1
"लड़ी स्वदेशी जंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
दो
अक्तूबर को किया, भारत को आबाद।
बापू
जी ने देश को, करवाया आजाद।।
लालबहादुर
ने दिया, वीरों को सम्मान।
जय
हो उस श्रमवीर की, जिसका नाम किसान।। |
2एक महान आत्मा...! (महात्मा गाँधी)
डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
|
3बापू -शास्त्री को श्रृद्धा नमन ...डा श्याम गुप्त... |
4क्या खोया क्या पाया
(मैं कौन हूँ कहाँ से आया और कहाँ मुझे है जाना.....)
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5अतीत के गलियारे
Asha Saxena
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6शतश: प्रणाम
Sadhana Vaid
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7'एक शाम ग़ज़ल के नाम'
musafir
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8रात भर जलता रहा है चाँद Raat bhar jalta raha hai Chand
Neeraj Dwivedi
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9मेरा घर..
बतकुचनी
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10अहिंसा सूक्त (विश्व अहिंसा दिवस पर विशेष)
सुज्ञ
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11गाँधी जी की समृद्ध विरासत के पहरुए डाक-टिकट
KK Yadav
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12तपते तलवे, कमबख़्त चाँद और एक कुफ़्र-सी याद...
गौतम राजरिशी
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13बुजुर्ग दिवस के उपलक्ष में
Rajesh Kumari
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14"मृगतृष्णा" का आनलाइन विमोचन.....
Er. सत्यम शिवम
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15-Aभ्रूण-हत्या आघात, पाय नहिं पातक पानी -रहे प्रफुल्लित गात, कभी नहिं तू परबस हो-जन्म दिन मुबारकडा. सुशील जोशी
बुद्धिमान को चाहिए, इक दिन में दो बार |
तन मन से उल्लू बने, फिर देखे संसार | फिर देखे संसार, मुबारक जन्म-दिवस हो | रहे प्रफुल्लित गात, कभी नहिं तू परबस हो | नोक झोंक मनुहार, रहे तन सदा निरोगी | पाए बांटे प्यार, मास्टर बनकर योगी || |
16न्यूयॉर्कर में समीर जैन और टाइम्स ऑफ इंडिया
pramod joshi
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17किया जा रहा है 'वास्तु' के नाम पर एक धोखा -Praveen Shah
DR. ANWER JAMAL
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18पर अब जो आओ बापू.....
वाणी गीत
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19टिमटिमाता हुआ ... एक दिया ..
Anupama Tripathi
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20गाँधी या गंधासुर: अहिंसा का ढोंग
Akshay kumar ojha
|
21सोनिया मोदी से डरती है : ये वजह है
SACCHAI
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22जीवन का सार
कौशलेन्द्र
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23ब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
Virendra Kumar Sharma
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25बापू
देवेन्द्र पाण्डेय
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गांधीमय चर्चा के साथ कुछ अन्य बेहतरीन लिंक्स !
जवाब देंहटाएंआभार !
सुघड़ सुदृढ़ सुंदर चर्चा ...अहिंसा की विजय पर ....!!
जवाब देंहटाएंबहुत आभार रविकर जी ...मेरी रचना के दिये की छोटी सी लौ यहाँ प्रज्ज्वलित है ...!!
बहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंपं.लालबहादुर शास्त्री और महात्मा गांधी जी की जयन्ती की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
रविकर भाई, बढिया चर्चा जमाई है। गांधी एवं शास्त्री जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं............
एफडीआई के दौर में खेती किसानी की परवाह।
शुक्रिया भाई जान!प्रणाम !वीरुभाई .
जवाब देंहटाएंहै जननायक राष्ट्र का, नमन करो स्वीकार।
फिर आओ इस देश में, बन करके अवतार।।....इस दोहे की ध्वनी भाई साहब यह कहती है
हे, जननायक ! राष्ट्र का, नमन करो स्वीकार।
फिर आओ इस देश में, बन करके अवतार।।
बहुत ही मौजू प्रस्तुति .
लेकिन मेरे देश में, अफरा-तफरी आज।
गांधी के आदर्श को, भूला आज समाज।।
दुरावस्था यह है कि गांधी का नाम ओढ़े लोग ही देश को लजा रहे हैं .
"लड़ी स्वदेशी जंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
दो अक्तूबर को किया, भारत को आबाद।
बापू जी ने देश को, करवाया आजाद।।
लालबहादुर ने दिया, वीरों को सम्मान।
जय हो उस श्रमवीर की, जिसका नाम किसान।।
बे -चैन करने वाली अति उत्कृष्ट रचना -बापू कुछ साल पहले तक आप ......बधाई !देवेन्द्र भाई .आपकी रचना पढ़के कविवर हुक्का के उदगार याद आगये -ये रचना स्व .हुक्का साहब ने १९७१ में सुनाई थी नेहरु राजकीय महाविद्यालय झज्जर परिसर में आयोजित कवि सम्मलेन में .कुछ अंश अभी भी याद हैं -
जवाब देंहटाएंबापू तुम्हारे डंडे की कसम ,
समाज वाद को घसीट घसीट के ला रहे हैं ,
और तुम्हारे लंगोट की कसम माल खुद खा रहे हैं .वैसे आज के सन्दर्भ में समाजवाद की जगह "वालमार्ट " आ सकता है .खुला बाज़ार आ सकता है .
अब समझ आ रहा है
आपके
कोट को छोड़कर
धोती लंगोट में आने का मतलब !
आप यह सन्देश देना चाहते थे कि जो भी आपकी तरह ,नैतिकता सत्य -अहिंसा और ईमानदारी की राह पे चलेगा
वह कोट से लंगोट में आजायेगा .
बहुत सशक्त रचना .बधाई .
' एक बात निश्चित है , की आने वाले दिनों में यदि इनका षड्यंत्र सफल हो गया, तो अन्ना अरविन्द फिर एक हो जायेंगे , वैसे आजतक का मेरा कोई भी विश्लेषण गलत नहीं हुआ है ( इक्छुक लोग मेरे पुराने लेख पढ़ ले जो गिरगिट गैंग के ऊपर था ). कभी अन्ना कहता है की की उसका नाम इस्तमाल न किया जाए कभी कहता है वो अरविन्द का प्रचार करता है है, यानि गिरगिट प्रवृत्ति अभी उछाल पे है."
जवाब देंहटाएंअरे !भई नारद! क्या रखा है ब्लोगरी में आप भविष्य कथन कहने वाले ही क्यों नहीं बन जाते .इतनी मेहनत ब्लॉग पे करते हो उससे दोगुनी हमें आपकी वर्तनी समझने में करनी पड़ती है .आप भी खुश हम भी खुश .
24
गिरगिट गैंग के गिरगिट समर्थक
कमल कुमार सिंह (नारद )
नारद
आदरणीय वीरेंदर जी , अन्ना अरविन्द जैसे लोग थोडा संख्या में और जादा हो जाए तो इस क्षेत्र में भी सुनहरा मौका है :) .. वैसे आपका सुझाव बुरा भी नहीं ... लेकिन मई इसके लिए तैयार भी नहीं ( और हाँ मै अपनी बात से पलटून्गा नहीं ) :)
हटाएंबेटा यह इंडिया है यहाँ गांधी रोज़ नहीं पैदा होते .
हटाएंअरे भाई साहब !माँ का इलाज़ करवाना क्या गुनाह है .माँ इटली में रहती है बीमार है तो क्या सोनियाजी वहां इलाज़ करवाने न जाएं .राजकोष का धन होता किस लिए है माँ और भारत माँ में अंतर करते हो .माँ सबकी एक समान !मेरा भारत महान .
जवाब देंहटाएंसोनिया मोदी से डरती है : ये वजह है
SACCHAI
AAWAZ
दोस्त आपकी बातों में सत्य का अंश भी है .बेशक गांधी तुष्टि समर्थक एक सेकुलर वीर को भारत की कुर्सी पे बिठा गए तभी ये तुष्टिकरण आज भी हिन्दुस्तान पे तारी है .लेकिन गांधी इतना भर न थे .बेशक भगत सिंह को लेकर भी वह विवाद में रहें हैं एक वर्ग आज भी मानता है गांधी चाहते तो भगत सिंह को बचा सकते थे .लेकिन गांधी तो कोंग्रेस को ही भंग करना चाहते थे .राष्ट्रीय सेवा दल बनाना चाहते थे .आज भी है यह सेवा दल है ज़रूर लेकिन नारे लगवाने के काम आता है .यह अवमूल्यन कोंग्रेस का है गांधी का नहीं ..अलबत्ता गांधी की समीक्षा होती रहनी चाहिए .वरना ये बचे खुचे कथित गांधी उपनाम धारी भारत को ही खा जायेंगे .
