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मंगलवार, फ़रवरी 26, 2013

मंगलवारीय चर्चा (1167) खुदगर्ज़ जमाना होगा


आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , ,आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 
  

                       देखता हूँ ये कैसी मेरी लाचारी है.

                         musafir at पथ का राही


                           टप टप टपा टप टप ....

                    shikha varshney at स्पंदन SPANDAN -

                               कुछ तरस खाइये,

         धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at काव्यान्जलि 



मेरे पापा - डॉ सोनरूपा विशाल

शोभा मिश्रा at फर्गुदिया
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                            भाषा

           MANOJ KAYAL at RAAGDEVRAN





                              फूल खिल रहे हैं

           आशा जोगळेकर at स्व प्न रं जि ता 


                             I/Me/Myself...

                Suresh Kumar at मेरी कल्पनायें.



                                  भी जा.....

                  रश्मि शर्मा at रूप-अरूप



                               प्रीत की डोर

                 Asha Saxena at Akanksha 





        "मेरा एक पुराना संस्मरण" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

         डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक (उच्चारण)


                      तुम उसे कविता क्यों समझ बैठे

               RAJIV CHATURVEDI at Shabd Setu


  

                      जीवन दो का है खेल सदा

                 Anita at मन पाए विश्राम जहाँ 




                                एक मुलाकात

                 रश्मि प्रभा... at परिकल्पना - 



                       जिंदगी

             Yashwant Mathur at जो मेरा मन कहे -


                          रात से गिला क्या है....

                             vandana at वाग्वैभव
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
आगे है..
रविकर का कोना..

15 टिप्‍पणियां:

  1. आज तो पर्याप्त सूत्र हैं पढ़ने के लिए |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार राज कुमारी जी |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर चर्चा -
    आभार आदरेया ||

    जवाब देंहटाएं
  3. हमारी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद!

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच की आज की प्रस्तुति एवं प्रस्तुतिकर्ता को शुभकामनायें ...बहुत सुन्दर प्रयास |

    जवाब देंहटाएं
  5. राजेश जी, बहुत सुंदर लिंक्स से सजा है आज का चर्चा मंच..आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर व्यवस्थित चर्चा लगाईं है. आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  7. संयोजन सेतु चयन खूब सूरत है शुक्रिया हमारी रचना को शामिल करने के लिए .

    जवाब देंहटाएं
  8. आज के हालत का आम आदमी की बे बसी का दर्द लिए है ये गजल -

    कैसे रुकेगा आखिर ,पूछें ये हाकिमों से ,

    भारत के अस्मिता पर ,जो हमला हो रहा है .



    आतंकियों से पूछें, पूछें जेहादियों से इंसानियत का जज़्बा, क्या उन का मर गया है ? यह एक प्रश्‍न है डॉ आज़म का जो आज की ग़ज़ल के रूप में सामने आया है ।
    पंकज सुबीर at सुबीर संवाद सेवा -

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  9. शुक्रिया आपका सगम से सरगमी सोचा हमने भी था लेकिन पूरा यकीन न था खुद पर .बहुत बहुत शुक्रिया ,शब्द कोष में इजाफा किया आपने .रेशम से रेशमी सरगम से सरगमी .शर्बत से शरबती .है न

    (ग़ज़ल) ,कमी तो रहेगी
    Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

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  10. सुंदर लिंक्स के साथ सुंदर चित्र । मेरी रचना इस माला में पिरोने के लिये धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  11. सुंदर लिंकों से सजा है आज का चर्चा मंच,,,,,
    मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार,,,

    कई बार चर्चामंच फीड नही मिलता ,,,पता नही क्यू ...

    जवाब देंहटाएं
  12. सुंदर लिंक हैं सारे...सभी सराहनीय...मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आपका धन्‍यवाद..

    जवाब देंहटाएं

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