शुभ प्रभात.....
सितम्बर माह का पहला शुक्रवार....
भूमिका के बगैर चलिये चलते है मंच की ओर.....
सितम्बर माह का पहला शुक्रवार....
भूमिका के बगैर चलिये चलते है मंच की ओर.....
चल चोरी करने की नादानी करते हैं |
उनको उनसे ही चुराने की शैतानी करते हैं||
उनको उनसे ही चुराने की शैतानी करते हैं||
नए अहद नई वफ़ा तलाश करते हैं
रहे-अज़ल नया ख़ुदा तलाश करते हैं
यहां की आबो-हवा अब हमें मुफ़ीद नहीं
नई सहर नई सबा तलाश करते हैं
रहे-अज़ल नया ख़ुदा तलाश करते हैं
यहां की आबो-हवा अब हमें मुफ़ीद नहीं
नई सहर नई सबा तलाश करते हैं
पर सारे शग़ल भुलावा हैं।
समय कहीं नहीं गया।
वो वहीं खड़ा है। स्थिर, एकाकी, अनन्त, विराट समय।
यूं कहें, हम खड़े हैं। अनन्त समय के आगे।
और उससे नज़रे मिलाने का हमारे भीतर साहस नहीं है।
आतंक एक जासूसी कुत्ते का
सावधान...होशियार...झब्बू से अपने को बचाएं...घर से बाहर ना निकलें.....
कुत्ते को गिरफ्तार करने वाले को सरकार की तरफ से एक मैडल
और एक हजार का नगद इनाम....”
“ ऊँह गंदी नाली के कीड़े कहीं के ।”
वो चौंका – “ ये तो कल रात वाले साहब है जिन्होने मुझे थप्पड़ मारा था ।”
उसने उनका मुंह घुमाया तो बड़े ज़ोर का भभका उसकी नाक को चीर गया “ ऊँह गंदी नाली के कीड़े कहीं के ।” कहता हुआ वह आगे बढ़ गया ।
चल रही हूँ
बाँध आँचल में सभी साधें अधूरी
मैं अकेली राह पर यूँ चल रही हूँ !
उफ़..देह की टूटन
तपता बदन
कसैली जीभ
और वो पोटला
नीम हकीमों का
हम फ़कीरों की बस्ती से आये हुए हैं
दुआएँ मोहब्बत की लाये हुये हैं
खुशियाँ ज़माने की हों हर को मुबारक
चरागे मोहब्बत जलाये हुए हैं
शब्द
मात्र शब्द ही नहीं
लेखकीय मन का
आइना होते हैं
पढने मात्र से ही
मन के भाव
उजागर कर देते हैं
गर तेरा हो धंधा तो कैसे हो सकता है मंदा !
जिस दिन लिखने
के लिये कहीं कुछ
नजर नहीं आता है
ऊपर वाले तेरा ही
ख्याल आ जाता है
सबसे सही धंधा
तेरा ही चल रहा है
तभी तो तुझे ही बस
भगवान कहा जाता है !
ये खुलती और बंद
होती खिड़कियाँ
उन पर टंगी
दो आँखें
फैलाती हैं
अंजोरी, आज अन्यमनस्क क्यों हो ?
कजराई-सी आँखों में
'रात्रि' की कनीनिका में
समाया है अब्द का अस्तित्व
मन बावरा थोड़ा पागल सा है
दिशा का इसको कोई ज्ञान नहीं
कभी ये सख्त कभी पिघलता मोम सा है
खुद पर इसका कोई ध्यान नहीं
जीत अभी मिल जायेगी,
इसी भरोसे अड़े रहो|
मन में अपने ठानो तो|
अपने को पहचानो तो||१||
तीन वर्ष की सज़ा मिली है,सत्रह साला दानव को !
कुछ तो शिक्षा मिले काश,कानून बनाने वालों को !
अरसे बाद, पड़ोसी दोनों, साथ में रहना सीखे हैं !
अदब क़ायदा और सिखादें,शेख मोहल्ले वालों को !
जब घबरा जाता था
कठिन शब्दों की इमला से
आँखों से बहने लगते थे आँसू
तब कोई था
जो हौसला बढ़ाता था
लिखना सिखाता था
सूत पर सूत या तांत पर तांत,
यूँ उलझन भरा ज्यों समूचा मकडजाल,
हर तांत पर उकेरा हुआ एक नाता मेरा,
समीप से दूर तलक जाती हर लकीर पर,
वो रोकता मुझे इक बार
मैं पलट आता
मैं उस के जौर ओ सितम
ख़ुशदिली से सह लेता
देखो हम कुछ नहीं बोलेंगे .....देखो हम कुछ नहीं बोलेंगे
आँखों आँखों में तोलेंगे ....पर मुंह से कुछ नहीं बोलेंगे
फिर भी नफ़रत सीख ले!
