मित्रों!
शुक्रवार के चर्चाकार
आदरणीय राजेन्द्र कुमार जी को मेल किया है।
शायद वो अगले शुक्रवार से नियमित हो जायेंगे।
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नींद क्यों आती नहीं रात भर
*कोई उमीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती*
*मौत का एक दिन मुअय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती*...
देहात पर राजीव कुमार झा
*कोई उमीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती*
*मौत का एक दिन मुअय्यन है,
नींद क्यों रात भर नहीं आती*...
देहात पर राजीव कुमार झा
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गुलाब...
नए वर्ष की प्रथम पोस्ट के रूप में गुलाब पर आधारित रचना पेश है.....आप सभी का जीवन गुलाब जैसा कोमल हो और गुलाब की खुश्बू जैसे रिश्ते अपनी सुगंध बिखेरते रहें...शुभकामनाएँ सभी को ...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
नए वर्ष की प्रथम पोस्ट के रूप में गुलाब पर आधारित रचना पेश है.....आप सभी का जीवन गुलाब जैसा कोमल हो और गुलाब की खुश्बू जैसे रिश्ते अपनी सुगंध बिखेरते रहें...शुभकामनाएँ सभी को ...
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु
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कोहरा छाया है,
सूरज भैया रजाई में हैं
अभी सुबह कोहरा छाया हुआ है, सूरज देवता को रजाई से निकलने का मन नहीं हो रहा है, चिड़ियाएं भी पहले की तरह चहचहा नहीं रही हैं। शायद सूरज को सर्दियों की छुट्टिया मिली हैं। लेकिन की-बोर्ड की खटरागियों को छुट्टी का प्रावधान नहीं है। चाहे कोहरा हो या फिर चिलचिलाती धूप हो, सदा लिखने को आतुर बने रहते हैं। घर में घुसे रहते हैं तब भी की-बोर्ड खटखट करता है और बाहर घूमने जाते हैं तब भी लेपटॉप को चैन नहीं...
सूरज भैया रजाई में हैं
अभी सुबह कोहरा छाया हुआ है, सूरज देवता को रजाई से निकलने का मन नहीं हो रहा है, चिड़ियाएं भी पहले की तरह चहचहा नहीं रही हैं। शायद सूरज को सर्दियों की छुट्टिया मिली हैं। लेकिन की-बोर्ड की खटरागियों को छुट्टी का प्रावधान नहीं है। चाहे कोहरा हो या फिर चिलचिलाती धूप हो, सदा लिखने को आतुर बने रहते हैं। घर में घुसे रहते हैं तब भी की-बोर्ड खटखट करता है और बाहर घूमने जाते हैं तब भी लेपटॉप को चैन नहीं...
अजित गुप्ता:
प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास) हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
अजित गुप्ता का कोना प्रकाशित पुस्तकें - शब्द जो मकरंद बने, सांझ की झंकार (कविता संग्रह), अहम् से वयम् तक (निबन्ध संग्रह) सैलाबी तटबन्ध (उपन्यास), अरण्य में सूरज (उपन्यास) हम गुलेलची (व्यंग्य संग्रह), बौर तो आए (निबन्ध संग्रह), सोने का पिंजर---अमेरिका और मैं (संस्मरणात्मक यात्रा वृतान्त), प्रेम का पाठ (लघु कथा संग्रह) आदि।
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क्या आप वास्तव में आपके बच्चे को
यह सब पढ़ने, जानने व सीखने की आवश्यकता है....
डा श्याम गुप्त...
आपका ब्लॉग
यह सब पढ़ने, जानने व सीखने की आवश्यकता है....
डा श्याम गुप्त...
आपका ब्लॉग
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कार्टून :- आओ दिल्ली पे 3 बार हँसें
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कार्टून :- पार्लियामेंट हो असेंबली, हमें तो बॉम्ब फोड़ने से मतलब
काजल कुमार के कार्टून
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कार्टून :- पार्लियामेंट हो असेंबली, हमें तो बॉम्ब फोड़ने से मतलब
काजल कुमार के कार्टून
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सबको स्थान दीजिये
गर जिन्दगी में सबंध निभाने हो तो
कृपया सबको स्थान दीजिये
विवाद अंह शतरंजी बिसात
तब बिछती म्यानें तब खाली होती हैं
जब आप सिर्फ आप रह जाते
व आपको अन्य छोटे नजर आते हैं ...
पथिक अनजानाआपका ब्लॉग
गर जिन्दगी में सबंध निभाने हो तो
कृपया सबको स्थान दीजिये
विवाद अंह शतरंजी बिसात
तब बिछती म्यानें तब खाली होती हैं
जब आप सिर्फ आप रह जाते
व आपको अन्य छोटे नजर आते हैं ...
पथिक अनजानाआपका ब्लॉग
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नए साल की मजेदार पोस्ट:
मोबाइल में uc ब्राउज़र से करे कॉल
INTERNET and PC RELATED TIPS पर
Hitesh Rathi
मोबाइल में uc ब्राउज़र से करे कॉल
INTERNET and PC RELATED TIPS पर
Hitesh Rathi
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सिद्धि
वो मुझे दिखी अचानक उस शाम,एक बेदाग़ सुबह सी |
जैसे एक ताज़ा हवा का झोंका मेरी दिन भर की
बेताबियों और उदासियों को उड़ा ले चला हो...
my dreams 'n' expressions.....
याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....
वो मुझे दिखी अचानक उस शाम,एक बेदाग़ सुबह सी |
जैसे एक ताज़ा हवा का झोंका मेरी दिन भर की
बेताबियों और उदासियों को उड़ा ले चला हो...
my dreams 'n' expressions.....
याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....
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"मैंने चित्र बनाया"
बाल कृति
"हँसता गाता बचपन" से
"हँसता गाता बचपन" से
एक बालकविता
ब्लैकबोर्ड पर श्वेत चॉक से,
देखो मैंने चित्र बनाया।
अपने कोमल अनुभावों से,
मैंने इसको खूब सजाया।।
हँसता गाता बचपनदेखो मैंने चित्र बनाया।
अपने कोमल अनुभावों से,
मैंने इसको खूब सजाया।।
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आगे पीछे सिरफिरे, फिरे नहीं इस बार-
फूली फूली फिर फिरे, धनिया बीच बजार ।
आगे पीछे सिरफिरे, फिरे नहीं इस बार...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
फूली फूली फिर फिरे, धनिया बीच बजार ।
आगे पीछे सिरफिरे, फिरे नहीं इस बार...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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नज़र उसकी
अदा उसकी
अना उसकी
अल उसकी
आब उसकी
आंच उसकी
रह गया फ़कत
अत्फ़ बाक़ी 'निर्जन'...
तमाशा-ए-जिंदगी पर
Tushar Raj Rastogi
अदा उसकी
अना उसकी
अल उसकी
आब उसकी
आंच उसकी
रह गया फ़कत
अत्फ़ बाक़ी 'निर्जन'...
तमाशा-ए-जिंदगी पर
Tushar Raj Rastogi
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सपनों को सिद्धांत समझ कर ....
अड़ने की तकलीफ़ भी है
बुने हुए सपनों के पुनः
उधड़ने की तकलीफ़ भी है.
उपवन में बेमौसम पत्ते
झड़ने की तकलीफ़ भी है
और पेड़ पर लगे फलों के
सड़ने की तकलीफ़ भी है....
दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़
अड़ने की तकलीफ़ भी है
बुने हुए सपनों के पुनः
उधड़ने की तकलीफ़ भी है.
उपवन में बेमौसम पत्ते
झड़ने की तकलीफ़ भी है
और पेड़ पर लगे फलों के
सड़ने की तकलीफ़ भी है....
दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़
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नव-वर्ष पर
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री, कवि, पत्रकार और एक कुशल वक्ता माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की इन पंक्तियों पर आज एकाएक ही मेरी नज़र पड़ी तो सोचा नव-वर्ष के अवसर पर आज इन्हें यहाँ आप सबसे साझा कर लिया जाए:...
अंतर्मन की लहरें पर Dr. Sarika Mukesh
हमारे पूर्व प्रधानमंत्री, कवि, पत्रकार और एक कुशल वक्ता माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की इन पंक्तियों पर आज एकाएक ही मेरी नज़र पड़ी तो सोचा नव-वर्ष के अवसर पर आज इन्हें यहाँ आप सबसे साझा कर लिया जाए:...
