आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
ठंड का प्रकोप कम हुआ है और बसंत की छटा छाने लगी है ब्लॉग जगत में बसंत की झलक सदा विद्यमान रहती है | इसी की एक झलक प्रस्तुत करने का प्रयास चर्चा मंच का उद्देश्य है , इसी क्रम में एक प्रयास है ये चर्चा |
ठंड का प्रकोप कम हुआ है और बसंत की छटा छाने लगी है ब्लॉग जगत में बसंत की झलक सदा विद्यमान रहती है | इसी की एक झलक प्रस्तुत करने का प्रयास चर्चा मंच का उद्देश्य है , इसी क्रम में एक प्रयास है ये चर्चा |
चलते हैं चर्चा की ओर
शहीदों को नमन ( हाइकु )
कैसे नवअंकुर उपजाऊँ?
फिर एक सुबह शाम बन ढल जाती है.
जो दर्द तूने दबा रखा कब से सीने में
गीत लिखूं कौन सा
शहीदों को नमन ( हाइकु )
कैसे नवअंकुर उपजाऊँ?
फिर एक सुबह शाम बन ढल जाती है.
जो दर्द तूने दबा रखा कब से सीने में
गीत लिखूं कौन सा
स्मार्टफोन सुरक्षित रखने की पांच टिप्स
ऐसा पागलपन अच्छा है
अपने घर के उजाले को कम न करो
ख्वाबों के पेड़
भाई कि कमीज़ों को बड़े शौक़ से पहना
राजा शेर की शादी
बैठकर जीवन पर कुछ सोच रहा मैं
डेढ़ इश्क़िया
तेरे-मेरे बीच में क्या है
आभार
--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
--
प्यारे बापू, आपका मनोरथ
कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा
अलबेला खत्री
--
श्याम स्मृति –
आज की कविता...
भाव शब्द व कथ्य....
मीराबाई को राणा जी द्वारा सताए जाने पर
परामर्श रूप में तुलसी ने कहा...
*जाके प्रिय न राम वैदेही |*
*ताजिये ताहि कोटि बैरी सम यद्यपि परम सनेही |*
आज का कवि इस सन्दर्भ में परामर्श देता तो क्या कहता.....
*‘राजा मस्त पिए बैठा है * *करता अत्याचार |*
*भक्ति में रोड़े अटकाए ,* *रानी बैठी मुंह लटकाए ;*
*त्याग करे यदि राजा का वो-* *तभी मिले सुख-चैन ,*
*करे भक्ति दिन-रैन,* *छोड़ कर बैठे सब घर द्वार |*
भाव, तथ्य व अर्थार्थ वही है ..परन्तु भाषा व कथ्य–शिल्प...
जिसे लट्ठमार भी कहा जा सकता है |
यह असाहित्यिकता है....
सृजन मंच ऑनलाइन पर
shyam Gupta
--
सफर
हर सफर मे कितने कब्र फोड़
निकाल लेते दोनों मसीहों को....!!!
हथेलियों से रगड़ मुंह की फूँक से
उनके कपड़े उतार डालते...!!!
कुछ को बड़ी बेरहमी से जख्म पर नमक छिड़क
मुंह मे ड़ाल बारीकी से पीस देते....!!!
तो औरों के गले घोंटकर पूरे शरीर का तेल
बड़ी आसानी से निचोड़ डालते....!
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल -
--
वृक्ष हूँ मै
बहुत बड़ा वृक्ष हूँ मै खड़ा हूँ सदियों से
यहाँ बन द्रष्टा देख रहा हूँ
हर आते जाते मुसाफिर को करते है
विश्राम कुछ पल यहाँ और फिर चल पड़तें है
अपनी मंज़िल की ओर ....
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
--
वह भर पेट संगीत नहीं लिख पाता है...
क्या तुमने वह संगीत सुना है,
जिसे कोई भूख के लिए बजा रहा होता है?
बंधे-बंधाए सुर के बीच में कहीं
उसकी उंग्लिया गलती से कांप जाती है।
कहते हैं, जब दूर देश से
उसकी प्रेमिका का खत उसे मिलता था..