तुझको जीना है
जख़्म सीना है
रात काली है
और दिवाली है
देख यह विस्तीर्णता यूँ
व्योम में फिरता हुआ मन
नील नभ की नीलिमा से
तीर पर तिरता हुआ मन
लेकिन कविता रूठी है
आइये आज की अंतिम पोस्ट में ....
क्यों न कुछ अच्छा किया जाये !
आज शिक्षक दिवस पर
क्यों ना पुनर्जीवित
होने के सपने देखने
का एक प्रण ही
कर लिया जाये !
आप लोगों की क्षमता की मैं कायल हूँ
जितना भी लिंक्स दूँ....सब पर आप जाते है
भले ही आप अपनी उपस्थिति वहाँ दर्ज न करें
पर मेरी क्षमता यहाँ जवाब दे रही है
आज मयंक दा का कोना शायद नहीं है
आज्ञा दीजिये
यशोदा
आज तो है,
लेकिन कल और परसों नहीं होगा..!
"मयंक का कोना"
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सोये मत रहिये, असलियत देखिये
लालकिला का का असली नाम लालकोट है---- - जैसे ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है और क़ुतुब मीनार का असली नाम विष्णु स्तम्भ है वैसे ही यह बात भी सत्य है...
ZEAL
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मुक्तक : शिक्षा के मंदिर थे....
डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मिले खिलाते गुल गुरू, गुलछर्रे गुट बाल
"लिंक-लिक्खाड़"
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हृदय की तरंगो ने गीत गाया है।
हृदय की तरंगो ने गीत गया है
खुशियों का पैगाम लिए मनमीत आया है
जीवन में बह रही ठंडी हवा सपनो को पंख मिले
महकी दुआ मन में उमंगो का शोर छाया है
भोर की सरगम ने ,मधुर नवगीत गाया है...
sapne(सपने)
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शिक्षक दिवस पर दो बातें
व्योम के पार
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आश्रम हित आ श्रम करें, कर ले रविकर धर्म
रविकर की कुण्डलियाँ
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"गुरू वन्दना"
ओम् जय शिक्षा दाता, जय-जय शिक्षा दाता।
जो जन तुमको ध्याता, पार उतर जाता।।
तुम शिष्यों के सम्बल, तुम ज्ञानी-ध्यानी।
संस्कार-सद्गुण को गुरु ही सिखलाता।।
उच्चारण--
"अमृत भी पा सकता हूँ"
काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"अमृत भी पा सकता हूँ"
अपना माना है जब तुमको,
चाँद-सितारे ला सकता हूँ ।
तीखी-फीकी, जली-भुनी सी,
सब्जी भी खा सकता हूँ।...
सुख का सूरजचाँद-सितारे ला सकता हूँ ।
तीखी-फीकी, जली-भुनी सी,
सब्जी भी खा सकता हूँ।...
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"स्लेट और तख़्ती"
बालकृति
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
"स्लेट और तख़्ती"
सिसक-सिसक कर स्लेट जी रही,
तख्ती ने दम तोड़ दिया है।
सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,
कलम टाट का छोड़ दिया है।।
हँसता गाता बचपनतख्ती ने दम तोड़ दिया है।
सुन्दर लेख-सुलेख नहीं है,
कलम टाट का छोड़ दिया है।।
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वो वक़्त भी कैसा था
कुछ रंगीन कपडे के टुकड़े ,
कुछ धागे , और कल्पना के रंग ...
इन के मेलजोल से मैंने बनाया है यह भित्ति चित्र...
जब कभी देखती हूँ,अपना गाँव याद आ जाता है..
वो वक़्त भी कैसा था...
simte lamhen पर kshama
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ज़न्नत की हकीकत....अंकल सैमकी गाथा कथा, आधुनिक बैकुंठ
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नाम काम तरु काल कराला ,
सुमिरनाम काम तरु काल कराला ,
सुमिरत समन सकल जग जाला ,
राम नाम कलि अभिमत दाता ,हित परलोक ,लोक पितु माता।
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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मृत्तिकाअनगढ़ एक आकार एक पहचान पाने को आतुर पा कुम्हार का स्नेहिल स्पर्श हुई सअनगढ़ एक आकार एक पहचान पाने को आतुर पा कुम्हार का स्नेहिल स्पर्श हुई समर्पित ढली उत्कृष्ट प्रतिमा में मृत्तिका अनुगृहीत कुम्हार प्रफ़ुल्लित जग मोहित ...
