आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
हमने जब भी कभी माँगा है हक अपना
उसने आश्वासनों का झुनझुना पकडा दिया ।
---- यह एक ऐसा सच है कि सभी भारतीय इससे परिचित होंगे , हम हरियाणा वासी तो इसके आदि हो गए हैं । न तो मुख्यमंत्री महोदय मांग ठुकराते हैं और न कोई मांग पूरी करते हैं । राजनीति की बात नहीं करूंगा लेकिन अपने P.M. और हमारे C.M. हैं कमाल के ।
चलते हैं चर्चा की ओर
आज के लिए बस इतना ही
धन्यवाद
"मयंक का कोना"
--
कहाँ आस लगाए हो प्यारे,यहाँ गुंगे और बहरे रहते हैं
कभी थी ,सोने की चिड़िया आज इसे इंडिया कहते हैं
पेड़ों की आवाज़ सुन सके चाहिए ऐसा दीवाना
दिल कर दे जां भी न्योछावर जो उसे देशभक्त कहते हैं ...
--
--
काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
स्नेह से बढ़ता हमेशा स्नेह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
चिकनाई बिन पुर्जा कोई चलता नही,
आत्मा के बिन अधूरी देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!
--
चाहा था जाम पर हमने सागर को पा लिया है
मांगा था तुम्हे पर हमने तो खुदा पा लिया है
पा कर तुम्हे पा लिया है अब सारा जहान
हमने ज़मीं के साथ साथ आसमान को भी पा लिया है ...
--
--
--
--
कुछ पूरा कुछ आधा
जवाब देंहटाएंसा हो जा रहा है
मयंक का कोना नहीं
नजर आ रहा है
दिलबाग मेहनत से
चर्चा को सजा
कर ला रहा है
आभारी है उल्लूक
दिलबाग का दिल से
उसका ठेका भी वो
दिखा रहा है !
लीजिये मयंक का
हटाएंकोना भी आ गया
लगता है आज मैं ही
उनसे पहले यहां आ गया !
आज की चर्चा की लिंक्स पर्याप्त |मयंक का कौना में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बड़े ही सुन्दर सूत्र
जवाब देंहटाएंपठनीय और उपयोगी लिंकों का समावेश किया है आपने आज की चर्चा में।
जवाब देंहटाएं--
भाई दिलबाग विर्क जी आपका आभार।
बेहद शानदार प्रसारण आदरणीया दिलबाग जी हार्दिक आभार आपका!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा : दिशाओं की खिड़की खुली -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल : चर्चा अंक :006
फूलों से होलो तुम जीवन में सुंगध भर लो
कार्टून के चयन के लिए भी आभार जी.
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स...सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंमेरी रचनाएँ शामिल करने के लिए आभार !!
बढ़िया -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
सुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंआदरणीय समस्त "चर्चामंच" वरिष्ठ जन और सब स्नेहीजनो को बहुत बहुत प्रेम और आभार प्रकट करता हूँ
जवाब देंहटाएंशब्द सब उस रचयिता के है जो आपके आशीर्वाद से अधिक सार्थक बन पड़ते है
दिनों दिन अनाम सा
नाता जुड़ता जाता है
याद करता हूँ स्नेह
दिल निचुड़ता जाता है
धन्यवाद ! अभिनन्दन ! स्नेह !
सुंदर लिंक्स. आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा....बेहतरीन लिंक्स....
जवाब देंहटाएंआभार
अनु
जन्म दिवस है नमो का मची हुई है धूम ,
जवाब देंहटाएंउसको दे आशीर्वाद , मस्तक उसका चूम।
मस्तक उसका चूम ,मात वारी है जाती ,
और बला दुनिया की सारी दूर भगाती।
कह सरिता अभिप्राय माँ की सीख सुनो ,
भारत का निर्माण करो यूं वीर नमो।
भारत के निर्माण में बेटा ऐसे रमो ,
देती आशीर्वाद माँ जन्म दिन पर , नमो।
मोदी अपने हिन्द के भावी हैं सरदार ,
नवभारत की कल्पना होगी अब साकार।
कर लो अब साकार ,ये उन्नत देश का सपना ,
उज्जवल हो भविष्य , न कोई सानी अपना।
जन्मदिवस है पुत्र का माता भाव विभोर ,
सभी दिशाएँ मुखरित जनमन हर्षहिलोर।
आई नवल है भोर।
-कुंडलीकार सरिता भाटिया
http://guzarish6688.blogspot.in/2013/09/blog-post_905.html
जवाब देंहटाएंयदि अतिवादियों के हाथों में सत्ता आ गई तो हम आज आगे आने वाले समय की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.
फिर ऐसी ही नयी व्यवस्था होगी, जिसमें आपको भी महसूस होगा कि सिर्फ सड़े बिस्तर पलट दिये गए है.
***आखिर भाई साहब इतने निराशावादी स्वर क्यों ?हम लोग तो दूसरों की ख़ुशी ओढ़ के भी जी लेते हैं आदमी की कमसे कम साख तो ठीक हो।
इस सेकुलर प्रबंध में तो सब तिहाड़ी लाल हैं
आओ सारे मिलकर देखें ,किस्मत किसकी सोहनी है ,
दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है।
जवाब देंहटाएंक्या बात है काजल कुमार जी -व्यंग्य चित्र भी और कीमियागिरी ( जेनेटिक इंजिनीयरि भी ).
वाह पूरे परिसर का विस्तृत चित्र आलेख प्रस्तुत कर दिया आपने। चप्पा चप्पा रु -बा -रु।
जवाब देंहटाएंबहाई धर्म- कमल का मन्दिर
जाट देवता का सफर/journey
सुंदर लिंक्स.मयंक का कौना में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंकहाँ सब ज़हीनों को दिखती है खाद
जवाब देंहटाएंजी हाँ! ज़र्द पत्तों के अम्बार में
तेरी बातें हैं “शुद्ध-कूड़ा” ‘नवीन’
इन्हें कौन पूछेगा बाज़ार में
ज़हीन - बुद्धिमान , ज़र्द पत्ते - सूखे पत्ते
नवीन साहब बढ़िया गजल कही है।
बहुत बढ़िया रचना सुशील जी
जवाब देंहटाएंकिसी का ठेका कभी तू भी तो ले
यहाँ गूंगे और बहरे रहते हैं ,
जवाब देंहटाएंसेकुलर इन्हें ही कहते हैं।
बढ़िया मुक्तक।
भारत की जो जान, दिल और जिगर है
जवाब देंहटाएंसन्तों की वाणी अमर है अजर है,
ये होठों को फिर भी, सिये जा रहें हैं।
रही जग में फिर भी सलामत ये हिंदी ,
ये तोहमत पे तोहमत दिए जा रहे हैं। बढ़िया प्रस्तुति हिंदी की वेदना लिए आहत संवेदना लिए।
सन्तों की वाणी अमर है अजर है,
कर अफसर बर्खास्त, वजीरे आजम आ-जम
जवाब देंहटाएंआ जम जा कुर्सी पड़ी, सिखा विधर्मी पाठ |
वोट बैंक मजबूत कर, बढ़ा चढ़ा के ठाठ |
बेहद प्रासंगिक व्यंग्य विडंबन।
बाकी बातें बाद में, सबसे आगे वोट