों एक-दूसरे के बहुत अच्छे साथी बन जाते है...(..हैं .....)।

    यह फ़िल्म मात्र कोरी कल्पना नहीं है, न ही निर्देश.....(निर्देशन )..... और स्क्रीनप्ले राइटर का दिमागी खलल।

    एक बेहतरीन फिल्म की विस्तृत कसावदार समीक्षा पाठक को उसी लोक में ले जाती है उसी मनो -भूमि में हांक लिए चलती है जो फिल्म का असली नायक/नायिका है .,परिवेश .

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही श्रम और पठन के बाद प्रस्तुत सूत्र..

    जवाब देंहटाएं
  15. क्या प्रशंसा करूं... शब्द नहीं है... सुंदर भाव। पढ़कर मन त्रिप्त हो गया कभी मेरे ब्लौग http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com पर भीआना अच्छा लगेगा।

    जवाब देंहटाएं
  16. चील की गुजरात उड़ान
    Virendra Kumar Sharma
    कबीरा खडा़ बाज़ार में

    बी हूडा बेहूदा बोले, नर्मदा कहे नर-मादा ।
    होती क्यूँ तकलीफ आपको, बोलो भीड़ू दादा ।
    सास-ससुर की प्रकृत-सम्पदा, हरियाना का हरिया -
    बाड्रा है दामाद हमारा, ब्लॉग वर्ल्ड मत कान्दा ।।

    गिद्ध दृष्टि कहिये ना भाई, चील चील क्यूँ रटते ।
    बीमारी में भी क्या कोई, रहा आज तक खटते ।
    भारत आओ बँटे रेंवड़ी, रेवाड़ी में ले लो-
    लूट रहे हैं अंधे सारे, पर अंधे न घटते ।।

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  17. "अपने को बरगद मत मानो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    उच्चारण

    दुष्ट अपने को बरगद की श्रेणी में रखने लगे हैं -

    बरगद गदगद-गिरा सुन, लता लगाय लताड़ |
    धरती सारी घेरता, देता घर को फाड़ |
    देता घर को फाड़, ख़तम सब छोटे पौधे |
    करता सीमा पार, छेकता औंधे औंधे |
    हो बेहद उद्दंड, हुई जाती हद बेहद |
    शुद्ध वायु की बात, अन्यथा काटूँ बरगद ||

    जवाब देंहटाएं

  18. बच्चों की संस्कृति
    (प्रवीण पाण्डेय)
    न दैन्यं न पलायनम्
    करें गर्व ना खोल पर, बल्कि आत्मा शुद्ध |
    सांस्कृतिक मन आत्मा, कहें प्रवीन प्रबुद्ध |
    कहें प्रवीन प्रबुद्ध, खोल दें ज्ञान पिटारा |
    बच्चों की संस्कृति, आधुनिक बंटा-धारा |
    चिंता में हम साथ, हाथ पर हाथ धरें ना |
    चिन्तक करें विचार, कार्य हम सभी करें ना !!

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  19. बेहतरीन चर्चाओं से सजा चर्चा मंच, उम्दा लिंक्स चुने हैं शास्त्री जी ने.

    जवाब देंहटाएं
  20. सुंदर चर्चा मंच ,
    टके सेर भाजी टके सेर खाजा

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत बढ़िया शानदार चर्चा के लिए बहुत बहुत बधाई

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  22. बहुत सारे लिंक्स है,
    सभी एक से बढकर एक
    मैं भी हूं, आभार

    जवाब देंहटाएं
  23. शास्त्री जी को नमस्कार! हमेशा की तरह बढ़िया लिक्स का संकलन. अच्छी चर्चा. मेरी ग़ज़ल शामिल करने के लिए आभार.

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  24. ब्लोगर के लिए एक बहुत ही उपयुक्त और मददगार प्लेटफॉर्म है चर्चा मंच
    मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    एक से बढ़ाकर एक लिंक से सजा है चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  25. शास्त्री जी मेरी अभिव्यक्ति को मंच पर स्थान प्रदान करने का गौरव प्रदान करने के लिए कोटि कोटि आभार एवं हार्दिक अभिनन्दन ....चर्च मंच पर बेहद सुन्दर साहित्यिक मोतियों की माल रुपी श्रृंखला प्रस्तुत करने की लिए आपका हार्दिक आभार....

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  26. बहुत ही परिश्रम से के बाद सजा चर्चामंच,,,पठनीय शूत्र,,,,
    मेरी रचना को मंच में स्थान देने के लिये आभार,,,शास्त्री जी,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  27. @ श्री धीरेंद्र भदौरिया जी की पोस्ट पर...

    मर जाना मंजूर है , यार करे गर वार
    हम मिलते दिल खोल कर, उनके हृदय कटार.

    जवाब देंहटाएं

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