मित्रों!
६५वें गणतन्त्र दिवस की
सभी देशवासियों को शुभकामनाएँ!
मेरी पसंद के लिक देखिए।
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मेरी कविताएँ...पर anupam choubey
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जन तंत्र
जन कहीं खोया खोया सा मारा मारा सा
भटकता रहता है रात दिन
मुकाम की तलाश में...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
जन कहीं खोया खोया सा मारा मारा सा
भटकता रहता है रात दिन
मुकाम की तलाश में...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
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एक ग़ज़ल :
राह अपनी वो चलता गया..
मंच के सभी सदस्यों को गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें
और नई उम्मीदों से नए दिवस का स्वागत
छोटी बहर में -एक ग़ज़ल पेश कर रहा हूं
’मतला’ से इशारा साफ़ हो जायेगा ,
बाक़ी आप सब स्वयं समझ जायेंगे ...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
राह अपनी वो चलता गया..
मंच के सभी सदस्यों को गणतन्त्र दिवस की शुभकामनायें
और नई उम्मीदों से नए दिवस का स्वागत
छोटी बहर में -एक ग़ज़ल पेश कर रहा हूं
’मतला’ से इशारा साफ़ हो जायेगा ,
बाक़ी आप सब स्वयं समझ जायेंगे ...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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"गणतन्त्रदिवस"
गणतन्त्रदिवस की शुभवेला में,
आओ तिरंगा फहरायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।।
गांधी बाबा ने सिखलाई,
हमें पहननी खादी है,
बलिदानों के बदले में,
पाई हमने आजादी है,
मोह छोड़कर परदेशों का,
उन्नत अपना देश बनायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।।
उच्चारण
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निर्लज्जता...
स्वीकार है मुझे मेरी निर्लज्जता
आज दिखाया है भरी भीड़ को मैंने
अपने वो सारे अंग
जिसे छुपाया था जन्म से अब तक...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
स्वीकार है मुझे मेरी निर्लज्जता
आज दिखाया है भरी भीड़ को मैंने
अपने वो सारे अंग
जिसे छुपाया था जन्म से अब तक...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
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सभी मित्रों को
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
आओ हम सब गणतंत्र दिवस मनायें
गरीबी और भुखमरी यहाँ मिटायें...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
आओ हम सब गणतंत्र दिवस मनायें
गरीबी और भुखमरी यहाँ मिटायें...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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किसी की दुखती रग पर
क्या इसी तरह
हाथ रखा जाता है
"बर्बादे गुलिस्तां करने को
बस एक ही उल्लू काफी था,
हर शाख पे उल्लू बैठा है
अन्जामें गुलिस्तां क्या होगा"
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
क्या इसी तरह
हाथ रखा जाता है
"बर्बादे गुलिस्तां करने को
बस एक ही उल्लू काफी था,
हर शाख पे उल्लू बैठा है
अन्जामें गुलिस्तां क्या होगा"
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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रोते कितने लोग यहाँ
इस माटी का कण कण पावन।
नदियाँ पर्वत लगे सुहावन।
मिहनत भी करते हैं प्रायः
सब करते हैं योग यहाँ।
नीति गलत दिल्ली की होती
रोते कितने लोग यहाँ...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
इस माटी का कण कण पावन।
नदियाँ पर्वत लगे सुहावन।
मिहनत भी करते हैं प्रायः
सब करते हैं योग यहाँ।
नीति गलत दिल्ली की होती
रोते कितने लोग यहाँ...
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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" क्या मैं - आज़ाद - हूँ ,
क्या आप आज़ाद हैं "? ?
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
क्या आप आज़ाद हैं "? ?
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
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तमाचा
*जो तुम्हे काँटा बोये
उसके लिये तुम फूल बिछा दो?
संत कौन हैं?
राजधर्म क्या है?
प्रजा धर्म का निर्वाह किसका?...
ज़रूरत पर Ramakant Singh
*जो तुम्हे काँटा बोये
उसके लिये तुम फूल बिछा दो?
संत कौन हैं?
राजधर्म क्या है?
प्रजा धर्म का निर्वाह किसका?...
ज़रूरत पर Ramakant Singh
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क्या मैं 'जिंदा' हूँ --
'नहीं'
तो थोड़ा एहसास
थोड़ी राख 'अतीत' की
भर दे कोई मेरी मुठ्ठी में
गीत कोई गा दे 'वही'
फिर से...
शिवनाथ कुमार
कविता मंच पर संजय भास्कर
'नहीं'
तो थोड़ा एहसास
थोड़ी राख 'अतीत' की
भर दे कोई मेरी मुठ्ठी में
गीत कोई गा दे 'वही'
फिर से...
