नाजुक अंगों को छुवे, करे वासना शान्त |
बने कान्त एकांत में, होय क्वारपन क्लांत |
होय क्वारपन क्लांत, बुद्धि से संत अपाहिज |
बढे दरिन्दे घोर, हुआ अब भारत आजिज |
बड़ी सजा की मांग, सुरक्षा से है तालुक |
मात पिता जा जाग, परिस्थिति बेहद नाजुक |
सत रज रमते कर्म में, तम तो लापरवाह | लिप्त भोग में काल कुछ, तम देता फिर दाह | Virendra Kumar Sharma ram ram bhai |
"दोहे-खुली ढोल की पोल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
साधू-सन्तों के यहाँ, क्यों हैं इतने ठाठ।
धन-दौलत बाबाओं की, निर्धन में दो बाँट।।
दुनियादारी छोड़कर, जब हो गये विरक्त।
फिर क्यों साधू हो रहे, भोगों में अनुरक्त।।
एक मीन कर देत है, गन्दा सारा ताल।
यहाँ कंकड़ों से भरी, अब तो पूरी दाल।।
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मीडिया का अतिरेकी रवैया अपनाना क्या सही है !
पूरण खण्डेलवाल
फैलाए उत्तेजना, और कमाए माल |
और कमाए माल, खबर खरभर कर देता |
करता कभी कमाल, कदाचित पैसे लेता |
दिखा रहा प्रत्यक्ष, करे जैसे यह नेकी |
छुपा जाय पर सत्य, मीडिया यह अतिरेकी ||
रेका=संदेह / शंका
उम्मीदों की मुंडेर पे ...
सदा
SADA -
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Faiyaz Ahmad Computer Tips & Tricks - |
जागती आँखों से छुआ नही जाता - दिगम्बर नासवा
NAVIN C. CHATURVEDI
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पुस्तक समीक्षा 'प्रारब्ध '
Asha Saxena
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जम कर रह गये हैं जो बादल!!.................दफैरून
yashoda agrawal
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Starting point of Narmada River नर्मदा उदगम स्थल 39 शक्तिपीठ चण्डिका पीठ
SANDEEP PANWAR
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भविष्यवाणी - कहानी [भाग 2]
Anurag Sharma
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सरिता भाटिया
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"मयंक का कोना"
-- 07 सितम्बर को शनिवार की चर्चा लगा देना रविकर जी! -- आसाराम बापू अपने संकट का निवारण करने के लिए यदि निर्मल दरबार में जाते तो वहां ऐसा कुछ होता Hasya Kavi Albela Khatri -- ये देखो आज भरत से राम वध करा गयी ! कौशल ! -- इखरे - बिखरे - निखरे आखर झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव -- श्रीमदभगवत गीता चौदहवाँ अध्याय त्रिगुणत्रयविभाग योग : भाव विस्तार श्लोक संख्या (१ -१७ ) आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma -- वफ़ा के नाम से डरते हैं .....गमदीदा मोहब्बत के,वफ़ा के नाम से डरते हैं | बेदर्द जमाने में ,खत-ओ-पैगाम से डरते हैं... प्रस्तुतकर्ता anand murthy -- "बढ़े चलो-बढ़े चलो"
"बढ़े चलो-बढ़े चलो"
है कठिन बहुत डगर, चलना देख-भालकर,
धूप चिलचिला रही, बढ़े चलो-बढ़े चलो!!
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आभार रविकर जी!
जवाब देंहटाएं--
07-09-2013 शनिवार की भी चर्चा लगाने की कृपा करें।
मुझे 6 और 9 सितम्बर को बाहर जाना है!
--
सूचनार्थ सादर!
जी गुरू जी-
शुभ प्रभाक रविकर भाई
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा....सच में अनछुई रचनाओं से अवगत करवाया आपने
आभार,,,,दफैरून की रचनाएँ अक्सर कृत्या में प्रकाशित होते रहती है
सादर
आदरणीय रविकर sir एवं गुरु जी प्रणाम
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्रों से सुसज्जित चर्चा के लिए बधाई
मेरी प्रेम की पाती को स्थान देने के लिए शुक्रिया
लखि सुबेष जग बंचक जेऊ ,बेश प्रताप पूजिअहिं तेऊ ,
जवाब देंहटाएंउघरहिं अंत न होइ निबाहू ,कालनेमि जिमि रावन राहू।
जो (वेशधारी )ठग हैं ,उन्हें भी अच्छा (साधु -सा )वेश बनाए देखकर वेश के प्रताप से जगत पूजता है
;परन्तु एक -न -एक दिन वे चौड़े आ ही जाते हैं ,उनकी अ - सलियत सामने आ जाती है। अंत तक
उनका कपट नहीं निभता ,जैसे कालनेमि ,रावण और राहुका हाल हुआवैसे ही आशा राम बापू का हुआ
है।
"दोहे-खुली ढोल की पोल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
उच्चारण
अच्छे सूत्र आज के चर्चा मंच पर रविकर जी |मेरा ब्लॉग शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
आपनें बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है !
जवाब देंहटाएंसादर आभार !!
रविकर की चर्चा में
जवाब देंहटाएंउसकी कुंडलियाँ भी
होती हैं जब साथ
अच्छे सूत्र में लग
जाते है चार चांद
आभारी हे उल्लूक
उसका दीमक भी
रहा है आज की चर्चा
के पन्ने को चाट !
बेहद उम्दा चर्चा सजाई है.........मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंआपनें बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है !आभार !!
जवाब देंहटाएंमर्त्य देश के निवासी - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः12
मस्त है आज की हलचल ...
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है.....
जवाब देंहटाएं---हाँ मुझे लगता है कि हमारे लेखक, कविगण, ब्लोगर आदि इस ताक में बैठे रहते हैं कि कोई चटपटी घटना/ दुर्घटना घटे और उन्हें उस पर लिखने का अपनी काव्यप्रतिभा दिखाने का, टिप्पणियाँ पाने का मौक़ा मिले... और दनादन बढ़चढ़ कर कविता, आलेख बुराइयां पर ब्लोग्स लिखना प्रारम्भ होजाता है जिनमें समाधान की कोइ दिशा नहीं होती ...बस चटपटी कवितायें ...मेरा विचार है कि घटनाओं पर कवितायें, आलेख आदि समाचार परक रचनाओं पर व्यर्थ में अपनी प्रतिभा व्यर्थ करने की अपेक्षा ...वे न घटें इस पर लिखना चाहिए....
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएं---
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हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}
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आदरणीय रविकर भाई जी बहुत सुन्दर चर्चा हेतु बधाई आपको |
जवाब देंहटाएंसुन्दर काव्यमयी चर्चा..
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