मुद्रा हुई रसातली, भोगें नरक करोड़-
रविकर
आभार !कालीपद प्रसाद
मेरे विचार मेरी अनुभूति
सर जी मंगल कामना, मना हर्ष उल्लास | दौहित्री सह पौत्र का, आना आये रास | आना आये रास, हुवे खुश बाबा नाना | ख़त्म हुआ अवकाश, व्यस्त हो गया जमाना | खेले कूदें साथ, चले अब अपनी मर्जी- पकड़ हाथ में हाथ, मजे से घूमो सरजी |
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भारतीय जनता की सहनशक्ति अब जवाब दे रही है
S.K. Jha
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गधा सम्मेलन - 2013 के आयोजन की सूचना
ताऊ रामपुरिया
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प्रेम को कौन कब समझ सका है....
Amrita Tanmay
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जानिये क्या व कैसे होता है डायबिटीज (मधुमेह) रोग.
Sushil Bakliwal
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जो दिल उदास हो ....
Dr (Miss) Sharad Singh
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अब लोगों को इंटरनेट से कॉल करने की आजादी मिल गई है।
DR. ANWER JAMAL
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राम से बड़ा राम का नाम
shyama arora
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आभार !
कालीपद प्रसाद
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वो माँ की आँखें थी
शिवनाथ कुमार
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पाकिस्तानी सीज फायर !!
Bamulahija dot Com
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अनुपमा पाठक
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भूखAnita |
श्रीमद्भागवत गीता (श्लोक ५१ -५५ )
Virendra Kumar Sharma
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जिन्दगी बस प्यार है
श्यामल सुमन
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अब कौन पढ़ाए…?
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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ग़ज़ल (बहुत मुश्किल )मदन मोहन सक्सेना की ग़ज़लें | बरसात और शादीGhotoo |
मेरे पास कोई स्याहीसोख नहीं...
रश्मि शर्मा
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मयंक का कोना
-- गुणवत्ता वर्ष का काम पानी में बहा.... सत्यमेव जयते ! ... (?) -- तुलसीदास -- जब लग नाता जगत का ,तब लग भगति न होय , नाता तोड़े हर भजे ,भगत कहावे सोय. -- साधु कहावत कठिन है , लम्बा पेड़ खजूर , चढ़े तो चाख्ये प्रेम रस ,गिरे तो चकनाचूर। आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma -- मैं तो कोई दुर्वासा नहीं, जो श्राप दे दूंगा परन्तु जानने वाले जानते हैं कि इसका परिणाम कितना भयंकर होता है प्यारे दोस्तों ! बात कुछ कड़वी है, परन्तु लिखना ज़रूरी है इसलिए लिख रहा हूँ . कवि-सम्मेलनों में तो कुछ ऐसे लोग सक्रिय हैं ही जो कि अन्य कवियों की हास्य रचनाएं उनकी अनुपस्थिति में सुना देते हैं क्योंकि वहां माला और माल दोनों मिलते हैं परन्तु ब्लॉगजगत और फेसबुक में तो न कोई पेमेन्ट मिलता है नहीं तालियाँ ...........तो फिर चोरी क्यों ... Hasya Kavi Albela Khatri -- पुरस्कार में दोयम दर्जें के लेखकों की भरमार :वीरेन्द्र यादव लो क सं घ र्ष ! -- शब्दों की तलाश … झरोख़ापरनिवेदिता श्रीवास्तव -- "मोबाइल"
बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"मोबाइल"
नन्हे सुमन-- "चले थामने लहरों को"
चौकीदारी मिली खेत की, अन्धे-गूँगे-बहरों को।
चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।।
घात लगाकर मित्र-पड़ोसी, धरा हमारी लील रहे,
पर बापू के मौन-मनस्वी, देते उनको ढील रहे,
बोल न पाये, ना सुन पाये, ना पढ़ पाये चेहरों को।।
चोटी पर बैठे मचान की, लगा रहे हैं पहरों को।।
उच्चारण |
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंआभार रविकर भाई
सादर
रविकर "लिंक-लिक्खाड़"
जवाब देंहटाएंचर्चा गजब की होती है
खूबसूरत अंदाज में
उसकी मयंक के कोने
से जुगलबंदी जब होती है !
बहुत बढ़िया चर्चा भाई रविकर जी।
जवाब देंहटाएंआप सब चर्चाकारों के बल पर ही तो आज चर्चा मंच नम्बर-1 पर है।
आभार।
waah bahut sundar links . anand aa gaya ,sach kaha chacha ji charcha manch jaisa koi nahi , ham is parivar me yah sah bhav hi behas sukhad hai .sadar
हटाएंसच! इस सम्मानीय मंच की बात ही कुछ और है..आभार..
