एक अन्तराल के बाद फिर हाजिर हूँ आप की सेवा में इन पंक्तियों के साथ
उतरी रेल को पटरी पर आने में वक़्त लगता है
दूर कहीं मंजिल तो वहां जाने में वक़्त लगता है
कहो क्यूँ किस लिए किस बात की आपा धापी?
रुकी जिंदगी को रफ़्तार पाने में वक़्त लगता है
आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
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मन मोम है और आँखें झील...
रश्मि शर्मा at रूप-अरूप
हर तस्वीर अधूरी है
नीरज गोस्वामी at नीरज
कौन किसे सम्मानित करता,खूब जानते मेरे गीत -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना at मेरे गीत ! -
साक्षी हो तुम !
प्रतिभा सक्सेना at शिप्रा की लहरें
नाकारा हु
क्मरान ...
उदय - uday at कडुवा सच
सोच नफा-नुक्सान, हुवे खुश दोनों खेमे-
रविकर at "लिंक-लिक्खाड़"
चलें मूल की ओर
Anita at डायरी के पन्नों से
बिन पहियों का रथ!
अनुपमा पाठक at अनुशील
"फेक -स्टिंग - ऋचा " (अनीता राठी जी की कहानी)
Yash want at जो मेरा मन कहे
मुझे पंख चाहिए
रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
दो और दो पांच में फ़ंसे दिगंबर नासवा
ताऊ रामपुरिया at ताऊ डाट इन
उल्फ़त की नई मंज़िल को चला,तू बाँहें डाल के बाँहों में…क़तील शिफ़ाई
डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan)
आज के दौर में-2
Dr. Sarika Mukesh at अंतर्मन की लहरें Antarman Ki Lehren
junbishen 63
Munkir at Junbishen
Untitled
सतीश जायसवाल at सतीश का संसार
अगर अपना समझते हो तो फिर नखरे दिखाओ मत - नवीन
NAVIN C. CHATURVEDI at ठाले बैठे
जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है---
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
"खरगोश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
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"मयंक का कोना" अद्यतन लिंक
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नदी अकेली नहीं बहती साथ बहता है उसका कौमार्य नदी का प्रस्फुटन उसके प्रेम का प्रस्फुटन होता है नीला रंग नदी का रंग नहीं वो आसमान का पागलपन है, नदी के प्रति संगीत नदी का अंतर्मन है जो मछली कहलाता है सूर्य शान्ति की ख़ोज में निकला एक साधू सूर्यास्त उसका समर्पण...
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित
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Abhilasha पर नीलिमा शर्मा
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जब ढेरो महिलाएं मूंह अँधेरे
जाती हैं झुण्ड बनाकर
खुले में शौच,
देश की राजधानी में
पब से लौट रही होती हैं
महिलाएं
रात भर के जगरने के बाद
बाँट कर दारु आदि आदि
दोनों ओर महिलाएं
इसी देश की हैं...
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हवा खुशनुमा वादियाँ भी हसीं हैं ,
तुझे याद करने को दिल चाहता है।
मेरा आज सब दूरियों को मिटाकर ,
तेरे पास आने को दिल चाहता है...
मोहब्बत नामा पर Aamir Dubai
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ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया
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"सावन आया"
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हर इन्सां परदे में है, बिन परदे का यहाँ कोई नहीं
रंग-बिरंगे, मोटे-झीने, परदे तो न जाने कितने हैं ..
रंग-बिरंगे, मोटे-झीने, परदे तो न जाने कितने हैं ..
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
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अंग्रेजों के चंगुल से तो,
भारत माँ आजाद हो गयी!
लेकिन काले अंग्रेजों के,
जुल्मों से नाशाद हो गयी।।
आज वाटिका के माली के,
कपड़े उजले, दिल हैं काले,
मसल रहे भोले सुमनों को,
बनकर ये हाथी मतवाले,
आजादी की उत्कण्ठा अब,
कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
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मास्साब मिले पर बहुत ही दिनों के बाद हुई नमस्कार पूछने लगा उनके हाल चाल मोटे ताजे बहुत नजर आ रहे हो मतलब बीमारी से निपट के तो नहीं आ रहे हो जरूर कहीं एल टी सी पर घूम घाम कर आ रहे हो अरे नहीं बस कुछ तैय्यारी में लगा हुआ हूँ इसलिये कहीं भी नहीं जा रहा हूँ अडो़स पडो़स की शादी में भी बीबी को भिजवा रहा हूँ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
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बहुत रुचिकर और चुनी हुई चर्चा रही -मेरा आभाप स्वीकारें !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और पठनीय लिंकों के साथ विस्तृत चर्चा।
ReplyDelete--
लम्बे अन्तराल के बाद आपकी चर्चा बँचने को मिली।
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बहन राजेश कुमारी जी आपका आभार।
बहुत सुन्दर...आभार।
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} पर किसी भी प्रकार की चर्चा आमंत्रित है ये एक सामूहिक ब्लॉग है। कोई भी इनका चर्चाकार बन सकता है। हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल का उदेश्य कम फोलोवर्स से जूझ रहे ब्लॉग्स का प्रचार करना एवं उन पर चर्चा करना। यहॉ भी आमंत्रित हैं। आप @gmail.com पर मेल भेजकर इसके सदस्य बन सकते हैं। प्रत्येक चर्चाकार का हृद्य से स्वागत है। सादर...ललित चाहार
हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच} की पहली चर्चा हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-001 में आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। कृपया पधारें, आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | सादर .... Lalit Chahar
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक
ReplyDeleteसूत्रो की सुंदर माला
चर्चा मंच को आज
कुछ यूँ सजा डाला
आभारी है 'उल्लूक'
आदरणीय मयंक का
चर्चा के दिल के कोने में
ला कर है जो डाला !
सुन्दर सार्थक पठनीय सूत्र आभार राजेश जी
ReplyDeleteखूब बढ़िया पठनीय लिंक्स,सुंदर चर्चा
ReplyDeleterecent post
किसी भी साईट से विडियो डाउनलोड करने का एक बहुत बढ़िया एक्सटेंशन
sundar links ....
ReplyDeleteThanks you very much shastri ji.
ReplyDeleteजनवरी २००५
ReplyDeleteहमें चिंता से चिन्तन की ओर जाना है, चिंता नश्वर की होती है, चिन्तन शाश्वत का होता है. अपने भीतर छिपे उस तत्व को प्रकट करना है. देह जड़ है, मन, बुद्धि भी जड़ है जड़ का चिन्तन हमें जड़ बना देता है, संवेदनशीलता खो जाती है, बुराई के प्रति हम आँख मूंद लेते हैं. चेतन का चिन्तन सदा प्रकाश से भर देता है, आगे बढ़ने की एक ललक, एक प्यास, एक तड़प, एक अग्नि भीतर जलती रहती है. उसी के प्रकाश से फिर जड़ भी दिव्यता को प्राप्त हो जाता है. मन भावों को जन्म देता है, भीतर एक गीलापन उगता है, जो हमें अपने मूल स्वभाव की ओर ले जाता है.
मैं आत्मा हूँ -एक चैतन्य ऊर्जा ,एनर्जी इन एक्शन ज्योति बिंदु स्वरूप हूँ। मैं शरीर नहीं हूँ। शरीर मेरा है। मैं परमात्मा का दिव्य स्वरूप हूँ।उसी का वंश हूँ। ॐ शान्ति। बेहतरीन पन्ने डायरी के अनिताजी की।
बड़े फलक बड़े कैनवैस का रहा चर्चा मंच सेतु एवं संयोजन उल्लेख्य रहा। आभार हमें संयोजित करने के लिए शाष्त्री जी का राजेश कुमारी जी का। ॐ शान्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ यथार्थ नामा। पूरी रचना अप्रतिम है भावों के उद्वेगों से संसिक्त है।
ReplyDeleteआजादी की उत्कण्ठा अब,
कुण्ठा-पश्चाताप हो गयी।
भारत माँ आजाद हो गयी!!
ReplyDeleteरूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पियेंगे।
बे चारे कबीर को कहाँ इल्म था एक दिन ये चना चबेना भी खुद ही चाब जायेंगे।
कार्टून
लला, खाद्य सुरक्षा से तो लार टपकने लगी
खेत धान से धानी-धानी,
ReplyDeleteघर मे पानी बाहर पानी,
मेघों ने पानी बरसाया।
अति सुन्दर बरसात हुई।
रिम-झिम करता सावन आया।
शीतल पवन सभी को भाया।।
उगे गगन में गहरे बादल,
भरा हुआ जिनमें निर्मल जल,
इन्द्रधनुष ने रूप दिखाया।
भावना आपकी अच्छी है यथार्थ कड़वा है यहाँ अमरीका जैसे विकसित राष्ट्रों में (मैं अमरीका के बारे में ज्यादा जानता हूँ साल में चार -पांच महीने यहाँ रहना हो जाता है )बड़ों के लिए एकल सीनियर सिटिज़न होम्स हैं जहां नर्सिंग खुद चलके आपके द्वारे आती है। न्यूनतम ६०० डालर की राशि सबको मिलती है हैसियत के हिसाब से इससे कहीं ज्यादा भी मिलती है। 24 x 7 देखभाल मिलती है। खाना पका पकाया। भारत में एक जगह बतला दो ऐसी। ख़ुशी होगी मुझे बहुत ज्यादा। गलत फहमी भी दूर हो जायेगी। न्यूक्लीयर फेमिलीज़ आर दी मोस्ट अन -क्लीयर फेमिलीज़।
ReplyDeleteइसकी मिटटी उठे तो एक कमरा खाली हो यही भाव मिलेगा ज्यादा त र जगहों पर। उम्र दराज़ लोगों के प्रति मेरे भारत में।
जहाँ परिवार में परस्पर प्यार है , वह केवल अपना हिंदुस्तान है---
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
बहुत सुन्दर...आभार।
ReplyDeleteराजेश जी, बहुत सुंदर चर्चा ! आभार !
ReplyDeletevery nice presentation rajesh kumari ji .happy janam ashtmi to all.
ReplyDeleteBahut Sarahniy prayaas...jitni tariif ki jaay kam hai. Mere blog ka jikr karne par aapka tahe dil se shukriya. Sneh Banaye rakhen.
ReplyDeleteNeeraj
सुन्दर चर्चा
ReplyDeleteबढ़िया सूत्र-
आभार दीदी
बहुत सुन्दर... मेरी पोस्ट को भी सामिल किया आभार।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा मंच सजाया है आपने...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार..
ReplyDeleteवाह !!! बहुत रुचिकर सुंदर चर्चा ,,,आभार
ReplyDeleteRECENT POST : पाँच( दोहे )
बहुत सुंदर चर्चा ...........
ReplyDeleteरोचक और पठनीय सूत्रों से सजी चर्चा..
ReplyDeleteआप सभी दोस्तों का हार्दिक आभार श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाइयां
ReplyDeletebahut sundar ...
ReplyDeleteसुन्दर लिनक्स ...आप सबका शुक्रिया
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