(18)
A
Virendra Kumar Sharma
जायदाद आधी मिले, कानूनन यह सत्य |
बेटी को दिलवा दिया, हजम करो यह कृत्य |
हजम करो यह कृत्य, भृत्य हैं गिरिजा सिब्बल |
चाटुकारिता काम, दिया उत्तर बेअक्कल |
माँ की दो संतान, बटेगा आधा आधा |
देखे हिन्दुस्तान, कहीं डाले ना बाधा ||
बहुओं पर इतनी कृपा, सौंप दिया सरकार ।
बेटी से क्या दुश्मनी, करते हो तकरार ।
करते हो तकरार, होय दामाद दुलारा ।
छोटे मोटे गिफ्ट, पाय दो-चार बिचारा ।
पीछे ही पड़ जाय, केजरी कितना काला ।
जाएगा ना निकल, देश का यहाँ दिवाला ।
|
C
सुशील
सन्डे पर क्यूँ न लिखा, उसके कारण तीन |
हफ्ते भर की साड़िया, कुरता पैंट मशीन |
कुरता पैंट मशीन, इन्हें प्रेस करना पड़ता |
ख़ाक मिले अवकाश, किचेन का काम अखरता |
जाती वो बाजार, बैठ मैं देता अंडे |
हाय हाय यह दिवस, बनाया क्यूँ रे सन्डे ||
|
D
वो औरत
ई. प्रदीप कुमार साहनी
प्रश्न सही है मित्रवर, किन्तु पुरुष का दोष ।
इतना ज्यादा है नहीं, वह रहता खामोश ।
वह रहता खामोश, सास ननदें दें ताने ।
महिलाओं का जोर, पुरुष भी उनकी माने ।
सीधा अत्याचार, नारियां शत्रु रही हैं ।
घोर अंध-विश्वास, नहीं यह प्रश्न सही है ।। ।
|
E
Maheshwari kaneri
जीवन में भरती रहे, सदा अनोखे रंग ।
धन्य धन्य शुभ लेखनी, रहे हमेशा संग ।।
|
F
कूड़ा कचरा हर गली, चौराहों पर ढेर ।
घर में क्या कुछ कम पड़ा, ई-कचड़ा का फेर ।
ई-कचड़ा का फेर, फेर के नया खरीदें ।
निर्माता निपटाय, होंय ना कहीं उनींदे ।
धरती रही पुकार, प्रदूषण का यह पचरा ।
ई-खरदूषण रूप, दशानन कूड़ा-कचरा ।।
G
माता पर विश्वास ही, भारत माँ की शान ।
संस्कार *अक्षुण रहें, माँ लेती जब ठान ।
माँ लेती जब ठान, आन पर स्वाहा होना ।
पूनम का ही चाँद, ग्रहण से महिमा खोना ।
बेटी माँ का रूप, शील गुण उसपर जाता ।
नारी शक्ति स्वरूप, सुधारो दुर्गा माता ।।
|
H
Rajesh Kumari
नमो नमो हे देवियों, सादर शीश नवाए ।
रविकर करता वंदना, कृपा करो हे माय ।
कृपा करो हे माय, धाय को भी हम पूजे ।
पूजे नदी पहाड़, पूजते इंगित दूजे ।
करे मातु कल्याण, समर्पण सहन-शक्ति है ।
पूँजू पावन रूप, हृदय में भरी भक्ति है ।।
|
(19)
|
ग़ाफ़िल जी वाकई में व्यस्त हैं!
जवाब देंहटाएंपिछले सोमवार को भी मुझे ही उनके दिन की चर्चा लगानी पड़ी थी!
आशा है उनकी व्यस्तताएँ अगले सोमवार तक कम हो ही जायेंगी।
--
सुन्दर और अच्छे लिंकों के साथ रविकर जी ने रंग-बिरंगी चर्चा प्रस्तुत की है रविकर जी ने!
आभारी हूँ!
हमारा आदर्श तो अर्द्ध -नारीश्वर का रूपक नटराज ही रहें हैं .पुरुष में नारीत्व और नारी में पुरुषत्व होता है .पुरुष तो जैविक दृष्टिसे भी नारी गुणसूत्र एक्स लिए है वह (एक्स और वाई ) का जमा जोड़ है नारी एक्स और एक्स है .पेशीय बल प्रधान है पुरुष ,स्थूल रूप ज्यादा है नारी ऊर्जा का सूक्ष्म रूप का, प्रतीक है .पुरुष केवल जनक रूप ब्रह्मा है ,नारी पालक रूप विष्णु और कल्याण -कारी शिवरूप भी है .पेशीय बल कम है उसमें .गर्मी सर्दी सहने की ताकत ज्यादा .दोनों मिलकर ही परस्पर पूर्णता को प्राप्त होते हैं .
जवाब देंहटाएंनारी सशक्तिकरण पर एक गरमागरम बहस -
दिल जलाने की बात करते हो ,आशियाने की बात करते हो ,भाई साहब गैस सिलिंडर मेहंगा हो गया प्रति सिलिंडर १२ रुपया .आप ३०० करोड़ की बात करते हो .
जवाब देंहटाएं(19)
बड़े आये ३०० करोड़ का हिसाब मांगने!!
Cartoon, Hindi Cartoon, Indian Cartoon, Cartoon on Indian Politcs: BAMULAHIJA
अनेक रूपा नारी जनक भी है पालक भी कल्याण कारी भी .वामांगी भी है दक्षिणा-अंगी भी .अंक -शायनी भी ,प्राथमिक आहार स्तन पान मुहैया करवाने वाली अन्नपूर्णा भी नवजात से लेकर आबाल -वृद्धों को .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
H
ये है नारी शक्ति
Rajesh Kumari
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
माता पर विश्वास ही, भारत माँ की शान ।
जवाब देंहटाएंसंस्कार *अक्षुण रहें, माँ लेती जब ठान ।
माँ लेती जब ठान, आन पर स्वाहा होना ।
पूनम का ही चाँद, ग्रहण से महिमा खोना ।
बेटी माँ का रूप, शील गुण उसपर जाता ।
नारी शक्ति स्वरूप, सुधारो दुर्गा माता ।।
शक्ति रूपा ,अनेक रूपा नारी की महिमा अपरम्पार .माँ का दर्जा सबसे ऊपर जो जनक भी है पालक भी कल्याणकारी शिव भी .
केजरीवाल तो आगये जनता की अदालत में अब मानहानि का मुकदमा कांग्रेसी हरकारे करें केजरीवाल साहब पे .ये तर्क को अपनी जिद से पस्त करने वाले हरकारे हैं इन्हें कौन मना समझा सकता है .ब्रह्मा जी भी नहीं .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
B
केजरीवाल के आरोप और कांग्रेस की बेचेनी
सुंदर चर्चामंच सजा है आज
जवाब देंहटाएंउल्लू फिर दिख रहा है आज
आभार !
प्रभावी काव्यात्मक टिप्पणियाँ..
जवाब देंहटाएंram ram bhai
जवाब देंहटाएंमुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
समस्या मूलक बेहतरीन रचना है "ई -कचरा " रेडिओ धर्मी कचरे की तरह यह भी पृथ्वी के लिए भस्मासुर बन गया है .भाई साहब प्रयोग कूड़ा-करकट है कूड़ा -कचड़ा नहीं .कचरा प्रचलित है हिंदी में ,कचड़ा नहीं .
ई-कचड़ा से *ईति की, दिखे विश्व में भीति-
कूड़ा कचड़ा हर गली, चौराहों पर ढेर ।
घर में क्या कुछ कम पड़ा, ई-कचड़ा का फेर ।
ई-कचड़ा का फेर, फेर के नया खरीदें ।
निर्माता निपटाय, होंय ना कहीं उनीदें ।
धरती रही पुकार, प्रदूषण का यह पचड़ा ।
ई-खरदूषण रूप, दशानन कूड़ा-कचड़ा ।।
ई-कचड़ा का फेर, फेर के नया खरीदें ।
जवाब देंहटाएंनिर्माता निपटाय, होंय ना कहीं उनीदें ।.......उनींदे .....भाई साहब प्रयोग उनींदु ,निद्रालु ,उनींदे ,उनींदापन है .उनीदें तो उनिदेन पढ़ा जाएगा .
