आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
1850वीं पोस्ट "तीन मुक्तक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण -
ये: गुनाहों का घर
Suresh Swapnil at साझा आसमान
असली दंगों के असली भेड़िये ........ कौन ...?
कुशवंश at अनुभूतियों का आकाश
क्या इंसाफ हुआ है ?
Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav)
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
कोउ होय नृप हमे का हानि ? Modi for P.M.
DR. ANWER JAMAL at Hindi Bloggers Forum International (HBFI)
मैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ
अरुन शर्मा अनन्त at दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की)
समझती है अभी भी पांचवीं में पढ़ रहा हूं मैं ...
noreply@blogger.com (दिगम्बर नासवा) at स्वप्न मेरे
तेरे द्वार खडा भगवान , भगत भर दे रे झोली !
tarun_kt at Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने..
सौवीं पोस्ट
Saras at मेरे हिस्से की धूप
बस यही साहित्य है.
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया at सृजन मंच ऑनलाइन
बादलों की गड़गड़ाहट : दैनिक हिंदी मिलाप 16 सितम्बर 2013 अंक में प्रकाशित कविता
नुक्कड़ at अविनाश वाचस्पति
हाय द्रवित मन मेरा कहता, काश साथ तुम मेरे होतीं -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना at मेरे गीत !
मोदी के नाम में कोई जादू सा लगता है
Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" at My Unveil Emotions
Untitled
Kirti Vardhan at samandar
बाघ तू तो खाली बाघ हो रहा है
Sushil Kumar Joshi at उल्लूक टाईम्स -
मोदी बनाम अडवाणी
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari -
पर्यटन - स्थानीय पक्ष
noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम्
रंग जो लाई हैं दुआएं , अब उतरने न पाए --
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
"मयंक का कोना"
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मेरी शब्दयात्रा - सुपरिचित कथाकार ममता कालिया
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
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झारखण्ड - Jharkhand
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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हिंदी दिवस: सौ बरस,
10 श्रेष्ठ कविताएं...मंगलेश डबराल
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित
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मन के भाव। ….
१ मन के भाव शांत उपवन में पाखी से उड़े .
२ उड़े है पंछी नया जहाँ बसाने नीड़ है खाली...
sapne(सपने) पर shashi purwar
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वोट-बैंक की गंदी सियासत
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सियासी नौटंकी चल रही है मुजफ्फरनगर में। NDTV टीवी वाले केवल रोते हुए मुस्लिम चेहरे ही दिखा रहे हैं मानो हिन्दुओं को कुछ हुआ ही न हो। सारे पीड़ित मुस्लिम ही हों ! वोट-बैंक की गंदी सियासत ?
ZEAL
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कार्टून :-
प. बंगाल में बच्चे क्या मारे जाने के लिए ही होते हैं
काजल कुमार के कार्टून
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श्रीमदभगवद गीता अध्याय तीन :श्लोक उन्तीसवाँ
आपका ब्लॉगपरVirendra Kumar Sharma
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गणपति बप्पा [ दोहे ]
विनायकम कहते सभी ,धरते तेरा ध्यान
तुझसे ही जीवन चले, तुझसे पाते प्राण ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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"बालकविता-तरबूज"
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मेरी शब्दयात्रा - सुपरिचित कथाकार ममता कालिया
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार
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झारखण्ड - Jharkhand
मेरा काव्य-पिटारा पर ई. प्रदीप कुमार साहनी
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हिंदी दिवस: सौ बरस,
10 श्रेष्ठ कविताएं...मंगलेश डबराल
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित
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मन के भाव। ….
१ मन के भाव शांत उपवन में पाखी से उड़े .
२ उड़े है पंछी नया जहाँ बसाने नीड़ है खाली...
sapne(सपने) पर shashi purwar
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वोट-बैंक की गंदी सियासत
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सियासी नौटंकी चल रही है मुजफ्फरनगर में। NDTV टीवी वाले केवल रोते हुए मुस्लिम चेहरे ही दिखा रहे हैं मानो हिन्दुओं को कुछ हुआ ही न हो। सारे पीड़ित मुस्लिम ही हों ! वोट-बैंक की गंदी सियासत ?
ZEAL
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कार्टून :-
प. बंगाल में बच्चे क्या मारे जाने के लिए ही होते हैं
काजल कुमार के कार्टून
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गणपति बप्पा [ दोहे ]
विनायकम कहते सभी ,धरते तेरा ध्यान
तुझसे ही जीवन चले, तुझसे पाते प्राण ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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"बालकविता-तरबूज"
बालकृति नन्हें सुमन से
एक बालकविता
"तरबूज"
जब गरमी की ऋतु आती है!
लू तन-मन को झुलसाती है!!
तब आता तरबूज सुहाना!
ठण्डक देता इसको खाना!!
नन्हे सुमन
परिश्रम के साथ की गयी उत्तम चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार आपका...बहन राजेश कुमारी जी।
सात रंग से भरा, फाग है ज़िन्दग़ी
जवाब देंहटाएंदोस्ती का चमन, बाग है ज़िन्दग़ी
मत ग़लत सुर लगाना, कभी भी यहाँ
गीत और प्रीत का राग है ज़िन्द़गी
फुटपाथ की आस ,राग विहाग है ज़िन्दगी ,
सुहागन का सुहाग है ज़िदगी।
बढ़िया रचना। सार्थक अनुबोधक।
1850वीं पोस्ट "तीन मुक्तक" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण -
जोश और उमंग की एक नै ज़मीन तोडती रचना -
जवाब देंहटाएंदुश्मन तेरे
होंसलों को ढापेंगे
अवसर पाकर
तेरे कद को नापेंगे
उठकर उनकी गर्दने तू मरोड़ दे
अबला तू खुद को कहलाना छोड़ दे
नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
उठ चल उनकी गर्दन तू तोड़ दे।
हे नारी तू ये पंथ पुराना छोड़ दे!!
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
बढ़िया लिंक्स हैं |
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा : ज़िन्दगी एक संघर्ष -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-005
सुन्दर - सहज और मनभावन संकलन - बधाई
जवाब देंहटाएंसुन्दर और रोचक सूत्रों से सजी चर्चा, आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा बनाई है
आभारी है उल्लूक
राजेश कुमारी जी
उसका बाघ भी
साथ में लेकर
के आई हैं !
गणपति बप्पा दोहे,हर ले संकट तो हे।
जवाब देंहटाएं--
गणपति बप्पा [ दोहे ]
विनायकम कहते सभी ,धरते तेरा ध्यान
तुझसे ही जीवन चले, तुझसे पाते प्राण ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
bahut sundar charcha hai ,links bahut acche lage , mujhe bhi shamil karne ke liye abhaar shashtri ji
हटाएंबहुत सटीक कही चित्र व्यंग्य की मार्फ़त।
जवाब देंहटाएंआज खतरा अस्पतालों से है संसद और सदनों से है भीतर से ज्यादा है अस्पताल जन्य बीमारियाँ और लापरवाहियां हर लें मासूम जानों को।
पर्यटन स्थानीय पक्ष तमाम अनुकरणीय सुझावों से लबालब है।
जवाब देंहटाएंपर्यटन - स्थानीय पक्ष
noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम्
सेकुलर पीड़ा को सरहाने ही अखिलेश गोल टोपी पहन कर मुज्ज़फर नगर पहुंचे थे। जबकि मौक़ा न ईद का था न शब्बे रात का। यही है असली वोटनीति। मोदी को रोकने के लिए कांग्रेस और सपा मिले हुए हैं।
जवाब देंहटाएं--
वोट-बैंक की गंदी सियासत
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सियासी नौटंकी चल रही है मुजफ्फरनगर में। NDTV टीवी वाले केवल रोते हुए मुस्लिम चेहरे ही दिखा रहे हैं मानो हिन्दुओं को कुछ हुआ ही न हो। सारे पीड़ित मुस्लिम ही हों ! वोट-बैंक की गंदी सियासत ?
ZEAL
जवाब देंहटाएंएन डी टी वी (एंटी इंडिया टी वी )कोंग्रेस का भोंपू है।
वोट-बैंक की गंदी सियासत
सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सियासी नौटंकी चल रही है मुजफ्फरनगर में। NDTV टीवी वाले केवल रोते हुए मुस्लिम चेहरे ही दिखा रहे हैं मानो हिन्दुओं को कुछ हुआ ही न हो। सारे पीड़ित मुस्लिम ही हों ! वोट-बैंक की गंदी सियासत ?
