मित्रों!
आज प्रियवर अरुण शर्मा 'अनन्त' जी का नेट नहीं चल रहा है। इसलिए आज भी मेरी ही पसन्द के कुछ लिंक देखिए।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हर दीवार पे टंका एक ही चेहरा ! दीवार पर टंका वो चेहरा पास आ जाता है सिमट के मेरे अब मै तन्हा नहीं होती उस चेहरे पर टंकी है सिर्फ दो बड़ी बड़ी गहरी काली आँखे -- ये पन्ने ...सारे मेरे अपने -पर Divya Shukla |
" क्या इस प्रकार मनाये गये स्वाधीनता दिवस पर हम और आप " गर्व " का अनुभव कर सकते हैं 5TH Pillar Corruption Killer |
तुम और मैं . मैं बंदूक थामे सरहद पर खड़ा हूँ और तुम वहाँ दरवाजे की चौखट पर अनन्त को घूँघट से झाँकती । वर्जित है उस कुएँ के पार तुम्हारा जाना और मेरा सरहद के पार उस चबूतरे के नीचे तुम नहीं उतर सकती... स्पर्श पर Deepti Sharma |
प्याज की महंगाई ...आँखें भर आईं शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav |
क्या हम प्याज के बिना कुछ दिन भी नहीं रह सकते...? सादर ब्लॉगस्ते! पर संजीव शर्मा |
Bihar mid-day-meal or poison Vineet Kumar Singh पर Vineet Kumar Singh |
फिर भी बनाऊँगी मैं, एक नशेमन हवाओं में मेरे इश्क़ का ज़ुनून, रक़्स करता है इन फिज़ाओं में, तेरे फ़रेब कुचलते हैं मुझे, मेरे दर्द की छाँव में हर साँस से उलझती है मेरी, हर लम्हा ज़िन्दगी की, लिपटती जाती है हर रोज़.... काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा |
धरती अपनी बचाओ [रोला छंद] गुज़ारिश पर सरिता भाटिया |
कंप्यूटर के बारे में सबसे चौंकाने वाले और दिलचस्प तथ्य हिन्दी में MY BIG GUIDEपरAbhimanyu Bhardwaj |
आ गई अनोखी तकनीक बिना बैटरी के भेज सकेंगे मोबाइल मैसेज हिंदी पीसी दुनिया पर Darshan jangra |
सावन के झूले और उफनते नदी-नाले आसमान पसीजा तो वर्षा ऋतु आई। धरती शीतल हुई, उसके धूल-मिट्टी से लिपटे-झुलसे तन पर रोमकूप फूट पड़े। पेड़-पौधे, वन-उपवन, बाग-बगीचे हरी-भरी घास की चादर ओढ़े लहलहा उठे... KAVITA RAWAT |
तुम मूरत मैं दीया बाती पत्थर ही हो न तुम….. जिसके आगे दीये में एक लौ लिए जलती रही ... हर पल तुम्हारे लिए रौशनी, जीवन गर्माहट को समेटे खुद को अर्पित करती रही अपनी ऊर्जा के साथ तिल तिल अंतिम बूंदों तक ....... … अमृतरस पर डॉ. नूतन डिमरी गैरोला |
नाग ने आदमी को डसा .... एक बार भयंकर विषधर नाग ने, सड़क चलते आदमी को डसा. यह देखकर उस आदमी के उड गये होश, लेकिन अफसोस, थोड़ी ही देर में वह विषधर, इस दुनिया से चल बसा.... भारतीय नागरिक |
बात पते की कभी बहू रानी बीमारी का बहाना बनाए, कभी सचमुच बीमार हो जाये, कभी वह बुढ़िया सास के सामने महंगाई और घर के खर्चों का रोना रोये... जाले |
उधौ मन नाहिं दस बीस , एकहु तो सो गयो श्याम संग , को अराध तू ईस। सूरदास निर्गुण कौन देस को वासी , मधुकर !हंसि समुझाय , सौहं दै , बूझत सांच न हाँसी। को है जनक ,जननि को कहियत , कौन नारि ,को दासी... आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma |
डाक्टर के पास जा पर सब कुछ मत बता तेरे को भी पता नहीं क्या क्या बिमारियां लग जाती है जो तेरे डाक्टर तक को समझ में नहीं आ पाती हैं अब जब मर्ज ही वो नहीं समझ पायेगा तो ईलाज खाक बता पायेगा बीमारी समझ में आ भी जाती पर तेरी भी तो मजबूरी है हो जाती कुछ बातें साफ साफ नहीं हैं बताई जाती.... उल्लूक टाईम्स पर सुशील |
