आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
आज की मंगलवारीय चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर
INDIA GATE इन्डिया गेट
SANDEEP PANWAR at जाट देवता का सफर/journey
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"कितनी अच्छी लगती हैं" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण
ब्रेकिंग न्यूज : सरकारी सब्सिडी का फायदा लेने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं.-
tarun_kt at Tarun's Diary-"तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."
किस्सा ऐ प्याज "
ranjana bhatia at कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se
बेटी को बचा लो !!! (लघु कथा )
Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
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चलो अवध का धाम
ई. प्रदीप कुमार साहनी at मेरा काव्य-पिटारा -
ऐसा भी होता है दोस्तों ...:-)
Pallavi saxena at मेरे अनुभव (Mere Anubhav) -
दुखद समाचार
शिवम् मिश्रा at ब्लॉग बुलेटिन
पूर्वाभास
G.N.SHAW at BALAJI
आज के अभिभावकों की दुविधा
डॉ. मोनिका शर्मा at परवाज़...शब्दों के पंख
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रामधारी सिंह "दिनकर" को जन्म दिन पर नमन....
ARUN SATHI at साथी
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कोह सा अकड़ा खड़ा रहता था जो
नीरज गोस्वामी at नीरज -
ढूँढता हूँ मैं किनारा
Yashwant Yash at नयी पुरानी हलचल -
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अजनबी मुखौटे
rahul misra at खामोशियाँ...!!! -
सागर की पुकार सुनें जब
Anita at डायरी के पन्नों से
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junbishen 76
Munkir at Junbishen
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एक बरसात कुछ अलग सी ……
निवेदिता श्रीवास्तव at झरोख़ा
तितली उड़ रही है बेपरवाह!
अनुपमा पाठक at अनुशील
हवा ये कैसी चली….
Maheshwari kaneri at अभिव्यंजना
एक खुशखबरी देना चाहती हूँ की दो दिन पहले हम सब की ब्लोगर मित्र आदरणीया महेश्वरी कनेरी जी की पुस्तक 'सरस अनुभूति '(पुस्तक का चित्र साझा कर रही हूँ )के लोकार्पण में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ,उनको शुभकामनायें
प्रेम गजल
Mukesh Kumar Sinha at जिंदगी की राहें -
मुक्तक
सरिता भाटिया at गुज़ारिश
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naya daur
Kirti Vardhan at samandar
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.....ताकि त्वचा रहे खिली-खिली
Kumar Radharaman at स्वास्थ्य -
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एक सही एक करोड़ गलत पर भारी होता है
Sushil Kumar Joshi at उल्लूक टाईम्स -
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आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
हिन्दी पखवाड़े में आपका स्वागत है...।
सुप्रभात मित्रों।
विभूति नारायण राय
आपलोग भले ही यहाँ इस चर्चा में फेसबुक और ट्विटर के आने से ब्लॉगिंग के पिछड़ जाने की चिन्ता कर रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि यह माध्यम कभी खत्म नहीं हो सकता। ऐसी आशंकाएँ पहले भी व्यक्त की गयी हैं। जब भी अभिव्यक्ति का कोई नया माध्यम आया है तो पुराने माध्यम के बारे में ऐसी भविष्यवाणी की जाती है। लेकिन इतिहास गवाह है कि कोई माध्यम हमेशा के लिए समाप्त नहीं होता...
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
मादन तक तो स्वयं कृष्ण भी नहीं पहुँच सकते।
राधा तत्व क्या है ?(चलते चलते दूसरी क़िस्त ) जिनकी श्री कृष्ण आराधना करें ,जिनकी गोद में लेट कर श्री कृष्ण इतना सुख पायें ,अपने गोलोक को भूल जाएँ वह श्रीराधा हैं। कृष्ण की अनंत शक्तियों पर राज्य करने वाली एक लाजिमी शक्ति है। उससे भी ऊपर प्रेम की शक्ति है। प्रेम से भी ऊपर एक महा -अनुभाव शक्ति है। इसके भी दो विभाग हैं : (१) रूढ़ (२) अधिरूढ़ अधिरूढ़ के भी आगे दो विभाग हैं : (१) मादन (२) मोदन जो मोदन है वियोग में वही मोहन बन जाता है...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
उनके जन्मदिन पर सादर नमन...
