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Saturday, September 28, 2013

"इस दिल में तुम्हारी यादें.." (चर्चा मंचःअंक-1382)

मित्रों।
आज शनिवार की चर्चा में 
मेरी पसंद के कुछ लिंक देखिए
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lalit-sharma-girish-pankaj-bspabla
ज़िंदगी के मेले पर बी एस पाबला 

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पंडित जी बहुत ही * *व्यस्त हो जाते हैं * 
*श्राद्ध सामग्री के लिये * 
*एक लम्बी सूची भी * 
*प्रिंट कराते हैं * 
*दूध दही घीं शहद * 
*काजू किशमिश बादाम * 
*फल मिठाई कपड़े लत्ते * 
*अच्छी क्वालिटी और *
 *अच्छी दुकान से * 
*लाने का आदेश * 
*साथ में दे जाते हैं * 
*खुद ही खा कर * 
*पितर लोगों तक * 
*खाना पहुंचाते हैं...
उल्लूक टाईम्स पर  Sushil Kumar Joshi 

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MyBigGuide पर Abhimanyu Bhardwaj

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आपका ब्लॉग
चलो फिर एक बार
अनजान हो जाए

मिटा दें वो सभी यादें

जो केवल हमारी—तुम्हारी थी
जिनमें सिर्फ मैं और तुम थे...
आपका ब्लॉग पर Swati Jain

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श्रीमद भगवदगीता चौथा अध्याय :श्लोक चौदहवाँ 


न मां कर्माणि लिम्पन्ति , न मे कर्मफले स्पृहा 
इति मां योअभिजानाती ,कर्मभिर न स बध्यते 
मुझे कर्म का बंधन नहीं लगता ,क्योंकि मेरी इच्छा कर्म फल में नहीं रहती है। इस रहस्य को जो व्यक्ति भलीभांति समझकर मेरा अनुसरण करता है ,वह भी कर्म के बंधनों से नहीं बंधता है...
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आंगन में खड़े—2 
बरसो बीत गए

अब बंधन तोड़ 

देना चाहती हूं
कई सालों से 
बोझ सा लिए
जी रही हूं
अब आराम चाहती हूं...
swatikisoch पर Swati Jain 

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मन की पीड़ा मन की उलझने बढती जा रही हैं निरंतर , 
मन क्लांत तन शिथिल हो गया है , 
लग रहा है एक प्रश्न चिन्ह जी रही हूँ मैं, 
सब कोशिशे नाकाम हो रही हैं 
दिशाहीन सा महसूस हो रहा है...
Love पर Rewa tibrewal 

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माँ के आंचल में मिले ,ममता की ही छाँव 
शुभाशीष पाओ मधुर, नित्य दबाकर पाँव...
गुज़ारिश पर  सरिता भाटिया 

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शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल 

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"लिंक-लिक्खाड़" पर  रविकर 

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इस जिन्दगी में क्या रखा है कब बिखर जाए 
कुछ काम ऐसे करो जीवन सँवर जाए...
Akanksha पर Asha Saxena 

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कुटनी के करतूत से, कूटनीति नाकाम | 
चालू है अब धूर्तता, पाई शक्ति तमाम...

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 अपराधी जननेता होंगे युग के यही प्रणेता होंगे | 
राजव्यवस्था को कुचलेंगे नियम संहिता सब बदलेंगे | 
गुंडों की सरकार बनेगी सहमी हुई अदालत होगी , 
बुक्का फाड़ प्रजा रोएगी सच पूछो क्या हालत होगी ...
छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार 

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मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 

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"नया निर्माण"
काव्य संग्रह 'धरा के रंग' से एक गीत

"नया निर्माण"
पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।
भीषण सर्दी, गर्मी का सन्देशा लेकर आती ,
गर्मी आकर वर्षाऋतु को आमन्त्रण भिजवाती,
सजा-धजा ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।...
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"चमत्कार, अन्धविश्वास या इत्तफाक"
    सितारगंज कस्बे से 6 कि0मी0 दूर नया-गाँव पडता है। वहाँ रोड के किनारे कुछ ईंटें पड़ी हुई थी। शायद किसी मजार के निर्माण के लिए ही ट्रक वाले उतार देते होंगे। जैसे ही कार यहाँ पँहुची।...
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"एक मुक्तक"
सृजन मंच ऑनलाइन

युवराज-सन्त चल पड़ेगली-हाट में,
निर्वाचन के दौर नेये दिन भी दिखाया है।
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समरथ काहुना दोषु गोसाईं ,
रबि पावका सुरसरि कि नाईं

श्रीमद भगवदगीता चौथा अध्याय :श्लोक चौदहवाँ न मां कर्माणि लिम्पन्ति , न मे कर्मफले स्पृहा इति मां योअभिजानाती ,कर्मभिर न स बध्यते मुझे कर्म का बंधन नहीं लगता ,क्योंकि मेरी इच्छा कर्म फल में नहीं रहती है। इस रहस्य को जो व्यक्ति भलीभांति समझकर मेरा अनुसरण करता है ,वह भी कर्म के बंधनों से नहीं बंधता है...
आपका ब्लॉग
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gambhir samsya


madhu singh

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छत्तीसगढ़ी काव्य में अमर कवि कोदूराम ‘दलित’

अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)

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मेरे दुलरुआ आज तुम्हारे जन्मदिन पर .....

ये है हमारा छोटा बेटा अभिषेक और आज इसके जन्मदिवस पर एक दुआ ….
झरोख़ापरनिवेदिता श्रीवास्तव 
--
आज के लिए इतना ही...।

39 comments:

  1. पर्याप्त लिंक्स आज के लिए |उम्दा लिंक्स का पहुँच मार्ग बहुत अच्छा लगता है |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    ReplyDelete
  2. आज के लिए उम्दा लिंक्स!

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : उनको ये शिकायत है कि हम कुछ नहीं कहते -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक-011

    ललित वाणी पर : इक नई दुनिया बनानी है अभी

    ReplyDelete
  3. बहुत -बहुत आभार शास्त्री जी आपका |

    ReplyDelete
  4. सुंदर चर्चा सुंदर सूत्र संयोजन के साथ
    आभारी है उल्लूक भी उसकी रचना
    "जो भूत से डरता है पक्का श्राद्ध करता है"
    की भी कहीं पर हो रही है बात ।

    ReplyDelete
  5. सुशील भाई बहुत सटीक व्यंग्य। समसामयिक और सन्देश परक।

    एक बार कबीर के गुरु ने सभी शिष्यों को कहा -श्राद्ध पक्ष लग रहें हैं सभी नगर को जाओ फल फूल दूध शक्कर चावल आदि सामग्री लाओ पितरों का श्राद्ध करना है सब शिष्य लौट आये सामिग्री लिए लेकिन कबीर जब रात तक भी न पहुंचे तो गुरुदेव को चिंता हुई शिष्यों में से एक ने बताया वह तो यही मोड़ पे बैठा है। गुरुदेव ने कहा कबीर क्या कर रहे हो -गुरुदेव ये गाय आज दोपहर मर गई मैं इसलिए बैठाहूँ ये उठे तो मैं इसे कुछ खिलाऊ। गुरु बोले ये अब नहीं उठेगी मर गई तो खायेगी कैसे कबीर बोले जैसे आपके पित र खायेंगे। उन्हें तो मरे बरसों बीत गए।

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब।

    बहुत खूब।आस्था और अन्धविश्वास मन की ही दो स्थितियां हैं।

    --
    "चमत्कार, अन्धविश्वास या इत्तफाक"

    ReplyDelete
  7. “कवि पैदा होकर आता है,
    होती कवियों की खान नहीं
    कविता करना आसान नहीं |

    बहुत सुन्दर।

    छत्तीसगढ़ी काव्य में अमर कवि कोदूराम ‘दलित’

    ReplyDelete
  8. “कवि पैदा होकर आता है,
    होती कवियों की खान नहीं
    कविता करना आसान नहीं |

    बहुत सुन्दर।

    ReplyDelete
  9. google has withdrawn translitreation from roman to hindi on blogger.com ,so please write on google .com with option अ and later paste it on to your blog .

    madhu singh

    ReplyDelete
  10. सुन्दर चर्चा -
    आभार गुरुवर-

    ReplyDelete
  11. बहुत सुन्दर।

    आस-विश्वास मारे जा रहे हैं ॥
    आम-ओ-ख़ास मारे जा रहे हैं ॥
    पहले देते थे बस सुगंध पर अब ,
    फूल सब बास मारे जा रहे हैं ॥

    -डॉ. हीरालाल प्रजापति

    वो देखो शान से जूते खाते जा रहें हैं ,

    "बात तो करेंगे फिर भी "कहे जा रहें हैं ,

    उनके समर्थक हांके जा रहें हैं ,

    जूता खाया है तो सोच समझके ही खाया होगा ,



    ReplyDelete
  12. परिणय और प्रणय की सरगम गूँज रहीं घाटी में,
    चन्दन की सोंधी सुगन्ध आती अपनी माटी में,
    भुवन भास्कर स्वर्णिम किरणें धरती पर फैलाता।
    विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।

    सुन्दर चित्रण प्रकृति के राग रंग का गुंजन

    ReplyDelete
  13. दुनिया के करीब 25 देशों ने अपने यहां मतदान अनिवार्य कर रखा है। इन देशों में आस्ट्रेलिया,अर्जन्टीना, इटली, ब्राजील, मैक्सिको, तुर्की, थाइलैण्ड और सिंगापुर शामिल हैं। इनमें से कुछ देशों ने तो यह व्‍यवस्‍था कर रखी है कि जिस नागरिक के पास मतदान करने का सबूत है, उसे ही सरकारी सुविधाओं, सब्सिडी का लाभ मिल सकता है.....