अज्ञानता के मुकाबले कष्ट में रहना बेहतर है सत्यकीखोज |
शोला ए जुनूं - - वीरान दिल में है जगह बेशुमार, कभी बसने की ख़्वाहिश तो जागे, हम हैं पलक बिछाए मुद्दतों से, इक शोला ए जुनूं लिए सीने में, उनके दिल में .... अग्निशिखा : पर SHANTANU SANYAL |
कश्मीर से आये राही बता कश्मीर से आये राही बता किस हाल में हैं यारां -ए-चमन मजलूम जो सहमे रहते थे किस हाल में है अवाम -ए -वतन क्या अब भी वहाँ की गलियो में , खून की नदियाँ की बहती हैं... क्या अब भी दुआएं लब पे लिए , वहाँ माएं परेशान रहती हैं ... लो क सं घ र्ष |
छलावा अब अँधेरा होगा? भोर हुई और रवि की किरणों संग तुमने सोच लिया जगत को जीत लिया अब अँधेरा होगा ही नहीं... ज़रूरत पर Ramakant Singh |
वह रास्ता अब बंद है पिछली बार जब गुज़रा था उस रास्ते से उस से हो कर गुजरती थी एक लंबी चौड़ी सड़क जिसके दोनों किनारे लगे थे नीम और बरगद ... जो मेरा मन कहे पर Yashwant Mathur |
वर्जनाओं के विरुद्ध एकजुट सोच और शरीर लाइफ़-स्टाइल में बदलाव से ज़िंदगियों में सबसे पहले आधार-भूत परिवर्तन की आहट के साथ कुछ ऐसे बदलावों की आहट सुनाई दे रही है जिससे सामाजिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन अवश्यंभावी है. कभी लगता था मुझे भी कि सामाजिक-तानेबाने के परम्परागत स्वरूप को आसानी से बदल न सकेगा . किंतु पिछले दस बरसों में जिस तेजी से सामाजिक सोच में बदलाव आ रहे हैं उससे तो लग रहा कि बदलाव बेहद निकट हैं शायद अगले पांच बरस में... मिसफिट Misfit |
प्रेम ही सत्य है जीवन दुखों का घर ,हर कोई रोता है ढाई अक्षर प्रेम के ,जो यहाँ पढ़ लेता है दुखों को पार करे ,औ तर जाए वह तो, पूरा संसार मिथ्या ,प्रेम ही सत्य होता है... Ocean of Bliss पर Rekha Joshi |
आँखों के बाद भी.... डॉ. हीरालाल प्रजापति |
बतहा संसार भोरसँ साँझ धरि साँझसँ भोर धरि असलमे भोरसँ भोर धरि भटकैत रहैत अछि लोक एकटा सुख्खल रोटीक लेल दौड़ैत रहैत ... नव अंशु पर Amit mishra |
अकेलापन अकेली राह मुश्किल नहीं खुद का बोझ ढोना जायज़ है, ज़रुरत है... जब मौका मिला किसी पेड़ के नीचे सुस्ता लिए खुद को अपने से परे रख कर ! ज़ख्मों को ख़ुद सीना सीख जाते हैं हम यूँ अकेली राह में ज़ख्मों की गुन्जाइश कम होती है... राह में कोई ठंडे पानी का सोता मिलता ही है ज़ख्म धोने को प्यास बुझाने को..... याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन |
"अब तक भटक रही हूँ मैं"
मित्रों!
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक ग़ज़ल पोस्ट कर रहा हूँ!
"अब तक भटक रही हूँ मैं"
टेढ़े-मेढ़े गलियारों में.
अब तक भटक रही हूँ मैं। कब तलाश ये पूरी होगी, अब तक अटक रही हूँ मैं। |
"भारत माँ को आजाद किया"
यातनाएँ झेलीं लेकिन,
भारत माँ को आजाद किया।
स्वतन्त्रता की बलिवेदी पर,
जीवन का बलिदान दिया।
अब भी बापू तेरे बन्दर,
अन्धे-गूँगे-बहरे हैं।
इसीलिए तो अब तक ये,
सत्ता-शासन में ठहरे हैं।
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आज के लिए बस इतना ही...! |
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआभार
अच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
सादर
aaj bhi acchi rahi aapki charcha.
जवाब देंहटाएंaapka aabhaar !
