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बुधवार, अक्टूबर 17, 2012

पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ (बुधवार की चर्चा-1035)

चर्चा मंच के सभी सदस्यगण और पाठकों को प्रदीप का प्रणाम ।
आज से हर बुधवार की चर्चा आप सबके समक्ष  मैं प्रस्तुत किया करूँगा । 
आप सबसे पूर्ण सहयोग की अपेक्षा है 
और आशा है की मेरी त्रुटियों की ओर भी अवश्य ध्यान दिलाएंगे ।
आत्म परिचय स्वरूप पेश है चंद पंक्तियाँ:-
संसार के पटल में, मैं एक छवि हूँ,
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |

भावना के उदगार को, व्यक्त ही तो करता हूँ,
हृदय के जज्बात को, प्रकट ही तो करता हूँ;

बस एक "दीप" हूँ, कब कहा रवि हूँ ;
पेशे से अभियंता और दिल से कवि हूँ |

शारदीय नवरात्र के दुसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी को प्रणाम करते हुए आज की चर्चा शुरू करता हूँ ।

(1)
भ्रष्टाचारियों से मांग रहे हैं:- 

(2)
वंदना जी
बता रही हैं:-
 में 

(3)
आलोकिता 
जी माँ दुर्गा के नव रूप से मांग रही हैं वरदान :- 


(4)
विस्तृत रूप से बता रहे हैं घोटालों के बारे में:-


(5)
बता रहे हैं माता शाकुम्भरी देवी शक्तिपीठ के बारे में:- 

(6)
Pallavi Saxena जी 
नवरात्रि की शुभकामनाओं के साथ बता रही हैं अपना अनुभव :-

(7)
बीनू भटनागर जी 
बता रही हैं सबको:- 

(8)
प्रस्तुत कर रहे हैं एक मत्तगयंद सवैया :-

"कुछ कहना है" में 

(9)
bhavnayen में

(10)

की ललकार, देश की समसामयिक परिस्थितियों पर:-

अनामिका की सदायें ... में

(11)
लेकर आए हैं दुर्मिल सवैया – 8 सगण यानि 8 IIS:-

अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ) में

(12)
देवी माँ से कर रहे हैं गुजारिश:-
 
(13)
बता रहे हैं ब्लॉग को मनभावन बनाने का तरीका:-
 


बता रहे हैं कि क्या होता है जब होने वाला होता है मुख्यमंत्री का:-




पेश कर रही हैं खूबसूरत गजल:- 






देवेन्द्र पाण्डेय जी 
के साथ कीजिये माँ गंगा के दर्शन:-

(17)
के साथ अब थोड़ी जानकारी फिल्मों के विषय में भी :-
स्पंदन  SPANDAN 

(18)
समझा रहे हैं माँ दुर्गा के नौ रूपों का अर्थ:-
(19)
बता रही हैं आज़ादी का मतलब:-

(20)
लेकर आए हैं सुंदर बालगीत:-

इन्ही रचनाओं के साथ आप साहित्य रसास्वादन कीजिये और ई.प्रदीप कुमार साहनी "दीप" को आज्ञा दीजिये । मिलते हैं अगले बुधवार , विजयादशमी को । नवरात्रि और माँ दुर्गा पूजा की अनंत शुभकामनायें । देवी माँ की कृपा आप सब पर और इस देश पर बरसती रहे ।
आभार ।

70 टिप्‍पणियां:

  1. इं.प्रदीप कुमार साहनी जी चर्चा मंच में आपका स्वागत है!
    पहली ही चर्चा में आपने चार चाँद लगा दिये हैं।
    चर्चा मे सभी लिंकों का बहुत सुन्दर समावेश किया है आपने!
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका आभार शास्त्री जी |
      इसी तरह स्नेह और कृपा बनाए रखें |

      हटाएं
  2. चर्चा मंच के माध्यम से आज एक निवेदन उन ब्लॉगर मित्रों से भी करना चाहता हूँ कि-
    भाई रविकर जी बड़े ही मनोयोग से छंदबद्ध करके जिन ब्लॉगर्स की पोस्टों को टिपियाते है। कृतज्ञता के नाते ही सही उनकी पोस्टों पर भी बेबाक टिप्पणी तो दिया ही करें। शायद यह उनके श्रम का अच्छा प्रतिदान होगा!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी शास्त्री जी | आपका कहना उचित ही है |
      नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें |

      हटाएं
  3. सुप्रभात हिँन्दुस्तान आप सब देश वासियो और यहाँ के देशवासी विदेश मे
    रहने वाले भारतवासी आप सभी को नवरात्री की हार्दिक
    शुभकामनायेँ
    ।.......वरुण कुमार
    Computer World
    पधारे कंप्यूटर की बेहतरीन फ्री दुनिया में।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
      नवरात्रि की शुभकामनायें |

      हटाएं
  4. बेगुनाही के सबूत ...

    भृष्टाचारियों, तुम खुद ही तुम्हारी हदें तय कर दो ...........भ्रष्टाचारियों ......
    ताकी, उसके बाद ही, हम तुम्हारे ... गिरेबां पकड़ें ?
    ...
    तमाम सबूतों और गवाहियों के बाद भी, गुनहगारों की अकड़ कायम है
    लंगड़े, लूले, गूंगे, बहरे .... अब, न्याय की चाह में जाएँ तो जाएँ कहाँ ?
    ...
    न तो शर्म है उन्हें, और न ही वे बेक़सूर हैं 'उदय'
    बस, सत्ता का कवच है, ..... सही-सलामत हैं ?
    ...
    क्या खूब, आज उन्ने, खुद ही खुद को, बेक़सूर सिद्ध किया है 'उदय'
    लगता नहीं कि अब ... अदालतों व जाँच एजेंसियों की जरुरत होगी ?
    ...
    दो-एक तस्वीरें, रसीदें व आयोजनों के झूठे-सच्चे आंकड़े
    उफ़ ! ये, खुद की नजर में, खुद की बेगुनाही के सबूत हैं ?
    प्रस्तुतकर्ता उदय - uday
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    लेबल: शेर(शैर )........शैर

    भाई साहब पूरी गजल ही काबिले दाद है .क्या मतला क्या मक्ता .हिन्दुस्तान का आम आदमी इनके बारे में कैसे सोचता है -देखिये

    जुल्म की मुझ पर इन्तहा कर दे ,

    मुझसा बे -जुबां कोई मिले न मिले .

    माननीय चर्चा मंच !विश्वस्त सूत्रों से पता चला है ,इस दौरान टिप्पणियों के स्पैम बोक्स में जाने की एक बड़ी वजह यह बनी है कि मेरे जैसे लोग अपने लिंक टिपण्णी के संग साथ चेप रहे थे .

    विज्ञापन और टिपण्णी का घालमेल इसकी वजह बना है .

    आइन्दा के लिए गिरह बाँध ली (गांठ बाँध ली ,गिरह कट तो अब कांग्रेसी कहलाते हैं .)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका आभार सर | आप हमेशा ही हर लिंक पर जाते हैं और अपनी बेबाक टिप्पणी रखते हैं | आपका कोई सानी नहीं |
      इसी तरह सबपर पृपा दृष्टि बनाए रखें | नवरात्रि की शुभकामनयें |

      हटाएं
  5. यह कुत्ता है बड़ा शिकारी।
    बिल्ली का दुश्मन है भारी।।

    शास्त्र जी की रचना फिरंगी ,कंठस्थ करने लायक बाल गीत है आजकल तो सरकार ही फिरंगी और फरंड हो रही है .आम आदमी का यह हाल बना रखा है इसने -

    ज़ुल्म की मुझ पे इंतिहा कर दे ,

    मुझसा ,बे -जुबां ,फिर कोई ,मिले ,न मिले .

    जवाब देंहटाएं
  6. आज़ादी ही तो है
    जब सारे रिश्तों से मुक्ति मिल जाए
    यूँ भी
    नाते मुफ़्त में जुड़ते कहाँ है ?
    स्वाभिमान का अभिनय
    आखिर कब तक ?