अंतर्मन की लहरें पर Dr. Sarika Mukesh
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शरम से दूर हो तुम भी,
शरम से दूर हैं हम भी
नशे में चूर हो तुम भी,
नशे में चूर हैं हम भी
तमाशातूर हो तुम भी,
तमाशातूर हैं हम भी
अतः लंगूर हो तुम भी,
अतः लंगूर हैं हम भी...
शरम से दूर हो तुम भी,
शरम से दूर हैं हम भी
नशे में चूर हो तुम भी,
नशे में चूर हैं हम भी
तमाशातूर हो तुम भी,
तमाशातूर हैं हम भी
अतः लंगूर हो तुम भी,
अतः लंगूर हैं हम भी...
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पत्थर की शिलाओं पर
पत्थर की शिलाओं पर आधार हमारा हो
एक कदम तुम्हारा हो एक कदम हमारा हो...
उन्नयन पर udaya veer singh
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इंसाफ का कांटों भरा रास्ता:
जकिया जाफरी का लंबा संघर्ष
गत 26 दिसंबर 2013 को गुजरात की एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने नरेन्द्र मोदी और 59 अन्य आरोपियों को गुजरात कत्लेआम में उनकी भूमिका के आरोप से मुक्त कर दिया...
लो क सं घ र्ष ! पर
Randhir Singh Suman
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मधु सिंह : देवि !
पुलकित होगा कौन आज, रे बोल
प्रिया का पाकर वह मधुमय धार
तिमिर व्यथा को कौन हरेगा ?
उर लिए प्यार का श्रावणी भार
मधु "मुस्कान"
बेनकाब
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अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो?
नही बरसी मगर छाई घटा तो
ज़मीं को दे गयी इक हौसला तो!
न कुछ मैंने किया इस कश्मकश में
अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो...
उभरता 'साहिल' पर 'साहिल'
--
एक नज़रिया
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल
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सुबह-सुबह...
सुबह-सुबह गिरती है जब
ओस भीग जाता है मन
देखकर अलसाते फूल
उनींदी आँखों से दिखाता है सूरज
एक सपनीला नज़ारा...
मेरे मन की पर Archana
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बेटियाँ
मायके में मतभेद /दीवारें खड़ी हो तो भी
चुप सी रह जाती हैं बेटियाँ
लोग समझते हैं खुश हैंअपने घर में ,
नही तोड़ी जाती हैं उनसे पर रोटियाँ...
Rhythm पर नीलिमा शर्मा
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पत्थर की शिलाओं पर
पत्थर की शिलाओं पर आधार हमारा हो
एक कदम तुम्हारा हो एक कदम हमारा हो...
उन्नयन पर udaya veer singh
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इंसाफ का कांटों भरा रास्ता:
जकिया जाफरी का लंबा संघर्ष
गत 26 दिसंबर 2013 को गुजरात की एक मेट्रोपोलिटन अदालत ने नरेन्द्र मोदी और 59 अन्य आरोपियों को गुजरात कत्लेआम में उनकी भूमिका के आरोप से मुक्त कर दिया...
लो क सं घ र्ष ! पर
Randhir Singh Suman
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मधु सिंह : देवि !
पुलकित होगा कौन आज, रे बोल
प्रिया का पाकर वह मधुमय धार
तिमिर व्यथा को कौन हरेगा ?
उर लिए प्यार का श्रावणी भार
मधु "मुस्कान"
बेनकाब
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अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो?
नही बरसी मगर छाई घटा तो
ज़मीं को दे गयी इक हौसला तो!
न कुछ मैंने किया इस कश्मकश में
अगर ऐसा नहीं वैसा हुआ तो...
उभरता 'साहिल' पर 'साहिल'
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एक नज़रिया
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल
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सुबह-सुबह...
सुबह-सुबह गिरती है जब
ओस भीग जाता है मन
देखकर अलसाते फूल
उनींदी आँखों से दिखाता है सूरज
एक सपनीला नज़ारा...
मेरे मन की पर Archana
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बेटियाँ
मायके में मतभेद /दीवारें खड़ी हो तो भी
चुप सी रह जाती हैं बेटियाँ
लोग समझते हैं खुश हैंअपने घर में ,
नही तोड़ी जाती हैं उनसे पर रोटियाँ...
Rhythm पर नीलिमा शर्मा
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मुझमें छन्द विधान नहीं है"
कभी न देखा पीछे मुड़कर,
कभी न देखा लेखा-जोखा।
कॉपी-कलम छोड़ कर खुद को,
मैंने ब्लॉगिंग में है झोंका।।
इस आभासी जग में मुझको,
सबने हाथों-हाथ लिया है।
मेरे मामूली शब्दों को,
सबने अपना प्यार दिया है।
जाने कैसे रचनाओं पर,
अब तक रंग चढ़ा है चोखा।
कॉपी-कलम छोड़ कर खुद को,
मैंने ब्लॉगिंग में है झोंका।।
आयी कहाँ से किरण सुनहरी,
किसने दीपक को दमकाया?
कलियाँ सुमन बन गयी कैसे,
किसने उपवन को महकाया?
मेरी छोटी सी कुटिया में,
ना खिड़की ना कोई झरोखा।
कॉपी-कलम छोड़ कर खुद को,
मैंने ब्लॉगिंग में है झोंका।।
शब्दों की पहचान नहीं है,
गीत-गज़ल का ज्ञान नहीं है।
मातु शारदे रचना रचतीं,
मुझमें छन्द विधान नहीं है।
कैसे “रूप” निखारूँ अपना,
मैं दुनिया का जन्तु अनोखा।
कॉपी-कलम छोड़ कर खुद को,
मैंने ब्लॉगिंग में है झोंका।।
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उच्चारण पर
"पिछले पाँच साल"
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बुधवार, 17 जून 2009
‘‘वर्षा ऋतु’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।
श्वेत-श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल।
कही छाँव है कहीं घूप है,
इन्द्रधनुष कितना अनूप है,
मनभावन रंग-रूप बदलता जाता पल-पल।
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।।
मम्मी भीगी , मुन्नी भीगी,
दीदी जी की चुन्नी भीगी,
मोटी बून्दें बरसाती, निर्मल-पावन जल।
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।।
हरी-हरी उग गई घास है,
धरती की बुझ गई प्यास है,
नदियाँ-नाले नाद सुनाते जाते कल-कल।
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।।
अपनी धुन में दमक रही है,
वर्षा ऋतु में कृषक चलाते खेतो में हल।
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल।।
श्वेत-श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल।
उच्चारण
कार्टूनों को भी सम्मिलित करने के लिए आपका अत्यंत आभार जी.
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स
कार्टून बढ़िया लगा |
सुप्रभात।गुरुजी सादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुप्रभात !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
शुभ प्रभात.....
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा....हमारी पोस्ट को चस्पा करने के लिए पुनः धन्यवाद....!!!
हमेशा की तरह बहुत उम्दा सूत्रों से सरोबार आज की चर्चा भी ! उल्लूक का 'थोड़े समय में देख भी ले
जवाब देंहटाएंबेवकूफ कौन क्या से क्या हो जा रहा है' को स्थान देने पर दिल से आभार !
बहुत सुन्दर लिंक्स !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
आदरणीय गुरु जी-
हटाएंनिवेदन है कि ऊपर का बॉक्स संशोधित किया जाय -
बॉक्स का आकार भी छोटा कर दिया जाय-
सादर
सादर आभार मेरी रचना "बेटियाँ " को शामिल करने के लिय .उम्दा लिनक्स का संयोजन किया गया हैं मंच पर
जवाब देंहटाएंबढ़िया बात ये हैं कि आज लगभग लिंक्स नये हैं , धन्यवाद मंच
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ..
जवाब देंहटाएंmera link shaamil karne ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंअच्छे चयनों के लिए धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा. मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा ..........सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी,बहुत ही सुन्दर सार्थक चर्चा। प्रयास रहेगा अगले शुक्रवार से नियमित सेवा देने का.
जवाब देंहटाएंआदरणीय रूपचन्द्र शास्त्री मयंक जी , मेरी रचना को शामिल करने हेतु धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंरोचक व पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएं