मित्रों!
शनिवार की चर्चाकार श्रीमती वन्दना गुप्ता जी एक मामूली दुर्घटना में भयंकररूप से ग्रसित हो गयी हैं। उनकी 3 पसलियों में फ्रैक्चर हुआ है। इसलिए वो कम्पलीट बेडरैस्ट पर हैं। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वो जल्दी ही ठीक हो जायें और ब्लॉग लेखन के साथ चर्चा मंच को भी सजायें।
आज शनिवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक निम्नवत् हैं!
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सोच का फर्क अभी थोडी देर के लिये बैठ पायी तो सबसे पहली पोस्ट तेजेन्द्र शर्मा जी की वाल पर पढी तो वहाँ की सोच पर ये ख्याल उभर आये तो लिखे बिना नहीं रह पायी अब चाहे तबियत इजाज़त दे रही है या नहीं मगर हम जैसे लोग रुक नहीं पाते चाहे बच्चे डाँटें कि मम्मा रैस्ट कर लो अभी इस लायक नहीं हो मगर खुद से ही मज़बूर हैं हम … ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र आजकल बिस्तर पे....
आज कल बिस्तर पे हैं आराम ही आराम है ॥
इंतज़ारे मर्ग है और दूसरा क्या काम है….
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"तीज आ गई है हरियाली"
चाँद दिखाई दिया दूज का,
फिर से रात हुई उजियाली।
हरी घास का बिछा गलीचा,
तीज आ गई है हरियाली।।
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ममता की छांव
आजकल मौसम शानदार और सुहाना है, ऊपर से 3 दिन की छुट्टी...यानि आज ईद. कल शनिवार और फ़िर रविवार. इसी का फ़ायदा उठाकर आज का सारा दिन जंगलों में भटकते हुये बिताया. परिवार के साथ बाहर घूमने का अपना आनंद है. आज का दिन बेहतरीन गुजरा. ममता की छांव जंगल में घुंमते हुये एक चट्टान पर एक मादा बंदर अपनी गोद में अपने लाडले को दुबकाये हुये कितने ममत्व से भरी बैठी है... ताऊजी डॉट कॉम पर ताऊ रामपुरिया |
झरता जाये झर-झर.......उर्मि चक्रवर्तीमेरी धरोहर पर yashoda agrawal | हिंदू राष्ट्रवादी की ओर से ईद मुबारकसादर ब्लॉगस्ते! SUMIT PRATAP SINGH |
आखिर राजीव दीक्षित को क्या मिला ?इस लेख को और विस्तार नहीं देना चाहता था । परन्तु कल शाम को फ़ोन पर मिली प्रतिक्रिया वश मैं यथासम्भव इसको और भी स्पष्ट करता हूँ । दरअसल इस लेख का सार यही है कि कांग्रेस हो या अन्य कोई पक्ष विपक्षी दल । ये सभी देश का भला करने के बजाय कुछ विदेशी शक्तियों द्वारा देश को लुटवाने और लूट का कुछ % स्वयं लूटने में लगे हैं…सत्यकीखोज | अब तू ही बता……।तू ही बता के हमको जहन में उतारा क्यों था,दिल शीशे का था तो पत्थर पे मारा क्यों था? दोष भी तेरा और चित भी तेरी,पट भी तेरी, कसूर गर ये हमारा था, तो नकारा क्यों था? तोड़कर बिखेरनी ही थी, तमन्नायें इस तरह, फिर मुकद्दर अपने ही हाथों संवारा क्यों था? … अंधड़ ! |
पैंगोंग सेपैंगोंग, तुम्हारा पानी इतना स्थिर क्यों है? इतना सहमा-सा, इतना उदास क्यों है? क्या इसका मन नहीं करता कि कभी चीन की ओर दौड़ जाय और वहाँ के पानी से गले मिल ले, ज़रा वहाँ के नज़ारे भी देख ले. पासपोर्ट-वीज़ा नहीं तो क्या चोरी-छिपे ही चला जाय कविताएँ | कोई जगह नहीं उनके लिए : अडोनिस की कवितायेंतीन कवितायें* *(अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह)**दो कवि* अनुगूँज और आवाजों की सतत उपस्थिति के मध्य खड़े हैं दो कवि। पहला बोल रहा है ऐसे जैसे कि बोल रहा हो टूटा चाँद और दूसरा चुप है ऐसे जैसे कि कोई शिशु ऐसा शिशु जो शयन करता है हर रात ज्वालामुखी की भुजाओं में।… कर्मनाशा |
आलिंगनलिखो यहां वहां | मन गवाक्ष चित्रावली - इस्पात नगरी सेकैनेडा, संयुक्त राज्य, जापान और भारत के कुछ अलग से द्वारों की दो वर्ष पुरानी पोस्ट… पिट्सबर्ग में एक भारतीय |
नन्हे सुमन "चिड़िया रानी"*मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से* *एक बालकविता* | अंतर्जाल डॉट इनडीबिनबॉक्स से आपके ड्रॉप बॉक्स खाते में कोई भी अपलोड कर सकता है - डीबिन बॉक्स एक वेब सेवा है जिसके माध्यम से आप अपने ड्रॉप बॉक्स खाते के किसी फोल्डर को फाइलें डालने के लिए सार्वजनिक रूप से खोल सकते हैं... |
रास्ता ही मंज़िल है! रास्ता कहाँ ले जाता है, इसका पता मंज़िल तक पहुँच कर ही मिलता है… इसलिए रास्तों का मज़ा लेते हुए चलना चाहिए,... अनुशील |
ईद और तीज साथ साथ प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच |
रीत न जानूं प्रीत की... रीत न जानूं प्रीत की रीत गयी सब टूट… लाख छुडाऊँ प्रीत पर ये नाही रही छूट… प्रतिभा की दुनिया |
जय भगवत गीते ! जय भगवत गीते ! हरि हिय कमल विहारिणि सुन्दर सुपुनीते ! आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma |
हरियाली तीज -''ईद मुबारक ''-की हार्दिक शुभकामनायें हर साल आये ईद का दिन हो मुबारक आपको !* * ** * परिचय - हरियाली तीज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व भारतीय महिलाओं का विशेष त्यौहार है .यह भारत में राजस्थान ,उत्तर प्रदेश और बिहार में विशेष रूप से मनाया जाता है ... WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION |
" कृपया भारत के बेईमान नेताओं - करमचारियों और भ्रष्ट व्यापारियों हेतु उचित भाषा का प्रयोग करें " !! | उल्लूक टाईम्स लिखने में अभी उतना कुछ नहीं जा रहा है - सभी के आसपास इतना कुछ होता है जिसे वो अगर लिखना चाहे तो किताबें लिख सकता है किसी ने नहीं कहा है सब पर लिखना जरूरी होता है ... |
चांदनी के पेड़ तले.... जाने कब होगी चांदनी रात और कब होगी प्रीत की बरसात दिवस बीते सूखी पड़ी है मन की जमीन बरसता नहीं कुछ न प्रेम न आंसू बंजर हो चला है ... | संवाद में विवाद का कोई स्थान है ना ही गुंजाइश *प्रश्न : **बापू हमें किसने बनाया ?* *पूज्य बापू : भगवान ने !* * * *प्रश्न : बापू भगवान को किसने बनाया ?* *पूज्य बापू : हमने !... |
काग़ज़ की नाव"तिज़ारत ही तिज़ारत है" *जमाना है तिजारत का, तिज़ारत ही तिज़ारत है*** *तिज़ारत में सियासत है, सियासत में तिज़ारत है... | डेल ने उतारा 20 इंच का टचस्क्रीन पीसी हिंदी पीसी दुनिया पर Darshan jangra |
सरकार की मंशा क्या शोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की है !! भारत सरकार अपनें खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाना चाहती है और वो ऐसा हर बार करती भी आई है लेकिन वो अभी तक शोशल मीडिया की आवाज को दबाने में कामयाब नहीं हो पायी है और ऐसा नहीं है कि उसनें ऐसी कोई कोशिश पहले नहीं की है .... शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल |
श्रीमद भगवत गीता किसी सम्प्रदाय (धर्म विशेष )विशेष का ग्रन्थ नहीं है सेकुलरिज्म क्या है - दुर्गा शक्ति ही समझाएगी , मुलायम की अब मुलामियत छोड़ो - बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी? कबीरा खडा़ बाज़ार मेंपरVirendra Kumar Sharma |
पावस के दिन पावस के सब दिन कल-कल कर बीत गए // पल-पल उँगली के पोरों पर रीत गए / Bhavana पर भावना तिवारी |
पावर पाइन्ट सीखें हिन्दी में MY BIG GUIDE पर Abhimanyu Bhardwaj - |
मेरे गीत को सुनिए-
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
"झंझावात बहुत फैले हैं"सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
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सात हायकु अगस्त शुरू हुए एक हफ्ता गुज़र गया ,स्कूलों के ग्रीष्म अवकाश की आधी अवधि भी समाप्त हो गयी !छुट्टियाँ शुरू होने से पहले ही कई योजनाएँ बनती हैं ... Vyom ke Paar...व्योम के पार |
अब मन नहीं करता जाने को अपने बथान में
अब चहचहाना नहीं होता उनका
नहीं आती मेरे कान में वो मधुर आवाज़ यही बात है, अब मन नहीं करता जाने को अपने बथान में !!! mark rai |
आप तो आए पर बहार फिर भी न आईकाजल कुमार के कार्टून |
अन्त में... "कलियुग का व्यक्ति"
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत पोस्ट कर रहा हूँ!
"कलियुग का व्यक्ति"
क्या शायर की भक्ति यही है?
सुख का सूरजजीवन की अभिव्यक्ति यही है! शब्द कोई व्यापार नही है, तलवारों की धार नही है, राजनीति परिवार नही है, भाई-भाई में प्यार नही है, क्या दुनिया की शक्ति यही है? जीवन की अभिव्यक्ति यही है! |
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छे व प्रेरणास्पद सूत्र
सादर
बढ़िया सूत्र और चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |तीज और ईद पर हार्दिक शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक प्रस्तुति । बेहतरीन सूत्र संकलन । आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स। आभार मेरी नई ब्लॉग पोस्ट की साझेदारी के लिए।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा सजाई है आदरणीय आप नें !!
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
ईश्वर से प्रार्थना है कि
जवाब देंहटाएंश्रीमती वन्दना गुप्ता जी
जल्दी जल्दी स्वस्थ हों
चर्चांमंच को सजाने में
फिर उसी तरह से व्यस्त हों !
बहुत बहुत आभार
फिर से लाये हैं
आज यहाँ आप
छाँट कर दिख
रहा है कहीं पर
उल्लूक का अखबार !
हार्दिक शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआभार,शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसुंदर अतिसुंदर....
जवाब देंहटाएंमैंने कविता के संगरहण के लिये कविता मंच बनाया है। आप सब से निवेदन है कि इस मंच को भी अपना योगदान दें। http://www.kavita-manch.blogspot.com प्रतेयेक रचनाकार व कविता का स्वागत करता है।
कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंईश्वर से प्रार्थना है कि
जवाब देंहटाएंश्रीमती वन्दना गुप्ता जी
जल्दी जल्दी स्वस्थ हों ....साथ ही चर्चा-मंच पर में सम्मिलित सभी रचनाओं के रचनाकारों को बधाई ....शुभकामनाओं से भरपूर इस चर्चा के सभी लिंक्स पठनीय हैं ...और हाँ आदरणीय शास्त्री जी का विशेष आभार ..कि आपने मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया .....!!
ईश्वर से प्रार्थना है कि
जवाब देंहटाएंश्रीमती वन्दना गुप्ता जी
जल्दी जल्दी स्वस्थ हों
बढ़िया सूत्र और चर्चा |मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार शास्त्री जी
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र और चर्चा आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर और विस्तृत चर्चा. आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज के चर्चामंच पर बहुत अच्छी रचनाएं प्रस्तुत की गयी हैं |
जवाब देंहटाएंसुंदर ऐर ज्ञानपरक लिंक उपलब्ध करवाने के लिए शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंBAHUT SUNDAR SANKALAN HAI YE AAPKA !! JAISE KOI GULDARTA TAIYAAR KIYA HO AAPNE . AAPKE SNEH SE HAMARE SHABD BHI ISKA HISSA BAN PAYE USKE LIYE AAPKO SAADHUWAAD !! SHUKRIYA JI !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंवंदना जी के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए शुभकामनाएं
sundar links............vandana ji shighr swasth ho yahi kamna hai.........
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स..मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर उम्दा लिंक्स ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : जिन्दगी.
बेहतरीन उद्देश्य परक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआज कल बिस्तर पे हैं आराम ही आराम है ॥
इंतज़ारे मर्ग है और दूसरा क्या काम है….
डॉ. हीरालाल प्रजापति
सशक्त विचाराभिव्यक्ति यथार्थ का प्रतिबिम्बन और विडंबन। चर्चा मंच पर हमें ले आते रहने के लिए आपका आभार हृदय से।
जवाब देंहटाएं"कलियुग का व्यक्ति"
क्या शायर की भक्ति यही है?
जीवन की अभिव्यक्ति यही है!
शब्द कोई व्यापार नही है,
तलवारों की धार नही है,
राजनीति परिवार नही है,
भाई-भाई में प्यार नही है,
क्या दुनिया की शक्ति यही है?
जीवन की अभिव्यक्ति यही है!
"कलियुग का व्यक्ति"
जवाब देंहटाएंक्या शायर की भक्ति यही है?
जीवन की अभिव्यक्ति यही है!
शब्द कोई व्यापार नही है,
तलवारों की धार नही है,
राजनीति परिवार नही है,
भाई-भाई में प्यार नही है,
क्या दुनिया की शक्ति यही है?
जीवन की अभिव्यक्ति यही है!
बेहतरीन उद्देश्य परक प्रस्तुति।
बढ़िया जानकारी मुबारक तीज।
मेरी ग़ज़ल ''आजकल बिस्तर पे हैं............'' शामिल करने का बहुत बहुत आभार एवं जिन्हे यह रचना पसंद आई उनका बहुत बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी अभिवादन ..बहुत सुन्दर मनभावन ज्ञान दाई लिंक्स ...वंदना जी के दुर्घटना के बारे में जान कर चिंता हुयी हम उनके स्वास्थ्य लाभ की प्रभु से प्राथना करते हैं ...
जवाब देंहटाएंईद और तीज साथ साथ को आप ने प्रतापगढ़ साहित्य प्रेमी मंच से चुना ख़ुशी हुयी आभार
भ्रमर ५ प्रतापगढ़