तो वह उस ख़त में प्रेम नहीं....
पैसे तलाशता था....
प्रतिभा की दुनिया ...पर Pratibha Katiyar
--
"अद्यतन लिंक"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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प्यारे बापू, आपका मनोरथ
कुछ ही महीनों में पूरा कर दिया जाएगा
अलबेला खत्री
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श्याम स्मृति –
आज की कविता...
भाव शब्द व कथ्य....
मीराबाई को राणा जी द्वारा सताए जाने पर
परामर्श रूप में तुलसी ने कहा...
*जाके प्रिय न राम वैदेही |*
*ताजिये ताहि कोटि बैरी सम यद्यपि परम सनेही |*
आज का कवि इस सन्दर्भ में परामर्श देता तो क्या कहता.....
*‘राजा मस्त पिए बैठा है * *करता अत्याचार |*
*भक्ति में रोड़े अटकाए ,* *रानी बैठी मुंह लटकाए ;*
*त्याग करे यदि राजा का वो-* *तभी मिले सुख-चैन ,*
*करे भक्ति दिन-रैन,* *छोड़ कर बैठे सब घर द्वार |*
भाव, तथ्य व अर्थार्थ वही है ..परन्तु भाषा व कथ्य–शिल्प...
जिसे लट्ठमार भी कहा जा सकता है |
यह असाहित्यिकता है....
सृजन मंच ऑनलाइन पर
shyam Gupta
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सफर
हर सफर मे कितने कब्र फोड़
निकाल लेते दोनों मसीहों को....!!!
हथेलियों से रगड़ मुंह की फूँक से
उनके कपड़े उतार डालते...!!!
कुछ को बड़ी बेरहमी से जख्म पर नमक छिड़क
मुंह मे ड़ाल बारीकी से पीस देते....!!!
तो औरों के गले घोंटकर पूरे शरीर का तेल
बड़ी आसानी से निचोड़ डालते....!
खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल -
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वृक्ष हूँ मै
बहुत बड़ा वृक्ष हूँ मै खड़ा हूँ सदियों से
यहाँ बन द्रष्टा देख रहा हूँ
हर आते जाते मुसाफिर को करते है
विश्राम कुछ पल यहाँ और फिर चल पड़तें है
अपनी मंज़िल की ओर ....
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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वह भर पेट संगीत नहीं लिख पाता है...
क्या तुमने वह संगीत सुना है,
जिसे कोई भूख के लिए बजा रहा होता है?
बंधे-बंधाए सुर के बीच में कहीं
उसकी उंग्लिया गलती से कांप जाती है।
कहते हैं, जब दूर देश से
उसकी प्रेमिका का खत उसे मिलता था..
तो वह उस ख़त में प्रेम नहीं....
पैसे तलाशता था....
प्रतिभा की दुनिया ...पर Pratibha Katiyar
बहुत सुंदर संयोजन.....बहुत खूब...!!!
जवाब देंहटाएंहमारी लिंक जोड़ने के लिए धन्यवाद
"सफर"
आभार
हमेशा की तरह सुंदर सूत्रों के साथ पेश की गई सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंपठनीय एवँ सार्थक सूत्रों से सुसज्जित चर्चामंच ! मेरी प्रस्तुति को सम्मिलित करने के लिये आपका धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंभाई साहब सुन्दर सेतु समायोजन स्तरीय चर्चा ,आभार हमारा सेतु प्रति -हाइड्रोजन परमाणु पुंज बनाये गए समायोजित करने के लिए चर्चा में।
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्रों से सुसज्जित चर्चामंच, मेरी पोस्ट को सम्मिलित करने के लिये आपका आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंShukriya!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा !!उत्कृष्ट लिंक्स चयन !!हृदय से आभार मेरी रचना के चयन हेतु दिलबाग जी !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन...मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर और पठनीय सूत्र, आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut sunder.....aur dhanybad to de hi rahi hoon.....
जवाब देंहटाएं