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गुरुवार, अगस्त 08, 2013

प्रधानमन्त्री का रोल ( चर्चा - 1331 )

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है 
मैं कड़े शब्दों में पाकिस्तान के कृत्यों की निंदा करता हूँ । अब आगे से ऐसे हमले बर्दाश्त नहीं होंगे । --------- मैं जरा रिहर्सल कर रहा था , क्या भरोसा कभी प्रधानमन्त्री का रोल अदा करना पड़ जाए । वैसे आप भी रिहर्सल कर लीजिए बिलकुल आसान रोल है , बस चुप बैठे रहना होता है और कभी-कभार ये बोलना होता है । आप कर लेंगे यकीनन । 
चलते हैं चर्चा की ओर 
उच्चारण
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आज की चर्चा में बस इतना ही 
धन्यवाद 

21 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बोले सो निहाल,,,,
    आदरणीय आभासी प्रधान मंत्री को नमन
    अच्छे लिंक्स दिये आपने

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. आपकी महनत से हमें एक स्थान पर बहुत सी लिंक्स मिल जाती हैं |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर और व्यापक चर्चा!
    आभार भाई विर्क जी आपका।

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा हमेशा ही होती है एक सुंदर चर्चा
    आज की चर्चा उसकी एक कडी़ है
    मयंक के कोने की खल रही कमी है
    आभार उल्लूक भी दिख रहा कहीं है !

    जवाब देंहटाएं
  5. बढ़िया लिंक्स
    सुंदर चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बिलकुल सही कहा, वाकई आसान है। बहरहाल अच्छी चर्चा रही!!!

    जवाब देंहटाएं
  7. आदरणीय दिलबाग जी पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा
    मेरी रचना को चर्चा मंच पर लगाने के लिए आभार
    गुरु जी को प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  8. "मैं जरा रिहर्सल कर रहा था , क्या भरोसा कभी प्रधानमन्त्री का रोल अदा करना पड़ जाए ।"

    अच्छा तभी तो कहूं कि आजकल विर्क जी हरवक्त जनपथ पे ही मंडराते क्यों नजर आते है :)

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सही ---यहि आशा अटक्यो रहै, अलि गुलाब के मूल....

      हटाएं
  9. सुंदर चर्चा प्रस्तुति
    आभार!

    जवाब देंहटाएं
  10. शु्क्रिया बच्चन से जुड़ी मेरी प्रविष्टि को यहाँ स्थान देने के लिए !

    जवाब देंहटाएं
  11. अच्छी चर्चा है...गोदियाल जी की इच्छा-आशा फलीभूत हो....

    जवाब देंहटाएं
  12. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  13. आज सवा दो मॉस के बाद अपने प्रिय चर्चा मंच पर आ कर कृतार्थ हो सका हूँ |थोड़ा बहुत उंगलियाँ चलने लगी हैं |
    अथ, आज के चर्चा मंच में लगभग सभी रचनाओं के शीर्षक ज्वलंत समस्याओं को ले कर हैं | वास्तव में लेखनी की क्रान्ति महत्वपूर्ण है |
    इस चर्चा मंच के सफल प्रस्तुतीकरण हेतु भाई दिलाबाग विर्क को कूटी कोटि वधाइयां-धन्यवाद मेरी रचना को स्थान देने हेतु !

    जवाब देंहटाएं

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