आज सड़सठवीं आजादी का दूसरा दिन
कुछ भी लिख सकती हूँ
और....
पढ़ भी सकती हूँ कुछ भी
चलिये चलें...कुछ पढ़ें
कुछ भी लिख सकती हूँ
और....
पढ़ भी सकती हूँ कुछ भी
चलिये चलें...कुछ पढ़ें
जाँ पे खेला बचाया है तुमने वतन
आज करता हूँ मैं देशभक्तों नमन
आज करता हूँ मैं देशभक्तों नमन
मातृभूमि तूने दिया बहुत
किन्तु हाथ बंधे हैं मेरे
किन्तु हाथ बंधे हैं मेरे
आज़ादी अभी अधूरी है !
क्या बधाई दें ?
क्या बधाई दें ?
टूटते हैं कांच के बर्तन,
फिर भी बचा रहता है कुछ
फिर भी बचा रहता है कुछ
भारत माँ का आर्तनाद
मुझे लगता है मेरे नसीब में
अब सिर्फ पत्थर ही पत्थर लिखे हैं !
मुझे लगता है मेरे नसीब में
अब सिर्फ पत्थर ही पत्थर लिखे हैं !
तराजू के दो पलड़ों सी हो गई है जिंदगी.
एक में संवेदनाएं है दूसरे में व्यावहारिकता॥
एक में संवेदनाएं है दूसरे में व्यावहारिकता॥
मैं नहीं चाहता
कोई मेरा हाल पूछे
कोई मेरा हाल पूछे
सुन नापाक पाक......
बहनो का सिंदूर छीना है
नक्शे से मिट जायेगा नाम
बहनो का सिंदूर छीना है
नक्शे से मिट जायेगा नाम
अकेले चले थे........
भीड़ अजनबियों का नहीं भाता है मन को !!
भीड़ अजनबियों का नहीं भाता है मन को !!
तमन्नाओं के बाज़ार में
अब पूरी तरह मुफलिस हो गया
एक बूढ़ी औरत
एक वक्त की रोटी भी नसीब नहीं जिसको
हाथ बाए खड़ी है चौराहे पर
माँ, तुम यहीं रुको, मैं बस अभी आया |
रोज़-ब-रो़ज़ यूं,
थोड़ा सा तुम्हारा प्रेम खरीदता हूं.
गलती हो गई...?
कुछ बुरा हुआ क्या...?
अब पूरी तरह मुफलिस हो गया
एक बूढ़ी औरत
एक वक्त की रोटी भी नसीब नहीं जिसको
हाथ बाए खड़ी है चौराहे पर
माँ, तुम यहीं रुको, मैं बस अभी आया |
रोज़-ब-रो़ज़ यूं,
थोड़ा सा तुम्हारा प्रेम खरीदता हूं.
गलती हो गई...?
कुछ बुरा हुआ क्या...?
इजाजत चाहती है यशोदा
जारी है मयंक दा का कोना
(1)
ये कहाँ आ गए हम…. !
*लुंठक, बटमारों के हाथ में, आज मेरा देश है,
गणतंत्र बेशक बन गया,स्वतंत्र होना शेष है...
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
(2)
चित्रात्मक कहानी ---- जल्दबाज कालू
JHAROKHA
(3)
आज तलाश पूरी हुई
तुम्हें क्या लगता है मैं वापस उस जगह नहीं गया जहाँ आशियाना था तुम्हारा और मंदिर का रास्ता गुजरता था ठीक तुम्हारे घर के सामने से । हाँ, मैं तब कुछ ज्यादा ही धार्मिक हुआ करता था या कहें, धार्मिक बन गया था; मेरा मंदिर, पूजालय तो मंदिर से कुछ पहले ही था, मंदिर तो जाता था चंद मन्नतें माँगने के लिए, हाँ, खुदगर्जी तो थी ही क्या करें, उम्र ही ऐसी थी....
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 'सलिल'
(4)
"सर्वगुण संपन्न' की मोहर लगवा
कोई नहीं देखेगा हरा है या भगवा !
क्रिकेट हो फुटबाल हो बैडमिंटन हो या किसी और तरीके का खेल हो साँस्कृतिक कार्यक्रमों की पेलम पेल हो टीका हो या चंदन हो नेता जी का अभिनन्दन हो सभी जगह पर 'सर्वगुण संपन्न' की मोहर माथे पर लगे हुओं को ही मौका दिया जाता है.....
उल्लूक टाईम्स पर सुशील
(5)
मोदी के भाषण में ही था प्रधानमंत्री का रंग !
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(6)
आज़ादी के हाइकु
वीथी पर sushila
(7)
"चले देखने मेला"
(8)
मुफ़लिसी में अपार...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
(9)
‘‘बन्दी‘‘बन्दी है आजादी अपनी’’
नीचे से लेकर ऊपर तक, भ्रष्ट-आवरण चढ़ा हुआ,
(10)
अब जोश दिलों में भंग न हो.…।
जय भारत के वीर जवानों आजादी के मस्तानो अब जोश दिलों में भंग न हो।
नव भारत में नयी दिशाएं मिट जाएँ काली निशायें घर घर में फैले उजियारा फिर खुशियों की बहे हवाएं
प्रातः की नयी किरणों में आतंक का बेरंग न हो, अब जोश दिलों में भंग न हो।...
sapne(सपने) पर shashi purwar
(11)
"दो और दो पांच" में पहुंची वाणी शर्मा !
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
जारी है मयंक दा का कोना
(1)
ये कहाँ आ गए हम…. !
*लुंठक, बटमारों के हाथ में, आज मेरा देश है,
गणतंत्र बेशक बन गया,स्वतंत्र होना शेष है...
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत"
(2)
चित्रात्मक कहानी ---- जल्दबाज कालू
JHAROKHA
(3)
आज तलाश पूरी हुई
तुम्हें क्या लगता है मैं वापस उस जगह नहीं गया जहाँ आशियाना था तुम्हारा और मंदिर का रास्ता गुजरता था ठीक तुम्हारे घर के सामने से । हाँ, मैं तब कुछ ज्यादा ही धार्मिक हुआ करता था या कहें, धार्मिक बन गया था; मेरा मंदिर, पूजालय तो मंदिर से कुछ पहले ही था, मंदिर तो जाता था चंद मन्नतें माँगने के लिए, हाँ, खुदगर्जी तो थी ही क्या करें, उम्र ही ऐसी थी....
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 'सलिल'
(4)
"सर्वगुण संपन्न' की मोहर लगवा
कोई नहीं देखेगा हरा है या भगवा !
क्रिकेट हो फुटबाल हो बैडमिंटन हो या किसी और तरीके का खेल हो साँस्कृतिक कार्यक्रमों की पेलम पेल हो टीका हो या चंदन हो नेता जी का अभिनन्दन हो सभी जगह पर 'सर्वगुण संपन्न' की मोहर माथे पर लगे हुओं को ही मौका दिया जाता है.....
उल्लूक टाईम्स पर सुशील
(5)
मोदी के भाषण में ही था प्रधानमंत्री का रंग !
आधा सच...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(6)
आज़ादी के हाइकु
वीथी पर sushila
(7)
"चले देखने मेला"
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता"चले देखने मेला"
नन्हे सुमन
हाथी दादा सूँड उठाकर
चले देखने मेला!
बंदर मामा साथ हो लिया
बंदर मामा साथ हो लिया
बनकर उनका चेला!
(8)
मुफ़लिसी में अपार...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
(9)
‘‘बन्दी‘‘बन्दी है आजादी अपनी’’
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
नीचे से लेकर ऊपर तक, भ्रष्ट-आवरण चढ़ा हुआ,
झूठे, बे-ईमानों से है, सत्य-आचरण डरा हुआ,
दाल और चीनी भरे पड़े हैं, तहखानों भण्डारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
उच्चारण(10)
अब जोश दिलों में भंग न हो.…।
जय भारत के वीर जवानों आजादी के मस्तानो अब जोश दिलों में भंग न हो।
नव भारत में नयी दिशाएं मिट जाएँ काली निशायें घर घर में फैले उजियारा फिर खुशियों की बहे हवाएं
प्रातः की नयी किरणों में आतंक का बेरंग न हो, अब जोश दिलों में भंग न हो।...
sapne(सपने) पर shashi purwar
(11)
"दो और दो पांच" में पहुंची वाणी शर्मा !
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
सुन्दर, रोचक, पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंयशोदा बहन जी!
जवाब देंहटाएंशुक्रवार की चर्चा में आपने उपयोगी और पठनीय लिंकों का समावेश किया है।
आभार आपका!
बहुत सुंदर रोचक सूत्र ,,,
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
अच्छे लिंक्स, बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमयंक का कोना में मुझे भी स्थान देने के लिए आभार
धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा, आभार आपका !
जवाब देंहटाएंnice links
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआभार मयंक जी का
जवाब देंहटाएंउल्लूक टाईम्स की पोस्ट
"सर्वगुण संपन्न' की मोहर लगवा
कोई नहीं देखेगा हरा है या भगवा !
को आज की खूबसूरत चर्चा के
मयंक के कोने में जगह देने के लिये !
़़़़़़़़़़़़़़
बेईमान होना तो आज
सोने में सुहागा होता है
अकेला नहीं काटता है चाँदी
पूरा गिरोह होता है और
उसका बंटवारा होता है
जिससे ये सब हो नहीं
है पाता आज के जमाने में
उससे जमाने को ही
कर लेना किनारा होता है !
स्वतंत्रता दिवस की सभी मित्रों को हार्दिक शुभकामनायें ! भारत माँ के आर्तनाद को इस चर्चा में आपने स्वर दिया आभारी हूँ यशोदा जी ! सभी सूत्र बहुत अच्छे हैं !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंBAHUT HI SUNDAR RACHNAYEN EKTRIT KI HAIN JI AAPNE ...!!
जवाब देंहटाएंBY :- " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG , READ , SHARE AND COMMENT ON IT DAILY ...!!
sundar links...
जवाब देंहटाएंआभार सखी ,यहाँ तक मुझे भी लाने के लिए ...
जवाब देंहटाएंऔर अच्छे अच्छे लिंक्स पढवाने के लिए दिल से आभार,धन्यवाद !
अच्छे सूत्र
जवाब देंहटाएंउम्दा चुनाव के लिये हम आपके मश्कूर हैं.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर लिंकस का समावेश किया है ,सभी रचनाये खास लगी ,प्यारी बहन यशोदा शुभकामनाये ,
जवाब देंहटाएंचाचा जी मयंक मे स्थान देने के लिये आभार . पूरे परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
सुंदर चर्चा, आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रोचक सूत्र
जवाब देंहटाएंमेरी रचना ''मुफ़लिसी में अपार दौलतो...................''को शामिल करने का आभार । जिन्हे यह रचना पसंद आई हो उनका धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं