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मंगलवार, अगस्त 27, 2013

मंगलवारीय चर्चा ---1350--जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है

 एक अन्तराल के बाद फिर हाजिर हूँ आप की सेवा में इन पंक्तियों के साथ
उतरी रेल को पटरी पर आने में वक़्त लगता है
दूर कहीं मंजिल तो वहां जाने में वक़्त लगता है
कहो क्यूँ किस लिए किस बात की आपा धापी?
रुकी जिंदगी को रफ़्तार पाने में वक़्त लगता है
आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर 
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मन मोम है और आँखें झील...

रश्मि शर्मा at रूप-अरूप

हर तस्वीर अधूरी है

नीरज गोस्वामी at नीरज

कौन किसे सम्मानित करता,खूब जानते मेरे गीत -सतीश सक्सेना

सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! - 

साक्षी हो तुम !

प्रतिभा सक्सेना at शिप्रा की लहरें

नाकारा हु
क्मरान ...

उदय - uday at कडुवा सच

सोच नफा-नुक्सान, हुवे खुश दोनों खेमे-

चलें मूल की ओर

बिन पहियों का रथ!

अनुपमा पाठक at अनुशील

"फेक -स्टिंग - ऋचा " (अनीता राठी जी की कहानी)

मुझे पंख चाहिए

रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें... 

दो और दो पांच में फ़ंसे दिगंबर नासवा

ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन 

उल्फ़त की नई मंज़िल को चला,तू बाँहें डाल के बाँहों में…क़तील शिफ़ाई

डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan)

junbishen 63

Munkir at Junbishen

Untitled

सतीश जायसवाल at सतीश का संसार

अगर अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत - नवीन

NAVIN C. CHATURVEDI at ठाले बैठे

जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है---

डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन

"खरगोश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण 
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
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"मयंक का कोना" अद्यतन लिंक
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My Photo
 नदी अकेली नहीं बहती साथ बहता है उसका कौमार्य नदी का प्रस्फुटन उसके प्रेम का प्रस्फुटन होता है नीला रंग नदी का रंग नहीं वो आसमान का पागलपन है, नदी के प्रति संगीत नदी का अंतर्मन है जो मछली कहलाता है सूर्य शान्ति की ख़ोज में निकला एक साधू सूर्यास्त उसका समर्पण...
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित

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आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma 

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Abhilasha
Abhilasha पर नीलिमा शर्मा

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सरोकार
जब ढेरो महिलाएं मूंह अँधेरे 

जाती हैं झुण्ड बनाकर 
खुले में शौच,  
देश की राजधानी में 
पब से लौट रही होती हैं 
महिलाएं 
रात भर के जगरने के बाद 
बाँट कर दारु आदि आदि 
दोनों ओर महिलाएं 
इसी देश की हैं...

सरोकार पर अरुण चन्द्र रॉय 

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हवा खुशनुमा वादियाँ भी हसीं हैं , 
तुझे याद करने को दिल चाहता है। 
मेरा आज सब दूरियों को मिटाकर , 
तेरे पास आने को दिल चाहता है...

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ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया

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 'धरा के रंग' से एक गीत
"सावन आया"
रिम-झिम करता सावन आया।
शीतल पवन सभी को भाया।।

उगे गगन में गहरे बादल,
भरा हुआ जिनमें निर्मल जल,
इन्द्रधनुष ने रूप दिखाया।

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My Photo
हर इन्सां परदे में है, बिन परदे का यहाँ कोई नहीं 
रंग-बिरंगे, मोटे-झीने, परदे तो न जाने कितने हैं ..
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा

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अंग्रेजों के चंगुल से तो,
भारत माँ आजाद हो गयी!
लेकिन काले अंग्रेजों के,
जुल्मों से नाशाद हो गयी।।

आज वाटिका के माली के,
कपड़े उजले, दिल हैं काले,
मसल रहे भोले सुमनों को,
बनकर ये हाथी मतवाले,
आजादी की उत्कण्ठा अब,
कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!

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मास्साब मिले पर बहुत ही दिनों के बाद हुई नमस्कार पूछने लगा उनके हाल चाल मोटे ताजे बहुत नजर आ रहे हो मतलब बीमारी से निपट के तो नहीं आ रहे हो जरूर कहीं एल टी सी पर घूम घाम कर आ रहे हो अरे नहीं बस कुछ तैय्यारी में लगा हुआ हूँ इसलिये कहीं भी नहीं जा रहा हूँ अडो़स पडो़स की शादी में भी बीबी को भिजवा रहा हूँ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi

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27 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत रुचिकर और चुनी हुई चर्चा रही -मेरा आभाप स्वीकारें !

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  2. बहुत सुन्दर और पठनीय लिंकों के साथ विस्तृत चर्चा।
    --
    लम्बे अन्तराल के बाद आपकी चर्चा बँचने को मिली।
    --
    बहन राजेश कुमारी जी आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर...आभार।

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है ये एक सामूहिक ब्लॉग है। कोई भी इनका चर्चाकार बन सकता है। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल का उदेश्य कम फोलोवर्स से जूझ रहे ब्लॉग्स का प्रचार करना एवं उन पर चर्चा करना। यहॉ भी आमंत्रित हैं। आप @gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक चर्चाकार का हृद्य से स्वागत है। सादर...ललित चाहार

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  4. एक से बढ़कर एक
    सूत्रो की सुंदर माला
    चर्चा मंच को आज
    कुछ यूँ सजा डाला
    आभारी है 'उल्लूक'
    आदरणीय मयंक का
    चर्चा के दिल के कोने में
    ला कर है जो डाला !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर सार्थक पठनीय सूत्र आभार राजेश जी

    जवाब देंहटाएं
  6. जनवरी २००५
    हमें चिंता से चिन्तन की ओर जाना है, चिंता नश्वर की होती है, चिन्तन शाश्वत का होता है. अपने भीतर छिपे उस तत्व को प्रकट करना है. देह जड़ है, मन, बुद्धि भी जड़ है जड़ का चिन्तन हमें जड़ बना देता है, संवेदनशीलता खो जाती है, बुराई के प्रति हम आँख मूंद लेते हैं. चेतन का चिन्तन सदा प्रकाश से भर देता है, आगे बढ़ने की एक ललक, एक प्यास, एक तड़प, एक अग्नि भीतर जलती रहती है. उसी के प्रकाश से फिर जड़ भी दिव्यता को प्राप्त हो जाता है. मन भावों को जन्म देता है, भीतर एक गीलापन उगता है, जो हमें अपने मूल स्वभाव की ओर ले जाता है.

    मैं आत्मा हूँ -एक चैतन्य ऊर्जा ,एनर्जी इन एक्शन ज्योति बिंदु स्वरूप हूँ। मैं शरीर नहीं हूँ। शरीर मेरा है। मैं परमात्मा का दिव्य स्वरूप हूँ।उसी का वंश हूँ। ॐ शान्ति। बेहतरीन पन्ने डायरी के अनिताजी की।

    जवाब देंहटाएं
  7. बड़े फलक बड़े कैनवैस का रहा चर्चा मंच सेतु एवं संयोजन उल्लेख्य रहा। आभार हमें संयोजित करने के लिए शाष्त्री जी का राजेश कुमारी जी का। ॐ शान्ति।

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  8. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ यथार्थ नामा। पूरी रचना अप्रतिम है भावों के उद्वेगों से संसिक्त है।

    आजादी की उत्कण्ठा अब,
    कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
    भारत माँ आजाद हो गयी!!

    जवाब देंहटाएं

  9. रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पियेंगे।
    बे चारे कबीर को कहाँ इल्म था एक दिन ये चना चबेना भी खुद ही चाब जायेंगे।

    कार्टून
    लला, खाद्य सुरक्षा से तो लार टपकने लगी

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  10. खेत धान से धानी-धानी,
    घर मे पानी बाहर पानी,
    मेघों ने पानी बरसाया।
    अति सुन्दर बरसात हुई।

    रिम-झिम करता सावन आया।
    शीतल पवन सभी को भाया।।

    उगे गगन में गहरे बादल,
    भरा हुआ जिनमें निर्मल जल,
    इन्द्रधनुष ने रूप दिखाया।

    जवाब देंहटाएं
  11. भावना आपकी अच्छी है यथार्थ कड़वा है यहाँ अमरीका जैसे विकसित राष्ट्रों में (मैं अमरीका के बारे में ज्यादा जानता हूँ साल में चार -पांच महीने यहाँ रहना हो जाता है )बड़ों के लिए एकल सीनियर सिटिज़न होम्स हैं जहां नर्सिंग खुद चलके आपके द्वारे आती है। न्यूनतम ६०० डालर की राशि सबको मिलती है हैसियत के हिसाब से इससे कहीं ज्यादा भी मिलती है। 24 x 7 देखभाल मिलती है। खाना पका पकाया। भारत में एक जगह बतला दो ऐसी। ख़ुशी होगी मुझे बहुत ज्यादा। गलत फहमी भी दूर हो जायेगी। न्यूक्लीयर फेमिलीज़ आर दी मोस्ट अन -क्लीयर फेमिलीज़।

    इसकी मिटटी उठे तो एक कमरा खाली हो यही भाव मिलेगा ज्यादा त र जगहों पर। उम्र दराज़ लोगों के प्रति मेरे भारत में।

    जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है---
    डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन

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  12. राजेश जी, बहुत सुंदर चर्चा ! आभार !

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  13. very nice presentation rajesh kumari ji .happy janam ashtmi to all.

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  14. Bahut Sarahniy prayaas...jitni tariif ki jaay kam hai. Mere blog ka jikr karne par aapka tahe dil se shukriya. Sneh Banaye rakhen.

    Neeraj

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  15. सुन्दर चर्चा
    बढ़िया सूत्र-
    आभार दीदी

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  16. बहुत सुन्दर... मेरी पोस्ट को भी सामिल किया आभार।

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  17. बहुत सुंदर चर्चा मंच सजाया है आपने...मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आभार..

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  18. रोचक और पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा..

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  19. आप सभी दोस्तों का हार्दिक आभार श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां

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  20. सुन्दर लिनक्स ...आप सबका शुक्रिया

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