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रविवार, सितंबर 22, 2013

“अनुवाद-DEATH IS A FISHERMAN” - चर्चामंच -1376

जय माता दी रु की ओर से आप सभी मित्रों को सादर प्रणाम आज समयाभाव होने के कारण थोड़े ही लिनक्स के साथ हाजिर हूँ.
Kailash Sharma
Ajay Yadav
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
Vandana Singh
Punam
Anubhuti
साधना वैद
रविकर
Sonal Rastogi
Vandana
नीलिमा शर्मा
आशीष नैथाऩी 'सलिल'
Aamir Dubai
इसी के साथ मुझे इजाजत दीजिये फिर मिलते हैं अगले रविवार को तब तक के लिए शुभ विदा.
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"मयंक का कोना"
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मुनस्यारी,उत्तरांचल
यात्रा का चस्का लगा है । कुएं के मेंढक की तरह अब एक जगह नही रहना है । उपर वाले ने जो ये इतनी सुन्दर दुनिया बनाई है इसे जितना हो सके देखना है ।

Yatra, Discover Beautiful India
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राधा तत्व , श्रुति एवं पुराणों में राधा
 देखें वेद (श्रुति )क्या कहते हैं ? इदं ह्यन्वोजसा सुतं राधानां पते पिवा त्वस्य गिर्वण :(ऋग्वेद ३. ५ १. १ ० ) ओ राधापति श्रीकृष्ण ! जैसे गोपियाँ तुम्हें भजती हैं वेद मन्त्र भी तुम्हें जपते हैं। उनके द्वारा सोमरस पान करो। विभक्तारं हवामहे वसोश्चित्रस्य राधस : सवितारं नृचक्षसं (ऋग्वेद १ . २ २. ७). ओ सब के हृदय में विराजमान सर्वज्ञाता दृष्टा जो राधा को गोपियों में से ले गए हमारी रक्षा करो।...
आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma 

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क्षणिका सम्राट---मिश्रीलाल जायसवाल

उम्मीद तो हरी है 

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हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया’ राष्ट्रीय संगोष्ठी 

अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे

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♥ कद्दू प्यारा ♥ 
बालकृति 
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
♥ कद्दू प्यारा ♥
नेता जैसा कद्दू प्यारा।
काशी फल है सबसे न्यारा।।
हँसता गाता बचपन
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सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद !
अलग अलग जगहें 
अलग अलग आदमी 
कई किताबों में कई जगह लिखी हुई कुछ इबारतें 
समय के साथ बदलते हुऐ उनके मायने 
मरती हुई एक लड़की 
कोख में सड़क में ससुराल में ...
उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi 

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दिल है अपना पर प्रीत क्यों पराई

गुज़ारिश पर सरिता भाटिया

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कार्टून :- 
पहले ही कहा था ना, कि‍ अवार्ड-सम्‍मेलन न कराओ
काजल कुमार के कार्टून

25 टिप्‍पणियां:

  1. बेहद शानदार प्रसारण आदरणीय अरुन जी हार्दिक आभार आपका!

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : जिंदगी की नई शुरूवात -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-008

    ललित वाणी पर : कविता कैसे बन जाती है

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा सभी लिंक सुंदर है।

    उजाले उनकी यादों के पर आना... इस ब्लौग पर आप हर रोज 2 रचनाएं पढेंगे... आप भी इस ब्लौग का अनुसरण करना।



    आप सब की कविताएं कविता मंच पर आमंत्रित है।
    हम आज भूल रहे हैं अपनी संस्कृति सभ्यता व अपना गौरवमयी इतिहास आप ही लिखिये हमारा अतीत के माध्यम से। ध्यान रहे रचना में किसी धर्म पर कटाक्ष नही होना चाहिये।
    इस के लिये आप को मात्रkuldeepsingpinku@gmail.com पर मिल भेजकर निमंत्रण लिंक प्राप्त करना है।



    मन का मंथन [मेरे विचारों का दर्पण]

    जवाब देंहटाएं
  3. काश, समझ पाता मैं भी
    अस्तित्व अपने ‘मैं’ का
    और न खोने देता भीड़ में
    अपनों के ‘मैं’ की,
    नहीं होता खड़ा आज
    विस्मृत अपने ‘मैं’ से
    अकेले सुनसान कोने में.

