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मंगलवार, सितंबर 10, 2013

मंगलवारीय चर्चा 1364 --गणेशचतुर्थी पर विशेष

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , गणेश चतुर्थी  की  आप सब को बधाई ,आप  का दिन मंगल मय हो अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर ----

थैंक्स !!!

Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

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 पूजा के फूल!

अनुपमा पाठक at अनुशील -
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मन की पीर

त्रिवेणी at त्रिवेणी 
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हम मुज़फ्फरनगर वाले हैं

नीलिमा शर्मा at Abhilasha
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किताबों की दुनिया - 86

नीरज गोस्वामी at नीरज 
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नाम जब भी तेरा लिया मैंने....

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मौसेरे भाई ...

उदय - uday at कडुवा सच
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junbishen 69

Munkir at Junbishen
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sjna se ishk n

rajinder sharma "raina" at mere man
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मृतक तो महज़ आंकड़े होते हैं...

मोहन श्रोत्रिय at सोची-समझी 
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♥ गणेशचतुर्थी पर विशेष ♥ (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')



रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण
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फासला - कोई एक हाथ भर का!!

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रची है रतजगो की चाँदनी जिन की जबीनों में…क़तील शिफ़ाई

डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan)
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हे गणेशजी, आशा है, आप हमारे मन की वेदना समझेंगे और उसका निराकरण करेंगे

Albela Khtari at Albelakhatri.com - 
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कुछ अलग करने की चाहत और जज्बे से भरपूर हैं--- रामकिशोर।

हेमंत कुमार ♠ Hemant Kumar at क्रिएटिव कोना
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kuchh teri, fir teri कुछ तेरी, फिर तेरी

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नचारी - जय गणेश.

प्रतिभा सक्सेना at शिप्रा की लहरें 
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मैंनें देखा है इक सपना......

दिल की आवाज़ at दिल की आवाज 
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आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी  कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||
"मयक का कोना"
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भगवान गणेश के कई अवतारों की कथाएं प्रचलित है, लेकिन मुख्य रूप से उनके 8 अवतार प्रसिद्ध हैं, जिसमें क्रमशः पहला अवतार ‘वक्रतुंड‘ जिसमें उनके द्वारा ‘मत्सरासुर‘ के अत्याचारों से देवताओं को मुक्ति दिलाने, दूसरे अवतार ‘एकदन्त जिसमें देवता और ऋषि-मुनियों को सताने वाले ‘मदासुर‘ को परास्त करने, तीसरे अवतार ‘महोदर‘‘ जिसमें ‘मोहासुर‘ को अपनी अमोघ शक्ति बल पर समर्पण करने को विवश करने, चौथे अवतार ‘गजान‘ जिसमें अधर्म, अनीति और अत्याचार के पर्याय बने ‘लोभासुर‘ के अभिमान को नष्ट करने, पांचवे अवतार ‘लम्बोदर‘ जिसमें सूर्य देव से निरोगी और अमरता का वरदान पाने वाले ‘क्रोधासुर‘ की क्रोधाग्नि को मिटाने, छठवें अवतार ‘विकट‘ में शिव से वरदान प्राप्त छल-कपट, ईर्ष्या -द्वेष, पाप-झूठ के पर्याय बने ‘कामासुर‘ को अपनी बुद्धिबल और नीतियुक्त वचनों से परास्त करने, सातवें अवतार ‘विध्नराज‘ जिसमें ‘ममासुर‘ के अत्याचारों से देव और ऋषि-मुनियों को मुक्ति दिलाने, आठवे अवतार ‘धूम्रवर्ण‘ जिसमें अहंकार के पर्याय ‘अहंकारसुर‘ के अहंकार के मर्दन कर लोक में सुख-शांति की स्थापना का उल्लेख मिलता है...
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गुलमोहर के कुछ ऊपर से फिर ऊपर से कुछ ऊपर, जहाँ से आज की सांझ बहुत रुलाती है खंड-खंड टूटता हुआ आदमी आदमी को ही कुचलता हुआ आगे बढ़ता है | जहाँ,साम्प्रदायिकता की आग हर किसी की चेतना को तोडती हुई आगे बढ़ती है गली-कुचों में बिखरी लाशें सत्ता के भूखे भेड़ियों या फिर धर्म के नाम पर रची जाने वाली साजिशों की ....
अपनों का साथ
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मेरे दिल की उमंगों ने ली अंगडाई चाहतों में मेरी मुस्कुराने लगा चाँद…… 
सुहानी चांदनी से भीगता यह बदन नाचे मन मयूरा बांवरा ये तन मन ......
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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काव्य संकलन सुख का सूरज से
एक गीत
"जब याद किसी की आती है"