जवाब देंहटाएं20
गाँधी या गंधासुर: अहिंसा का ढोंग
Akshay kumar ojha
धर्म आराधना के साथ राष्ट्र सेवा
आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा मंच बनाया
गाँधी शास्त्री के जन्म
के बीच उल्लूक का
जन्म दिन काहे फालतू
में फिर से दिखाया!!
"लड़ी स्वदेशी जंग" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जवाब देंहटाएंडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)
उच्चारण
बहुत सुंदर !
गाँधी शास्त्री को
फिर से उतार लाना है
दो अक्टूबर ही नहीं
पूरा साल बैठाना है
भटकते हुऎ देश को
रास्ता अमन का
एक बार और
याद दिलाना है !
कुछ प्रकाश तो था ...
जवाब देंहटाएंक्षीर्ण (क्षीण ) होती आशाओं में ..........क्षीण
उच्छास(उच्छ्वास ) को उल्लास में बदलता हुआ ........उच्छ्वास ........
एक विश्वास है मन मे .(में )......आस्था है ....बापू ....इस नव भारत में ,इस भारती मे (में )........में /.......में ....
प्रासंगिक रचना गांधी जयंती पर .बधाई .
19
टिमटिमाता हुआ ... एक दिया ..
Anupama Tripathi
anupama's sukrity.
बेहतरीन व्यंजना तंज आज की स्थितियों पर .
जवाब देंहटाएंपर अब जो आओ बापू.....
वाणी गीत
गीत मेरे ........
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंएक महान आत्मा...! (महात्मा गाँधी)
जवाब देंहटाएंडा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
अंजुमन
बहुत खूब !!
हम सब आम आदमी भी
क्यों ना फिर से उठें
नींद और सपने परित्याग
कर फिर से जगें
कोशिश कुछ करें उस
चट्टान की तरह ना सही
छोटे छोटे पत्थर ही बनें
उस अकेले की सामर्थ्य
को याद करे नमन करें
एक जुट होकर एक
नई सुबह के लिये
नये रास्ते को चलिये बुनें !
व्यंजना और तंज़ और कथा ,उपदेश सब कुछ है इस रचना में .बुद्धि कौशल में भी हाथी आदमी के सबसे ज्यादा करीब है .जन्म दिन मुबारक सुशील भाई जोशी .
जवाब देंहटाएंसहमत हम भी आप से बिलकुल हैं श्रीमान ,
लिखते रहें उलूक -श्री एक दिन बनें महान .
रहे प्रफुल्लित गात, कभी नहिं तू परबस हो-
जन्म दिन मुबारक
डा. सुशील जोशी
संजय-दृष्टी सजग है, जात्य-जगत जा जाग ।
जवाब देंहटाएंअब भी गर जागे नहीं, लगे पुरुष पर दाग ।
लगे पुरुष पर दाग, पालिए सकल भवानी।
भ्रूण-हत्या आघात, पाय नहिं पातक पानी ।
निर्भय जीवन सौंप, बचाओ पावन सृष्टी ।
कहीं होय न लोप, जगाये संजय दृष्टी ।।
कन्या भ्रूण संरक्षण का आवाहन करती रचना .करो या मरो .कन्या का नहीं सृष्टि को मेटना है भ्रूण हत्या कन्या की .....बहुत सार्थक कुंडली ...
ram ram bhai
मुखपृष्ठ
मंगलवार, 2 अक्तूबर 2012
ये लगता है अनासक्त भाव की चाटुकारिता है .
15-A
भ्रूण-हत्या आघात, पाय नहिं पातक पानी -
रविकर की कुण्डलियाँ
बापू -शास्त्री को श्रृद्धा नमन ...डा श्याम गुप्त...
जवाब देंहटाएंश्याम स्मृति..The world of my thoughts...डा श्याम गुप्त का चिट्ठा..
श्रद्धा नमन
बापू - शास्त्री
अभी आते ही
है आप लोग
याद हमें
साल में
एक दिन !
सेदोका की सभी लड़ियाँ बेहद सशक्त .राजेश कुमारी जी-(१)
जवाब देंहटाएंबूढ़ा बदन
कंपकपाते हाथ
किसी का नहीं साथ
लाठी सहारा
पाँव से मजबूर
बेटा बहुत दूर
4
जवाब देंहटाएंक्या खोया क्या पाया
(मैं कौन हूँ कहाँ से आया और कहाँ मुझे है जाना.....)
हिंदी में मस्ती
भूले कहाँ हैं
आधुनिक बस
होने जा रहे हैं
पुराने कभाड़ को
एक एक करके
ठिकाने ही तो
लगा रहे हैं !!
पूछूंगा(पू......छुंगा ) फिर उसको फोन पर.......पू .......छुंगा
जवाब देंहटाएंकि
इस हूक-सी याद का उठना
कुफ़्र तो नहीं,
जब जा बसा हो वो मुआ चाँद
दुश्मनों के ख़ेमे में...???
बेहतरीन प्रस्तुति .
12
तपते तलवे, कमबख़्त चाँद और एक कुफ़्र-सी याद...
गौतम राजरिशी
पाल ले इक रोग नादां...
जहां तुम्हारे दिए बरसो (बरसों )पुराने फूल सजा रखें हैं ........बेहतरीन बिम्बात्मक प्रस्तुति आधुनिक जीवन की औपचारिकताओं का पेट भरते जाने की ...
जवाब देंहटाएं9
मेरा घर..
बतकुचनी
बतकुचनी
जवाब देंहटाएं"अहिंसया च भूतानानमृतत्वाय कल्पते।" (मनु-स्मृति)
भावार्थ:- अहिंसा के फल स्वरूप प्रणियों(प्राणियों )... को अमरत्व पद की प्राप्ति होती है। .......प्राणियों ....
ऐश्वर्य या एश्वर्य....?
गांधी जयन्ती के मौके पर मौजू रचना अहिंसा की एक तत्व के रूप में व्याप्ति का खुलासा बहतरीन अंदाज़ में .
10
अहिंसा सूक्त (विश्व अहिंसा दिवस पर विशेष)
सुज्ञ
॥ भारत-भारती वैभवं ॥
कृपया शुद्ध रूप नोट करके वांछित शुद्धि कर लें वर्तनी की -ये हैं शुद्ध रूप शैर ,मेहफिल,म्यूजियम (संग्रहालय ),उन्हें ,ऊर्जा ,मौहब्बत,
जवाब देंहटाएंबढ़िया कसावदार रिपोर्ट लाएं हैं आप .बधाई इस खूबसूरत शाम में शरीक होने की .
आज भी प्रासंगिक पहले से कहीं ज्यादा ."सेज" ,बोले तो स्पेशल इकोनोमिक ज़ोन ,"नरेगा" और "मरेगा "
" अमीरी और उपभोग की सीमा नहीं है |कारखानों आदि के लिए जिस तरह उपजाऊ भूमि व जल आदि संसाधनों को निपटाया जा रहा है , वह विकास नहीं है | " --- महात्मा गांधी
बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है सभी बेहतरीन लिंक्स मेरी रचना को शामिल करने पर हार्दिक आभार रविकर भाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंगाँधी जी और शास्त्री की उपस्थिति को शामिल करने पर हार्दिक आभार रविकर भाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक लिंक्स
गांधी और शास्त्री जी को नमन
मुझे शामिल करने के लिए आभार
महात्मा गांधी जी और पं.लालबहादुर शास्त्री जी को नमन ...बहुत सुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रविकर जी...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स.
सादर
अनु
बहुत सुन्दर चर्चा है आज की रविकर जी ! 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना 'शतश: प्रणाम' के चयन के लिये आपका धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएं25
जवाब देंहटाएंबापू
देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा
अच्छा तभी तभी
फोटो भी समझ
में आ गयी हमको
आपकी जो ऊपर
लगी है नयी !
23
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में अनुनासिक की अनदेखी
ram ram bhai
Virendra Kumar Sharma
वाह !
आज दाल में
वीरू जी
तड़का बदल दिये
मीठा खिलाते खिलाते
हल्के से खट्टा करके
चल दिये !!
19
जवाब देंहटाएंटिमटिमाता हुआ ... एक दिया ..
Anupama Tripathi
anupama's sukrity.
सुंदर रचना !
सुन्दर चर्चा ...... :) हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स के साथ सार्थक चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंबड़ी ही रोचक चर्चा..
जवाब देंहटाएंगांधी उपनाम धारी गांधी जी के "नाम "का ही खा रहें हैं .देश को लजा रहे हैं .
जवाब देंहटाएंएक महान आत्मा...! (महात्मा गाँधी)
डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'
अंजुमन
बहुत बढ़िया ब्योरा और चित्रानाकन मुहैया करवाया है शुक्रिया दोस्त .और हाँ हर बार आपके माध्यम से हम नए लोगों तक पहुँचते (नए हमारे लिए जिनसे हम अपनी अल्पज्ञता में ना -वाकिफ थे )हैं .और नयापन हमारी कमजोरी शुरु से रहा है .मुबारक चर्चा मंच चयन .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ब्योरा और चित्रांकन करवाया है शुक्रिया दोस्त .और हाँ हर बार आपके माध्यम से हम नए लोगों तक पहुँचते (नए हमारे लिए जिनसे हम अपनी अल्पज्ञता में ना -वाकिफ थे )हैं .और नयापन हमारी कमजोरी शुरु से रहा है .मुबारक चर्चा मंच चयन .
जवाब देंहटाएंअनेक संभावनाएं हैं दोस्त आपमें बस बिंदी /चन्द्र बिंदु अखरता है .नाक में बोलना सीखो .
जवाब देंहटाएं4
क्या खोया क्या पाया
(मैं कौन हूँ कहाँ से आया और कहाँ मुझे है जाना.....)
हिंदी में मस्ती
"बे -नामी खाते" से कौन लोग हैं ये ,जो सामने आने से शर्माते हैं .इनसे तो अपना मंद मति बालक राहुल अच्छा सामने तो आता है एक्सपोज़ होता है तो क्या ?
"बे -नामी खाते" से कौन लोग हैं ये ,जो सामने आने से शर्माते हैं .इनसे तो अपना मंद मति बालक राहुल अच्छा सामने तो आता है एक्सपोज़ होता है तो क्या ?बेटा किसी दिन ब्लेक मनी समझके धर लिए जाओगे .
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंथे दौनों(दोनों ) साथ लिए अटूट विश्वास....दोनों
है महत्त्व (महत्तव) कितना स्नेह के पनपने का......महत्तव.....महत्ता आदि हिंदी का शील छोटे को,आधे शब्द को ,संयुक्त अक्षर में अपनी गोद में, कंधे पे बिठाने का है .यहाँ कोई ध्वनी अंग्रेजी उच्चारण की तरह खामोश नहीं की जाती है .ज़बरन दबाई नहीं जाती है .
सौहाद्र(सौहार्द्र ) के पलने का
कोइ(कोई ) अक्स उभरता होगा......कोई ......बोल के देख लिया कीजिए शब्द को "कोइ"ऐसे लगता है जैसे रेल छूट रही है जबकि क़ोई में ध्वनी विस्तार है को...... -ई .....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति है लेकिन बिंदास कहूं तो -
"आशा! क्यों पैदा करती हो निराशा" कब से एक शब्द प्रयोग सिखा रहा हूँ -----"क़ोई "
आप लिख रहीं हैं कोइ .
"कोइ" असम ,शिलांग ,देश के उत्तर पूरबी अंचल में ऐसे बीड़े (पान )को कहतें हैं जिसमें बस कच्ची सुपारी आधी काटके रखी जाती है क्योंकि बहुत गर्म होती है .खाते खाते कनपटी पसीने से भीग जाती है .इसमें कत्था चूना नहीं लगाया जाता .वैसे चूना तो किसी को लगाना भी नहीं चाहिए .लोग क्या कहेंगे .
5
अतीत के गलियारे
Asha Saxena
Akanksha
न्योंछावर हो गए दोस्त आप पर ,बिछ गए .क्या खूब लिखते हो.खुदा सलामत रखे .
जवाब देंहटाएंन्योंछावर हो गए दोस्त आप पर ,बिछ गए .क्या खूब लिखते हो.खुदा सलामत रखे .
लूट कर भर लिए, घर सफ़ेदपोशों ने,
आम सपनों की दुनिया तडपती रही।
बढ़िया प्रस्तुति है कोहिनूर लिखें आइन्दा .
जवाब देंहटाएं