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Monday, September 02, 2013

प्रभु से गुज़ारिश : चर्चामंच 1356

..शुभम दोस्तो..
मैं 
सरिता भाटिया
हाजिर हूँ 
चर्चा मंच 1356 पर 
सितम्बर माह की 
पहली सोमवारीय चर्चा 
लेकर  

बच्चा नहीं जच्चा 


हालात से दो दो हाथ 

मिटटी का दीपक 


बुतों से अर्जे हाल 

पाता पोती दुष्ट 


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मैंने तो अपनी भाषा को प्यार किया है 


भगवत गीता दूसरा अध्याय 

मूक अहसास 


नालायक बनने में ही आदमी का बचाव 

मुक्तक 


बलात्कारी और मनमर्जी 

आपको..प्रेम संस्मरण 

दोस्तो कीजिए विदा 
एक मेरी पसंद का गीत सुनते हुए 

बड़ों को नमस्कार 
छोटों को प्यार 
..शुभविदा ..
मित्रों!
अभी मेरा ब्रॉडबैंड खराब ही है,
लेकिन प्रयास है "मयंक का कोना"
स्लोकनक्शन से लगाने का...!
--
समाज की बलि चढ़ती बेटियां

समाज पर Kartikey Raj 

--
कंकरीट के जंगल

मेरा मन पंछी सा पर Reena Maurya

--
मैं अतीत के पन्ने नही पढ़ती ..

Rhythm पर नीलिमा शर्मा 

--
माखनचोर- हाइगा में

हिन्दी-हाइगा पर ऋता शेखर मधु 

--
न्याय-अन्याय

अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal

--
मत चींखो मत लड़ो दामिनी

कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली.

--
कार्टून :- सो रहे थे क्‍या ?

काजल कुमार के कार्टून
--
"दो और दो पांच" में एम. ए. शर्मा ’सेहर’

ताऊ डाट इन

--
"रंग-बिरंगे छाते" 
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
"रंग-बिरंगे छाते"
कई दिनों में वर्षा आई,
जाग गई मन में उमंग हैं।
भाई-बहन दोनों ही खुश हैं,
दो छातों के अलग रंग हैं।।
हँसता गाता बचपन
--
"दोहे-कुंठित हुआ समाज"
धार लबादा सन्त का, करते पापाचार।
कश्ती को अब धर्म की, कौन करेगा पार।।
उच्चारण
--
"बहुत काम का"
बालकृति "नन्हें सुमन" से
एक बालकविता

नौकर है यह बिना दाम का।
वफादार है बड़े काम का।।
नन्हे सुमन

28 comments:

  1. शुभ प्रभात
    सही और सार्थक सूत्र
    अच्छा लगा आज का संयोजन
    सादर

    ReplyDelete
  2. उम्दा सूत्रों से सजा चर्चा मंच |
    आशा

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आभार सरिता भाटिया जी!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुन्दर सटीक संयोजन !

    ReplyDelete
  5. शुभ प्रभात, बहुत ही सुंदर सूत्रों से सजा हुआ है आज का चर्चा मंच.........

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  6. धार लबादा सन्त का, करते पापाचार।
    कश्ती को अब धर्म की, कौन करेगा पार।।

    पहले भी थे धरा पर, थोड़े-बहुत असन्त।
    अब बहुतायत में हुए, भोगी और कुसन्त।।

    कामी. क्रोधी-लालची, करते कारोबार।
    राम नाम की आड़ में, दौलत का व्यापार।।

    उपवन के माली स्वयं, कली मसलते आज।
    आशाएँ धूमिल हुईं, कुंठित हुआ समाज।।

    आशाओं का हनन जब, करते आशाराम।
    आशा के संचार का, कौन करेगा काम।।
    ---------रूप मयंक शाष्त्री जी उच्चारण पर

    जन जन के उदगार और आक्रोश और मलाल को वयक्त किया है आपने इस दोहावली में।

    ReplyDelete
  7. सुन्दर चर्चा मंच सजाया आपने ,

    सादर हमें बिठाया आपने।

    ReplyDelete
  8. "दोहे-कुंठित हुआ समाज"

    धार लबादा सन्त का, करते पापाचार।
    कश्ती को अब धर्म की, कौन करेगा पार।।
    उच्चारण

    ये सबके सब आशाराम।

    मत करना तुम इन्हें सलाम।

    बगुलन के चाचाजी हैं ये ,

    नेता करते इन्हें प्रणाम।

    ये सबके सब आशाराम।
    वीरुभाई (कैंटन ,मिशिगन )

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    Replies

    1. आप अभी तक हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {साप्ताहिक चर्चामंच} की चर्चा हम-भी-जिद-के-पक्के-है -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-002 मे शामिल नही हुए क्या.... कृपया पधारें, हम आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आगर आपको चर्चा पसंद आये तो इस साइट में शामिल हों कर आपना योगदान देना ना भूलें। सादर ....ललित चाहार

      Delete
  9. सटीक सूत्र ,उम्दा संयोजन....सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर प्रस्तुति,उम्दा संयोजन.

    ReplyDelete
  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
    ---
    आप अभी तक हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {साप्ताहिक चर्चामंच} की चर्चा हम-भी-जिद-के-पक्के-है -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-002 मे शामिल नही हुए क्या.... कृपया पधारें, हम आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आगर आपको चर्चा पसंद आये तो इस साइट में शामिल हों कर आपना योगदान देना ना भूलें। सादर ....ललित चाहार

    ReplyDelete
  13. सुन्दर प्रस्तुति -
    आभार आदरणीया सरिता जी-

    ReplyDelete

  14. :))

    आभार रूपचन्द्र शास्त्री जी और सरिता भाटिया जी!

    उम्दा ब्लोग्स तक पहुँचाने का और हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अतुलनीय योगदान के लिए भी बहुत शुक्रिया !

    सेहर

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  15. sundar charcha say ye manch sajaya apne....abhar

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  16. सभी लिंक बहुत अच्छे हैं... प्रस्तुतिकरण भी सुंदर है...
    ऐसी चर्चाओं की वजह से अच्छे ब्लॉग और अच्छी पोस्ट पढ़ने को मिल जाती हैं...
    शुभकामनाएं...

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  17. बहुत उम्दा लिनक्स का संयोजन .... मेरी रचना को शामिल किये जाने का आभार

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  18. बढिया लिंक्स, अच्छी चर्चा

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  19. आदरणीया सरिता जी सुन्दर एवं पठनीय सूत्रों से सुसज्जित सुव्यवस्थित शानदार चर्चा हेतु हार्दिक आभार आपका.

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  20. बहुत बढ़िया लिंक संकलन के लिए बधाई,,,सरिता जी,,,

    RECENT POST : फूल बिछा न सको

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  21. शुक्रिया दोस्तो.....
    गुरु जी प्रणाम

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  22. सुन्दर संकलन में मुझे स्थान देने के लिए आभार..
    :-)

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  23. आपने चर्चा मंच पर जगह दिया , इसके लिए बहुत शुक्रिया और आभार ...

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  24. गीता ज्ञान में ही त्राण है आज की विसंगतियों का। बहुत सुन्दर पोस्ट।

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