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शनिवार, अक्तूबर 20, 2012

“अपने ब्लॉग का परिचय कराएँ” (चर्चा मञ्च-1038)

मित्रों!
नवरात्र के शनिवार की चर्चा प्रस्तुत कर रहा हूँ!
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक!
उच्चारण की 1500वीं पोस्ट
मित्रों! आज उच्चारण की 1500वीं पोस्ट है!
21 जनवरी, 2009 को हिन्दी ब्लॉगिंग शुरू की थी!
इस अल्पअन्तराल में* *बहुत से उतार-चढ़ाव भी देखे,
परन्तु उच्चारण का कारवाँ रुका नहीं!
अब उच्चारण पर मेरी पोस्ट
मंगलवार और शुक्रवार को ही आयेंगी!
इस अवसर पर देखिए मेरी यह रचना!

लक्ष्य तो मिला नहीं, राह नापता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
पथ में जो मिला मुझे, मैं उसी का हो गया।
स्वप्न के वितान में, मन नयन में खो गया।
शूल की धसान में, फूल छाँटता रहा।
काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
स्कन्दमाता स्तुति

तराने सुहाने
भगत को शहीद मत कहो आप देशद्रोही बन जाओगे

" क्या भगत सिंह आतंकी था ? आज कॉंग्रेस ने प्रूव कर दिया की वो भगत सिंह को आतंकी समजती है | " क्या इस देश मे भगत सिंह के शौर्य की कहानी सुनाना देशद्रोह जैसा काम है ? कॉंग्रेस तो भगत सिंह की कहानी सुनानेवाले को देशद्रोही समजती है ,ATS आपके पीछे भी सरकार लगाएगी अगर भगत सिंह को शहीद कहा तो,कॉंग्रेस सरकार ने लगाई कलाकारो के पीछे "ATS" .. सावधान दोस्तो अब इस देश मे असली शहीदो को शहीद कहेना गुनाह बन गया है, क्या इस देश मे शहीदो की गाथा सुनाना गुनाह है…
OBO की राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता : शामिल होइए - 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१९ * * * * ** * रविकर के सवैये (मत्तगयन्द) निर्जन निर्जल निर्मम निष्ठुर, नीरस नीरव निर्मद नैसा…
दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी
कैसे गरीब ग़नी हो पाए
नेवैद्य में धनी ने धन था चढ़ाया, निधनी ने श्रद्धा से ही काम चलाया, आज करोड़ों के अभीक हैं, पण्डे करें सोने-चांदी की नीलामी के धंधे !
अनामिका की सदायें ...
कुछ रिश्‍ते ... सौभाग्‍य के सिन्‍दूर काले मोतियों की माला में गुथकर जन्‍म-जन्‍मांतर के हो जाते हैं ....
SADA
केवल वयस्कों के लिए :कुछ सवाल ज़वाब सैक्सोलोजी पर माहिरों के मुख से
ram ram bhai
कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
कबीरा खडा़ बाज़ार में
ईश्वर कहाँ है? - आज शाम श्मशान घाट गया था। नहीं, नहीं, कोई हादसा नहीं। श्मशान घाट वैसे ही घूमने गया था। बेचैन आत्मा हूँ न..!
इसे प्रश्नोत्तरी कहो या वार्तालाप या आरोप प्रत्यारोप

एक प्रयास

बचपन

लेकर इनको गोद, ख़ुशी से झूम उठे मन 
यही दुआ है विर्क , रहे हंसता ये बचपन 
बाल मन की राहें.....बच्चों का ब्लांग

लोमडी़ की सगाई
इश्क की मांग में गम का सिन्दूर भरा है.. दिलों के खेल में, धोखा भरपूर भरा है, ...
दास्ताँनेदिल
मेरी राशि क्या है?

ज्योतिष ने जगह बनानी शुरू की है..
खोज - जिंदगी जीने के बहाने ना ढूंढिए, जमीं पर हर तरफ आग है, कश्तियो में बैठ किनारा ना ढूंढिए, बहुत खलिश है जस्बातों में अब , विश्वास को तराजू में ना तोलिये, ... पूजो एलो, चोलो मेला...... - अपने 'ग्रैंड-सन' के लिए पहली बार बँगला में लिखने की कोशिश की है.......लिपि देवनागरी ही रखी हूँ जिससे ज़्यादा लोग पढ़ सकें..... रिज्युमे (व्यंग) .....*दाढ़ी वाले लम्बे तगड़े दो युवक मेरे मित्र भाई भरोसे लाल की दुकान पर आये । उन्होंने आते ही भाई भरोसे लाल से कहा कि…
बेटी की विदाई
एक रूह मेरी रूह से पराई हो रही है ।
आज मेरी बेटी की विदाई हो रही है ।।
कुछ अजनबी रिश्ते निभाने जा रही है लाडली ।
कुछ पुराने रिश्तों से रुसवाई हो रही है…
आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है
मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…
 मेरी क़लम Meri kalam

शीर्षकहीन

सृष्टि का अंत हैं इश्वर तू अनंत हैं तम हैं अंतस में आलोक की तलाश में ........" आवाज़ दे कहाँ है हस्तिनापुर सा बना भारत कोरवो की भीड़ हैं दुर्योधन अनेक रूप में पांड्वो की तलाश हैं ....................." आवाज़ दे कहाँ है शुभ- निशुम्भ भी तो महिषसुर भी यहाँ रक्तबीज अनेक हैं बस शक्ति की तलाश हैं ...
मनुष्यता का दैहिक यथार्थ