    बहुत उत्तम सही कहा -स्वाभिमान के संग मैं बन जाता है आत्माभिमान होकर निरभिमान।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बोलता थोथा-थोथा।
    झूठ भरा नस-नस में होता।।

    -बहुत बढ़िया प्रस्तुति -

    शान बन खड़ा हेलोवीन की ,

    कद्दू प्यारा ,सबसे न्यारा ,



    लैम्प पम्पकिन बनके प्यारा। खोखले पम्पकिन का हेलोवीन लैम्प बनाया जाता है।




    पटा पड़ा पम्पकिन सारा ,


    बन जग की आँख का तारा।

    एक बालकविता
    ♥ कद्दू प्यारा ♥

    जवाब देंहटाएं

  5. बढ़िया अनुवाद मूल रचना साथ हो तो कहना ही क्या हम भी कहें फिर भावानुवाद।

    “अनुवाद-DEATH IS A FISHERMAN”
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

    जवाब देंहटाएं
  6. अरुण जी आपने व्यस्तता के उपरान्त भी बहुत सुन्दर चर्चा की।
    आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. कविता और चित्र का अद्भुत सामंजस्य और समस्वरता है यहाँ :

    देखें बाल कविता इस चित्र पर -

    नभ आँगन को छूकर चहकूं,थामे हाथ तिहारा ,

    नाजुक न्यारा हम दोनों का रिश्ता दादू प्यारा।

    जवाब देंहटाएं
  8. दुश्मन को भी सीने से ,लगाना नहीं भूले ,

    हम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले .

    जन्न

    त बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
    इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।

    देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
    इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।

    हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
    बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।

    नारि-सुरक्षा पर खड़े, यक्ष प्रश्न नहिं स्वच्छ |
    सजा मीडिया कक्ष पर, मचता रहा अकच्छ |

    मचता रहा अकच्छ, बचा नाबालिग मुजरिम |
    लचर व्यवस्था नीति, सजा की गति भी मद्धिम |

    आजादी की चाह, राह पर कड़ी परीक्षा |
    कर लें स्वयं सलाह, तभी हो नारि-सुरक्षा ||

    अजी कैसी सुरक्षा ,.......यही हकीकत है आज के भारत की यहाँ के नागर बोध की .सिविलिटी का पैमाना होता है किसी समाज में नारी का स्थान उसकी संरक्षा .

    जवाब देंहटाएं
  9. हाल यहाँ सम्मान का ,ऐसा ही श्री मान ,

    भले कहो तुम शौक से भारत सबसे महान।

    कार्टून :-
    पहले ही कहा था ना, कि‍ अवार्ड-सम्‍मेलन न कराओ
    काजल कुमार के कार्टून

    जवाब देंहटाएं
  10. शुक्रिया सम्मलेन की झलक दिखलाने का।

    परस्पर नेह लुटाने का।

    ब्लागिया प्रीत बढाने का।

    हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया’ राष्ट्रीय संगोष्ठी

    अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे

    जवाब देंहटाएं
  11. राष्ट्रीय समस्याओं पर
    युद्ध करने में हम
    शिवाजी के अनुगामी हो रहे
    वे घोड़े पर सो लेते थे
    हम घोड़े बेचकर
    सो रहे हैं-----*

    मिश्रीलाल जायसवाल को चिठ्ठों में लाने का शुक्रिया। श्लाघनीय कर्म आपका निष्काम भाव।

    जवाब देंहटाएं

  12. फोकस में रहे सुरक्षा नारी की ,

    न की नेता टेक्टर सम भारी की।



    सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद !
    अलग अलग जगहें
    अलग अलग आदमी
    कई किताबों में कई जगह लिखी हुई कुछ इबारतें
    समय के साथ बदलते हुऐ उनके मायने
    मरती हुई एक लड़की
    कोख में सड़क में ससुराल में ...
    उल्लूक टाईम्स पर Sushil Kumar Joshi

    प्रासंगिक प्रस्तुति :

    फोकस में रहे सुरक्षा नारी की ,

    न की नेता टेक्टर सम भारी की।

    जवाब देंहटाएं
  13. बढ़िया चर्चा-
    आभार प्रिय अरुण-

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत सुंदर संयोजन सूत्रों का
    चर्चामंच को आभार उल्लूक का !

    जवाब देंहटाएं
  15. सार्थक लिंक्स से सजा सुंदर चर्चामंच अरुन जी ! मेरी पोस्ट को इसमें स्थान दिया आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत उम्दा चर्चा ...सुन्दर लिंक्स संकलन

    जवाब देंहटाएं
  17. बहुत ख़ूबसूरत चर्चा...आभार

    जवाब देंहटाएं
  18. उम्दा लिनक्स ..मेरा रचना को सम्मान देने का शुक्रिया अरुण जी

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत बहुत आभार श्री शर्मा जी!
    सुंदर लिंक्स !
    हमेशा की लाजवाब संयोजन |

    जवाब देंहटाएं
  20. सुंदर संग्रह
    बेहतरीन संयोजन

    मेरी पोस्ट सम्मलित करने का आभार

    जवाब देंहटाएं

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