    बहुत सुन्दर पहल गाँव राजनंद की। कभी यह गाँव सागर कुमार बादल कुमार के फरमाइशी गानों के लिए जाना जाता था फ़र्माइश्करने वालोँ का गाँव कहलाता था अब इस नै पहल के लिए इसे नमन।

    आपने एक अत्यंत महत्व की बात उजागर की है ,जानकारी परक अद्यतन सामग्री के लिए साधुवाद।

    सत्‍यमेव जयते ! ... (?) पर Atul Shrivastava

    ReplyDelete
  14. खुद से खुद की बात करना बड़ी बात होती है। नै राह शोध की होती है जीवन से जुडी शोध की। मौन मुखर होता रहता है ,सब कुछ यूं कहता रहता है ,अन्दर बाहर बाहर अन्दर

    मौन
    मन की पीड़ा मन की उलझने बढती जा रही हैं निरंतर ,
    मन क्लांत तन शिथिल हो गया है ,
    लग रहा है एक प्रश्न चिन्ह जी रही हूँ मैं,
    सब कोशिशे नाकाम हो रही हैं
    दिशाहीन सा महसूस हो रहा है...
    Love पर Rewa tibrewal

    ReplyDelete
  15. हमें स्वनिर्मित
    लाक्षागृह में
    जाकर खुद ही सोना होगा ,
    जहाँ निकलकर


    बच जाने का
    नहीं एक भी कोना होगा |
    विदुर मौन हैं
    हम हतभागी
    तेज धमाकों से दहलेंगे |

    बहुत जीवंत दहकता परिवेश बुना ही इस रचना ने।

    अपराधी जननेता होंगे युग के यही प्रणेता होंगे |
    राजव्यवस्था को कुचलेंगे नियम संहिता सब बदलेंगे |
    गुंडों की सरकार बनेगी सहमी हुई अदालत होगी ,
    बुक्का फाड़ प्रजा रोएगी सच पूछो क्या हालत होगी ...
    छान्दसिक अनुगायन पर जयकृष्ण राय तुषार

    ReplyDelete
  16. कुटनी के करतूत से, कूटनीति नाकाम |
    चालू है अब धूर्तता, पाई शक्ति तमाम |

    पाई शक्ति तमाम, छूट अपराधी पाए |
    अगर शत्रु के नाम, बड़े आरोप लगाए |

    हेर फेर अज मेर, शेर की इज्जत लुटनी |
    चूक हुई इस बार, फँसा देगी पर कुटनी ||


    बहुत खूब लिखा है।

    ReplyDelete
  17. आज की चर्चा के लिए अच्छे अच्छे सूत्रों का संकलन !!
    सादर आभार !!

    ReplyDelete
  18. बहुत खूब लिखा है।

    सुन्दर आलेख इसे नाभि (नाभ )हटना भी ख देते हैं। पीठ के बल लेट पैरों को मिलाकर नाभि पर मूसली मूठ के तरफ से रखने पर (मूसल लोहे का ,मूसली -इमामदस्ता ,)नाभ लौट आती है यानी सही जगह पर आजाती है समायोजित हो जाती है।
    नाभि अथवा नाभिचक्र का टलना
    और उसका परिक्षण करना !!


    शंखनाद पर पूरण खण्डेलवाल

    ReplyDelete
  19. आदरणीय शास्त्री जी, बाबूजी पर आलेख सम्मिलित करने के लिये हृदय से आभार..

    ReplyDelete
  20. बेहद सुन्दर सूत्र अच्छी चर्चा . आभार

    ReplyDelete
  21. बढ़िया पठनीय सूत्रों का संकलन |

    ReplyDelete
  22. मेरी रचना '' आस-विश्वास मारे जा............'' शामिल करने के लिए आभार | बढ़िया पठनीय सूत्रों का संकलन |

    ReplyDelete
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  27. आपका ब्लॉग मुझे बहुत अच्छा लगा,आपकी रचना बहुत अच्छी हैं।

    ReplyDelete
  28. Thanks for sharing this information.

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