किसी भी रचना की विविध व्याख्यायें संभव है। रचना के मंतव्य के आधार पर, शिल्प या विषय वस्तु के आधार पर। रचना के काल और पृष्ठभूमि के आधार पर। प्रशंसक की अपनी मन:स्थिति भी व्याख्या का आधार होती है। इतिहास को भी तथ्य आधारित रचना ही माना जा सकता है। क्योंकि तथ्यों का चुनाव और उनका प्रस्तुतिकरण इतिहासकार की दृष्टि का हिस्सा हुए बगैर स्थान नहीं पा सकते। सवाल है विविध के बीच सबसे उपयुक्त व्याख्या किसे स्वीकारा जाये…
Kashish - My Poetry
हाइकु
(१) दिल की सीमायें गर न रेखांकित क्यों सरहदें?
(२) नहीं सीमायें मानता है ये दिल टूट जाता है.
(३) तोड़ो सीमायें भूलो सब बंधन जियो ज़िंदगी.
(४) अपनी सीमा गर पहचानते न पछताते….
कल फेस बुक पर कहाफ रहमानी ने सहायता माँगी थी कि ज़नाब मेरा भी ब्लॉग बना दीजिए।
उनके अनुरोध पर ब्लॉग बना दिया है।
आप भी अपने आशीष
इस नये ब्लॉग को देने की कृपा करें।
ऋतम्भरा
ऋतम्भरा
रिश्तों को मजबूत बनाते हैं हमारे रीति रिवाज
*रिश्तों को मजबूत बनाते हैं हमारे रीति रिवाज* रिश्तों का बंधन अटूट होता है किन्तु इनमें भी ताजगी बनाए रखने में कुछ परम्पराओं की अहम भूमिका होती है| भारत उत्सव प्रधान देश है| साथ ही रीति रिवाजो का भी देश है जो ढीले होते रिश्तों को पकड़ प्रदान करता है| ये रिवाज रिश्तों को अहमियत देते हैं दिखावों को नहीं…
अन्त में-
(क)
**~ सवाल... या... जवाब....??? ~**

*'नादानी' बनी 'इल्ज़ाम' कैसे,* *'मासूमियत' हुई 'शर्मसार' किस तरह...* *'खामोशी' बनी 'गुनाह' कैसे,* *'शिक़वे' हुए 'लाचार' किस तरह...* *'मायूसी' बनी 'आदत' कैसे…

(ख)
नीम-निम्बौरी
मूतें दिल्ली मगन, उगे खुब कुक्कुर मुत्ते - 
पाठ पढ़ाती पत्नियाँ, घरी घरी हर जाम | 
बीबी हो गर शिक्षिका, घर में ही इक्जाम
(ग)
लघु व्यंग्य- किसी गिरे हुए प्रधानमंत्री को उठाना ! 

 'वक्त बलवान होता है'- ज्ञानी बड़े-बुजुर्ग यह कहकर चले गए ! और वो कुछ खूसट , 
जो न तो कुछ बोलते हैं और न ही वक्त को समझने की कोशिश करते हैं...

53 टिप्‍पणियां:

  1. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
    मुखपृष्ठ

    शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
    कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    अग्रिम शुक्रिया पधारने का .

    वीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन ,यू .एस .ए .

    जवाब देंहटाएं

  2. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  3. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
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    शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
    कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    अग्रिम शुक्रिया पधारने का .

    वीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन ,यू .एस .ए .

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  4. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
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    शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
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    कोई रोको रे स्पैम बोक्स बुलाये रे ,

    टिपण्णी दबाके खाए रे .....

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  5. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
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    कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    अग्रिम शुक्रिया पधारने का .

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  6. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  7. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  8. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  9. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  10. रत्न खोजने चला हूँ, पर्वतों के देश में।
    अभी तो कुछ मिला नहीं, पत्थरों के वेश में।
    अपने ख़ानदान में, उसूल बाँटता रहा।
    काव्य की खदान में, धूल चाटता रहा।।
    आप नित नया दे रहें हैं नित नूतन ही सौन्दर्य भी कहलाता है .जल्दी आप 1500 के आगे एक बिंदी और जड़ें शत साला होवें .

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  11. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
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    शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
    कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ

    http://veerubhai1947.blogspot.com/

    अग्रिम शुक्रिया पधारने का .

    वीरुभाई ,कैंटन ,मिशिगन ,यू .एस .ए .


    कोई रोको रे स्पैम बोक्स बुलाये रे ,

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    रिश्तों को मजबूत बनाते हैं हमारे रीति रिवाज

    रिश्तों का बंधन अटूट होता है किन्तु इनमें भी ताजगी बनाए रखने में कुछ परम्पराओं की अहम भूमिका होती है| भारत उत्सव प्रधान देश है| साथ ही रीति रिवाजो।।।।।।।।।। (रिवाजों )..............का भी देश है जो ढीले होते रिश्तों को पकड़ प्रदान करता है|

    उत्तर भारतीय परिवारों में बच्चे के जन्म के छह दिनों बाद छट्ठी(जन्मोत्सव);;;;;;;...........छटी ......... का रस्म मनाया जाता है|........हाँ!ऐसा मजा चखाऊँगा , छटी का दूध याद आजायेगा ......इस अंचल का मुहावरा भी है .

    हाथ-पैरों में लाल या काले धागे पहनाए जाते है|........हैं ...........

    अचानक सुगबुगाहट हुई कि बूआ आ गई|...........असल संबोधन "बुआ "है बेशक जोर की आवाज़ लगाने पर बू -आ .....हो जाएगा जैसे मंजु का मंजू हो जाता है .

    रस्मों रिवाज़ रिश्तों से ही जुड़े हैं यही तो उत्सव प्रियता है भारतीय मानस की .

    जवाब देंहटाएं
  12. रिश्तों को मजबूत बनाते हैं हमारे रीति रिवाज

    रिश्तों का बंधन अटूट होता है किन्तु इनमें भी ताजगी बनाए रखने में कुछ परम्पराओं की अहम भूमिका होती है| भारत उत्सव प्रधान देश है| साथ ही रीति रिवाजो।।।।।।।।।। (रिवाजों )..............का भी देश है जो ढीले होते रिश्तों को पकड़ प्रदान करता है|

    उत्तर भारतीय परिवारों में बच्चे के जन्म के छह दिनों बाद छट्ठी(जन्मोत्सव);;;;;;;...........छटी ......... का रस्म मनाया जाता है|........हाँ!ऐसा मजा चखाऊँगा , छटी का दूध याद आजायेगा ......इस अंचल का मुहावरा भी है .

    हाथ-पैरों में लाल या काले धागे पहनाए जाते है|........हैं ...........

    अचानक सुगबुगाहट हुई कि बूआ आ गई|...........असल संबोधन "बुआ "है बेशक जोर की आवाज़ लगाने पर बू -आ .....हो जाएगा जैसे मंजु का मंजू हो जाता है .

    रस्मों रिवाज़ रिश्तों से ही जुड़े हैं यही तो उत्सव प्रियता है भारतीय मानस की .

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  13. एक सम्पूर्ण प्रस्तुति परिशुद्ध वर्तनी लिए हुए .मज़ा आ गया .उत्कृष्ट रचना को बांचते बांचते एक पूरा काल खंड ,परिवेश लिए है रचना .

    मनुष्यता का दैहिक यथार्थ


    किसी भी रचना की विविध व्याख्यायें संभव है। रचना के मंतव्य के आधार पर, शिल्प या विषय वस्तु के आधार पर। रचना के काल और पृष्ठभूमि के आधार पर। प्रशंसक की अपनी मन:स्थिति भी व्याख्या का आधार होती है। इतिहास को भी तथ्य आधारित रचना ही माना जा सकता है। क्योंकि तथ्यों का चुनाव और उनका प्रस्तुतिकरण इतिहासकार की दृष्टि का हिस्सा हुए बगैर स्थान नहीं पा सकते। सवाल है विविध के बीच सबसे उपयुक्त व्याख्या किसे स्वीकारा जाये…

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  14. किसी तकनीकी वजह से ब्लॉग :

    कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    …कबीरा खडा़ बाज़ार में खुल नहीं रहा है कृपया इसी पोस्ट को यहाँ पढ़ें ,वायदा है आपको निराशा नहीं होगी

    ram ram bhai
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    शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012
    कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ

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    रिश्तों को मजबूत बनाते हैं हमारे रीति रिवाज

    रिश्तों का बंधन अटूट होता है किन्तु इनमें भी ताजगी बनाए रखने में कुछ परम्पराओं की अहम भूमिका होती है| भारत उत्सव प्रधान देश है| साथ ही रीति रिवाजो।।।।।।।।।। (रिवाजों )..............का भी देश है जो ढीले होते रिश्तों को पकड़ प्रदान करता है|

    उत्तर भारतीय परिवारों में बच्चे के जन्म के छह दिनों बाद छट्ठी(जन्मोत्सव);;;;;;;...........छटी ......... का रस्म मनाया जाता है|........हाँ!ऐसा मजा चखाऊँगा , छटी का दूध याद आजायेगा ......इस अंचल का मुहावरा भी है .

    हाथ-पैरों में लाल या काले धागे पहनाए जाते है|........हैं ...........

    अचानक सुगबुगाहट हुई कि बूआ आ गई|...........असल संबोधन "बुआ "है बेशक जोर की आवाज़ लगाने पर बू -आ .....हो जाएगा जैसे मंजु का मंजू हो जाता है .

    रस्मों रिवाज़ रिश्तों से ही जुड़े हैं यही तो उत्सव प्रियता है भारतीय मानस की .

    एक सम्पूर्ण प्रस्तुति परिशुद्ध वर्तनी लिए हुए .मज़ा आ गया .उत्कृष्ट रचना को बांचते बांचते एक पूरा काल खंड ,परिवेश लिए है रचना .

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  15. भगत को शहीद मत कहो आप देशद्रोही बन जाओगे


    " क्या भगत सिंह आतंकी था ? आज कॉंग्रेस ने प्रूव कर दिया की वो भगत सिंह को आतंकी समजती है (समझती ........है .....)| " क्या

    इस देश मे भगत सिंह के शौर्य की कहानी सुनाना देशद्रोह जैसा काम है ? कॉंग्रेस तो भगत सिंह की कहानी

    सुनानेवाले को देशद्रोही समजती है ,ATS आपके पीछे भी सरकार लगाएगी अगर भगत सिंह को शहीद कहा

    तो,कॉंग्रेस सरकार ने लगाई कलाकारो।।।।।।।।(कलाकारों )........ के पीछे "ATS" .. सावधान दोस्तो अब इस देश

    मे असली शहीदो को शहीद

    कहेना(कहना )............ गुनाह बन गया है, क्या इस देश मे शहीदो की गाथा सुनाना गुनाह है…

    दोस्त ये कांग्रेस ही तो महा मारी है इस देश की .बधाई इस प्रस्तुति के लिए .

