उखड़े मुखड़े पर उड़े, हवा हवाई धूल ।
आग मूतते हैं बड़े, गलत नीति को तूल ।
गलत नीति को तूल, रुपैया सहता जाए ।
डालर रहा डकार, कौन अब लाज बचाए ।
बहरा मोहन मूक, नहीं सुन पाए दुखड़े ।
हारे भारत दाँव, सदन हत्थे से उखड़े ॥
|
रविकर की कुण्डलियाँ
दर्पण बोले झूठ कब, कब ना खोले भेद |
साया छोड़े साथ कब, यादें जरा कुरेद |
यादें जरा कुरेद, दोस्त पाया क्या सच्चा |
इन दोनों सा ढूँढ़, कभी ना खाए गच्चा |
रखिये इन्हें सहेज, कीजिये पूर्ण समर्पण |
हरदम साया साथ, सदा सच बोले दर्पण || |
मुई मानवीय भूल है न....Amrita Tanmay |
कौन हो तुम जन गण मन के अधिनायक ?Neeraj Kumar |
हादसे जो राह में मिलते रहे ...(दिगम्बर नासवा) |
प्रेम का अभाव और असभ्यता का उदयsmt. Ajit Gupta |
"भावनाओं की हैं ये लड़ी राखियाँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जूट की सूत की चाहे रेशम की हों,
प्यार की डोर हैं हथकड़ी राखियाँ।
कच्चा धागा इन्हें मत समझना कभी,
भावनाओं की हैं ये लड़ी राखियाँ।
माँ की गोदी में पलकर बड़े हो गये,
एक आँगन में चलकर खड़े हो गये.
धान की पौध सी हैं बहन-बेटियाँ
भेजतीं साल में भाइयों के लिए,
नेह के हैं नगीने जड़ी राखियाँ।। |
"मयंक का कोना" अद्यतन लिंक
(1) श्रीमदभगवत गीता भावार्थ:दूसरा अध्याय श्लोक संख्या तेइस और उससे आगे शस्त्र इस आत्मा को काट नहीं सकते ,अग्नि इसको जला नहीं सकती। जल इसको गीला नहीं कर सकता और वायु इसे सुखा नहीं सकती ;क्योंकि आत्मा अछेद्य ,अ-दाह्य और अशोष्य है... आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma (2) मन के नाते (राखी पर हाइकु) ******* 1. हाथ पसारे बँधवाने राखी चाँद तरसे ! 2. सूनी कलाई बहना नहीं आई भैया उदास !... लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम (3) **~ "महके गुलशन" ~** 'चोका' बूँद..बूँद...लम्हे....पर Anita (अनिता) (4) राखी नजर खोलती है - उन्नयन (UNNAYANA) (5) नेताजी फ़िक्र ना करो! मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद (6) आँखों के लिए ज्योतिवर्धक आयुर्वेदिक नुस्खे !! शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल (7) "भइया मुझे झुलाएगा"
अपनी बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
"भइया मुझे झुलाएगा"
अब हरियाली तीज आ रही,
मम्मी मैं झूलूँगी झूला।
देख फुहारों को बारिश की,
मेरा मन खुशियों से फूला।।
|
सभी पाठकों को भाई-बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआभार रविकर जी।
आज के चर्चा बहुत ही बेहतरीन लिंक्स के साथ, आभार
जवाब देंहटाएंरक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंगया अब दादी-नानी के किस्सों का ज़माना
जवाब देंहटाएंगाँव-कुनबों की छोटी दुनिया का फसाना
गाना है अब वसुधैव कुटुम्बकम का तराना
दुनिया को है एक भूमंडलीय गाँव बनाना
करना होगा खत्म छोटे-छोटे गाँव
बनेगी धरती तभी तो विशाल कार्पोरेटी गाँव
होगा ऐसे गाँव में किसान-कारीगर का क्या काम
बारूदी मशीने बोलेंगी जय श्रीराम
खेतों में उगेगी डालर और यूरो की फसल
दाल-रोटी हो जायेगी घरों से बेदखल
वाल-मार्ट होगा इस गाँव का किरानी
कृपा से उसकी मिलेगा सभी को रोटी-पानी
सम्हालेगा बचपन-बुढापा नदारत जवानी
[ईमि/२१.०८.२०१३]
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संयोजन. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की मंगल कामनाएँ .
शुक्रिया इस बेहतरीन चर्चा के लिए गीता श्लोकों को समायोजित करने के लिए।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
चर्चा मंच के सभी पाठकों को भाई बहन के पावन और निश्चल प्रेम के पर्व रक्षाबंधन की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ !!
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
बेहतरीन, आभार रविकर जी और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंवाह आनंद भयो कुण्डलियाँ पढ़कर .
जवाब देंहटाएंरविकर
रविकर की कुण्डलियाँ
दर्पण बोले झूठ कब, कब ना खोले भेद |
साया छोड़े साथ कब, यादें जरा कुरेद |
यादें जरा कुरेद, दोस्त पाया क्या सच्चा |
इन दोनों सा ढूँढ़, कभी ना खाए गच्चा |
रखिये इन्हें सहेज, कीजिये पूर्ण समर्पण |
हरदम साया साथ, सदा सच बोले दर्पण ||
सहज सरल बाल मन के भाव उमड़े हैं इस गीत में।
जवाब देंहटाएंअब हरियाली तीज आ रही,
मम्मी मैं झूलूँगी झूला।
देख फुहारों को बारिश की,
मेरा मन खुशियों से फूला।।
सुन्दर अति सुन्दर नुस्खे ही नुस्खे चुन तो लें।
जवाब देंहटाएं(6)
आँखों के लिए ज्योतिवर्धक आयुर्वेदिक नुस्खे !!
बेहतरीन सूत्रों के साथ
जवाब देंहटाएंरविकर हैं आज यहाँ आये
रक्षाबन्धन की ढेरों
हार्दिक शुभकामनाएँ !
एक बकरा घूम रहा है पूरे देश में -
जवाब देंहटाएंबीच बीच में मिमियाता है अनर्थक कुछ बोलता भी है बाजू ऊपर चढ़ाता है -
चुनाव निकट है तुम फ़िक्र न करो -
खैरात बांटने वालों को वोट न दो।
धूल चटा दो इन काले धनियों को जिनकी करतूतें काली हैं।
तिहाड़ से भी ये गन्दी नाली हैं।
तुम फ़िक्र न करो इनकी अम्मा भी कब तक खैर मनायेगी -
बकरे के लिए मिमियाएगॆ।
बढ़िया रचना है तुम फ़िक्र न करो।
नेताजी फ़िक्र ना करो!
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
एक बकरा घूम रहा है पूरे देश में -
जवाब देंहटाएंबीच बीच में मिमियाता है अनर्थक कुछ बोलता भी है बाजू ऊपर चढ़ाता है -
चुनाव निकट है तुम फ़िक्र न करो -
खैरात बांटने वालों को वोट न दो।
धूल चटा दो इन काले धनियों को जिनकी करतूतें काली हैं।
तिहाड़ से भी ये गन्दी नाली हैं।
तुम फ़िक्र न करो इनकी अम्मा भी कब तक खैर मनायेगी -
बकरे के लिए मिमियाएगी
बढ़िया रचना है तुम फ़िक्र न करो।
रुपया पुराण बेहतरीन रहा .
जवाब देंहटाएंउखड़े मुखड़े पर उड़े, हवा हवाई धूल ।
आग मूतते हैं बड़े, गलत नीति को तूल ।
गलत नीति को तूल, रुपैया सहता जाए ।
डालर रहा डकार, कौन अब लाज बचाए ।
बहरा मोहन मूक, नहीं सुन पाए दुखड़े ।
हारे भारत दाँव, सदन हत्थे से उखड़े ॥
बेशक अमूर्त समाज मूर्तन इकाई मनुष्य को देख रहा ही वही उसका मूल्यांकन करता है।हमारा नागर बोध सिविलिटी प्रेम से ही सिंचित होती है।
जवाब देंहटाएंप्रेम का अभाव और असभ्यता का उदय
smt. Ajit Gupta
अजित गुप्ता का कोना
अति सुन्दर नयनाभिराम। अलावा इसके इस पुरुषोत्तम संगम युग पर स्वयं परम पिता परमात्मा हमको राखी बांधते हैं पवित्र करमा जीत बनने की कसम रखवा लेते हैं।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ
राजेंद्र कुमार
भूली-बिसरी यादें
बहुत सुन्दर चर्चा. रक्षा बंधन की हार्दिक बधाइयाँ . मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स कों प्रस्तुत किया गया हैं |
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच ब्लॉग से बहुत ही खूबसूरत रचनाओं के लिंक्स मिलते रहें हैं |
बहुत से दुर्लभ सामग्री युक्त ब्लॉग मिलते रहे हैं |
आभार |
www.drakyadav.blogspot.in
सुंदर लिंकों चयन ,,,रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाए ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : सुलझाया नही जाता.
बहुत ही सुंदर चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही सुन्दर चर्चा रविकर भाई ,कमाल के कलर सेट किये हैं।
जवाब देंहटाएंरंगीन, मस्त ... लाजवाब चर्चा ....
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने का शुक्रिया ...
बहुत ही प्यारी चर्चा !
जवाब देंहटाएंदिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com
सुंदर लिंक्स सर!
जवाब देंहटाएं"आप सभी को 'रक्षा-बंधन' की हार्दिक शुभकामनाएँ!" :-)
मेरी रचना को स्थान देने का आभार !
~सादर!!!
सुन्दर चर्चा :रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने का आभार !
बहुत ही सुन्दर चर्चा..मेरी रचना को स्थान देने का आभार !:रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंआपने इस मंच पर वसीयत को स्थान दिया बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंरोचक सूत्रों से भरी चर्चा..
जवाब देंहटाएं