शुभम दोस्तों
मैं
सरिता भाटिया
लेकर आई हूँ
चर्चामंच
पर
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सोमवारीय चर्चा
की
मायके से बिधाई की बेला
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रात की झील पर
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अनजाने शहर में पीपल की छाँव
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लक्ष्मण राव से एक मुलाकात
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समाज क्या कहेगा
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धर्म
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कुछ कहना है तुमसे
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जितना भी कमाते हैं
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शाहरुख़ सलमान के निशान
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कहाँ तक पहुंचा इसोन
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उतरदायित्व
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रॉक डाल्टन
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जीवन का फलसफा
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दीजिए इजाजत सुनते हुए
बड़ों को नमस्कार
छोटों को प्यार
.. शुभविदा ..
"मयंक का कोना"..अद्तन लिंक
(1)
क्या फर्क पडा शहीद हो गया एक और सिपाही
Rhythm पर Neelima
(2)
सी आई डी के श्वान जहाँ सूंघते हुए थाने में आ जाते हैं
Hasya Kavi Albela Khatri
(3)
काले-बादल
रविवार की प्रतीक्षा मन व्यग्रता पूर्वक करता है.। दफ्तर में किसी प्रकार की अनावश्यक आवश्यकता न आन पड़े दिल इसी प्रकार की इच्छा रखता है.। जब तैयारी के साथ बहर जाने का समय हुआ ,आचानक कालिदास के दूतो ने पुरे क्षेत्र में अपना पाव फैला दिया...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
(4)
सोचते रहते हैं हम ...!
ज़िन्दगी कैसे बसर हो, सोचते रहते हैं हम
परेशानी कुछ कमतर हो, सोचते रहते हैं हम
मीलों बिछी तन्हाई, जो करवट लिए हुए है
ख़त्म अब ये सफ़र हो, सोचते रहते हैं हम ...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
(5)
"मेरा बस्ता कितना भारी"
मेरा बस्ता कितना भारी।
नन्हे सुमन
(6)
"बाबा नागार्जुन आधी रात के बाद लिखते थे"
चित्र में- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, स्कूटर पर हाथ रखे बाबा नागार्जुन,
मेरी माता जी, मेरी श्रीमती अमर भारती और छोटा पुत्र विनीत।
(7)
"दुश्मन से लोहा लेना होगा"
दान ,अनुदान और खानदानी दान
दान की मुत्तालिक संत तुलसीदास और अब्दुर्रहीम खानखाना के बीच हुआ संवाद उद्धृत करने योग्य है। खानखाना के दरबार से कोई भी याचक खाली हाथ नहीं जाता था। उनकी महिमा के चर्चे आम थे क्योंकि वह निरभिमान दानी थे।
तुलसीदास ने चमत्कृत होते हुए उनसे पूछा :
कहाँ से सीखी नवाब जू ,ऐसी देनी देन ,
ज्यों ज्यों कर ऊपर करौ ,त्यों त्यों नीचे नैन।...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
(9)
रामप्यारी के चक्कर में डा. दराल ने बर्थ-डे मनाया
"दो और दो पांच: के सेट पर !
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
(10)
नीम निमोली गदराई
वाग्वैभव पर vandana
(11)
नाग पंचमी और बाबूजी का जन्मदिन !
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
(12)
पटरी पर आते ही डिरेल हुई चेन्नई एक्सप्रेस !
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(13)
सावन
सजी धजी हरी भरी वसुंधरा नवीन सी,
फुहार मेघ से झरी सफ़ेद है महीन सी,
नया नया स्वरुप है अनूप रंग रूप है,
बयार प्रेम की बहे खिली मलंग धूप है...
(1)
क्या फर्क पडा शहीद हो गया एक और सिपाही
Rhythm पर Neelima
(2)
सी आई डी के श्वान जहाँ सूंघते हुए थाने में आ जाते हैं
Hasya Kavi Albela Khatri
(3)
काले-बादल
रविवार की प्रतीक्षा मन व्यग्रता पूर्वक करता है.। दफ्तर में किसी प्रकार की अनावश्यक आवश्यकता न आन पड़े दिल इसी प्रकार की इच्छा रखता है.। जब तैयारी के साथ बहर जाने का समय हुआ ,आचानक कालिदास के दूतो ने पुरे क्षेत्र में अपना पाव फैला दिया...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
(4)
सोचते रहते हैं हम ...!
ज़िन्दगी कैसे बसर हो, सोचते रहते हैं हम
परेशानी कुछ कमतर हो, सोचते रहते हैं हम
मीलों बिछी तन्हाई, जो करवट लिए हुए है
ख़त्म अब ये सफ़र हो, सोचते रहते हैं हम ...
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा
(5)
"मेरा बस्ता कितना भारी"
मेरी बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता
"मेरा बस्ता कितना भारी"
मेरा बस्ता कितना भारी।
बोझ उठाना है लाचारी।।
(6)
"बाबा नागार्जुन आधी रात के बाद लिखते थे"
चित्र में- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री, स्कूटर पर हाथ रखे बाबा नागार्जुन,
मेरी माता जी, मेरी श्रीमती अमर भारती और छोटा पुत्र विनीत।
(7)
"दुश्मन से लोहा लेना होगा"
मक्कारों से मक्कारी हो, गद्दारों से गद्दारी।
तभी सलामत रह पायेगी, खुद्दारों की खुद्दारी।।
दया उन्हीं पर दिखलाओ, जो दिल से माफी माँगें,
कुटिल, कामियों को फाँसी पर जल्दी से हम टाँगें,
ऐसा बने विधान देश का, जिसमें हो खुद्दारी।
(8)दान ,अनुदान और खानदानी दान
दान की मुत्तालिक संत तुलसीदास और अब्दुर्रहीम खानखाना के बीच हुआ संवाद उद्धृत करने योग्य है। खानखाना के दरबार से कोई भी याचक खाली हाथ नहीं जाता था। उनकी महिमा के चर्चे आम थे क्योंकि वह निरभिमान दानी थे।
तुलसीदास ने चमत्कृत होते हुए उनसे पूछा :
कहाँ से सीखी नवाब जू ,ऐसी देनी देन ,
ज्यों ज्यों कर ऊपर करौ ,त्यों त्यों नीचे नैन।...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
(9)
रामप्यारी के चक्कर में डा. दराल ने बर्थ-डे मनाया
"दो और दो पांच: के सेट पर !
ताऊ डाट इन पर ताऊ रामपुरिया
(10)
नीम निमोली गदराई
वाग्वैभव पर vandana
(11)
नाग पंचमी और बाबूजी का जन्मदिन !
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव
(12)
पटरी पर आते ही डिरेल हुई चेन्नई एक्सप्रेस !
TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव
(13)
सावन
सजी धजी हरी भरी वसुंधरा नवीन सी,
फुहार मेघ से झरी सफ़ेद है महीन सी,
नया नया स्वरुप है अनूप रंग रूप है,
बयार प्रेम की बहे खिली मलंग धूप है...
अरुन शर्मा 'अनन्त'
09899797447
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
बहुत सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंनये-पुराने लिंकों का संगम!
आभार सरिता जी!
लिंक्स हैं बेमिसाल और चर्चा है कमाल :)
जवाब देंहटाएंसरिता जी आपका आभार !
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेह्तरीन लिंकों के साथ सार्थक पठनीय चर्चा। सादर आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सारी और बढ़िया लिंक्स |
जवाब देंहटाएंतीज पर बधाई |
आशा
सरिता भाटिया जी ने तमाम रंग के लिंक्स लगाए, फिर आपने उसमें और चार चांद लगा दिया। बहुत सुंदर सजा है आज का मंच..
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमेरा तो नन्ना सा तन है ,
बस्ता भारी हल्का तन है।
छोटा बस्ता छोटा परिवार (पाठ्य पुस्तकें )
बेहद सुन्दर सशक्त बाल ,कविता में कथा और कथा में बेहद की सुन्दर कविता। ॐ शान्ति।
बेहद की सुन्दर चर्चा सजायी है जतन से पूरे मन से श्रम से। ॐ शान्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ....आभार सरिता जी मेरा लिंक चयन किया ...!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स संयोजन आदरणीया सरिता जी एवं आदरणीय गुरुदेव श्री मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर और विस्तारित चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर लिंकों का संयोजन |
जवाब देंहटाएंरचना कों स्थान देने के लिए आभार |
अच्छी चर्चा है
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स मिले
बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार
जवाब देंहटाएंnice.
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने हमारे लिखे शब्दों को इतना मान दिया
जवाब देंहटाएंसरिता जी बहुत सुन्दर लिनक्स सजाये आपने
बेहद ही सुन्दर चर्चा सजायी है जतन से...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंवाह! अच्छी पोस्ट्स का कलेक्शन है..
जवाब देंहटाएंकाफी दिनों बाद ब्लॉग्स पढने आया और यहाँ अच्छा-खासा मसाला मिल गया..
बहुत सुंदर उम्दा लिंकों का चयन ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : जिन्दगी.
सरिता जी, बेहतरीन संकलन रचनाओं का...सभी को शुभ कामनाएं...चर्चा मंच में धर्म को शामिल करने के लिए...धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंआपके मंच पर मेरी रचना '' जितना भी कमाते हैं..............'' को स्थान देने का हार्दिक आभार एवं जिनहे यह ग़ज़ल पसंद आई उन्हे धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबड़े ही रोचक सूत्रों की चर्चा।
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