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  16. आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है

    मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते।।।।।।(खिंचते ).......... चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…

    एक स्थान से दुसरे(दूसरे ),,,,,,,,,,, स्थान पर आराम से पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाती हैं

    इसलिए इनमे।।।।।।।(इनमें )......... से कुछ ख़ास विरोधी भी हो जाते हैं .एक ख़ास प्रकार की इस व्यवस्था में कुछ ख़ास अपने और ख़ास विरोधियों का एक चक्रव्यूह- सा रच जाता है , इसके भीतर जो है वह सुरक्षित है , ख़ास है , बाकी सब आम हैं . पूरी व्यवस्था इस ख़ास चक्रव्यूह के भीतर ही जन्म लेती है , दम तोडती है . लोकल ट्रेन के इस दृष्टान्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल के व्यापारिक अथवा राजनैतिक परिमंडल में आसानी से देखा जा सकता है। इस व्यवस्था में बने रहना है तो आम बन्ने।।।।।।।।।(बनने )........... से काम नहीं होगा , ख़ास बनना होगा , या किसी खास का खासमखास .

    जो कहिये मुंबई की सिविलिटी ,नागर बोध का ज़वाब नहीं .पढ़े लिखे सुलझे लोगों का शहर है यह सिर्फ पढ़े लिखे लोगों का नहीं .

    ब्लोगिंग में कौन से बाउंसर हैं हमें नहीं पता .

    बहर सूरत आपके लेखन में तंज है शैली सौन्दर्य है ,आकर्षण है .बधाई .

    कमाल है सारे विमर्श का ही स्वर बदल गया विषय परिवर्तन हो गया .राज ठाकरे का मुंबई गया पृष्ठ भूमि में .,जैसे राज ठाकरे भी कोई ब्लोगिया हो .

    मुंबई वासी न हो .

    बढ़िया खाना पकाने और तरक्की का कोई छोटा रास्ता नहीं होता .छोटे रास्ते तिहाड़ जेल नंबर 11 में खुलते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  17. आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है

    मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते।।।।।।(खिंचते ).......... चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…

    एक स्थान से दुसरे(दूसरे ),,,,,,,,,,, स्थान पर आराम से पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाती हैं

    इसलिए इनमे।।।।।।।(इनमें )......... से कुछ ख़ास विरोधी भी हो जाते हैं .एक ख़ास प्रकार की इस व्यवस्था में कुछ ख़ास अपने और ख़ास विरोधियों का एक चक्रव्यूह- सा रच जाता है , इसके भीतर जो है वह सुरक्षित है , ख़ास है , बाकी सब आम हैं . पूरी व्यवस्था इस ख़ास चक्रव्यूह के भीतर ही जन्म लेती है , दम तोडती है . लोकल ट्रेन के इस दृष्टान्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल के व्यापारिक अथवा राजनैतिक परिमंडल में आसानी से देखा जा सकता है। इस व्यवस्था में बने रहना है तो आम बन्ने।।।।।।।।।(बनने )........... से काम नहीं होगा , ख़ास बनना होगा , या किसी खास का खासमखास .

    जो कहिये मुंबई की सिविलिटी ,नागर बोध का ज़वाब नहीं .पढ़े लिखे सुलझे लोगों का शहर है यह सिर्फ पढ़े लिखे लोगों का नहीं .

    ब्लोगिंग में कौन से बाउंसर हैं हमें नहीं पता .

    बहर सूरत आपके लेखन में तंज है शैली सौन्दर्य है ,आकर्षण है .बधाई .

    कमाल है सारे विमर्श का ही स्वर बदल गया विषय परिवर्तन हो गया .राज ठाकरे का मुंबई गया पृष्ठ भूमि में .,जैसे राज ठाकरे भी कोई ब्लोगिया हो .

    मुंबई वासी न हो .

    बढ़िया खाना पकाने और तरक्की का कोई छोटा रास्ता नहीं होता .छोटे रास्ते तिहाड़ जेल नंबर 11 में खुलते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  18. पब्लिक की गाढी।।।।।।।।।(गाढ़ी )........ कमाई के पैसों के बल पर हरवक्त अपने साथ दायें-बाएं, आगे-पीछे मौजूद रहने वाले काली वर्दी धारियों को भी तब ही इनके गिरने का अहसास हो पाता है जब धडाम।।।।।।।(धड़ाम ).......... की आवाज उसके कानो।।।।।(कानों )........... में पड़ती है, और तबतक जनाब धूल/ दूब चाट चुके होते है !(हैं ).........हैं .

    ये ऐसी अनेकों मानसिक प्रताड़नाये।।।।।।(प्रताड़नाएँ )......... है।।।।।।हैं ....... जिन्हें वे "पूअर" सुरक्षाकर्मी झेलते है(हैं ),....... और जिसे समझ पाना हर देशवासी के बस की बात नहीं
    आर्मी के आफिसर मेस में लगी थी तो तभी उसने बचाओ..बचाओ की आवाज सुनी ! दौड़कर गया तो देखा कि नशे में धुत कोई शख्स हाथो।।।।।।।(हाथों )......... से कुंए की मेंड़ को पकडे गहरे कुंएं में लटक रहा है, उसने झट से उसे बाजुओं से पकड़कर ऊपर उठाया तो उसे खम्बे की रोशनी में उस शख्स के कन्धों पर चमकते तीन स्टार नजर आये..... अरे यह तो वही कप्तान साहब है(हैं )...........
    . वह बडबडाया (बड़बड़ाया ) और उसने तुरंत उन कप्तान साहब के बाजुओं को छोड़ा और झट से एक जोरदार सैल्यूट मारा, लेकिन उसका मारा हुआ वह शानदार सैल्यूट देखता कौन ? इतनी देर में बेचारे कप्तान साहब तो कुंए में समा गए थे !