दिल में कुछ-कुछ होता है,
जब याद किसी की आती है।
मन सारी सुध-बुध खोता है,
जब याद किसी की आती है।
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गणेश चतुर्थी भाग 1.

ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ

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यादें

मेरे विचार मेरी अनुभूति

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कहाँ है रानी पद्मिनी का जन्म स्थान ?

ज्यादातर लेखकों, इतिहासकारों, कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं में रानी पद्मिनी द्वारा रावत रतन सिंह को अल्लाउदीन खिलजी की कैद से छुडाने के लिए किये गए कमांडो कार्यवाही व उसके बाद जौहर की चर्चाएँ तो खूब की पर रानी पद्मिनी का जन्म कहाँ हुआ, उसके पिता का नाम क्या था ? वह किस राज्य की राजकुमारी थी ? उसका जन्म से नाम पद्मिनी ही था या फिर उसके रूप सौन्दर्य, बुद्धिमता व वीरता के चलते उसे हमारे शास्त्रों में वर्णित महिलाओं की चार श्रेणियों में सबसे श्रेष्ठ श्रेणी पद्मिनी श्रेणी में शामिल कर पद्मिनी नाम दिया गया| इस पर किसी भी लेखक ने प्रकाश नहीं डाला...
ज्ञान दर्पण
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Question 2 :Where does the soul reside ?
Is the soul in us or are we in the soul ?
आपका ब्लॉग

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उर धरि उमा प्रानपति चरना ,जाइ बिपिन लागीं तप करना , 
अति सुकुमार न तनु तप जोगू ,पति पद सुमिरि तजेउ सब भोगू।
आपका ब्लॉग
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जागो युवाओं
उठो जागो ओ देखो हम पतन  कि ओर जा रहे |
प्रमन के सूर्य पर बादल ये काले फिर से छा रहे |आपका ब्लॉग
प्रस्तुतकर्ता 
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एक गीत : एक मन दो बदन...
एक मन दो बदन की घनी छाँव में

इक क़दम तुम चलो,इक क़दम मैं चलूँ
आपका ब्लॉग
-आनन्द.पाठक-
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एक हमसफर चाहिए.

जीने  के लिए  एक जुनू  चाहिएकुछ करने के लिए जज्वा जिगर चाहिएमंजिले   बहुत   मिलेगी   मगर,पाने  के लिए  एक डगर चाहिये |
dheerendra singh bhadauriya

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रुबाई---डा श्याम गुप्त .....

 उर्दू व फारसी का छंद विशेष रुबाई में चारसमवृत्त चरण होते हैं। इसके पहले,दूसरे और चौथे पद में क़ाफ़िया होता हैतीसरा मिसरा भिन्न तुकांत होता है | कभी कभी चारों ही सानुप्रास होते हैं|  अर्थात यदि तीसरी पंक्ति का भी तुकांत मिलता है तो कोई त्रुटि नहीं मानी जाती है अर्थात चारों एक ही तुकांत वाली भी हो सकती हैं| पहला-तीसरा व दूसरा -चौथा मिसरे भी समतुकांत हो सकते हैं| कसीदा अथवा गज़ल के प्रारम्भिक चार पाद भी रुबाई हो सकते हैं | रुबाई में एक ही विषय व भाव होता है ओर कथ्य चौथे मिसरे में ही मुकम्मिल व स्पष्ट होता है | 
     रुबाई एक मुक्तक है और अपने आप में पूर्ण भी | रुबाई की चारों पंक्तियां एक सम्पूर्ण कविता होती है फ़ारसी में इसे 'तरानाभी कहते हैं, रुबाइयों में प्रायः सूक्ति या उक्ति-वैचित्र्य होता है जिनमें एक ही विचार प्रकट किया गया हो तथा हर प्रकार के विचार लाए जा सकते हैं....