ये है नारी शक्ति
जवाब देंहटाएंRajesh Kumari
HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
शारद दुर्गा लक्ष्मी , बंदहु बारम्बार
ज्ञान शक्ति सुख बाँटती,महिमा अपरम्पार
महिमा अपरम्पार ,जगत जननी कहलाती
कई रूप अवतार,सृजन कर सृष्टि चलाती
जड़ चेतन को मिली सदा तुझसे ही उर्जा
बंदहु बारम्बार , लक्ष्मी शारद दुर्गा ||
कुछ न करने की भी आदत होनी चाहिए .ऐसे काम जिनमें आपकी कोई दिलचस्पी न हो .तब आप महान बन सकते हैं .किसी दिन कुछ न लिखना भी ऐसा ही एक काम है .सन्डे हो या मंडे ,बने रहो मुस्टंडे ,,पण्डे ,क्लिअर कर लो फंडे.,, कभी न खाना अंडे .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
C
संडे है आज तुझे कर तो रहा हूँ याद
सुशील
उल्लूक टाईम्स -
बढ़िया लिंक, सुन्दर टिप्पणियां... :-)
जवाब देंहटाएंमन में उमंग
जवाब देंहटाएंह्रदय में तरंग
अपनों के संग
यही जीवन के रंग
पुल्कित अंग अंग......पुलक से इत प्रत्यय लगाके बना -पुलकित .
रचना में सारल्य और एक ख़ुशी का दर्शन है .बधाई .
अति भाव पूर्ण चित्र प्रधान रचना है .कुरीतियों को रेखांकित करती .कृपया शुद्ध करें -
जवाब देंहटाएंठहाकों कि गूँज थी ........की ....
सुने सुने हाथ थे ..........सूने सूने .....
मंगल सूत को मंगल सूत्र करें .
कभी किसी कि बेटी है ...........की बेटी करें .....
अति भाव पूर्ण चित्र प्रधान रचना है .कुरीतियों को रेखांकित करती .कृपया शुद्ध करें -
जवाब देंहटाएंठहाकों कि गूँज थी ........की ....
सुने सुने हाथ थे ..........सूने सूने .....
मंगल सूत को मंगल सूत्र करें .
कभी किसी कि बेटी है ...........की बेटी करें .....
वो औरत
ई. प्रदीप कुमार साहनी
वो औरत
जवाब देंहटाएंई. प्रदीप कुमार साहनी
घिसट-घिसट कर चल रहीं , कल की रीतें आज |
मिलजुल कर सब मनन करें,कितना सभ्य समाज ||
जीवन के रंग
जवाब देंहटाएंMaheshwari kaneri
अभिव्यंजना
बज उठी जल तरंग
झूमे अंग-प्रत्यंग
बना रहे सत्संग
भरें जीवन में रंग........
नया परिचय
जवाब देंहटाएंजीवन की धारा
कुलदीप ठाकुर
भौतिक सुख के वास्ते,लगी हुई है होड़
नाता धन से जोड़ते , रिश्ते नाते तोड़
रिश्ते नाते तोड़ ,मोड़ते मुख अपनों से
मिला किसे सुखधाम,तिलस्मी इन सपनों से
निर्मल निश्छल नेह, बिना सुख नहीं अलौकिक
लगी हुई है होड़,कमाने को सुख भौतिक ||
"अनोखा संस्मरण"
जवाब देंहटाएंलगभग 25 साल पुरानी बात है! उन दिनों मेरा निवास ग्राउडफ्लोर......(ग्राउंड फ्लोर ).... पर था।
बराम्दे......(बरामदे ).... में शौचालय था। रात में मुझे लघुशंका के लिए जाना पड़ा। उसके बाद मैं ...
किसी अंग में न तो कोई खरौच....(खरोंच ).. थी और न ही कोई पीड़ा थी।
वैज्ञानिक व्याख्या यह है आप उनींदे गए ,नींद में चलते रहे ,गिर पड़े पुन :उठे सोते सोते ही बिस्तर पे लौट भी आये वही खाब आया .आपकी नींद में खलल पड़ी आप जग गए .
खाब (ख़्वाब )दो प्रकार के होतें हैं -
कामयाब खाब /सक्सेसफुल
गैर कामयाब /असफल ./अन -सक्सेसफुल ड्रीम्स
खाब हमारी नींद की हिफाजत करते हैं भेष बदलके आतें हैं .जब पेशाब के प्रेशर से मूत्राशय पे बढ़ते दवाब से हमारी नींद टूट जाती है हम खाब देख रहे होते हैं जो असफल खाब होतें हैं वह याद रहतें हैं .जो कामयाब होतें हैं वह याद नहीं रहते ,जो कहता है मैं खाब नहीं देखता वह वास्तव में सफल खाब देखता है घोड़े बेचके सोता है .स्वर्ग नरक की झांकी में बच्चे यमराज का किस्सा माँ बाप से सुनतें हैं केलेंडर में भी देखते हैं वही भेष बदलके आ जाता है .जो स्त्री आपको अच्छी लगती है लेकिन अप्राप्य होती है वह खाब में आजाती है .आपके अभावों की पूर्ती करते हैं खाब न आयें तो आदमी पागल हो जाए .
इसमें अजूबा बिलकुल नहीं है कुछ लोग तो बाकायदा नींद में चलते हैं .फ्रिज से निकालके चीज़ें खातें हैं सोते सोते पुन : सो जाते हैं कई बाहर भी घूम आते हैं सोते सोते आप भी पेशाब कर लिए सोते सोते अवचेतन ले गया बाथ रूम क्योंकि ब्लेडर दवाब में था .इति .फिर कभी इस विषय पर विस्तार से -स्लीप वाकिंग पर पूरा आलेख पढियेगा .आभार इस संस्मरण के लिए .
अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
तेरी फितरत के लोग,,,
जवाब देंहटाएंDheerendra singh Bhadauriya
काव्यान्जलि
हीरा चाहे जहाँ रहे
कीमत नहीं बदल सकती है
कर्म बदल देता है किस्मत
फितरत नहीं बदल सकती है....
चर्चा मंच का सुन्दर संयोजन |मेरी प्रस्तुति शामिल करने के किये आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
दिल का हाल सुने दिल वाला ,
जवाब देंहटाएंमनाओ इसे भड़कता है स्साला .सुन्दर भाव कणिका है आपकी .कृपया यहाँ भी पधारें - ram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
दिल का हाल सुने दिल वाला ,
जवाब देंहटाएंमनाओ इसे भड़कता है स्साला .सुन्दर भाव कणिका है आपकी .कृपया यहाँ भी पधारें - ram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
(12)
आजकल.......
Dr varsha singh
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जवाब देंहटाएंरविवार, 7 अक्तूबर 2012
तेरी फितरत के लोग,,,
तेरी फितरत के लोग,,,
खुद रहते शीशे के घर में
पत्थर लिये खड़े क्यों लोग,
अपनी खिड़की बंद किये है..(..(हैं )....झांकें हैं उस घर में लोग ...........)
घर दूजे का झाँके क्यों लोग,
है जमीर खुद का सोया फिर
आइना ...(आईना )...लिये खड़े क्यों लोग,
जन्म लिया जिस धरती में .(...(पे )....फिर धरती से क्यों भागे लोग .....)
उससे फिर भागे क्यों लोग,
जब हमे (हमें )थाम लिया धरती ने ..........(हमें थाम लिया धरती ने जब ,आसमां फिर तकते क्यों लोग )
आसमां फिर तकते क्यों लोग,
ऐ"धीर"अपनी बदल ले फितरत
नहीं यहाँ तेरी फितरत के लोग,,,
बढ़िया रचना है दोस्त .छेड़खानी की है भली लगे या बुरी ,नीयत नहीं है बुरी ....
पता चला कि वाड्रा की वकालत के लिए अपने कुतर्कों के साथ मैदान में उतरे भोंपुओं को कांग्रेस नेतृत्व की ओर से कोई वकालतनामा नहीं दिया गया था. उनहोंने अति उत्साह में कांग्रेस नेतृत्व के इस तर्क को बेमानी कर दिया कि यह दो व्यवसायियों के बीच की डील थी. ऐसा था तो कांग्रेसी भोंपुओं के बजने का क्या अर्थ था. दूसरी बात कि स्विच दबाये बिना यदि भोंपू बजने लगते हैं तो यह पार्टी के अन्दर समन्वय के अभाव और अनुशासनहीनता के प्रभाव की अलामत हैं. लगता है पार्टी के अन्दर डेमोक्रेसी कम ऐरिस्ट्रोक्रैसी ज्यादा है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा.. मेरी रचना को शामिल करने के किये आभार |
जवाब देंहटाएंलिंक्स जानकारी भरे हैं, चर्चामंच सुव्यवस्थित...हाइगा शामिल करने के लिए आभार!!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रविकर भाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा की है काफी अच्छे पठनीय लिंक मिलें आभार ...
