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सोमवार, फ़रवरी 04, 2013

आधा सच (लघु चर्चा) : चर्चामंच-1145

दोस्तों ग़ाफिल का नमस्कार!
प्रस्तुत हें आज की लघु चर्चा के लिए कुछ लिंक्स-
आज सबसे पहले
और अन्त में-
अब आज के लिए इतना ही, फिर मिलने तक नमस्कार!

27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्‍छे लिंक्‍स......ग़ाफ़िल जी
    हमारी पोस्ट का लिंक शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  2. धन्यवाद भाई ग़ाफ़िल जी!
    इस कमेंट के द्वारा अपने सभी शुभचिन्तकों का आभार प्रकट करना चाहता हूँ!
    --
    आज की चर्चा संक्षिप्त नहीं अपने में बहुत कुछ समेटे है!

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात ॥अच्छी चर्चा गाफिल जी ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर चर्चा , मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ************
    साथ में डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी को जन्मदिन की बधाई हो!

    जवाब देंहटाएं
  5. बढिया चर्चा
    मुझे स्थान देने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. भले ही लघु हो किन्तु सार्थक चर्चा सभी पठनीय सूत्र बहुत बहुत बधाई गाफिल जी

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर एवं सार्थक चर्चा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत खूबसूरत लिंक संयोजन ………उम्दा चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  9. जान बची और लाखों पाए ....बढ़िया प्रस्तुति .

    रे महि‍ला सुरक्षा अध्‍यादेश आ गया -काज़ल कुमार

    जवाब देंहटाएं
  10. खूब सूरत से अशआर जो लिख दिया सो लिख दिया ,

    था उन्हें एतबार जो लिख दिया सो लिख दिया .

    जवाब देंहटाएं
  11. चर्चा मंच मेंविश्वरूप और पाकिस्तान समर्थित समाज को बिठाने के लिए आभार .आभार आभार हृदय से आभार .

    जवाब देंहटाएं
  12. नीतीश जी के लिए बेहतर है वह 2014 के चुनावों में लालू जी के सेकुलर डिब्बे में आरक्षण करा लें .ये पाकिस्तान सोच वाले लोग आज देश के लिए बड़ा खतरा है अच्छा खासा आदमी था कल तक

    बिहार को लालू कुराज से मुक्त कराया विकास के ऊपरले पायेदान पर लाया लेकिन अब सेकुलर हो गया है . ....बढ़िया प्रस्तुति .

    बीजेपी : डूबते को तिनके का सहारा! -महेन्द्र श्रीवास्तव

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  13. ये इश्क है ये इश्क है तू मुझमे है मैं तुझमे हूँ .बढ़िया प्रस्तुति .

    Sunday, 3 February 2013
    तीसरा ख़त........ Valentine sepical........
    तुम्हे याद है.....यूँ ही इक दिन चलते-चलते रस्ते में
    एक बूढी भिखारिन बैठी थी.......और तुमने कुछ पैसे दिए थे.....
    तुम्हे पता है......ना जाने क्यों तब से......
    आज तक मैं जब भी उस राह से गुजरती हूँ.....उस बूढी भिखारिन को पैसे देने के लिए मेरे हाथ अपने आप आगे बढ़ जाते है ....पता नही कब मैं तुम बन जाती हूँ....कब तुम्हारी पसंद मेरी हो गयी....
    जब से तुमसे मिली हूँ मैं खुद में तुमको जीने लगी हूँ.........
    आहुति

    तीसरा खत -सुषमा आहुति

    जवाब देंहटाएं
  14. बढ़िया रचना है संजय भाई .मुबारक



    कॉलेज को छोड़े करीब
    सात साल बीत गये !
    मगर आज उसे जब 7 साल बाद
    देखा तो
    देखता ही रह गया !
    वो आकर्षण जिसे देख मैं
    हमेशा उसकी और।।।।।।।।।।।।।।।।ओर
    खिचा चला जाता था !...........खिंचा
    आज वो पहले से भी ज्यादा
    खूबसूरत लग रही थी
    पर मुझे विश्वास नहीं
    हो रहा था !
    की वो मुझे देखते ही
    पहचान लेगी !
    पर आज कई सालो बाद ............सालों
    उसे देखना
    बेहद आत्मीय और आकर्षण लगा
    मेरी आत्मा के सबसे करीब ..............!!

