मिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार-चली मिटाने सब्सिडी, भ्रष्टाचारी कोढ़ ।माल मुफ्त में काट के, घी पी कम्बल ओढ़ ।।पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार ।मिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार॥दक्षिण-पंथी घूरते, हर्षित दीखे वाम ।कांग्रेसी संतुष्ट हैं, देख आप का काम ॥---रविकर |
अमित श्रीवास्तव ....... " केहि विधि प्यार जताऊं "
निवेदिता श्रीवास्तव
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दर्द-ए-जिंदगी
Manav Mehta 'मन'
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स्वप्न (क्षणिका )
Asha Saxena
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एक ऐसा गांव जहां घरों में नहीं होते दरवाजे
Vineet Verma
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जनवरी माह के महत्वपूर्ण दिवस
HARSHVARDHAN
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Treating chronic kidney disease using clay minerals: A new agent in the treatment of chronic kidney disease. © FIM Biotech GmbH
Virendra Kumar Sharma
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बालार्क की नवीं किरण
vandana gupta
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क्या नाम दूँ ऐसे रिश्ते को ???
Rewa tibrewal
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मानो इक ही कहानी का हक़दार था मैं...
Manav Mehta 'मन'
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'आप'के आने के बाद
Ghotoo
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सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता।
ZEAL
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"माता के उपकार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
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कई फूलों से चेहरे आ गये मेरी इबादत में...............दिनेश नायडू
yashoda agrawal
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Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून |
"मयंक का कोना"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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मधु सिंह : रह -रह कोई
तप्त वेग धमनी का बन कर
बुला रहा है रह- रह कोई
न्योछावर में पुष्प प्यार के
चढ़ा रहा है रह - रह कोई
कभी गुलाब की पंखुड़ियाँ बन
कभी एक कलिका बन कर
बढ़ा - बढ़ा अपनें हाथो को
बुला रहा है रह - रह कोई..
मधु मुस्कान
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मधु सिंह : रह -रह कोई
तप्त वेग धमनी का बन कर
बुला रहा है रह- रह कोई
न्योछावर में पुष्प प्यार के
चढ़ा रहा है रह - रह कोई
कभी गुलाब की पंखुड़ियाँ बन
कभी एक कलिका बन कर
बढ़ा - बढ़ा अपनें हाथो को
बुला रहा है रह - रह कोई..
मधु मुस्कान
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मनोज शुक्ल का गीत
यूँ न शरमा के नज़रें झुकाओ प्रिये,
मन मेरा बाबला है मचल जायेगा.
तुम अगर यूँ ही फेरे रहोगी नज़र,
वक़्त है वेवफा सच निकल जायेगा...
Nirjhar Times पर Brijesh Neeraj
यूँ न शरमा के नज़रें झुकाओ प्रिये,
मन मेरा बाबला है मचल जायेगा.
तुम अगर यूँ ही फेरे रहोगी नज़र,
वक़्त है वेवफा सच निकल जायेगा...
Nirjhar Times पर Brijesh Neeraj
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जजमेंटल...
गुज़रे हो तुम सभी इसी दौर से कभी
फिर नई नस्लों के लिए नई फ़सलों के लिए
क्योंकर एकपक्षीय हो जाते हो
क्यों जजमेंटल हो जाते हो...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
गुज़रे हो तुम सभी इसी दौर से कभी
फिर नई नस्लों के लिए नई फ़सलों के लिए
क्योंकर एकपक्षीय हो जाते हो
क्यों जजमेंटल हो जाते हो...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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ग़ज़ल - प्यार उनका मेरा...
प्यार उनका मेरा अब है ठहरा हुआ
था जो गंगो-जमन थार सहरा हुआ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
प्यार उनका मेरा अब है ठहरा हुआ
था जो गंगो-जमन थार सहरा हुआ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
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हे भारत मत भूलो कभी
ये गौरव –गाथा है
तेरे ही सीता –सावित्री –दमयंती सी
नारी के आदर्श अभी भी
सर्वत्यागी नाथ शंकर उपासना करते है
जी भर वो तुम्हारे हैं अभी भी
मत भूलना तुम कभी भी...
BHARTI DAS
ये गौरव –गाथा है
तेरे ही सीता –सावित्री –दमयंती सी
नारी के आदर्श अभी भी
सर्वत्यागी नाथ शंकर उपासना करते है
जी भर वो तुम्हारे हैं अभी भी
मत भूलना तुम कभी भी...
BHARTI DAS
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दिल्ली वालो!
अगर कुछ दिन पहले
सचमुच आपने उनके कांच तोड़ दिए होते
तो आज ये दिन न देखना पड़ता
अलबेला खत्री
अगर कुछ दिन पहले
सचमुच आपने उनके कांच तोड़ दिए होते
तो आज ये दिन न देखना पड़ता
अलबेला खत्री
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सिर किसी की आँख फोड़ कर गया ...
राह में चिराग छोड़ कर गया
जो हवा के रुख को मोड़ कर गया
क्योंकि तय है आज रात का मिलन
जुगनुओं के पँख तोड़ कर गया...
स्वप्न मेरे... पर Digamber Naswa
राह में चिराग छोड़ कर गया
जो हवा के रुख को मोड़ कर गया
क्योंकि तय है आज रात का मिलन
जुगनुओं के पँख तोड़ कर गया...
स्वप्न मेरे... पर Digamber Naswa
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"ज़िन्दग़ी की सलीबों पे चढ़ता रहा"
वन्दना वीणा-पाणि की पढ़ता रहा।।
पीछे मुड़ के कभी मैंने देखा नही,
धन के आगे कभी माथा टेका नही,
शब्द कमजोर थे, शेर गढ़ता रहा।
वन्दना वीणा-पाणि की पढ़ता रहा।।
उच्चारण
बड़े ही सुन्दर सूत्र संकलित किये हैं।
जवाब देंहटाएंरविकर सबकी सहायता करता है।
जवाब देंहटाएं--
मंगलवार की सलोनी चर्चा के लिए आभार।
धन्यवाद जी कि आपने कार्टून को भी सजाया
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर सूत्र .... आभार मुझे भी शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएंसुप्रभात मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंउम्दा सूत्र |
बहुत ही सुन्दर लिंक्स आदरणीय ..
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा सुंदर सूत्र ! आभार ! उल्लूक भी दिख रहा है कहीं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सुन्दर कलेक्शन.....
जवाब देंहटाएंआज की बेहतरीन प्रस्तुति व अच्छे सूत्र , आदरणीय रविकर सर व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: बच्चों के लिये मजेदार लिंक्स - ( Fun links for kids ) New links
sundar charcha.......inmay mujhe bhi shamil kiya apne abhar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स..
जवाब देंहटाएंलाये चर्चा मंच पे रविकर बढ़िया लिंक
जवाब देंहटाएंकह लो इसे इंडिआ इंक।
सुन्दर सेतु चयन एवं समन्वयन। हृदय से आभार आपका हमारे सेतु समायोजन के लिए।
बेहद की उत्कृष्ट प्रासंगिक व्यंग्य रचना
जवाब देंहटाएंमिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार-
चली मिटाने सब्सिडी, भ्रष्टाचारी कोढ़ ।
माल मुफ्त में काट के, घी पी कम्बल ओढ़ ।।
पाक चाहता आप की, सेंटर में सरकार ।
मिले मुफ्त कश्मीर फिर, जम्मू अगली बार॥
तोड़ी झुग्गी झोपड़ी, खोदे बड़े पहाड़ ।
घूम चुकी है खोपड़ी, फिर भी रहा दहाड़ ॥
दक्षिण-पंथी घूरते, हर्षित दीखे वाम ।
कांग्रेसी संतुष्ट हैं, देख आप का काम ॥
बहुत बहुत शुभकामना, बना रहे ईमान ।
कर मुस्लिम से दोस्ती, हिन्दू का भी ध्यान ॥
सुन्दर रचना... एक से बढ़कर एक लिंक...बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
बहुत ही सुन्दर लिंक्स आदरणीय,एक से बढ़कर एक लिंक.आभार.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ! मयंक जी ! मेरी रचना '' प्यार उनका मेरा अब है ठहरा हुआ ..........'' शामिल करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंआभार!
सुन्दर सजीली चर्चा, बधाई...............
जवाब देंहटाएं