    जवाब देंहटाएं
  7. सुप्रिय चर्चा मंच जी !मांजरा टिपण्णी का स्पैम में चले जाने का कुछ और भी है आज तो हम ने अपना लिंक लगाने की गलती भी नहीं की है . फिर भी शास्त्री जी के बाल गीत फिरंगी पर की गई टिपण्णी दोनों जगह से गायब हो गई ,हमारे देखते देखते और हम डूबते को बचा न सके .लो फिर पोस्ट करते हैं

    .शास्त्र जी की रचना फिरंगी ,कंठस्थ करने लायक बाल गीत है आजकल तो सरकार ही फिरंगी और फरंड हो रही है .आम आदमी का यह हाल बना रखा है इसने -

    ज़ुल्म की मुझ पे इंतिहा कर दे ,

    मुझसा ,बे -जुबां ,फिर कोई ,मिले ,न मिले .

    जवाब देंहटाएं
  8. देवेन्द्र पांडे जी गर खोल लिया टीवी तो सुबहे बनारस का मज़ा जाता रहेगा .चर्चे और चरखे सब जीजाजी के हैं .अभी भी हरीश रावत जी मासूमियत से

    अशोक खेमका को कह रहें हैं -लोकतंत्र में कौन किसको मरवाता है .मरवा सकता है .बेचारे ने यही तो कहा ,चाहे आप मुझे टर्मिनेट करदो या मरवा दो -मैं

    सच को सच कहूंगा .भारत की प्रशासनिक सेवा में होने का मुझे गर्व है ,मेरी निष्ठा इस देश के साथ है किसी सरकार के साथ नहीं है न मैं ने उसकी नीति

    के विषय में कुछ कहा है .मेरा काम है नियमानुसार काम करना वह मैं करता रहूँगा .यह वही अधिकारी है जिसके 20-21 साला सेवा में 42 -43 तबादले

    हो चुके हैं ईमानदार होने की वजह से .

    ज़ाहिर है उन्हें अपनी जान का ख़तरा है .आप कहतें हैं लोकतंत्र में कौन किसको मारता है हम बतलातें हैं -

    प्रवीर देव भंज देव ,अलवर के राजा (आपने जोंगा जीप का विरोध किया था ),नागरवाला (आपात काल के दौरान मरवाए गए थे ,माताजी ने 70 लाख

    रुपया बैंक से अपने हस्ताक्षर करके निकाला था नागरवाला पुष्टि को तैयार थे .),श्यामा प्रसाद मुखर्जी साहब ,सभी मरवाए गए थे इसी लोकतंत्र में .अब

    केजरी -वार (केजरीवाल नहीं

    )सरकार के गले की हड्डी बना है .

    मैं सुबहे बनारस को रसहीन क्यों बनाऊं ?

    जवाब देंहटाएं

  9. ये नौ शिव शक्तियां हैं फिर आज़ाद भारत में आज सुरक्षित नहीं हैं .नटराज का नारीश्वर भी यहीं हैं .बिग बैंग, शिव का तांडव भी है सृष्टि का किर्येशन भी

    हैं . .

    जवाब देंहटाएं

  10. एक गड्ढा जो बहुत दिनों से ......दिनो ठीक कर लें ..............बढ़िया कटाक्ष है .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. गड्ढा करने वालों ने ठीक करने से मना किया है वीरू भाई ! :)
      आपको पता नहीं उनके लिये गड्ढे होना शुभ होता है ठीक हो जायेगा तो फिर क्या हाथ आयेगा :D

      हटाएं

  11. ...
    दो-एक तस्वीरें, रसीदें व आयोजनों के झूठे-सच्चे आंकड़े
    उफ़ ! ये, खुद की नजर में, खुद की बेगुनाही के सबूत हैं ?
    प्रस्तुतकर्ता उदय - uday
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    लेबल: शेर(शैर )........शैर

    भाई साहब पूरी गजल ही काबिले दाद है .क्या मतला क्या मक्ता .हिन्दुस्तान का आम आदमी इनके बारे में कैसे सोचता है -देखिये

    जुल्म की मुझ पर इन्तहा कर दे ,

    मुझसा बे -जुबां कोई मिले न मिले .

    माननीय चर्चा मंच !विश्वस्त सूत्रों से पता चला है ,इस दौरान टिप्पणियों के स्पैम बोक्स में जाने की एक बड़ी वजह यह बनी है कि मेरे जैसे लोग अपने लिंक टिपण्णी के संग साथ चेप रहे थे .

    विज्ञापन और टिपण्णी का घालमेल इसकी वजह बना है .

    आइन्दा के लिए गिरह बाँध ली (गांठ बाँध ली ,गिरह कट तो अब कांग्रेसी कहलाते हैं .)

    यह कुत्ता है बड़ा शिकारी।
    बिल्ली का दुश्मन है भारी।।

    शास्त्र जी की रचना फिरंगी ,कंठस्थ करने लायक बाल गीत है आजकल तो सरकार ही फिरंगी और फरंड हो रही है .आम आदमी का यह हाल बना रखा है इसने -

    ज़ुल्म की मुझ पे इंतिहा कर दे ,

    मुझसा ,बे -जुबां ,फिर कोई ,मिले ,न मिले .

    भोगे हुए बोझिल पल क्षणों की रचना .

    दुःख से बोझिल रचना ,

    दुःख निस्संगता का ,निरपेक्ष रह जाने का ,सरकार भी इस दौर में निरपेक्ष हो चली है .निरपेक्ष का मतलब होता है जिसका खुद के अलावा किसी से सम्बन्ध न हो .नॉट रिलेटिड टू एनीथिंग एक्सटर्नल .
    आज़ादी ही तो है
    जब सारे रिश्तों से मुक्ति मिल जाए
    यूँ भी
    नाते मुफ़्त में जुड़ते कहाँ है ?
    स्वाभिमान का अभिनय
    आखिर कब तक ?
    आज़ादी ही तो है
    जब सारे रिश्तों से मुक्ति मिल जाए
    यूँ भी
    नाते मुफ़्त में जुड़ते कहाँ है ?
    स्वाभिमान का अभिनय
    आखिर कब तक ?

    बधाई जेन्नी शबनम जी .

    सुप्रिय चर्चा मंच जी !मांजरा टिपण्णी का स्पैम में चले जाने का कुछ और भी है आज तो हम ने अपना लिंक लगाने की गलती भी नहीं की है . फिर भी शास्त्री जी के बाल गीत फिरंगी पर की गई टिपण्णी दोनों जगह से गायब हो गई ,हमारे देखते देखते और हम डूबते को बचा न सके .लो फिर पोस्ट करते हैं

    .शास्त्र जी की रचना फिरंगी ,कंठस्थ करने लायक बाल गीत है आजकल तो सरकार ही फिरंगी और फरंड हो रही है .आम आदमी का यह हाल बना रखा है इसने -

    ज़ुल्म की मुझ पे इंतिहा कर दे ,

    मुझसा ,बे -जुबां ,फिर कोई ,मिले ,न मिले .

    देवेन्द्र पांडे जी गर खोल लिया टीवी तो सुबहे बनारस का मज़ा जाता रहेगा .चर्चे और चरखे सब जीजाजी के हैं .अभी भी हरीश रावत जी मासूमियत से

    अशोक खेमका को कह रहें हैं -लोकतंत्र में कौन किसको मरवाता है .मरवा सकता है .बेचारे ने यही तो कहा ,चाहे आप मुझे टर्मिनेट करदो या मरवा दो -मैं

    सच को सच कहूंगा .भारत की प्रशासनिक सेवा में होने का मुझे गर्व है ,मेरी निष्ठा इस देश के साथ है किसी सरकार के साथ नहीं है न मैं ने उसकी नीति

    के विषय में कुछ कहा है .मेरा काम है नियमानुसार काम करना वह मैं करता रहूँगा .यह वही अधिकारी है जिसके 20-21 साला सेवा में 42 -43 तबादले

    हो चुके हैं ईमानदार होने की वजह से .

    ज़ाहिर है उन्हें अपनी जान का ख़तरा है .आप कहतें हैं लोकतंत्र में कौन किसको मारता है हम बतलातें हैं -

    प्रवीर देव भंज देव ,अलवर के राजा (आपने जोंगा जीप का विरोध किया था ),नागरवाला (आपात काल के दौरान मरवाए गए थे ,माताजी ने 70 लाख

    रुपया बैंक से अपने हस्ताक्षर करके निकाला था नागरवाला पुष्टि को तैयार थे .),श्यामा प्रसाद मुखर्जी साहब ,सभी मरवाए गए थे इसी लोकतंत्र में .अब

    केजरी -वार (केजरीवाल नहीं

    )सरकार के गले की हड्डी बना है .

    मैं सुबहे बनारस को रसहीन क्यों बनाऊं ?

    ये नौ शिव शक्तियां हैं फिर आज़ाद भारत में आज सुरक्षित नहीं हैं .नटराज का नारीश्वर भी यहीं हैं .बिग बैंग, शिव का तांडव भी है सृष्टि का किर्येशन भी

    हैं . .

    मुरझा गेन हैं कलियाँ बिन बागवान के ,बढ़िया पाए की गज़ल है .चर्चा मंच के लिंक में कालियां छप गया है .

    एक गड्ढा जो बहुत दिनों से ......दिनो ठीक कर लें ..............बढ़िया कटाक्ष है .

    दुर्मिल सवैया रूप अर्थ गाम्भीर्य में भी उत्तम है रूप में भी .भाई साहब हिंदी में तो यह शब्द सुसराल है क्या ससुराल जन रूप है आंचलिक प्रयोग है .सास

    सुसर ,सुसरा आदि बोली खड़ी बोली में प्रचलित हैं .

    जवाब देंहटाएं
  12. शास्त्री जी ये तमाम टिप्पणिया वह टिपण्णी खोरी स्पैम बोक्स गटक चुका है आपका भी ,चर्चा मंच का भी .अब बताइये क्या करें .प्रदीप जी बढ़िया सजावट और सारल्य है आज चर्चा मचं का आपके सरल स्वभाव के

    अनुरूप .बढ़िया बिस्मिल्ला की है .बधाई .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय वीरू भाई | स्नेहाशीष देते रहें |
      आभार |

      हटाएं
  13. ़़़़
    रविकर तो एक रोशनी की खान है
    रख दिया आज से एक दीप दान है
    दीप जलाया है आज से प्रदीप ने
    स्वागत है आभार है सलाम है !

    जवाब देंहटाएं
  14. बालात्कार (बलात्कार )और अडाए (अड़ाए )शब्द ठीक कर लें .हमारे समय का दस्तावेज़ है यह रचना साक्षी भाव से हम घटनाओं को कब तक देखते रहेंगे .सीधा संवाद है दो टूक देश वासियों से .बधाई .अनामिका की

    सदा को .

    जवाब देंहटाएं
  15. रविकर जी तो ब्लॉग जगत के दिनकर हैं ,

    चक्र धारी अशोक हैं ,

    आशु कविता के सिरमौर हैं .

    इनका न कोई ओर है न छोर (ओर बोले तो सिरा )

    ऐसे रविकर को कैंटन के सौ सौ प्रणाम .आप विज्ञान को भी कुंडली में ढालके बोध गम्य बना रहें हैं व्यंग्य और तंज को भी .हाँ रविकर जी ,कम खर्च बाला नशीं ,"हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा ही चोखा" का भाई है .

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय रविकर जे के बारे में आपने बिलकुल सही बात कही है |
      रविकर जी को सादर नमन |

      हटाएं
  16. स्वागत है परदीप कुमार, विचार भले मन मानस छाये ।

    चर्चक मंच मिले सहयोग, बड़े खुश हो हम भेंटन आये ।

    मंच बड़ा यह रूप लिए बुधवार बड़ा खुबसूरत लाये ।

    पाठक को नव स्वाद मिला, अति सुन्दर ब्लॉग बनाय सजाये ।।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बस आप सबकी कृपा है आदरणीय रविकर जी | इसी तरह कृपा दृष्टि बनाए रखें | आभार |

      हटाएं
  17. प्रदीप कुमार जी आपकी की पहली चर्चा जो वास्तव में लग ही नहीं रहा की यह पहली चर्चा है इतने सुनियोजित तरीके से सूत्रों को सजाया है आपने बहुत सराहनीय है बहुत बहुत बधाई और नवरात्र की शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जो भी सीखा आपलोगों से ही | स्नेह दृष्टि बनाए रखें |
      नवरात्रि की शुभकामनायें |
      आभार |

      हटाएं
    2. आखिर अभियंता ही तो है ..

      हटाएं
  18. पेशे से अभियंता और दिल से कवि के लिए :-

    अभियंता की सर्जना,जग में उत्तम होत
    है मेरी शुभकामना , रहे सुमंगल जोत
    रहे सुमंगल जोत,जगत आलोकित कीजे
    सुंदर चर्चा मंच , हृदय खुशियों से भीजे
    श्रम जाता नहि व्यर्थ,कहें सब साधु संता
    सफल सर्जना होय , जहाँ होवे अभियंता ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अरुण जी | आप सबकी कृपा दृष्टि यूंही बनी रहे इसी का आस है |
      नवरात्रि की शुभकामनायें | धन्यवाद |

      हटाएं
  19. रविकरOctober 16, 2012 10:44 AM

    अरुण निगम के ब्लॉग पर, होता वाद विवाद ।
    विगत पोस्टों पर हुआ, पाठक मन क्या याद ?
    पाठक मन क्या याद, सशक्तिकरण नारी का ।
    बाल श्रमिक पर काव्य, करो अब दाहिज टीका ।
    रचे सवैया खूब, लीजिये हिस्सा जम के ।
    रहें तीन दिन डूब, पोस्ट पर अरुण निगम के ।।

    Dheerendra singh BhadauriyaOctober 16, 2012 6:38 PM

    होता वाद विवाद पर ,आनंद है आता
    सब रखते अपनी बात,एक समा छा जाता,,,

    अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)October 17, 2012 8:21 AM

    दाहिज पर टीका करें,हम तुम मिलजुल आज
    कसें कसौटी पर जरा , कितना सभ्य समाज
    कितना सभ्य समाज , बढ़े हैं कितना आगे
    कितने नींद में अबतक, कितने अबतक जागे
    बिटिया हो खुशहाल , न होवे पिता अपाहिज
    जीना करे हराम , दैत्य - दानव है दाहिज ||

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. रोला के द्वितीय चरण ...कितने नींद में अबतक, कितने अबतक जागे --में मात्रा १३-१२ हैं ....

      हटाएं
    2. आभार,

      दाहिज पर टीका करें,हम तुम मिलजुल आज
      कसें कसौटी पर जरा , कितना सभ्य समाज
      कितना सभ्य समाज , बढ़े हैं कितना आगे
      सोये कितने देख , यहाँ हैं कितने जागे
      बिटिया हो खुशहाल , न होवे पिता अपाहिज
      जीना करे हराम , दैत्य - दानव है दाहिज ||

      हटाएं
  20. बधाई , नवरात्र मंगलमय हो .
    मैं भी पेशे से इनजीनीयर हूँ ... कभी मेरे भी ब्लॉग आते रहे

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी जरूर | यहा आने के लिए आपका आभार |नवरात्रि की शुभकामनाए |

      हटाएं
    2. आपके सारे ब्लोग्स फॉलो कर लिए हैं |
      आभार |

      हटाएं
  21. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स सहेजे हैं आपने अपने प्रथम प्रयास में ... उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति

    जवाब देंहटाएं
  22. वाह प्रदीप जी.....
    पहली ही चर्चा में ये कमाल....
    बहुत सुन्दर लिंक्स....सुनियोजित चर्चा...
    माँ की कृपा यूँ ही बनी रहे...
    आभार.
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  23. वाकई बहुत सुंदर चर्चा
    सभी लिंक्स एक से बढकर एक
    आपको बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आपका उत्साह्बर्धन के लिए |

      हटाएं
  24. सुन्दर चर्चा ………अच्छे लिंक्स

    जवाब देंहटाएं
  25. आपको ये जानकार ख़ुशी होगी की एक सामूहिक ब्लॉग ''इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड ''शुरू हो चुका है.जिसमे भारतीय ब्लोगर्स का परिचय करवाया जायेगा.और भारतीय ब्लोग्स की साप्ताहिक चर्चा भी होगी.और साथ ही सभी ब्लॉग सदस्यों के ब्लोग्स का अपडेट्स भी होगा.ये सामूहिक ब्लॉग ज्यादा से ज्यादा हिंदी ब्लोग्स का प्रमोशन करेगा.आप भी इसका हिस्सा बने.और आज ही ज्वाइन करें.जल्द ही इसका काम शुरू हो जायेगा.
    लिंक ये है
    http://indians-bloggers.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  26. बहुत ही अच्छी चर्चा सजाई है,पठनीय लिंक्स और सुव्यवस्थित प्रस्तुति.आभार.