ZEAL
जवाब देंहटाएंबेशक अब मुख चिठ्ठा विमर्श का केंद्र बनने लगा है।
रंग जो लाई हैं दुआएं , अब उतरने न पाए --
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
तरकश में भाजपा के है मोदी सा अब तो शर
जवाब देंहटाएंमाथे भसम मली ही थी हलचल सी मच गयी
तरकश में भाजपा के है मोदी सा अब तो शर
माथे भसम मली ही थी हलचल सी मच गयी
ये नामो अब हिन्दुस्तान की जुबान है।
मोदी के नाम में कोई जादू सा लगता है
Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" at My Unveil Emotions
मनभावन संकलन सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को स्थान देने का ...
सार्थक लिंक्स का सुंदर संचयन ! बहुत बढ़िया चर्चामंच !
जवाब देंहटाएंसमस्त चर्चा-मंच को सम्मानित "मंच-मंडल" और "सुधि-पाठक" व अन्य सभी को महत भारतीय परम्परा / पर्व की हार्दिक बधाईयाँ !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा मंच-
आभार दीदी
सुंदर सूत्र संकलन ! मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार ....
जवाब देंहटाएंRECENT POST : बिखरे स्वर.
सार्थक लिंक्स का सुंदर चयन ! बहुत बढ़िया चर्चामंच !
जवाब देंहटाएं! बहुत बढ़िया चर्चामंच !
जवाब देंहटाएंबेटियों सँग हादसे यूँ देखकर,
जवाब देंहटाएंमैं पिता जबसे हुआ चिंतित हुआ,
बहुत बढ़िया अनंत भाई एक तुकबंदी इधर भी
नोंच खाई जिसने सारी बोटियाँ
बाल अपराधी वही साबित हुआ ,
मोदी का देखो मच गया है कितना हल्ला ,
जवाब देंहटाएंसावधान रहना तुम लल्ला ,
बैठे सेकुलर घात लगाए ,
इनसे बचके रहना लल्ला।
बहुत ही सुन्दर चर्चा मंच |आभार सर जी |
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
बहुत बढ़िया कहा आपने त्रिवेदी संतोषजी -
गौर इधर भी करें -
कट्टरता का खेत जलाने आये मोदी ,
चलता रहा क्या खेल बताने आये मोदी
मोदी बनाम अडवाणी
संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari -
मोदी से जो भी भिड़े जमके खाए मात।
जवाब देंहटाएंएक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
16 सितम्बर 2013
मोदी बनाम अडवाणी
मोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
प्रस्तुतकर्ता संतोष त्रिवेदी
लेबल: अडवाणी, कुण्डलियाँ, भाजपा, मोदी
http://www.santoshtrivedi.com/2013/09/blog-post_16.html?showComment=1379430206033#c1314224333822621427
समय करे नर क्या करे समय समय की बात ,
जवाब देंहटाएंमोदी से जो भी भिड़े जमके खाए मात।
एक प्रतिक्रिया ब्लॉग :
16 सितम्बर 2013
मोदी बनाम अडवाणी
मोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
प्रस्तुतकर्ता संतोष त्रिवेदी
लेबल: अडवाणी, कुण्डलियाँ, भाजपा, मोदी
http://www.santoshtrivedi.com/2013/09/blog-post_16.html?showComment=1379430206033#c1314224333822621427
आभार आपका।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमोदी नाम पे कितना हल्ला ,
सावधान रहना तुम लल्ला ,
सेकुलर बैठे घात लगाए ,
इनसे बचके रहना लल्ला।
16 सितम्बर 2013
मोदी बनाम अडवाणी
मोदी के सर ताज है,अडवाणी कंगाल।
खुद का बोया काटते,काहे करें मलाल ?
काहे करें मलाल,बताया जिन्ना सेकुलर।
तिकड़म सब बेकार, रहे ना हिन्दू कट्टर।
अब काहे रिरियांय,फसल जो पहले बो दी।
कट्टरता का खेत, काटने आए मोदी।।
प्रस्तुतकर्ता संतोष त्रिवेदी
लेबल: अडवाणी, कुण्डलियाँ, भाजपा, मोदी
खूबसूरत रचना संकलन....मेरी कविता शामिल करने के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंआदरणीय वीरेंद्र कुमार शर्मा जी के साथ आप सभी दोस्तों का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंकुछ बढ़िया पोस्ट पढ़ने को भी मिलीं आपकी चर्चा से, कार्टून को भी परिचर्चा में सम्मिलित करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स हैं.
जवाब देंहटाएंshukriya.