जवाब देंहटाएंनारी अब बलवान है ,पुरुष कांध टकराय
जवाब देंहटाएंपुरषों की मरदानगी, पल में धूल चटाय
क्षेत्र समय औ काल में,नारी वर्जित नाय
घर में चूल्हा फूंकती, रण कौशल दिखलाय
काल बदलता जब गया नारी मान गवाँय
शासक दुर्जन जब बने, नारी भोग बनाय
पढना लिखना छिन गया छीना सब अधिकार
रूप पदमिनी धार के, दुर्गावती अवतार
रानी झांसी ने किया,जुल्मों का प्रतिकार
बंदूकें भी झुक गई, रानी की तलवार
मनभावन चर्चा,,,मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार,,,,रविकर जी,,,,
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंरविकर जी, सदा की तरह आज भी चर्चा मंच का आयोजन आपने बहुत निपुणता से किया है. आभार..
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी रचना को इस महान मंच पर स्थान देने के लिये। http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा चर्चा लगाई है आपने रविकर जी, अच्छी रचनाओं के साथ ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार ।
कोट कोट के कौटकिक कोटिक कोटिक कोट ।
जवाब देंहटाएंकोत कोत के कौतुकी कौड़ी कौड़ी कोठ ।।
सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्याख्या की है भाई साहब .लेकिन ये रांड शब्द के साथ रंडी जोड़ के इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "रंडी -रांड " गाली बना दिया गया .रांड का सीमित अर्थ विधवा तथा रंडुवा विधुर को कहा जाता है .सभ्य समाज में दोनों का प्रचलन अपशब्द माना जाता है .
जवाब देंहटाएं"नारी की झाईं परत अंधा होत भुजंग " इस पर भी कभी लिखिएगा .आधुनिक सन्दर्भों में इसकी व्याख्या अपेक्षित है
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
(1)
रांड सांड सीढ़ी सन्यासी, इनसे बचो तो कबहु न होई हानि ...
mahendra mishra
समयचक्र
बढ़िया व्याख्या की है भाई साहब .लेकिन ये रांड शब्द के साथ रंडी जोड़ के इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में "रंडी -रांड " गाली बना दिया गया .रांड का सीमित अर्थ विधवा तथा रंडुवा विधुर को कहा जाता है .सभ्य समाज में दोनों का प्रचलन अपशब्द माना जाता है .
जवाब देंहटाएं"नारी की झाईं परत अंधा होत भुजंग " इस पर भी कभी लिखिएगा .आधुनिक सन्दर्भों में इसकी व्याख्या अपेक्षित है .
रांड सांड ,सीढ़ी सन्यासी ,
इनसे बचे तो सेवे काशी ,
एक स्वरूप यह भी इस दोहे का .
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
सोमवार, 8 अक्तूबर 2012
अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे
(1)
रांड सांड सीढ़ी सन्यासी, इनसे बचो तो कबहु न होई हानि ...
mahendra mishra
समयचक्र
ख़्वाब में दिव्य दर्शन के बारे में एक बात और :
जवाब देंहटाएंजो मरीज़ मरणासन्न अवस्था में होते हैं terminally ill होतें हैं मसलन कैंसर की अंतिम अवस्था वाले मरीज़ कई अन्य उन पर कई माहिर प्रयोग कर रहें हैं .near death experience
मौत के मुंह में जाके लौट आने की ये बात करते हैं सभी के अनुभवों में एक बात कोमन थी सब अपने अपने धार्मिक विश्वासों और आस्थाओं के अनुरूप ईश दर्शन की बात करतें हैं .विज्ञान की भाषा में इन्हें कहा जाता है religious hallucinations .(धार्मिक विभ्रम ,जो नहीं है वह देखना ).
(17)
"बातें उस लोक की" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
“मैं एक अनोखे और आनन्दमय संसार में पहुँच गया था। जहाँ पर मैंने विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन किये। यमराज से मेरा सीधा सम्वाद भी हुआ। जहाँ पर वो अपने गणनाकार से कह रहे थे कि इसे तो अभी बहुत जीना है। इसकी उम्र तो अभी पचास साल और है। तुम इसे यहाँ क्यों ले आये हो।“
शास्त्री जी !स्पैम बोक्स कोंग्रेसी हो गया है सब कुछ खा रहा है .टिपण्णी निकालो पेट खोल के .रविकर जी आपका स्पैम बोक्स भी बाज़ी मार रहा है नियमित जांच करें .
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी !स्पैम बोक्स कोंग्रेसी हो गया है सब कुछ खा रहा है .टिपण्णी निकालो पेट खोल के .रविकर जी आपका स्पैम बोक्स भी बाज़ी मार रहा है नियमित जांच करें .
जवाब देंहटाएंशारद दुर्गा लक्ष्मी , बंदहु बारम्बार
जवाब देंहटाएंज्ञान शक्ति सुख बाँटती,महिमा अपरम्पार
महिमा अपरम्पार ,जगत जननी कहलाती
कई रूप अवतार,सृजन कर सृष्टि चलाती
जड़ चेतन को मिली सदा तुझसे ही उर्जा
बंदहु बारम्बार , लक्ष्मी शारद दुर्गा ||
Reply
काव्य की रस धार पूरी एक गंगा ले आयें हैं आप चर्चा मंच पर बधाई .रविकर जी ,निगम जी उमा शंकर जी .
शास्त्री जी !स्पैम बोक्स कोंग्रेसी हो गया है सब कुछ खा रहा है .टिपण्णी निकालो पेट खोल के .रविकर जी आपका स्पैम बोक्स भी बाज़ी मार रहा है नियमित जांच करें .
जवाब देंहटाएंतान छिड़ी कितनी ,,
जवाब देंहटाएंसम पे रहे हम
भंवे चढ़ी कितनी
रमते रहे हम .
क्षण वादी दर्शन ,क्षण भर जी लेने मरने का एक नखलिस्तान एक ओएसिस रचती है यह रचना -.
सर्वम दुःखम
सर्वम क्षणिकम
हाँ यह दृश्यमान विश्व परिवर्तन शील है .अभी कुछ है अभी कुछ है .पल में तौला पल में माशा ,क्षण प्रति क्षण जो बदले वही सौन्दर्य जीवन का जगत का .परिवर्तन की शाश्वतता का .बढ़िया अप्रतिम उदाहरण है यह प्रस्तुति .इसमें बिंधा रूपक .
(10)
भारत बोध - कविता
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
तान छिड़ी कितनी ,,
जवाब देंहटाएंसम पे रहे हम
भंवे चढ़ी कितनी
रमते रहे हम .
क्षण वादी दर्शन ,क्षण भर जी लेने मरने का एक नखलिस्तान एक ओएसिस रचती है यह रचना -.
सर्वम दुःखम
सर्वम क्षणिकम
हाँ यह दृश्यमान विश्व परिवर्तन शील है .अभी कुछ है अभी कुछ है .पल में तौला पल में माशा ,क्षण प्रति क्षण जो बदले वही सौन्दर्य जीवन का जगत का .परिवर्तन की शाश्वतता का .बढ़िया अप्रतिम उदाहरण है यह प्रस्तुति .इसमें बिंधा रूपक .
(10)
भारत बोध - कविता
Smart Indian - स्मार्ट इंडियन
* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
जवाब देंहटाएंन रह गयी है रिशतों में पावनता, लहू तो वन गया है पानी,.........रिश्तों ........
न रह गयी कोई मर्यादाएं, परमप्रायें बन गयी है कहानी।................परम्पराएं बन गईं हैं ,कहानी
अशांत मन अतृप्त आंखे, महत्वाकांक्षी इनसान है,........इंसान है .........
पथभ्रष्ट हो गया है, न मंजिल का ज्ञान है।
हमारे वक्त से सीधे संवाद करती है यह रचना ,दो टूक प्रेक्षण आज के निस्संग मशीनी साईबोर्ग का ,चुकती संवेदनाओं का रोबोटीय इंतजाम का .राष्ट्रीय फलक भी तो इससे
जुदा नहीं .बहुत बढ़िया रचना .समीक्षा स्पैम बोक्स खा जाएगा स्साला कांग्रेसी है .सर्वभक्षी है .
(2)
नया परिचय
जीवन की धारा
कुलदीप ठाकुर
man ka manthan. मन का मंथन।
बढिया चर्चा और लिंक्स । जाते हैं सब पर । मेरी रचना शामिल की बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंनित रोज नए विषयों पर सजाई जाने वाली चर्चा रोजाना अपना एक अलग रंग लाती है.जिसमे चर्चा कार की कोशिशें साफ़ नज़र आती हैं.
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिंक्स और उस पर वीरेन्द्र शर्मा जी का टिपियाना माशाल्आह सोने पे सुहागा
जवाब देंहटाएंबधाई और आभार्