वीथी पर sushila
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहन यशोदा जी आपका आभार।
--
बाहर निकलना है अभी।
दोदिन वाद फिर वापस आऊँगा।
तब तक के लिए शुभविदा।
एक लम्बी कविता सा भाव रस लिए है सेतुओं का स -मंजन।
जवाब देंहटाएंक्या मनुहार है प्यार है ,
जवाब देंहटाएंबढती उम्र का दुलार है ,
एतबार सा एतबार है।
दर्शन करके चन्द्र-वदन का,
निकल पड़ा हूँ राहों पर,
बिना इस्तरी के कपड़ों में,
दफ्तर भी जा सकता हूँ।
गीत और संगीत बेसुरा,
साज अनर्गल लगते है,
होली वाली हँसी-ठिठोली,
मैं अब भी गा सकता हूँ।
माता-पिता तुम्हारे मुझको,
अपने जैसे लगते है,
प्रिये तम्हारी खातिर उनको,
घर भी ला सकता हूँ।
जीवन-जन्म दुखी था मेरा,
बिना तुम्हारे सजनी जी,
यदि तुम साथ निभाओ तो,
मैं अमृत भी पा सकता हूँ।
मंच पर पोस्ट को स्थान देने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजब तक चर्चा मंच पर ना आएं दिन की शुरुबात अच्छी नहीं होती |बढ़िया लिंक्स |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह यशोदा जी
जवाब देंहटाएंक्या बात है
चर्चा की चप्पल
से हुई शुरुआत है
किस्मत अच्छी थी
उसने नहीं उठाई
चर्चा चल पडी़
सूंदर सूत्र दिये
बहुत से दिखाई
उल्लूक ने दिया
दिल से आभार
दो पन्ने जो आप ने
लिये उसके आज
दौड़ने लगा
उसका अखबार
धन्यवाद फिर
से एक बार !
अच्छे सूत्रों का संकलन !!
जवाब देंहटाएंआतंक एक जासूसी कुत्ते का का लिंक खुल नहीं रहा है शायद इस पोस्ट को हटा दिया गया है !
बढ़िया लिंक्स .आभार
जवाब देंहटाएंआप सभी मित्र यहाँ भी पधारें और अपने विचार रखे धर्म गुरुओं का अधर्म की ओर कदम ..... - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः13
नमस्कार यशोदा जी , ये .4. लिंक्स नहीं खुल रहे है कृपया इन्हें ठीक किया जाए
जवाब देंहटाएं1, चल चोरी करने की नादानी करते हैं |
2, नए अहद नई वफ़ा तलाश करते हैं
3, पर सारे शग़ल भुलावा हैं।
4, आतंक एक जासूसी कुत्ते का
शुक्रिया ध्यानाकर्षण के लिये
हटाएंआप जैसे जागरूक पाठक को आभार
सारे लिंक्स अब ठीक हैं
कृपया पुनः पधारें
सादर
यशोदा जी लिंक्स ठीक करने के लिए आप का बहुत बहुत , आभार
हटाएंनमस्कार यशोदा जी , ये .4. लिंक्स नहीं खुल रहे है ओपन नहीं हो रहे है कृपया इन्हें ठीक किया जाए
जवाब देंहटाएं1, चल चोरी करने की नादानी करते हैं |
2, नए अहद नई वफ़ा तलाश करते हैं
3, पर सारे शग़ल भुलावा हैं।
4, आतंक एक जासूसी कुत्ते का
यशोदा जी आप बुरा न मानो तो में एक बात कहुगा , मुझे लगता है यहाँ कोई भी चर्चा नहीं पढते चाहे वो , चर्चामंच हो या ब्लॉग प्रसारण या हिंदी ब्लॉग समूह या नयी-पुरानी हलचल , बहुत महेनत कर के चर्चा लगाई जाती मुझे लगता ह यहाँ कोई चर्चा नहीं पढते है किसी की पोस्ट को सामिल कर लिया तो उस ने comments: कर दिया की मेरी पोस्ट को सामिल करने के लिए आभार , और काफी मित्र तो ऐसे भी है जिन की पोस्ट चर्चा में सामिल होती है उसी दिन ही comments करते है विसे नहीं करते
जवाब देंहटाएंचर्चा इस लिए लगाई जाती है ताकि हमे अच्छी पोस्ट पड़ने को मिले हर दिन कुछ ना कुछ हमे कुछ नया सिखने को मिले
कोई नहीं देखता है की कोन सा लिंक्स काम कर रहा है और कोन सा नहीं कर रहा है कुछ दिन पहले ब्लॉग प्रसारण पर भी यही प्रोब्लम थी आप को उस का लिंक्स दे रहा हु शनिवार, 24 अगस्त 2013 ब्लॉग प्रसारण मेने यहाँ भी देखा बहुत से मित्रों ने comments किये हुये है में भी comments किया था की आप का एक लिंक्स नहीं खुल रहा है फिर उस लिंक्स को राजेंद्र कुमार जी ठीक किया था राजेंद्र कुमार जी का जी में बहुत बहुत आभारी हु , और में तो यही कहुगा की गलती इंसान से ही होती है ये कोई बड़ी बात नहीं है
