बच्चा बँटता इस तरह, ज्यों बच्चों का खेल |
रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल | आतंकी भी फेल, दुधमुहाँ नए ठिकाने | लगा ठिकाने बाप, गई माँ जिसे बहाने | घर घर बच्चा माँग, यहाँ नक्सल को गच्चा | वहाँ पाक में स्वाँग, खेल में बँटता बच्चा ||
15 अगस्त तक लखनऊ में हूँ-रविकर
|
Admin Deep
|
अज़ीज़ जौनपुरी : सूरज की रौशनी
Aziz Jaunpuri
|
चोका : सुनो कबीर
Dr. Pratibha Sowaty
|
दूरी
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)
|
सकारात्मक लेखन की चुनौतियां : दैनिक जनसंदेश स्तंभ 'उलटबांसी' 6 अगस्त 2013 में प्रकाशित
नुक्कड़
|
सरिता भाटिया
|
टूटी कश्ती भी पार लगती है...........दानिश भारती
yashoda agrawal
|
हो जाएगा नव-निर्माण हमारे मन के वृन्दावन का...!
स्वप्न मञ्जूषा
|
कभी कहा न किसी से तेरे फ़साने को…क़मर जलालवी
डा. मेराज अहमद
|
From anni to narkanda at Nh 22,अनी से होकर नेशनल हाइवे 22 पर नारकंडा तक
Manu Tyagi
|
"कैसे जी पायेंगे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
|
पाब्लो नेरुदा : कुछ सवालमनोज पटेल |
"मयंक का कोना"..अद्यतन लिंक
|
ख़त्म सारे फ़साने हुए...दानिश भारती
शौक़ दिल के पुराने हुए हम भी गुज़रे ज़माने हुए बात आई-गई हो गई, ख़त्म सारे फ़साने हुए... मेरी धरोहर पर yashoda agrawal |
हे प्रभु!--गीतिका व हरिगीतिका छंद
चार दिन से किसी ने हरिगीतिका छंद की कोइ पोस्ट नहीं डाली....तो मैंने सोचा मैं ही पोस्ट कर देता हूँ |) *गीतिका छंद ---* भी हरिगीतिका की ही भांति चार पदों वाला सममात्रिक व चारों पद सम् तुकांत या दो दो पद सम तुकांत वाला छंद होता है इसमें प्रत्येक पद में २६ मात्राएँएवं अंत में लघु -गुरु या लघु-लघु होता है | उदाहरण----- प्रसिद्द प्रार्थना है -- जो सभी ने स्कूल में गायी होगी ....... हे प्रभो आनंददाता ज्ञान हमको दीजिये | शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये | लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें,,, सृजन मंच ऑनलाइन पर shyam Gupta |
गीता दूसरा अध्याय :सांख्य योग
अर्जुन बोले -हे मधुसूदन ,मैं इस रणभूमि में भीष्म और द्रोण के विरुद्ध बाणों से कैसे युद्ध करूँ ?हे अरिसूदन वे दोनों ही पूजनीय हैं। यहाँ अर्जुन ने भगवान के लिए अपने पूरे विवेक सहित मधुसूदन और अरिसूदन संबोधनों का प्रयोग किया है.... कबीरा खडा़ बाज़ार में पर Virendra Kumar Sharma |
उम्दा लिंक्स |सुख का सूरज कब उगता है पता ही नहीं चला |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर संकलित सूत्र, पढ़ने का आनन्द लिये।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंतात्कालिक व सम-सामयिक लिंकों को संयोजन
इस अति दुष्कर कार्य को अंजाम दिया दिनेश भैय्या आपने
आभार
सादर
गुरुदेव
जवाब देंहटाएंसादर नमन
आभार
यशोदा
बहुत-बहुत धन्यवाद रविकर जी!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंशानदार सेतु लिए आये हैं एक बार फिर रविकर भाई दूर दूर से। शुक्रिया हमारे सेतु को चर्चा माला में पिरोने के लिए। शाष्त्री जी का अभी तहे दिल से शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंसमसामयिक भू -परिवेश (आलमी माहौल )से रु -ब-रु है यह रचना।
जवाब देंहटाएंमासूमों की हत्याये दिन-प्रतिदिन होती,
कैसे जी पायेंगे, कसाइयों के देश में।
(हत्याएं )
"कैसे जी पायेंगे?" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
सुख का सूरज -
बहुत उम्दा अशआर हैं सब मायने भी अव्वल हैं।
जवाब देंहटाएंरौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं
दोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है
(आँखें )
अज़ीज़ जौनपुरी : सूरज की रौशनी
Aziz Jaunpuri
Zindagi se muthbhed
जवाब देंहटाएंदोनों विधवाओं में कितना अंतर है एक प्रेम से भरी हुई है दूसरी जातीय अभिमान से इसी का विकृत रूप है -आनर किलिंग्स जो वास्तव में डिस -आनर किलिंग से आगे निकल जघन्य ह्त्या है। समान्तर सेकुलर प्रबंध है। बढ़िया मर्म स्पर्शी ताना बाना है कहने का पात्रों का सभी का चरित्र मुखर है।
दूरी
(पुरुषोत्तम पाण्डेय)
जाले
मार्मिक प्रसंग व्यंग्य विडंबन बे शुमार।
जवाब देंहटाएंरविकर-पुंज
बच्चा बँटता इस तरह, ज्यों बच्चों का खेल |
रीयल्टी शो पाक का, आतंकी भी फेल |
आतंकी भी फेल, दुधमुहाँ नए ठिकाने |
लगा ठिकाने बाप, गई माँ जिसे बहाने |
घर घर बच्चा माँग, यहाँ नक्सल को गच्चा |
वहाँ पाक में स्वाँग, खेल में बँटता बच्चा ||
गुरुदेव आदरणीय रविकर जी अलग अलग सूत्रों से सुसज्जित चर्चामंच विविधिता लिए हुए है
जवाब देंहटाएंबधाई
बहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार
यशोदा जी का स्वागत है!:)
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बढ़िया हैं!
मेरी रचना को स्थान देने का हार्दिक आभार!
~सादर!!!
सभी लिक्स बहुत अच्छी हैं |
जवाब देंहटाएंपढ़कर बहुत अच्छा लगा |
http://drakyadav.blogspot.in/
कोशिश कीजिये की रचनाकार की मौलिक रचना ही प्रेषित कीजिये |ऐसी रचनाये जो कहीं से कापी पेस्ट की हुयी हों ..उनके संदर्भ में बात समझ में नही आती ,उदाहरण के लिए "भोजन नियम "कों ही ले लीजिए |यह निम्न ५ जगहों पर कम से कम उपलब्ध हैं ,हर जगह भिन्न भिन्न लोग दावा कर रहे हैं लिखने का -
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना जो निम्न साईटों पर भी सेम २ सेम हैं -
१]http://hindibhashha.blogspot.in/2013_03_01_archive.html
२]http://matrabhumi.wordpress.com/author/matrabhumi/page/5/
३]http://bharatavambhartiyata.blogspot.in/2013/03/blog-post_30.html
४]http://bharatavambhartiyata.blogspot.in/2013/03/blog-post_30.html
५]https://plus.google.com/112105018890969790330/posts/8BXgNQb5CTb
|
चर्चा मंच से अनुरोध हैं की यदि मौलिक लेखकों कों ज्यादा महत्व देंगे तो शायद हिंदी ब्लॉग्गिंग और ज्यादा उत्कृट होंगी |
सादर -डॉ अजय
बहुत सुंदर चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बढ़िया लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए आभार
सुन्दर सूत्र ...मेरी रचना संकलन हेतु आभार....
जवाब देंहटाएं