सुना लतीफा पाक ने, कैप्टन सौरभ क़त्ल
बजा तालियाँ भूल मत, लगे ठिकाने अक्ल
लगे ठिकाने अक्ल, माफ़ ना होगी हरकत
रहा सदा तू भोग, कभी ना होय बरक्कत
बहे पाक में खून, बददुवा दिया खलीफा
हर दिन मरता पाक, नहीं क्या सुना लतीफा
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जीवन भर का साथी ....मेरा जीवन साथी
Alokita
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घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,
जान पाये नहीं आज तक व्याकरण।
बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनी
कण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।
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Kulwant Happy
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पारस मणि के कवर पेज पर
Chaitanyaa Sharma
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ana
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आभासी विकास की अनर्गल तारीफVikesh Badola |
sushma 'आहुति'
'आहुति' -
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Vandana Singh
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कुर्सी की खातिर
shyama arora
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बहुत मुश्किल
मदन मोहन सक्सेना
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हरिगीतिका छंद ..... डा श्याम गुप्त .....
shyam Gupta
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Virendra Kumar Sharma
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अरुण जी निगम के साथ रविकर विमर्श- रविकर की कुण्डलियाँ | छंद कुण्डलिया : मिलें गहरे में मोतीअरुण कुमार निगमसृजन मंच ऑनलाइन |
घर से बाहर एक घरकविता रावत |
मैं नज़्म हो गया हूँ शायद !Anurag Anant |
वो बूढ़ी दादी अमीना की हवेली,हामिद पोते नहीं मिलते।
पी.सी.गोदियाल "परचेत"
"मयंक का कोना" अद्यतन लिंक (1) "ब्लॉग - चिठ्ठा" का शुभारंभ ![]() (2) "एक संस्मरण" ![]() ![]()
चित्र में- (बालक) मेरा छोटा पुत्र विनीत, मेरे कन्धें पर हाथ रखे बाबा नागार्जुन और चाय वाले भट्ट जी, पीछे-तीस वर्ष पूर्व का खटीमा का बस स्टेशन।
बाबा नागार्जुन की तो इतनी स्मृतियाँ मेरे मन व मस्तिष्क में भरी पड़ी हैं कि एक संस्मरण लिखता हूँ तो दूसरा याद आ जाता है....
(3)मुक्तक काश! उसको हमने यूँ गले से लगाया होता, अपने धड़कते दिल का हाल बताया होता! कह देती बस धड़कनें,जो ना कह पाए हम, समझ ही लेता वो बस फिर क्या था गम ... गुज़ारिश पर सरिता भाटिया (4) हिन्दी फोंट्स का संग्रह आपके लिए ![]() Hindi Tech - तकनीक हिंदी में (5) हार जीत हारजीत पाने को आतुर रहतें हैं खोने को तैयार नहीं है जिम्मेदारी ने मुहँ मोड़ा ,सुविधाओं की जीत हो रही. ![]() |
शुभ प्रभात रविकर भाई
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट चर्चा है आज की
अच्छे लिंक्स दिये हैं आपने
सादर
अद्यतन लिंकों के साथ बढ़िया चर्चा।
जवाब देंहटाएंरविकर जी आपका आभार।
आदरणीय रविकर जी!
जवाब देंहटाएंअब आप बुधवार की चर्चा लगायेंगे।
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शुक्रवार की चर्चा का काम बहन यशोदा दिग्वजय अग्रवाल देखेंगी।
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यशोदा दिग्विजय़ अग्रवाल का चर्चाकार के रूप में चर्चा मंच में स्वागत है!
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आभार सहित!
अच्छी चर्चा की गई है।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स हैं यहां..
सभी लिंक एक से बढ़कर एक
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
बहुत बढ़िया लिनक्स मिले..... चैतन्य को शामिल करने का आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा, ढेर सारे लिंको के साथ, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
चर्चा में ढेरों सुन्दर लिंक, आभार रविकर जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक्स एवं प्रस्तुति ... यशोदा जी का चर्चामंच पर अभिनन्दन है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक, आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स हैं |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढ़िया। धन्यवाद एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंआज मेरे ब्लॉग की चौथी वर्षगांठ के सुअवसर पर मेरी ब्लॉग पोस्ट चर्चा में लगाकर मेरी ख़ुशी में शामिल होने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ...आभार!
जवाब देंहटाएंआज मेरे ब्लॉग की चौथी वर्षगांठ पर मेरी ब्लॉग पोस्ट चर्चा पर लगाकर मेरी ख़ुशी में शामिल होने हेतु बहुत आभार
जवाब देंहटाएंसादर!
रविकर जी... बहुत सुन्दर चर्चा, मन लगा कर बनायी गयी है... आपको बधाई... और धन्यवाद.. इस चर्चा में हमारी पोस्ट अधूरी स्वीकृति भी शामिल की गयी है ... सादर
जवाब देंहटाएंसुंदर ..........
जवाब देंहटाएंravi ji sundar links hai , priy yashoda aapka manch par swagat hai ,
जवाब देंहटाएंसुंदर सुहानी चर्चा.....
जवाब देंहटाएंरविकर की बाँछें खिलीं,हिला समूचा तंत्र
तुरत साधना-रत हुये,जब पाया गुरु-मंत्र
जब पाया गुरु-मंत्र , ध्यान में डूबे ऐसे
योगी हो तल्लीन , ध्यान में डूबे जैसे
गई कुण्डली जाग, सजी कुण्डलिया सुंदर
बादशाह बेताज , हमारे कविवर 'रविकर' ||
सादर.....
वाह क्या बात है
जवाब देंहटाएंयशोधा जी charchamanch पर आपका स्वागत है
गुरु जी प्रणाम हमें स्थान देने के लिए शुक्रिया
रविकर sir बढ़िया लिंक्स के साथ बढ़िया प्रस्तुति
सुन्दर सूत्रों की चर्चा..
जवाब देंहटाएं