Suprabhat
जवाब देंहटाएंAbhar
सुन्दर आकर्षक बेहतरीन और सारगर्भित चर्चा । आभार शास्त्रीजी
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ पढ़वाई आपने
जवाब देंहटाएंbadiya charcha sunder
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन अपलोडिंग साईट
धन्यवाद शास्त्री जी, इस चर्चा के जरिये बहुत सारे ऐसे ब्लाग मिल जाते हैं जो बहुत ही अच्छे होते हैं लेकिन जिनके बारे में पता नहीं होता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा । मेरी पोस्ट को यहाँ सामिल करने के लिए बहुत बहुत ,आभार शास्त्रीजी
जवाब देंहटाएंसतरंगी चर्चा है शास्त्री जी |शुभ प्रभात |
जवाब देंहटाएंआशा
वाकई गुरु जी कमाल
जवाब देंहटाएंप्रणाम आपको
आपकी चर्चा का लिंक्स संजोजन का जवाब नहीं
शुक्रिया मेरी रचना शामिल करने के लिए
सुंदर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंकल {सोमवार} {19/08/2013}
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग समूह
के शुभारंभ, पर कल कुछ ब्लॉग के बारे में हम शुभारंभ के साथ चर्चा करेगे जिन्होंने ब्लॉग्गिंग की दुनिया में पहचान हासिल की है कृपया आप सब पधारें....आभार
बहुत सुंदर पठनीय सूत्र ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
मेरी ''रचना आँखों के बाद भी.............'' को अपने मंच पर स्थान देने का आभार ! जिन्हे यह पसंद आए उनको धन्यवाद रहेगा !
हटाएंमेरी रचना "बतहा संसार " को हिन्दी न होते हुए भी (मैथिली में रचना है ) चर्चा में जगह देने केलिए हार्दिक धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआज मेरे द्वारी लिखी गई दूसरी मैथिली रचना को यहाँ जगह मिली, मै संस्थापक जी का शुक्रगुजार हूँ ।
बहुत अच्छी रचनायें पढ़ने को मिली ।
बहुत बढ़िया चर्चा ...
जवाब देंहटाएंरविवार के लिए मिले ढेर सारे लिंक्स..
और अपनी रचना को यहाँ पाकर बहुत प्रसन्न हूँ..
आभार शास्त्री जी
अनु
बढिया चर्चा
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर
bahut sundar links ,meri rachna ko shamil karne hetu hardik abhar
जवाब देंहटाएंbahut sundar sankalan kiyaa hai ji aapne khaaskar chalawa !! meri post ko jagah dene hetu dhanywaad !! aabhaari hoon !!
जवाब देंहटाएंfrom -: " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " THE BLOG , READ , SHARE AND COMMENT ON IT DAILY ...!!
प्रिय मित्रो , आपका हार्दिक स्वागत है हमारे ब्लॉग पर " 5TH PILLAR CORRUPTION KILLER " the blog . read, share and comment on it daily plz. the link is - www.pitamberduttsharma.blogspot.com., गूगल+,पेज़ और ग्रुप पर भी !!ज्यादा से ज्यादा संख्या में आप हमारे मित्र बने अपनी फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज कर !! आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ आयें इसी मनोकामना के साथ !! हमेशां जागरूक बने रहें !! बस आपका सहयोग इसी तरह बना रहे !! " फिफ्थ पिल्लर - कोरप्शन किल्लर " की रिपोर्टें आप हमारे ब्लॉग और समाचार पत्रों के इलावा इस ब्लॉग और संचालक टीम के संयोजक श्री पीताम्बर दत्त शर्मा की फेसबुक , गूगल+, और उनके पेज पर भी पढ़ सकते हैं !! उनका लिंक ये है www.facebook.com/pitamberdutt.sharma.7 और ब्लॉग लिंक ये है :- www.pitamberduttsharma.blogspot.com. है !!
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आपका मित्र ,
पीताम्बर दत्त शर्मा (राजनितिक -समीक्षक ),
हेल्प-लाईन-बिग-बाज़ार ,
पंचायत समिति कार्यालय के सामने ,
सूरतगढ़ ,राजस्थान ,09414657511
Posted by PD SHARMA, 09414657511 (EX. . VICE PRESIDENT OF B. J. P. CHUNAV VISHLESHAN and SANKHYKI PRKOSHTH (RAJASTHAN )SOCIAL WORKER,Distt. Organiser of PUNJABI WELFARE SOCIETY,Suratgarh (RAJ.)
एक से बढ़कर एक सूत्रों से
जवाब देंहटाएंसजी चर्चा में उल्लूक टाईम्स
को स्थान देने के लिये बहुत
बहुत आभारी हूँ आपका
डा. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी !
रोचक व स्तरीय,पठनीय रचनायें।
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