दर्शन जी आप अगर पुरानी चर्चा मंच के पन्नों को खोलेंगे तो देखेंगे कि कुछ चर्चाओं में टिप्पणियों के शतक मिलेंगे आपको ! हर पोस्ट पर जाना और टिप्पणी करने से ही ऎसा संभव होता था ।फिर कुछ समय बाद मुझे भी यही महसूस हुआ था । जैसा आप को आज हो रहा है । मैं आपकी बातों से शमत हूँ !
हटाएंhttp://charchamanch.blogspot.in/2012/09/1016.html
हटाएंएक उदाहरण इस चर्चा को देखें ! 60 टिप्पणियों के साथ ! इसके आस पास और भी हैं जिनमें 120 तक टिप्पणियाँ भी हैं । लेकिन ताले एक हाथ से नहीं बजती है ना :)
दर्शन जी यही प्रश्न मैने भी 2012 में उठाया था देखियेगा चर्चा
हटाएंhttp://charchamanch.blogspot.in/2012/07/953.html
Sushil Kumar Joshi जी आप ने जो लिंक्स मुझे दिया है http://charchamanch.blogspot.in/2012/09/1016.html
हटाएंये मेने देखा है अभी, पर इस में भी किसी खास मित्रो की चर्चा में रूचि नहीं दिख रही ह मुझे 1 , 2 आप जेसे ही मित्र है जिन की चर्चा में रूचि देखाई दी मुझे .....
पर में तो यही कहुगा आज के टाइम में बहुत कम मित्र ही चर्चा में रूचि रखते है
sundar charchaa,hardik badhaayee
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार -
बढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार -
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएं---
आप अभी तक हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {साप्ताहिक चर्चामंच} की चर्चा हम-भी-जिद-के-पक्के-है -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-002 मे शामिल नही हुए क्या.... कृपया पधारें, हम आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आगर आपको चर्चा पसंद आये तो इस साइट में शामिल हों कर आपना योगदान देना ना भूलें। सादर ....ललित चाहार
बहुत बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसादर
सार्थक लिंक्स के संकलन के साथ सुंदर चर्चा यशोदा जी ! मेरी रचना के चयन के लिये आपका धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंwaah sabhi links bahut acche hai ,yashoda ji sundar links sanjoye hai aapne
जवाब देंहटाएंnamaste chacha ji mayank me sthan dene ke liye tahe dil se abhaar ,
pure parivaar ko namskaar
Thanks for providing great links.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी ! मेरी रचना को अपने मंच पर स्थान देने का !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को आपने स्थान दिया, इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार !!!!
दीपक श्रीवास्तव
http://www.hindisahitya.org/hindi-poems-of-deepak-srivastava/
http://www.dsmmmec.blogspot.in/
https://www.facebook.com/dshcltech
शुक्रिया यशोदा जी , इतनी खुबसूरत सिलसिलेवार पोस्ट के रूप में इतना सब खूबसूरती से परोस देने के लिए......... बेहद अच्छा लगता है इतना सब एक साथ पढना......
जवाब देंहटाएं......साथ ही अच्छा लगा मेरी रचना को इस चर्चा का हिस्सा बनाने के लिए......
http://jogendrasingh.blogspot.com/2013/09/blog-post.html
सुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजाया है आपने यह मंच यशोदा जी। मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए आभार …
जवाब देंहटाएं