    सुन्दर,मनोहर .

    आकर्षण -संजय भास्कर

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर,मनोहर .

    माशा अल्लाह बढ़िया प्रस्तुति रहते आप अपने ही खोल में हैं .बाहर नहीं निकलते अपने ब्लॉग (खोल )से .चलो एकतरफा संवाद ही सही

    आप (.तुम) अपने में मगरूर रहो ,सलामत रहो .


    मन कहता है
    कहीं कोई मेरा
    अपना तो है
    उम्मीद की नकाब से
    ढका कोई चेहरा तो है
    मिलेगा या नहीं
    ये अलग बात है
    आस में
    ज़िंदा रखता तो है
    944-62-15-12-2012
    शायरी,उम्मीद

    जवाब देंहटाएं
  16. मन कहता है -‘निरन्तर’

    सुन्दर,मनोहर .

    माशा अल्लाह बढ़िया प्रस्तुति रहते आप अपने ही खोल में हैं .बाहर नहीं निकलते अपने ब्लॉग (खोल )से .चलो एकतरफा संवाद ही सही

    आप (.तुम) अपने में मगरूर रहो ,सलामत रहो .


    मन कहता है
    कहीं कोई मेरा
    अपना तो है
    उम्मीद की नकाब से
    ढका कोई चेहरा तो है
    मिलेगा या नहीं
    ये अलग बात है
    आस में
    ज़िंदा रखता तो है
    944-62-15-12-2012
    शायरी,उम्मीद

    जवाब देंहटाएं
  17. बढ़िया कोमल भाव की प्रेम की सात्विक आंच लिए कविता .

    होता नित नया सवेरा -कविता रावत

    जवाब देंहटाएं
  18. देश के सब नागरिक, जाँबाज होने चाहिए,
    लक्ष्य पाने के नये आगाज़ होने चाहिए,
    गैर को अपना बना सकते हैं मीठे बोल ही-
    चाशनी में तर-बतर, अल्फाज़ होने चाहिए,
    --बढ़िया मुक्तक है .आदमी गुड न दे गुड सी बात तो कह दे .

    शब्द संभारे बोलिए ,शब्द के हाथ न पाँव ,

    एक शब्द औषध करे ,एक शब्द करे घाव .

    जन्म दिन मुबारक शाष्त्री जी को .रोशन तुम्ही से दुनिया ,रौनक तुम्ही जहां की सलामत रहो ...

    जवाब देंहटाएं
  19. विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .

    जैसे तुम -प्रतिभा सक्सेना

    जवाब देंहटाएं
  20. विचार और भाव का सशक्त सम्प्रेषण .स्वकेंद्रित आत्म मोह की सशक्त अभिव्यक्ति .हमारे वक्त की एक प्रासंगिक रचना .


    बन्द करके जुगुनुओं को -आशा सक्सेना

    जवाब देंहटाएं

  21. सारा जग चालाक हैं, रखे पूत का ख्याल |
    पहली कक्षा में दिया, चुरा लिया दो साल |
    चुरा लिया दो साल, बहुत आगे की सोंचे |
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे |
    बचे सजा से साफ़, कदाचित हो हत्यारा |
    लास्ट लाउडली लॉफ़, न्याय अन्धा संसारा ||
    मौजू व्यंग्य रचना .
    बीस साल तक छूट, कहीं यदि रेप-खरोंचे -'रविकर'

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत बढ़िया लिंक्स लेकर सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...
    मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार।

    जवाब देंहटाएं
  23. बढ़िया लिंक्स सुन्दर चर्चा,,,,

    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री जी(बड़े भाई ) को जन्मदिन की बहुत२ बधाई शुभकामनाए,,,,,

    RECENT POST बदनसीबी,

    जवाब देंहटाएं
  24. अच्‍छे लिंक्‍स,ग़ाफ़िल जी
    पोस्ट का लिंक शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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