    जवाब देंहटाएं
  27. अच्छा परिचय है...प्रदीप जी....अच्छे लिंक हैं बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  28. आपका इस मच पर्दिल से स्वागत है अ\रचना बहुत अच्छी लगी आपकी |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  29. साहनी साहब, क्या ख़ूब गुलदस्ता सजाया है आपने.......
    आपकी महफ़िल में आकर ऐसा लग रहा है जैसे किसी ख़ूबसूरत बाग़ीचे में आ गया हूँ जहाँ एक से बढ़कर एक फूल खिले हुए हैं और ख़ुशबू बिखेर रहे हैं, इस बेहतरीन दुनिया से रूबरू कराने के लिए आपके साथ-साथ उन सभी ब्लॉग लेखकों का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होंने इस महफ़िल को रौशन किया है। जैसा मैंने जाना, आपने यह पहली चर्चा आयोजित की है..... आपको बधाई व चर्चा में मुझे आमन्त्रित/शामिल करने हेतु बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार निर्दोष दीक्षित साहब | आपका पहली बार इस मंच पर स्वागत है | और आशा है कि आप नियमित रूप से इस मंच पर आएंगे | चर्चाकार रोज ही पाठकों के लिए यहाँ गुलदस्ता सजाने की भरपूर कोशिश करते हैं | आपका धन्यवाद |

      हटाएं
  30. बहुत बढ़िया लिंक सहित सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार..
    नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

    जवाब देंहटाएं
  31. माल खइके मालचंद हो गए मालामाल ।
    माल माल में आनंद फूल गइन हैं गाल ।।

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  32. चर्चा मंच पर एक बार मेरा भी नाम आया था
    किंतु कार्रवाई किस तरह की जाए की खबर नहीं होने से चर्चा में शामिल नहीं हो सका. कृपया सुझाएं मेल id laxmirangam@gmail.com
    Blog http://laxmirangam.blogspot.com

    पेशे से अभियंता, इंडियन ऑयल में कार्यरत.

    सुझाव के इंतजार में,

    श्रेयोभिलाषि,

    एम.आर.अयंगर
    8462021340/9425279174

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    1. आदरणीय रंगराज जी, जहां तक मैंने आपकी बात समझी आपका ये कहना है कि आपकी रचना को यहाँ शामिल किया गया पर आपको शुचित नहीं किया जा सका जिसके कारण आप चर्चा में शामिल नहीं हो सके | सभी चर्चाकार शत प्रतिशत सूचित करते हैं जिनकी भी पोस्ट को यहाँ चर्चा में शामिल करते हैं | आपके संदर्भ में शायद कमेंट स्पैम मे चला गया होगा | या हो सकता है किसी कारणवश कमेंट हो नहीं पाया होगा | आगे से इस बात का पूर्णटह खयाल रखा जाएगा |
      आभार |

      हटाएं

  33. षष्ठी दिवस माँ कात्यायिनी, दुष्टों की तू नाशक,
    तू ही तो सर्वत्र व्याप्त माँ, तू ही सबकी शाशक |.......शासक

    द्वितीय दिवस हे ब्रह्मचारिणी, विद्या का फल मांगु,..........मांगू।।।।।।
    जीवन हो उज्ज्वल सबका, उज्ज्वलता तुझसे चाहूँ |


    नवम दिवस हे सिद्धिदात्री, कमलासन तू विराजे,
    शंख, सुदर्शन, गदा, कमाल, माँ तुझसे ही तो साजे ......
    ...कमल ......

    नौ रूपों में हे माँ दुर्गा, कृपा सदैव बरसाना,
    पूजूँ तुझको, ध्याऊँ तुझको, सत्या मार्ग दिखलाना |......सत्य ....

    शिव-रूपों की सुन्दर स्तुति .

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    उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार सर | आपके द्वारा ध्यानाकर्षित करवाए गए सभी त्रुटियों को सुधार लिया है मैंने | नवरात्रि की शुभकामनायें |

      हटाएं
  34. स्वागत है, बहुत ही सुन्दर सूत्र संकलन।

    जवाब देंहटाएं
  35. चर्चा मंच पर आपका पहला दिन... बधाई और शुभकामनाएँ. बहुत अच्छे-अच्छे लिंक हैं. मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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