    आई आस्ट्रेलिया की प्रधान-मंत्री, महामहिम (सुश्री ) जूलिया गिल्लार्ड की सुरक्षा में तैनात थे, और प्रेस वालों को संबोधित करने हेतु जाते हुए अचानक वो औंधे मुह (मुंह )वहीं गिर पडी।।।।।।(पड़ी )........ थी, और फिर किसी तरह उन सुरक्षा कर्मियों को उन्हें उठाना पडा ! शुक्र था भगवान्।।।।।।।(भगवान)......... का कि उन्हें कोई चोट नहीं आई !

    , हे रब ! ओ गौड़ ...(गॉड )...आइन्दा इस देश में इसतरह कोई और महामहिम, कोई प्रधानमंत्री न गिरे !

    बिलकुल अभिनव अंदाज़ लिए है आपकी पोस्ट विषय भी अछूता .

    (ग)
    लघु व्यंग्य- किसी गिरे हुए प्रधानमंत्री को उठाना !

    'वक्त बलवान होता है'- ज्ञानी बड़े-बुजुर्ग यह कहकर चले गए ! और वो कुछ खूसट ,
    जो न तो कुछ बोलते हैं और न ही वक्त को समझने की कोशिश करते हैं...


    जवाब देंहटाएं
  19. आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है

    मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते।।।।।।(खिंचते ).......... चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…

    एक स्थान से दुसरे(दूसरे ),,,,,,,,,,, स्थान पर आराम से पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाती हैं

    इसलिए इनमे।।।।।।।(इनमें )......... से कुछ ख़ास विरोधी भी हो जाते हैं .एक ख़ास प्रकार की इस व्यवस्था में कुछ ख़ास अपने और ख़ास विरोधियों का एक चक्रव्यूह- सा रच जाता है , इसके भीतर जो है वह सुरक्षित है , ख़ास है , बाकी सब आम हैं . पूरी व्यवस्था इस ख़ास चक्रव्यूह के भीतर ही जन्म लेती है , दम तोडती है . लोकल ट्रेन के इस दृष्टान्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल के व्यापारिक अथवा राजनैतिक परिमंडल में आसानी से देखा जा सकता है। इस व्यवस्था में बने रहना है तो आम बन्ने।।।।।।।।।(बनने )........... से काम नहीं होगा , ख़ास बनना होगा , या किसी खास का खासमखास .

    जो कहिये मुंबई की सिविलिटी ,नागर बोध का ज़वाब नहीं .पढ़े लिखे सुलझे लोगों का शहर है यह सिर्फ पढ़े लिखे लोगों का नहीं .

    ब्लोगिंग में कौन से बाउंसर हैं हमें नहीं पता .

    बहर सूरत आपके लेखन में तंज है शैली सौन्दर्य है ,आकर्षण है .बधाई .

    कमाल है सारे विमर्श का ही स्वर बदल गया विषय परिवर्तन हो गया .राज ठाकरे का मुंबई गया पृष्ठ भूमि में .,जैसे राज ठाकरे भी कोई ब्लोगिया हो .

    मुंबई वासी न हो .

    बढ़िया खाना पकाने और तरक्की का कोई छोटा रास्ता नहीं होता .छोटे रास्ते तिहाड़ जेल नंबर 11 में खुलते हैं .

    पब्लिक की गाढी।।।।।।।।।(गाढ़ी )........ कमाई के पैसों के बल पर हरवक्त अपने साथ दायें-बाएं, आगे-पीछे मौजूद रहने वाले काली वर्दी धारियों को भी तब ही इनके गिरने का अहसास हो पाता है जब धडाम।।।।।।।(धड़ाम ).......... की आवाज उसके कानो।।।।।(कानों )........... में पड़ती है, और तबतक जनाब धूल/ दूब चाट चुके होते है !(हैं ).........हैं .

    ये ऐसी अनेकों मानसिक प्रताड़नाये।।।।।।(प्रताड़नाएँ )......... है।।।।।।हैं ....... जिन्हें वे "पूअर" सुरक्षाकर्मी झेलते है(हैं ),....... और जिसे समझ पाना हर देशवासी के बस की बात नहीं
    आर्मी के आफिसर मेस में लगी थी तो तभी उसने बचाओ..बचाओ की आवाज सुनी ! दौड़कर गया तो देखा कि नशे में धुत कोई शख्स हाथो।।।।।।।(हाथों )......... से कुंए की मेंड़ को पकडे गहरे कुंएं में लटक रहा है, उसने झट से उसे बाजुओं से पकड़कर ऊपर उठाया तो उसे खम्बे की रोशनी में उस शख्स के कन्धों पर चमकते तीन स्टार नजर आये..... अरे यह तो वही कप्तान साहब है(हैं )...........
    . वह बडबडाया (बड़बड़ाया ) और उसने तुरंत उन कप्तान साहब के बाजुओं को छोड़ा और झट से एक जोरदार सैल्यूट मारा, लेकिन उसका मारा हुआ वह शानदार सैल्यूट देखता कौन ? इतनी देर में बेचारे कप्तान साहब तो कुंए में समा गए थे !