21 टिप्‍पणियां:

  1. लहराती बलखाती बड़ती जा रही है
    चर्चा बहुत कुछ ले के आ रही है
    आभारी है उल्लूक आज की सुंदर
    रेल कहीं पर उसके मालगाडी़ के
    डिब्बे को भी ला कर के दिखा रही है !

    जवाब देंहटाएं
  2. बस थोड़ा सा वक्त खर्चा |
    मिल गई 'ज्ञान-संपन्न' चर्चा ||

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात....
    श्री गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    बहन राजेश कुमारी जी आपने चर्चा में पढ़ने के लिए बहुत सुन्दर सूत्रों का समावेश किया है।
    आभार...।

    जवाब देंहटाएं
  4. रोचक व पठनीय सूत्रों से सजी सुन्दर प्रस्तुति..

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर रचना है। कृपया बतलाएं गणेश चतुर्थी का चाँद देखना अशुभ क्यों समझा जाता है।


    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण

    जवाब देंहटाएं

  6. सुन्दर रचना मुबारक गणेश चतुर्थी।


    जीने के लिए एक जुनू चाहिएकुछ करने के लिए जज्वा जिगर चाहिएमंजिले बहुत मिलेगी मगर,पाने के लिए एक डगर चाहिये |

    जवाब देंहटाएं
  7. गणेश चतुर्थी भाग 1.

    ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ



    सुन्दर रचना मुबारक गणेश चतुर्थी। बेहद अप्रतिम प्रस्तुति मेरी शंका का समाधान भी हो गया -

    "बहुत सुन्दर रचना है। कृपया बतलाएं गणेश चतुर्थी का चाँद देखना अशुभ क्यों समझा जाता है। "

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ------भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण ने चौथ का चंद्रमा देखा था इसी से उन्हें स्यमंतक मणि की चोरी झूठ मूठ कलंक लगा था । अतः हिंदू भादों सुदी चौथ के चंद्रमा के दर्शन से बचते हैं|

      हटाएं
  8. श्री गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  9. ज्ञान, साहित्य, व कला रूप की चर्चा संगोष्ठी |
    सुन्दर सरस भाव से पूरित यह चर्चा गोष्ठी |

    जवाब देंहटाएं
  10. शानदार कड़ियाँ मिली राजेश कुमारी जी, मुझे भी शामिल किया आपने इसके लिए आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  11. गणेशचतुर्थी पर विशेष चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत ही सुंदर चर्चा ,,मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी,,
    चर्चामंच की पूरी टीम को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !

    RECENT POST : समझ में आया बापू .

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुंदर चर्चा ,,मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही सुंदर चर्चा...मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. चर्चा मंच पर मेरी रचनाएं सम्मिलित करने के लिए आभार |

    शशि पाधा

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत ही सुंदर चर्चा ,,मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार

    गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !

    जवाब देंहटाएं
  17. चर्चामंच पर शिरकत करने के लिए आप सभी दोस्तों का हार्दिक आभार |

    जवाब देंहटाएं
  18. राजेश कुमारी जी आपका बहुत बहुत आभार मेरी रचना को अपनी चर्चा में शामिल करने के लिए ... कुछ तकनीकी समस्या के कारण देरी से आभार स्वीकृत करें ... सादर धन्यवाद !!!!

    जवाब देंहटाएं

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