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Monday, September 23, 2013

"वो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गए.." (चर्चा मंचःअंक-1377)

मित्रों...!
सोमवार की चर्चाकार सरिता भाटिया जी।
खाटू श्याम महाराज के दर्शनों को गयी हुई हैं।
इसलिए उनकी गिजारिश मैं ही प्रस्तुत कर रहा हूँ।
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बेटियां (ग़ज़ल)
*प्यार का मीठा एहसास हैं बेटियाँ* 
*घर के आँगन का विश्वास हैं बेटियाँ।* 
*वक्त भी थामकर जिनका आँचल चले* 
*ढलते जीवन की हर आस हैं बेटियाँ...
नुक्कड़ पर हरीश अरोड़ा 
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बेटी दिवस

हायकु गुलशन...पर 
sunita agarwal 
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तुरंत देखिये किसी भी मोबाइल नम्‍बर के 
मालिक का नाम व पता

MyBigGuide पर Abhimanyu Bhardwaj 

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तमसो मा ज्योतिर्गमय---
My Photo
 मेरे पड़ोस में एक बहुत ही बुज़ुर्ग महिला रहती है ,उम्र लगभग अस्सी वर्ष होगी ,बहुत ही सुलझी हुई ,मैने न तो आज तक उन्हें किसी से लड़ते झगड़ते देखा और न ही कभी किसी की चुगली या बुराई करते हुए सुना है ,हां उन्हें अक्सर पुस्तकों में खोये हुए अवश्य देखा है...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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इस गली ने इन्सानों को ही,
गधा बना दिया

जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash

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सुन्दर, सौम्य चिड़िया घुघुति

Sehar

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अंगड़ाई, छोटा सा संस्मरण, 
क्वालिटी, लर्निंग मोड, शब्दों की नींद, 
सिर्फ पुरुषों के लिए, 
जानू और मेरे शोना : महफूज़

लेखनी...

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हिन्दी पर रोना कैसा ?
युवा दखल
युवा दखल

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एक दिन अवध के नाम 
जहाँ लोग करते थे पहले आप , पहले आप --

अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल

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गली ग़ालिब की..

रूस के गोर्की टाउन से कर इंग्लैण्ड के स्टार्ट फोर्ड अपोन अवोन तक और मास्को के पुश्किन हाउस से लेकर लन्दन के कीट्स हाउस तक। ज़ब जब किसी लेखक या शायर का घर , गाँव सुन्दरतम तरीके से संरक्षित देखा हर बार मन में एक हूक उठी कि काश ऐसा ही कुछ हमारे देश में भी होता...
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney
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हे निराकार!

हे निराकार निर्गुण ,कहो कहाँ छुपे हो तुम 
ढूंढ़ु कहाँ बतलाओ ,किस रूप में हो तुम 
हर घड़ी बदलते अनन्त रूप तुम्हारा 
कुछ देर ठहरकर ,पहचान अपना कराओ तुम...
सृजन मंच ऑनलाइन पर कालीपद प्रसाद 
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Download Auto Cad 2013 free Full version

मास्टर्स टेक टिप्स पर Aamir Dubai 

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मुक्तक : 345 - रेग्ज़ारों की बियाबाँ..

डॉ. हीरालाल प्रजापति

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"दामाद बहुत ही भाता है"
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक कविता
 पाहुन का है अर्थ घुमक्कड़, 
यम का दूत कहाता है।
सास-ससुर की छाती पर, 
बैठा रहता जामाता है।।
सुख का सूरज
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वो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गए.."अख्तर"शीरानी

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए 
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए 
वीराँ हैं सहन ओ बाग़ बहारों को क्या हुआ 
वो बुलबुलें कहाँ वो तराने किधर गए...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal 
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एक बरसात कुछ अलग सी …

झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
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चौक -चौराहे
जबसे चौक बाजार बन गए दिल बेजार से हो गए, अब मिलता नहीं कोई मुझे लोग उधार से हो गए। कभी इस जगह पे जमघटों का दौर था , गाँवों के ख़ुशी और गम का वो रेडियो बेजोड़ था। एक कप चाय का प्याला ही नहीं दिन भर की उर्जा उसमे ओत-प्रोत था, और जो शाम को थक कर लौटा तो थकान मिटा दे ऐसे गर्म धारा का स्रोत था...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal 

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ककराना गांव का उपेक्षित प्राचीन "लक्ष्मण मंदिर"
काफी समय से रखरखाव पर खर्च नहीं करने से मंदिर धीरे धीरे जर्जर होता जा रहा है। नीचे से दीवारें कमजोर पड़ने लग गयी है। जगह जगह से पलस्तर उखड़ने लग गयाहै । 
इतना समृद्ध होते हुए भी आज मंदिर भवन उपेक्षा का शिकार हो रहा है। वर्तमान में किसी एक ग्रामीण व्यक्ति की सामर्थ्य नहीं है की इस विशाल मंदिर की मरम्मत करवा सके। इसलिए सर्वसमाज को आगे आकर व् प्रवासी बंधुओं के सहयोग से इस मंदिर का पुन: उद्दार करने के बारे में सोचने की नितांत आवशयकता है ...
ज्ञान दर्पण
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ऐसी होती हैं बेटियां !

कोलाहल से दूर पर डॉ0 अशोक कुमार शुक्ल 

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.बहुत शुभ कामनाएँ ..
प्यारी बेटियों को !!

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
सब मुझको मीठी कहते हैं 
माँ कहती है कम बतियाओ |

मेरी फ्रॉक बड़ी ही सुन्दर
माँ कहती है कम इतराओ ...
ज्योति-कलश पर ज्योति-कलश
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छुट्टी पर जा कुछ लिख पढ़ के आ
लम्बे अर्से के बाद मिले एक मित्र से पूछ बैठा 
यूं ही क्या बात है बहुत दिनों के बाद नजर आ रहे हो आजकल 
काम पर क्या किसी दूसरे रास्ते से जा रहे हो जवाब मिला 
कुछ ऐसा काम के दिनों में ज्यादातर छुट्टी पर चला जाता हूं 
कभी आप भी चलिये ना मेरे साथ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi 

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बिखरते अस्तित्व

तुम्हारी इन दो आँखों मैं 
देखने की हिम्मत कभी नही हुयी थी 
और आज देख रहा हूँ 
इनमें अपने दो अस्तित्व 
यथार्थ और पलायन के मध्य 
बिखरते अस्तित्व...
Rhythm पर नीलिमा शर्मा 
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"बिटिया से घर में बसन्त है"
कुल का हैं सम्मान बेटियाँ।
आन-बान और शान बेटियाँ।।...
उच्चारण

21 comments:

  1. घर की शान हैं बेटियाँ
    सुख की बहार हैं बेटियाँ |
    उन बिन घर अधूरा है
    मन की मुराद हैं बेटियाँ |
    आशा
    उम्दा लिंक्स हैं आज |

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  2. आद्रणीय वास्तव मैं चर्चा इसे कहते हैं...
    सादर
    उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज कालजयी रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।



    आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
    हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
    इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।



    मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]

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  3. सुन्दर चर्चा-
    आभार आदरणीय

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  4. सुंदर अभिव्यक्ति सुंदर लिनक्स बेटियों पर बहुत कुछ मिला

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  5. मयंक जी एक
    अद्भुत चर्चा
    आज लगाये हैं
    आभारी है
    उल्लूक उनका
    उसका काम और
    उसकी छुट्टियों
    की बात भी
    सबको बताये हैं !

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  6. बहुत ही सुन्दर लिंक्स सजाये गए हैं आज की चर्चा में बहुत बहुत , आभार

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  7. बहुत सुन्दर चर्चा,बहुत सुन्दर लिंक्स !

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  8. Very powerful links ,Thanks shastri ji.

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  9. बहुत सुन्दर चर्चा और बहुत सुन्दर लिंक्स,मेरी रचना को स्थान देने पर आपका हार्दिक आभार

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  10. सुन्दर लिनक्स मेरी रचना को शामिल करने का आभार शास्त्री जी

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  11. अच्छी चर्चा है
    बहुत सुंदर

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  12. बहुत ही उम्दा चर्चा । कई बेहतरीन लिंक्स ।

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  13. रोचक, सुन्दर व पठनीय सूत्र।

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  14. यह रचना मैने पहले कहीं अंग्रेजी में पढी थी । मुझे बडी प्रभावशाली कहानी लगी सो बेटी दिवस पर हिन्दी की पाठकों के लिये यह तरजुमा करके आपके सामने प्रस्तुत किया था
    आपने इसे चर्चा मंच में शामिल किया मैं इसका आभारी हूं

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  15. गुरु जी प्रणाम
    बहुत बहुत शुक्रिया आपने आज की गुज़ारिश चर्चा लगाई बहुत बढ़िया सूत्र पिरोये हैं ,पुनः शुक्रिया

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  16. pranaam adarniy ... bahut hi sundar charcha ..bahut kuch naya padhne ko mila .. naye rachnakaro ko bhi padne ka soubhgya mila .. in sabke madhya meri rachna ko sthan dene ke liye haardik aabhar :) jai shree krishna

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  17. मेरी रचना '' रेग्ज़ारों की बियाबाँ की ...............'' को अपने मंच पर स्थान देने का धन्यवाद !

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  18. सुंदर लिंक्स। ……रचना को शामिल करने के लिए आभार

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  19. बहुत सुन्दर संयोजन .....मेरी रचना को भी स्थान देने के लिए हृदय से आभार |

    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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