शिवनाथ कुमार
कविता मंच पर संजय भास्कर
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साँकल
मैं रोज लगाती हूँ एक साँकल
अपने ख्वाबों की दुनिया पर
फिर भी जाने कैसे किवाड़ खुले मिलते हैं...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर
vandana gupta
मैं रोज लगाती हूँ एक साँकल
अपने ख्वाबों की दुनिया पर
फिर भी जाने कैसे किवाड़ खुले मिलते हैं...
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर
vandana gupta
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यह दुनिया है एक
आज प्रस्तुत है 'रंग' सीरीज की
अपनी कुछ कविताओं में से यह एक पहली कविता ... ।
अब क्या कहूँ कि इसमें क्या है !
पता नहीं कुछ है भी कि...। ...
यह आप देखें - पढ़ें....
*रंग *
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
आज प्रस्तुत है 'रंग' सीरीज की
अपनी कुछ कविताओं में से यह एक पहली कविता ... ।
अब क्या कहूँ कि इसमें क्या है !
पता नहीं कुछ है भी कि...। ...
यह आप देखें - पढ़ें....
*रंग *
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
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भारत देश हमारा
ये देश हमारा भारत वर्ष अद्भुत है
इसका उत्कर्ष उत्तर में है हिम का ताज
दक्षिण में सागर का राज
सदियों से ही दुःख है झेले
मुगलों ,अंग्रेजों के झमेले
सबने इसको लूटा-मसला
पैरो से रौंदा और कुचला
सहती रही असंख्य क्लेश...
BHARTI DAS
--
कुछ सवाल
Sudhinama पर sadhana vaid
--
शत शत प्रणाम
Akanksha पर Asha Saxena
--
"चलना ही है जीवन"
जीवन पथ पर, आगे बढ़ते रहो हमेशा,
साहस से टल जायेंगी सारी ही उलझन।
नदी और तालाब, यही देते हैं सन्देशा,
रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।।
"धरा के रंग"
ये देश हमारा भारत वर्ष अद्भुत है
इसका उत्कर्ष उत्तर में है हिम का ताज
दक्षिण में सागर का राज
सदियों से ही दुःख है झेले
मुगलों ,अंग्रेजों के झमेले
सबने इसको लूटा-मसला
पैरो से रौंदा और कुचला
सहती रही असंख्य क्लेश...
BHARTI DAS
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कुछ सवाल
Sudhinama पर sadhana vaid
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शत शत प्रणाम
Akanksha पर Asha Saxena
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"चलना ही है जीवन"
जीवन पथ पर, आगे बढ़ते रहो हमेशा,
साहस से टल जायेंगी सारी ही उलझन।
नदी और तालाब, यही देते हैं सन्देशा,
रुकना तो सड़ना है, चलना ही है जीवन।।
"धरा के रंग"
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सुप्रभात ,
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
सुन्दर सूत्र चयन |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र चयन | गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभ कामनाएँ। सुंदर कडियाँ, गिनते हैं कडी कडी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंआप सभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
वाह बहुत सुंदर सूत्र संयोजन सुंदर चर्चा । ६५वें गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें । उल्लूक का झंडा भी दिख रहा है कहीं पर । "किसी की दुखती रग पर क्या इसी तरह हाथ रखा जाता है" को शामिल करने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र ..सुन्दर चर्चा..शुभकामनाएँ ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया सूत्र व मंच को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ , धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: जाने क्या बातहै हममें कि हमारी हस्ती मिटती नहीं !
सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आज की चर्चा में कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...........सुन्दर प्रस्तुति …………भ्रष्टाचार मिटाना चाहते हो तो पहले खुद को बदलो
जवाब देंहटाएंअपने धर्म ईमान की इक कसम लो
रिश्वत ना देने ना लेने की इक पहल करो
सारे जहान में छवि फिर बदल जायेगी
हिन्दुस्तान की तकदीर निखर जायेगी
किस्मत तुम्हारी भी संवर जायेगी
हर थाली में रोटी नज़र आएगी
हर मकान पर इक छत नज़र आएगी
बस इक पहल तुम स्वयं से करके तो देखो
जब हर चेहरे पर खुशियों का कँवल खिल जाएगा
हर आँगन सुरक्षित जब नज़र आएगा
बेटियों बहनों का सम्मान जब सुरक्षित हो जायेगा
फिर गणतंत्र दिवस वास्तव में मन जाएगा
सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ व शुभकामनायें ! देशप्रेम के रंग में रंगे अत्यंत सुंदर एवँ पठनीय सूत्रों से सजे आज के चर्चामंच में आपने मेरी सवालों को भी सम्मिलित किया इसके आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवँ आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई शुभकामनाएं ....
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये...
जवाब देंहटाएंसुसज्जित चर्चामंच...मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार !!
सुन्दर चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
Aarya ko shamil karne ka aabhaar
जवाब देंहटाएंबड़े ही सुन्दर और पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंumda links ... inke madhya meri rachna ko sthan dene ke liye haardik aabhar ..saadar naman
जवाब देंहटाएं