जय माता दी अरुन की ओर से आप सभी मित्रों को सादर प्रणाम आज समयाभाव होने के कारण थोड़े ही लिनक्स के साथ हाजिर हूँ. |
Kailash Sharma
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Ajay Yadav
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रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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Vandana Singh
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Punam
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Anubhuti
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साधना वैद
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रविकर
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Sonal Rastogi
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Vandana
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नीलिमा शर्मा
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आशीष नैथाऩी 'सलिल'
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Aamir Dubai
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इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये फिर
मिलते हैं अगले रविवार को तब तक के लिए शुभ विदा. -- "मयंक का कोना" -- मुनस्यारी,उत्तरांचल यात्रा का चस्का लगा है । कुएं के मेंढक की तरह अब एक जगह नही रहना है । उपर वाले ने जो ये इतनी सुन्दर दुनिया बनाई है इसे जितना हो सके देखना है । -- राधा तत्व , श्रुति एवं पुराणों में राधा देखें वेद (श्रुति )क्या कहते हैं ? इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते पिवा त्वस्य गिर्वण :(ऋग्वेद ३. ५ १. १ ० ) ओ राधापति श्रीकृष्ण ! जैसे गोपियाँ तुम्हें भजती हैं वेद मन्त्र भी तुम्हें जपते हैं। उनके द्वारा सोमरस पान करो। विभक्तारं हवामहे वसोश्चित्रस्य राधस : सवितारं नृचक्षसं (ऋग्वेद १ . २ २. ७). ओ सब के हृदय में विराजमान सर्वज्ञाता दृष्टा जो राधा को गोपियों में से ले गए हमारी रक्षा करो।... आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma -- क्षणिका सम्राट---मिश्रीलाल जायसवाल ![]() उम्मीद तो हरी है -- हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया’ राष्ट्रीय संगोष्ठी अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे -- ♥ कद्दू प्यारा ♥
बालकृति
एक बालकविता
♥ कद्दू प्यारा ♥
हँसता गाता बचपन-- सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद ! अलग अलग जगहें अलग अलग आदमी कई किताबों में कई जगह लिखी हुई कुछ इबारतें समय के साथ बदलते हुऐ उनके मायने मरती हुई एक लड़की कोख में सड़क में ससुराल में ... उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi -- दिल है अपना पर प्रीत क्यों पराई ![]() गुज़ारिश पर सरिता भाटिया -- कार्टून :- पहले ही कहा था ना, कि अवार्ड-सम्मेलन न कराओ ![]() काजल कुमार के कार्टून |
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Sunday, September 22, 2013
“अनुवाद-DEATH IS A FISHERMAN” - चर्चामंच -1376
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बेहद शानदार प्रसारण आदरणीय अरुन जी हार्दिक आभार आपका!
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : जिंदगी की नई शुरूवात -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-008
ललित वाणी पर : कविता कैसे बन जाती है
सुंदर चर्चा सभी लिंक सुंदर है।
ReplyDeleteउजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।
आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।
मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]
काश, समझ पाता मैं भी
ReplyDeleteअस्तित्व अपने ‘मैं’ का
और न खोने देता भीड़ में
अपनों के ‘मैं’ की,
नहीं होता खड़ा आज
विस्मृत अपने ‘मैं’ से
अकेले सुनसान कोने में.
बहुत उत्तम सही कहा -स्वाभिमान के संग मैं बन जाता है आत्माभिमान होकर निरभिमान।
बहुत बोलता थोथा-थोथा।
ReplyDeleteझूठ भरा नस-नस में होता।।
-बहुत बढ़िया प्रस्तुति -
शान बन खड़ा हेलोवीन की ,
कद्दू प्यारा ,सबसे न्यारा ,
लैम्प पम्पकिन बनके प्यारा। खोखले पम्पकिन का हेलोवीन लैम्प बनाया जाता है।
पटा पड़ा पम्पकिन सारा ,
बन जग की आँख का तारा।
एक बालकविता
♥ कद्दू प्यारा ♥
ReplyDeleteबढ़िया अनुवाद मूल रचना साथ हो तो कहना ही क्या हम भी कहें फिर भावानुवाद।
“अनुवाद-DEATH IS A FISHERMAN”
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
अरुण जी आपने व्यस्तता के उपरान्त भी बहुत सुन्दर चर्चा की।
ReplyDeleteआपका आभार।
कविता और चित्र का अद्भुत सामंजस्य और समस्वरता है यहाँ :
ReplyDeleteदेखें बाल कविता इस चित्र पर -
नभ आँगन को छूकर चहकूं,थामे हाथ तिहारा ,
नाजुक न्यारा हम दोनों का रिश्ता दादू प्यारा।
दुश्मन को भी सीने से ,लगाना नहीं भूले ,
ReplyDeleteहम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले .
जन्न
त बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।
देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।
हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।
नारि-सुरक्षा पर खड़े, यक्ष प्रश्न नहिं स्वच्छ |
सजा मीडिया कक्ष पर, मचता रहा अकच्छ |
मचता रहा अकच्छ, बचा नाबालिग मुजरिम |
लचर व्यवस्था नीति, सजा की गति भी मद्धिम |
आजादी की चाह, राह पर कड़ी परीक्षा |
कर लें स्वयं सलाह, तभी हो नारि-सुरक्षा ||
अजी कैसी सुरक्षा ,.......यही हकीकत है आज के भारत की यहाँ के नागर बोध की .सिविलिटी का पैमाना होता है किसी समाज में नारी का स्थान उसकी संरक्षा .
हाल यहाँ सम्मान का ,ऐसा ही श्री मान ,
ReplyDeleteभले कहो तुम शौक से भारत सबसे महान।
कार्टून :-
पहले ही कहा था ना, कि अवार्ड-सम्मेलन न कराओ
काजल कुमार के कार्टून
शुक्रिया सम्मलेन की झलक दिखलाने का।
ReplyDeleteपरस्पर नेह लुटाने का।
ब्लागिया प्रीत बढाने का।
हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया’ राष्ट्रीय संगोष्ठी
अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे
राष्ट्रीय समस्याओं पर
ReplyDeleteयुद्ध करने में हम
शिवाजी के अनुगामी हो रहे
वे घोड़े पर सो लेते थे
हम घोड़े बेचकर
सो रहे हैं-----*
मिश्रीलाल जायसवाल को चिठ्ठों में लाने का शुक्रिया। श्लाघनीय कर्म आपका निष्काम भाव।
ReplyDeleteफोकस में रहे सुरक्षा नारी की ,
न की नेता टेक्टर सम भारी की।
सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद !
अलग अलग जगहें
अलग अलग आदमी
कई किताबों में कई जगह लिखी हुई कुछ इबारतें
समय के साथ बदलते हुऐ उनके मायने
मरती हुई एक लड़की
कोख में सड़क में ससुराल में ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi
प्रासंगिक प्रस्तुति :
फोकस में रहे सुरक्षा नारी की ,
न की नेता टेक्टर सम भारी की।
बढ़िया चर्चा-
ReplyDeleteआभार प्रिय अरुण-
धन्यवाद जी
ReplyDeleteबहुत सुंदर संयोजन सूत्रों का
ReplyDeleteचर्चामंच को आभार उल्लूक का !
Very Thanks for the link masters tach post.
ReplyDeleteसार्थक लिंक्स से सजा सुंदर चर्चामंच अरुन जी ! मेरी पोस्ट को इसमें स्थान दिया आभारी हूँ !
ReplyDeleteबहुत उम्दा चर्चा ...सुन्दर लिंक्स संकलन
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत चर्चा...आभार
ReplyDeleteउम्दा लिनक्स ..मेरा रचना को सम्मान देने का शुक्रिया अरुण जी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार श्री शर्मा जी!
ReplyDeleteसुंदर लिंक्स !
हमेशा की लाजवाब संयोजन |
shukriya...meri post ko shamil karne ke liye!
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा-
ReplyDeleteआभार
सुंदर संग्रह
ReplyDeleteबेहतरीन संयोजन
मेरी पोस्ट सम्मलित करने का आभार
बड़े ही रोचक व पठनीय सूत्र
ReplyDelete