अभिनव रचना पर ममता त्रिपाठी
... नियमों पर खरा उतरने में अब तसवीर बदल गयी है कहा जाता है कभी घर से तो निकलो मिलो जुलो सर्कल बनाओ पर उलझ कर रह गयी है दो तरह के नियमों में पहले थी बाली उमर खुद को बदलना संभव हुआ पर अब अपना है सोच जीने का एक तरीका है कैसे परिवर्तन हो समझ नहीं पाती सोचते सोचते अधिक ही थक जाती है कोइ हल नजर नहीं आता ।
Akanksha पर Asha Saxena
काव्य संग्रह 'धरा के रंग' से एक गीत
जिसको अपना स्वर दिया है अर्चना चाव जी ने।
"धरा के रंग"
रविकर की कुण्डलियाँ
सुप्रभात मित्रों।
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"मयंक का कोना"
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हिंदी ब्लॉगिंग का भविष्य बहुत अच्छा है: विभूति नारायण राय
आपलोग भले ही यहाँ इस चर्चा में फेसबुक और ट्विटर के आने से ब्लॉगिंग के पिछड़ जाने की चिन्ता कर रहे हैं लेकिन मुझे लगता है कि यह माध्यम कभी खत्म नहीं हो सकता। ऐसी आशंकाएँ पहले भी व्यक्त की गयी हैं। जब भी अभिव्यक्ति का कोई नया माध्यम आया है तो पुराने माध्यम के बारे में ऐसी भविष्यवाणी की जाती है। लेकिन इतिहास गवाह है कि कोई माध्यम हमेशा के लिए समाप्त नहीं होता...
सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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जो मोदन है वियोग में वही मोहन बन जाता है। मादन तक तो स्वयं कृष्ण भी नहीं पहुँच सकते।
राधा तत्व क्या है ?(चलते चलते दूसरी क़िस्त ) जिनकी श्री कृष्ण आराधना करें ,जिनकी गोद में लेट कर श्री कृष्ण इतना सुख पायें ,अपने गोलोक को भूल जाएँ वह श्रीराधा हैं। कृष्ण की अनंत शक्तियों पर राज्य करने वाली एक लाजिमी शक्ति है। उससे भी ऊपर प्रेम की शक्ति है। प्रेम से भी ऊपर एक महा -अनुभाव शक्ति है। इसके भी दो विभाग हैं : (१) रूढ़ (२) अधिरूढ़ अधिरूढ़ के भी आगे दो विभाग हैं : (१) मादन (२) मोदन जो मोदन है वियोग में वही मोहन बन जाता है...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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रामधारी सिंह ’दिनकर’ जी को उनके जन्मदिन पर सादर नमन...
अभिनव रचना पर ममता त्रिपाठी
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क्या करें... नियमों पर खरा उतरने में अब तसवीर बदल गयी है कहा जाता है कभी घर से तो निकलो मिलो जुलो सर्कल बनाओ पर उलझ कर रह गयी है दो तरह के नियमों में पहले थी बाली उमर खुद को बदलना संभव हुआ पर अब अपना है सोच जीने का एक तरीका है कैसे परिवर्तन हो समझ नहीं पाती सोचते सोचते अधिक ही थक जाती है कोइ हल नजर नहीं आता ।
Akanksha पर Asha Saxena
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"यही कहानी कहती है"
कल-कल, छल-छल करती गंगा,
मस्त चाल से बहती है।
श्वाँसों की सरगम की धारा,
यही कहानी कहती है।।
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रविकर देखे चाँद, कल्पना करे व्यवस्थितरविकर की कुण्डलियाँ
अच्छे लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहन राजेश कुमारी जी आपका आभार।
जवाब देंहटाएंभर लो मन में श्रद्धा प्रभु की,
बोलो जय सिया राम ।
भाई रे, चलो अवध का धाम ।
बन्धु रे, चलो अवध का धाम ।
बहुत सुन्दर भाव अर्थ की समन्विति ,काव्य सौष्ठव -
क्षेपक (उत्तर अंश )देखें :
पीछे पीछे सिया चलत हैं ,
आगे आगे राम ,
बंधू रे यही अवध की शाम ,
लखन कहें यही अवध की शाम ,
बंधू सब ले लो प्रभु का राम ,
नहीं अब और किसी से काम ,
हमारे तो हैं केवल राम।
कहें सब निर्बल के बल राम।
सुन्दर रचना ::
जवाब देंहटाएंरविकर देखे चाँद ,कल्पना करे व्यवस्थित ,
छोड़ "हाथ " साथ बावरे क्यों रहता तू व्यथित .
रविकर देखे चाँद, कल्पना करे व्यवस्थित
सुन्दर रचना ::
जवाब देंहटाएंरविकर देखे चाँद ,कल्पना करे व्यवस्थित ,
छोड़ "हाथ " का साथ बावरे क्यों रहता तू व्यथित .
ले जाती है । बच्चों का मन मस्तिष्क भी घर के बाहर जो कुछ सुनते हैं, जानते हैं उसको अधिक सहजता से स्वीकार कर पाता है । बच्चों को हर तरह के अवगुणों से बचाने और सुसंस्कृत करने की कोशिशें आज के समय में काम ही नहीं कर पातीं । क्योंकि वो सामाजिक वातावरण ही नहीं है जो उन संस्कारों को पोषित कर सके जो अभिभावक बड़े परिश्रम से बोते हैं ।
जवाब देंहटाएंसही बात है संग का रंग चढ़ता है खूब बढ़ चढ़के चढ़ता है और यहाँ अमरीका में तो आप बच्चों से डरे हुए ही रहतें हैं हाथ नहीं दिखा सकते उनको मारना तो दूर पुलिस आजायेगी ,पड़ोसी बुलवा लेगा।
माइन क्राफ्ट जैसे कंप्यूटर गेम्स ओबसेशन बनते जा रहें हैं कई बार लगता है बच्चे ऐसे रोबोट हो चले हैं जो कोई कमांड फोलो ही नहीं करते हैं ,इनका अपना सॉफ्ट वेअर सर्वोपरि बन रहा है।
विचारणीय पोस्ट फिर भी आज भी बुजुर्ग बहुत कुछ बदल सकते हैं खासकर बच्चे जब घर में दस साल से नीचे नीचे के हों।
आज के अभिभावकों की दुविधा
डॉ. मोनिका शर्मा at परवाज़...शब्दों के पंख
हरे वृक्ष की शाखाएँ ही,
जवाब देंहटाएंझूम-झूम लहरातीं हैं।
सूखी हुई डालियों से तो,
हवा नहीं आ पाती है।
जो हिलती-डुलती रहती है,
वही थपेड़े सहती है।
श्वाँसों की सरगम की धारा,
यही कहानी कहती है।।
बहुत सुन्दर भाव और अर्थ लिए आई है यह रचना काव्य सौंदर्य तो है ही।
बहुत सशक्त सन्देश देती रचना।
जवाब देंहटाएंRajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR
बढ़िया लिंक्स दी हैं पढ़ने के लिए |मयंक का कौना पर मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
सुन्दर चर्चा मंच-
जवाब देंहटाएंआभार दीदी-
बहुत सुन्दर चर्चा मंच!
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स...बहुत रोचक चर्चा मंच!, आभार
जवाब देंहटाएंRs. 5000000000000 (पचास हजार करोड़) रुपियो का "आधार कार्ड" घोटाला बस खुलने को है इसका सबसे करुण पक्ष है कि फटेहाल बेघर को भी इसे हासिल कर बेंक में खाता खुलवाने तक 500 रु. से एक हजार तक रिश्वत देनी पड़ रही है , उसका राशन कार्ड बेकार हो चुका है , गृहणी बच्चो के मुह से निवाला छीन कर महंगा सिलेंडर गुहार रही है , इस पर महाराष्ट्र सरकार ने प्रजातंत्र के मौलिक अधिकारों (शिक्षा और विवाह) को भी सरकारी पहचान का मोहताज बनाकर हद कर दी है
जवाब देंहटाएंजागने और जगाने के महत कार्य में सहकार के लिए और साहसिक रचनाओं / रचनाकारों को मंच देने के लिए आदरणीया राजेश कुमारी जी सहित समस्त "चर्चामंच" परिवार का अभिनन्दन। … जय हिन्द !
सुन्दर लिंक्स के साथ बढ़िया चर्चा । मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व रोचक सूत्र
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्र संकलन
जवाब देंहटाएंएक सही एक करोड़ गलत पर भारी होता है
को ही चर्चा बनाने के लिये
राजेश कुमारी जी का दिल से आभार !
बहुत सुंदर सूत्र संकलन !
जवाब देंहटाएंनई रचना : सुधि नहि आवत.( विरह गीत )
आप सभी मित्रों का चर्चामंच पर पधारने पर हार्दिक आभार|
जवाब देंहटाएं