    आई आस्ट्रेलिया की प्रधान-मंत्री, महामहिम (सुश्री ) जूलिया गिल्लार्ड की सुरक्षा में तैनात थे, और प्रेस वालों को संबोधित करने हेतु जाते हुए अचानक वो औंधे मुह (मुंह )वहीं गिर पडी।।।।।।(पड़ी )........ थी, और फिर किसी तरह उन सुरक्षा कर्मियों को उन्हें उठाना पडा ! शुक्र था भगवान्।।।।।।।(भगवान)......... का कि उन्हें कोई चोट नहीं आई !

    , हे रब ! ओ गौड़ ...(गॉड )...आइन्दा इस देश में इसतरह कोई और महामहिम, कोई प्रधानमंत्री न गिरे !

    बिलकुल अभिनव अंदाज़ लिए है आपकी पोस्ट विषय भी अछूता .


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  20. आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है

    मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते।।।।।।(खिंचते ).......... चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…

    एक स्थान से दुसरे(दूसरे ),,,,,,,,,,, स्थान पर आराम से पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाती हैं

    इसलिए इनमे।।।।।।।(इनमें )......... से कुछ ख़ास विरोधी भी हो जाते हैं .एक ख़ास प्रकार की इस व्यवस्था में कुछ ख़ास अपने और ख़ास विरोधियों का एक चक्रव्यूह- सा रच जाता है , इसके भीतर जो है वह सुरक्षित है , ख़ास है , बाकी सब आम हैं . पूरी व्यवस्था इस ख़ास चक्रव्यूह के भीतर ही जन्म लेती है , दम तोडती है . लोकल ट्रेन के इस दृष्टान्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल के व्यापारिक अथवा राजनैतिक परिमंडल में आसानी से देखा जा सकता है। इस व्यवस्था में बने रहना है तो आम बन्ने।।।।।।।।।(बनने )........... से काम नहीं होगा , ख़ास बनना होगा , या किसी खास का खासमखास .

    जो कहिये मुंबई की सिविलिटी ,नागर बोध का ज़वाब नहीं .पढ़े लिखे सुलझे लोगों का शहर है यह सिर्फ पढ़े लिखे लोगों का नहीं .

    ब्लोगिंग में कौन से बाउंसर हैं हमें नहीं पता .

    बहर सूरत आपके लेखन में तंज है शैली सौन्दर्य है ,आकर्षण है .बधाई .

    कमाल है सारे विमर्श का ही स्वर बदल गया विषय परिवर्तन हो गया .राज ठाकरे का मुंबई गया पृष्ठ भूमि में .,जैसे राज ठाकरे भी कोई ब्लोगिया हो .

    मुंबई वासी न हो .

    बढ़िया खाना पकाने और तरक्की का कोई छोटा रास्ता नहीं होता .छोटे रास्ते तिहाड़ जेल नंबर 11 में खुलते हैं .

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  21. बंधन काटे ना कटे, कट जाए दिन-रैन ।
    विकट निराशा से भरे, आशा है बेचैन ।
    आशा है बेचैन, बैन बाहर नहिं आये ।
    न्योछावर सर्वस्व, बड़ी बगिया महकाए ।
    फूलों को अवलोक, लोक में खुशबू -चन्दन ।
    मनुवा मत कर शोक, मान ले रिश्ते बंधन ।।

    BAHUT BADHIYAAA बहुत बढ़िया कुंडली .जब तक पैसा पास यार संग ही संग डोले ,पैसा रहा न पास ,यार मुख से नहीं बोले ......रविकर जी की कुंडली

    पढके कविवर गिरधर याद आ जातें हैं ........

    जब तक राहुल साथ ,दिग्विजय संग संग डोले ,

    राहुल रहा न पास ,दिग्विजय मुख नहीं खोले .


    जवाब देंहटाएं
  22. मानव मनो -विज्ञान और जिज्ञासु मन से संवाद करते सशक्त हाइकु .

    जवाब देंहटाएं


  23. कहेना(कहना )............ गुनाह बन गया है, क्या इस देश मे शहीदो की गाथा सुनाना गुनाह है…

    दोस्त ये कांग्रेस ही तो महा मारी है इस देश की .बधाई इस प्रस्तुति के लिए .

    आम नहीं ,बस ख़ास ही होना है

    मायानगरी मुंबई का आकर्षण ही कुछ ऐसा है की लोग अपने आप खींचते।।।।।।(खिंचते ).......... चलते आते हैं . इतिहास की तह में जाए तो यह एक द्वीपसमूह था . अंग्रेजों ने व्यापार की दृष्टि से इसके महत्व को समझा और अपना व्यापारिक केंद्र बनाया . अंग्रेजों ने मुंबई को वृहत पैमाने पर सड़कों तथा अन्य सुविधाओं की व्यवस्था से व्यापारिक गतिविधियों के अतिरिक्त आम नागरिकों के लिए भी सुविधाजनक बनाया . प्रथम रेल लाईन की स्थापना से ठाणे से जुड़कर व्यापारिक संभावनाओं को असीमित आकाश दिया…

    एक स्थान से दुसरे(दूसरे ),,,,,,,,,,, स्थान पर आराम से पहुँचाने में अहम् भूमिका निभाती हैं

    इसलिए इनमे।।।।।।।(इनमें )......... से कुछ ख़ास विरोधी भी हो जाते हैं .एक ख़ास प्रकार की इस व्यवस्था में कुछ ख़ास अपने और ख़ास विरोधियों का एक चक्रव्यूह- सा रच जाता है , इसके भीतर जो है वह सुरक्षित है , ख़ास है , बाकी सब आम हैं . पूरी व्यवस्था इस ख़ास चक्रव्यूह के भीतर ही जन्म लेती है , दम तोडती है . लोकल ट्रेन के इस दृष्टान्त को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पटल के व्यापारिक अथवा राजनैतिक परिमंडल में आसानी से देखा जा सकता है। इस व्यवस्था में बने रहना है तो आम बन्ने।।।।।।।।।(बनने )........... से काम नहीं होगा , ख़ास बनना होगा , या किसी खास का खासमखास .

    जो कहिये मुंबई की सिविलिटी ,नागर बोध का ज़वाब नहीं .पढ़े लिखे सुलझे लोगों का शहर है यह सिर्फ पढ़े लिखे लोगों का नहीं .

    ब्लोगिंग में कौन से बाउंसर हैं हमें नहीं पता .

    बहर सूरत आपके लेखन में तंज है शैली सौन्दर्य है ,आकर्षण है .बधाई .

    कमाल है सारे विमर्श का ही स्वर बदल गया विषय परिवर्तन हो गया .राज ठाकरे का मुंबई गया पृष्ठ भूमि में .,जैसे राज ठाकरे भी कोई ब्लोगिया हो .

    मुंबई वासी न हो .

    बढ़िया खाना पकाने और तरक्की का कोई छोटा रास्ता नहीं होता .छोटे रास्ते तिहाड़ जेल नंबर 11 में खुलते हैं .

    पब्लिक की गाढी।।।।।।।।।(गाढ़ी )........ कमाई के पैसों के बल पर हरवक्त अपने साथ दायें-बाएं, आगे-पीछे मौजूद रहने वाले काली वर्दी धारियों को भी तब ही इनके गिरने का अहसास हो पाता है जब धडाम।।।।।।।(धड़ाम ).......... की आवाज उसके कानो।।।।।(कानों )........... में पड़ती है, और तबतक जनाब धूल/ दूब चाट चुके होते है !(हैं ).........हैं .

    ये ऐसी अनेकों मानसिक प्रताड़नाये।।।।।।(प्रताड़नाएँ )......... है।।।।।।हैं ....... जिन्हें वे "पूअर" सुरक्षाकर्मी झेलते है(हैं ),....... और जिसे समझ पाना हर देशवासी के बस की बात नहीं
    आर्मी के आफिसर मेस में लगी थी तो तभी उसने बचाओ..बचाओ की आवाज सुनी ! दौड़कर गया तो देखा कि नशे में धुत कोई शख्स हाथो।।।।।।।(हाथों )......... से कुंए की मेंड़ को पकडे गहरे कुंएं में लटक रहा है, उसने झट से उसे बाजुओं से पकड़कर ऊपर उठाया तो उसे खम्बे की रोशनी में उस शख्स के कन्धों पर चमकते तीन स्टार नजर आये..... अरे यह तो वही कप्तान साहब है(हैं )...........
    . वह बडबडाया (बड़बड़ाया ) और उसने तुरंत उन कप्तान साहब के बाजुओं को छोड़ा और झट से एक जोरदार सैल्यूट मारा, लेकिन उसका मारा हुआ वह शानदार सैल्यूट देखता कौन ? इतनी देर में बेचारे कप्तान साहब तो कुंए में समा गए थे !

    आई आस्ट्रेलिया की प्रधान-मंत्री, महामहिम (सुश्री ) जूलिया गिल्लार्ड की सुरक्षा में तैनात थे, और प्रेस वालों को संबोधित करने हेतु जाते हुए अचानक वो औंधे मुह (मुंह )वहीं गिर पडी।।।।।।(पड़ी )........ थी, और फिर किसी तरह उन सुरक्षा कर्मियों को उन्हें उठाना पडा ! शुक्र था भगवान्।।।।।।।(भगवान)......... का कि उन्हें कोई चोट नहीं आई !

    , हे रब ! ओ गौड़ ...(गॉड )...आइन्दा इस देश में इसतरह कोई और महामहिम, कोई प्रधानमंत्री न गिरे !

    बिलकुल अभिनव अंदाज़ लिए है आपकी पोस्ट विषय भी अछूता .

    बंधन काटे ना कटे, कट जाए दिन-रैन ।
    विकट निराशा से भरे, आशा है बेचैन ।
    आशा है बेचैन, बैन बाहर नहिं आये ।
    न्योछावर सर्वस्व, बड़ी बगिया महकाए ।
    फूलों को अवलोक, लोक में खुशबू -चन्दन ।
    मनुवा मत कर शोक, मान ले रिश्ते बंधन ।।

    BAHUT BADHIYAAA बहुत बढ़िया कुंडली .जब तक पैसा पास यार संग ही संग डोले ,पैसा रहा न पास ,यार मुख से नहीं बोले ......रविकर जी की कुंडली

    पढके कविवर गिरधर याद आ जातें हैं ........

    जब तक राहुल साथ ,दिग्विजय संग संग डोले ,

    राहुल रहा न पास ,दिग्विजय मुख नहीं खोले .


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  24. खोज


    जिंदगी जीने के बहाने ना ढूंढिए,
    जमीं पर हर तरफ आग है,
    कश्तियो में बैठ किनारा ना ढूंढिए,.........कश्तियों .................

    बहुत खलिश है जस्बातों में अब ,.........ज़ज्बातों .......
    विश्वास को तराजू में ना तोलिये,........तौलिये


    बहुत गहरी हैं नफरत-ए- दरमियां, .
    हमारी रूह की गहराइयों को ना टटोलिए ,


    उदासी का आलम फ़ैल जायेगा चारों ओर,
    मेहरबानी कर उन जख्मों को ना कुरेतिये ,................कुरेदिए ...........


    तूफ़ान आने वाला है सवालों का ,
    जवाब खोजिये,
    कायरता का नमूना ना दीजिए ,


    गर नई कहानी बुननी है,
    उजालों का हाथ थाम ले,
    रात के अंधेरों में सहारे ना ढूंढिए|
    Posted by Sushant shankar at 2:46 AM बहुत बढ़िया गजल है दोस्त ,बढिया आवाहन है बदलाव की ओर उत्प्रेरण है .संघर्ष का गिगुल बजाती है रचना चुपके चुपके .


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  25. मनभावन चर्चा बेहतरीन सूत्रों के साथ !

    जवाब देंहटाएं
  26. शानदार ढंग से सजाई इस चर्चा के लिए आपका आभार शास्त्रीजी !

    जवाब देंहटाएं
  27. शानदार चर्चा के लिए बधाई शास्त्री जी | बहुत ही उम्दा सूत्र संकलन |
    मेरी रचना को जगह देने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं

  28. बहुत सुन्दर पठनीय सूत्रों से सजाई चर्चा बहुत बधाई शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  29. आदरणीय शास्त्री सर बेहद सुन्दर लिंक्स शामिल किये हैं आज की चर्चा में, मेरी रचना को स्थान दिया आपका तहे दिल से शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सुन्दर व कारगर लिंक्स संजोये हैं मगर समय की कमी के कारण पढ नही पाऊँगी………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  31. आज की चर्चा की हैडिंग क्या खूब लगी.बहुत ही सुन्दर चर्चा सजाई गई है.इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड से जुड़ने और इसे जन जन तक पहुँचाने में चर्चा मंच का योगदान अपनी मिसाल आप है.उम्मीद है की इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड एक बड़ा समूह होगा ,नए पुराने ब्लोगर्स का.जो की एक दुसरे के जानेंगे ,एक दुसरे के ब्लोग्स को जानेंगे.और इंडियन ब्लोगर्स को अपना और अपने ब्लॉग का परिचय भी करवाएंगे.हार्दिक आभार.इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड में सभी भारतीय ब्लोगर्स का स्वागत है.

    इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड

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  32. charcha manch ka star kaafi acchha ho gaya hai. bahut acchhe links mile. meri rachna ko yaha shrey mila. aabhari hun.

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  33. Charcha manch main meri rachnao ko sthan mila iske liye Shastri jee aapka tahe dil se dhanywad. bahut hi sundar evam pathniy links dekhayi diye .....dheere dheere sabko padne ki koshish karungi .......
    Aabhar!

    जवाब देंहटाएं
  34. कहलाने एकत बसें ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सा हुआ ,दीरघ दाघ ,निदाघ
    Virendra Kumar Sharma
    ram ram bhai

    गटक गए जब गडकरी, पावर रहा पवार |
    खुद खायी मुर्गी सकल, पर यारों का यार |
    पर यारों का यार, शरद है शीतल ठंडा |
    करवालो सब जांच, डालता नहीं अडंगा |
    रविकर सत्ता पक्ष, जांच करवाय विपक्षी |
    जनता लेगी जांच, बड़ी सत्ता नरभक्षी ||

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  35. चर्चा मंच में मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए धन्यवाद सर, आपकी पोस्ट में दिए गए सभी लिंक बहुत ही अच्छे है... अच्छी लिंकों से सजी पोस्ट.... धन्यवाद.

    takniki ज्ञान

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  36. सुसज्जित चर्चामंच...सारे लिंक्स उत्कृष्ट...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  37. बहुत रोचक चर्चा...१५००वीं पोस्ट के लिये हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  38. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद शास्त्री जी!
    आपने इस लायक समझा, अनुगृहीत हूँ! प्रणाम!

    जवाब देंहटाएं
  39. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  40. बहुत रोचक चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!!शास्त्री जी!

    जवाब देंहटाएं
  41. बहुत सुन्दर मंच सजाया है शास्त्री जी ! 'तराने सुहाने' से माँ स्कंदमाता की स्तुति तथा 'सुधीनामा' से मेरी रचना 'मैं वचन देती हूँ माँ' को इस शानदार मंच में सम्मिलित करने के लिये हृदय से धन्यवाद एवँ आभार !

    जवाब देंहटाएं
  42. शुक्रवार, 19 अक्तूबर 2012

    Skandmata Stuti By Anuradha Paudwal I Navdurga Stuti

    तनाव शैथिल्य की क्षमता है पौडवाल साहिबा के इन स्वरों में ,लोरी सी माधुरी भी .शुक्रिया .

    जवाब देंहटाएं
  43. सदा रहे बाबा दीन के भ्राता

    अकूत धन के हो तुम ही दाता

    बेघि हरो हर विघ्न निर्बल का

    गरीबी का करो निर्मूल नाशा !

    जन प्रेम से आप्लावित रचना .

    जवाब देंहटाएं
  44. बेहतरीन लिंको से सजा चर्चा मंच
    मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए शुक्रिया :)

    जवाब देंहटाएं

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