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Thursday, September 19, 2013

आश्वासनों का झुनझुना ( चर्चा - 1373 )

आज की चर्चा में आप सबका हार्दिक स्वागत है
हमने जब भी कभी माँगा है हक अपना
उसने आश्वासनों का झुनझुना पकडा दिया । 
---- यह एक ऐसा सच है कि सभी भारतीय इससे परिचित होंगे , हम हरियाणा वासी तो इसके आदि हो गए हैं । न तो मुख्यमंत्री महोदय मांग ठुकराते हैं और न कोई मांग पूरी करते हैं । राजनीति की बात नहीं करूंगा लेकिन अपने P.M. और हमारे C.M. हैं कमाल के । 
चलते हैं चर्चा की ओर 
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पंजाबी लघुकथा
"लिंक-लिक्खाड़"
आज के लिए बस इतना ही 
धन्यवाद 
"मयंक का कोना"
--
कहाँ आस लगाए हो प्यारे,यहाँ गुंगे और बहरे रहते हैं 
कभी थी ,सोने की चिड़िया आज इसे इंडिया कहते हैं 
पेड़ों की आवाज़ सुन सके चाहिए ऐसा दीवाना 
दिल कर दे जां भी न्योछावर जो उसे देशभक्त कहते हैं ...

गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 

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Akanksha पर Asha Saxena 

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काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
स्नेह से बढ़ता हमेशा स्नेह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!

शुष्क दीपक स्नेह बिन जलता नही,
चिकनाई बिन पुर्जा कोई चलता नही,
आत्मा के बिन अधूरी देह है!
प्यार का आधार केवल नेह है!!

--
चाहा था जाम पर हमने सागर को पा लिया है 
मांगा था तुम्हे पर हमने तो खुदा पा लिया है 
पा कर तुम्हे पा लिया है अब सारा जहान 
हमने ज़मीं के साथ साथ आसमान को भी पा लिया है ...

Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 

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23 comments:

  1. कुछ पूरा कुछ आधा
    सा हो जा रहा है
    मयंक का कोना नहीं
    नजर आ रहा है
    दिलबाग मेहनत से
    चर्चा को सजा
    कर ला रहा है
    आभारी है उल्लूक
    दिलबाग का दिल से
    उसका ठेका भी वो
    दिखा रहा है !

    ReplyDelete
    Replies
    1. लीजिये मयंक का
      कोना भी आ गया
      लगता है आज मैं ही
      उनसे पहले यहां आ गया !

      Delete
  2. आज की चर्चा की लिंक्स पर्याप्त |मयंक का कौना में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

    ReplyDelete
  3. पठनीय और उपयोगी लिंकों का समावेश किया है आपने आज की चर्चा में।
    --
    भाई दिलबाग विर्क जी आपका आभार।

    ReplyDelete
  4. कार्टून के चयन के लि‍ए भी आभार जी.

    ReplyDelete
  5. सुंदर लिंक्स...सुन्दर प्रस्तुति...
    मेरी रचनाएँ शामिल करने के लिए आभार !!

    ReplyDelete
  6. बढ़िया -
    आभार आदरणीय-

    ReplyDelete
  7. आदरणीय समस्त "चर्चामंच" वरिष्ठ जन और सब स्नेहीजनो को बहुत बहुत प्रेम और आभार प्रकट करता हूँ

    शब्द सब उस रचयिता के है जो आपके आशीर्वाद से अधिक सार्थक बन पड़ते है

    दिनों दिन अनाम सा
    नाता जुड़ता जाता है
    याद करता हूँ स्नेह
    दिल निचुड़ता जाता है

    धन्यवाद ! अभिनन्दन ! स्नेह !

    ReplyDelete
  8. सुंदर लिंक्स. आभार

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर चर्चा....बेहतरीन लिंक्स....