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
हटाएंबहुत ही बढ़िया लगे आज के लिंक्स...सभी लेखकों को और आपको हार्दिक बधाई/शुभकामनाएँ!!
जवाब देंहटाएंसादर/सप्रेम,
सारिका मुकेश
प्रासंगिक एवं बहु मुखी सेतु समेटे बेहतरीन चर्चा। शुक्रिया हमारे सेतु को खपाने का। हमें यहाँ बिठाने का।
जवाब देंहटाएंप्रासंगिक एवं बहु मुखी सेतु समेटे बेहतरीन चर्चा। शुक्रिया हमारे सेतु को खपाने का। हमें यहाँ बिठाने का। चर्चा तो चर्चा रही परिचर्चा कोना होय।
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा, बहुत सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
हटाएं
जवाब देंहटाएंचर्चा तो चर्चा रही ,परिचर्चा कोना होय
रविकर बैठें हों जहां ,निशा उजेरा (सोजरा )होय।
यह जो निगूढ़ नाद है
जवाब देंहटाएंन मालूम कबसे चल रहा है
हो-न-हो दो बिछुड़े शून्यों में
अश्लेष अर्थ-सा पल रहा है !
आत्मा और परमात्मा अलग रहे बहु -काल,……
प्रेम में खोना ही पाना है।
तू मुझमें है मैं तुझमे हूँ।
प्रेम को कौन कब समझ सका है....
Amrita Tanmay
Amrita Tanmay
बढिया चर्चा, बहुत सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंकसके धो कर रख दिया, पूरा दिया निचोड़ |
जवाब देंहटाएंमुद्रा हुई रसातली, भोगें नरक करोड़ |
भोगें नरक करोड़ , योजना बनी लूट की |
पाई पाई जोड़, गरीबी लगा टकटकी |
पर पाए ना लाभ, व्यवस्था देखे हँस के |
मोदी पर संताप, मचाती सत्ता कसके ||
जवाब नहीं इस लिखाड़ी का .
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआभार!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका आपकी टिप्पणियों के लिए प्रभु का अनुकम्पा के लिए। मुबारक धेवताई।
आभार !
कालीपद प्रसाद
मेरे विचार मेरी अनुभूति
जो दिल उदास हो , सब कुछ उदास लगता है ,
जवाब देंहटाएंनमी हो आँख में ,तो खाब भी सुलगता है।
न आस हो मिलने की ,प्यार भी खटकता है।
बहुत सशक्त रचना है। बधाई। विरह चित्र को दो शब्दों में बाँधना -
हैरत से कम नहीं ,तू मिले न मिले गम नहीं।
जो दिल उदास हो ....
Dr (Miss) Sharad Singh
Sharad Singh
ये सब का भाग्य विधाता है ,
जवाब देंहटाएंनन्ना सा सेल हमारा है।
ये फ़ो टू भी दिखलाता है ,
गाने भी खूब सुनाता है।
अति उत्तम रचना है ये :
रोज सुबह को मुझे जगाता,
मोबाइल कहलाता है।
दूर-दूर तक बात कराता,
सही समय बतलाता है।।
एक बालकविता
"मोबाइल"
पापा ने दिलवाया मुझको,
मोबाइल इक प्यारा सा।
मन-भावन रंगों वाला,
यह एक खिलौना न्यारा सा।।
नन्हे सुमन
बहुत सुंदर लिंक्स
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सामिल किये ,आपका आभार
बहुत बढ़िया चर्चा भाई.
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंसादर आभार !
चर्चा के सुन्दर सूत्र !!
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर कल पहली चर्चा में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
जवाब देंहटाएंभाग्य में यह सब भी देखना लिखा था। सुन्दर सूत्र संकलन
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद आपका ..........
जवाब देंहटाएंबहुत - बहुत धन्यवाद आपका ..........
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सजाई है आपने.....मेरी रचना शामिल करने का शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंनेटवर्क की सुविधा से लम्बे समय से वंचित रहने की कारण आज विलम्ब से उपस्थित हूँ !
जवाब देंहटाएंभाद्र पट के आगमन की वधाई !!
अच्छे चर्चा-संयोजन के लिये वधाई !!
रविकर जी, देरी से आने के लिए खेद है, आभार !
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