    आभार
    अनु

    ReplyDelete
  10. जन्म दिवस है नमो का मची हुई है धूम ,

    उसको दे आशीर्वाद , मस्तक उसका चूम।


    मस्तक उसका चूम ,मात वारी है जाती ,

    और बला दुनिया की सारी दूर भगाती।


    कह सरिता अभिप्राय माँ की सीख सुनो ,

    भारत का निर्माण करो यूं वीर नमो।


    भारत के निर्माण में बेटा ऐसे रमो ,

    देती आशीर्वाद माँ जन्म दिन पर , नमो।


    मोदी अपने हिन्द के भावी हैं सरदार ,

    नवभारत की कल्पना होगी अब साकार।

    कर लो अब साकार ,ये उन्नत देश का सपना ,

    उज्जवल हो भविष्य , न कोई सानी अपना।

    जन्मदिवस है पुत्र का माता भाव विभोर ,

    सभी दिशाएँ मुखरित जनमन हर्षहिलोर।

    आई नवल है भोर।

    -कुंडलीकार सरिता भाटिया

    http://guzarish6688.blogspot.in/2013/09/blog-post_905.html

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  11. यदि अतिवादियों के हाथों में सत्ता आ गई तो हम आज आगे आने वाले समय की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं.

    फिर ऐसी ही नयी व्यवस्था होगी, जिसमें आपको भी महसूस होगा कि सिर्फ सड़े बिस्तर पलट दिये गए है.
    ***आखिर भाई साहब इतने निराशावादी स्वर क्यों ?हम लोग तो दूसरों की ख़ुशी ओढ़ के भी जी लेते हैं आदमी की कमसे कम साख तो ठीक हो।

    इस सेकुलर प्रबंध में तो सब तिहाड़ी लाल हैं

    आओ सारे मिलकर देखें ,किस्मत किसकी सोहनी है ,

    दिल्ली के दंगल में अब तो कुश्ती अंतिम होनी है।



    ReplyDelete

  12. क्या बात है काजल कुमार जी -व्यंग्य चित्र भी और कीमियागिरी ( जेनेटिक इंजिनीयरि भी ).

    ReplyDelete
  13. वाह पूरे परिसर का विस्तृत चित्र आलेख प्रस्तुत कर दिया आपने। चप्पा चप्पा रु -बा -रु।

    बहाई धर्म- कमल का मन्दिर


    जाट देवता का सफर/journey

    ReplyDelete
  14. सुंदर लिंक्स.मयंक का कौना में मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    ReplyDelete
  15. कहाँ सब ज़हीनों को दिखती है खाद
    जी हाँ! ज़र्द पत्तों के अम्बार में
    तेरी बातें हैं “शुद्ध-कूड़ा” ‘नवीन’
    इन्हें कौन पूछेगा बाज़ार में

    ज़हीन - बुद्धिमान , ज़र्द पत्ते - सूखे पत्ते

    नवीन साहब बढ़िया गजल कही है।

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  16. बहुत बढ़िया रचना सुशील जी

    किसी का ठेका कभी तू भी तो ले

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  17. यहाँ गूंगे और बहरे रहते हैं ,

    सेकुलर इन्हें ही कहते हैं।

    बढ़िया मुक्तक।

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  18. भारत की जो जान, दिल और जिगर है
    सन्तों की वाणी अमर है अजर है,
    ये होठों को फिर भी, सिये जा रहें हैं।

    रही जग में फिर भी सलामत ये हिंदी ,

    ये तोहमत पे तोहमत दिए जा रहे हैं। बढ़िया प्रस्तुति हिंदी की वेदना लिए आहत संवेदना लिए।

    सन्तों की वाणी अमर है अजर है,

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  19. कर अफसर बर्खास्त, वजीरे आजम आ-जम
    आ जम जा कुर्सी पड़ी, सिखा विधर्मी पाठ |
    वोट बैंक मजबूत कर, बढ़ा चढ़ा के ठाठ |

    बेहद प्रासंगिक व्यंग्य विडंबन।


    बाकी बातें बाद में, सबसे आगे वोट

    ReplyDelete

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