छोटी-मोटी
बात पे रोना ठीक नहीं
गुमसुम
तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें
इतना भी संज़ीदा होना ठीक नहीं
कुछ
और सोच जरीया उस को पाने का
जंतर-मंतर जादू-टोना ठीक नहीं
अब
तो उस को भूल ही जाना बेहतर है
सारी उम्र का रोना-धोना ठीक नहीं
मुस्तक़बिल
के ख़्वाबों की भी फिक्र करो
यादों के ही हार पिरोना ठीक नहीं
दिल
का मोल तो बस दिल ही हो सकता है
हीरे-मोती चांदी-सोना ठीक नहीं
कब तक दिल पर बोझ उठाओगे परवाज
माज़ी के ज़ख़्मों को ढोना ठीक नहीं |
मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक :1489 में, कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
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मैं जब भी कहीं दूर पहाड़ की चोटी की तरफ देखता हूँ तो मुझे उसमें कोई बदलाब नजर नहीं आता, और जब उस पहाड़ की चोटी से दुनिया को देखता हूँ तो बहत कुछ बदला हुआ नजर आता है. ऐसे में एक ही स्थान के बारे में मेरे दो दृष्टिकोण उभरकर सामने आते हैं. जब मैं अपनी ही दुनिया में रहकर अपनी दुनिया को पहचानने की कोशिश करता हूँ
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![]() मैं मंत्रमुग्ध नहीं मंत्रबिद्ध हो जाती हूं |
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वो उठाते नहीं...नाज़ नखरे कभी
हम कहाँ जायेंगे...आ गए...बस अभी...! |
राकेश कुमार श्रीवास्तव
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हम दोनों का घर एक हो,
सुन्दर और सलोना ! हम दोनों के प्यार से महके, इस घर का हर कोना! |
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जलता दिया
तम तभी हरता
जब स्नेह हो |
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मुकेश कुमार सिन्हा
मौसम की आवोहवा रिश्तों पर करती है असर !
ठंडी संवेदनाएं
और जम कर बनता बर्फ
जैसा हो जाता है रिश्ता
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मनु त्यागी
मसूरी से करीब 9 किलोमीटर पहले भटटा गांव पडता है जब आप देहरादून से मसूरी जा रहे हों तो । यहां से एक रास्ता उल्टे हाथ को मुडता है जो कि भटटा फाल को जाता है । वैसे मसूरी के कैम्पटी फाल को ही लोग दुनिया भर में जानते हैं पर ये भटटा फाल भी किसी भी लिहाज से उससे कम नही है ।
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लोकसभा में आपकी, आई सीट पचास |
लगे पलीता ख़्वाब में, टूटे भाजप आस |
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निवेदिता दिनकर
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यूँ तो हर ओर
अधूरापन
रिश्तों में सिलवटों का
आवरण
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उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में दक्षिण में मैदानी इलाकों से सड़क व रेल मार्ग से जुड़ने वाले हमारे शहर हल्द्वानी को ‘गेटवे ऑफ कुमाऊँ’ भी कहा जाता है.
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कतरनें जो काफी कुछ कहती हैं-1
प्रमोद जोशी ![]()
कतरनें जो काफी कुछ कहती हैं-1
नवभारत टाइम्स दैनिक जागरण अमर उजाला
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काजल कुमार
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घर की ओर देखते हुए...!
अनुपमा पाठक ![]() एक आंसू...
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विभा रानी श्रीवास्तव
रवि को छिपा लिया है मांद
संझा ले आई है चाँद
जुगनू भेजा है संवाद
तम तज दो अपना उन्माद
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प्रीति सुराना
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सीमा है सहने की
पीर सहूँ कैसे
तेरे बिन रहने की .... |
कंपकपायी धरती ठंढ से
पाषाण से आंसू निकला
सिहर कर आयी चाँदनी
सूरज कम्बल डाल के निकला ....
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सरिता भाटिया
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" कभी सोचा न था ...
कितनी कलरफुल थी मेरी दुनिया अब तुम्हारे बाद ब्लैक एंड वाइट होकर रह जाएगी |
पारूल चंद्रा
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पूस की एक रात
चाँद को निहारते
महसूस की
धीमी सी हलचल |
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"बालगीत-गिलहरी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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बैठ मजे से मेरी छत पर,
दाना-दुनका खाती हो!
उछल-कूद करती रहती हो,
सबके मन को भाती हो!
विपदा ज्वर में ये नीम सम , उल्लास में है शीरीनी सी . नाजुक कोपल , कोमल गुलाब की पंखुरी सी , बुलबुल ,चंचल ,कोयल की मीठी स्वर लहरी सी , हर बगिया की हरियाली है... ! कौशल ! पर Shalini Kaushik मोहब्बत के कलैंडर में कभी इतवार ना आए.. ये वक्त गुजर जायेगा पर atul kushwah विवाह के उद्देश्य - लघु कथा भारतीय नारी पर shikha kaushik बदलनी होगी महिलाओं के प्रति सोच रांचीहल्ला पर Amalendu Upadhyaya आलिंगन को आतुर ![]()
आलिंगन को आतुर
बर्फीली रातें
गर्माते होंठों से
जीवन की बातें
ना जाने की जिद पर
कपकपाती धुंध
अड़ी------
उम्मीद तो हरी है ... पर jyoti khareसब कुछ जायज है अखबार के समाचार के लिये जैसे होता है प्यार के लिये ![]() उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी जाय भाड़ में देश, भाड़ में जाए दिल्ली- ![]() रविकर की कुण्डलियाँ मुफ़्तखोर है इस देश कि जनता जनता इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है भला? देश में लोकतंत्र चाहिए , ना कि मुफतखोरी ! देश को विकास कि राह पर ले जाने वाला चाहिए न कि लालच देकर उल्लू सीधा करने वाला सीआईए का एजेंट... ZEAL दिल्ली के आसुओं को अपनी कमीज से पोंछने की कोशिश कर रहा एक आम आदमी…. तेताला पर Er. Ankur Mishra'yugal' |
सुप्रभात।
ReplyDeleteआपका दिन मंगलमय हो।
शनिदेव आपकी रक्षा करें।
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आदरणीय राजीव कुमार झा जी आपका आभार।
आज की चर्चा को आपने बहुत सुन्दर ढंग से प्रस्तुत किया है।
सभी लिंकों का चयन बहुत बढ़िया है।
आभार!
ReplyDeleteसुप्रभात
ReplyDeleteबहु आयामी लिंक्स |उम्दा संयोजन |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत ही सुन्दर सूत्रों का सयोजन .. मेरी रचना को चुनने के लिए हार्दिक आभार ..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सूत्रों का सयोजन ....
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार
God Bless U
Delete
सुंदर चर्चा सुंदर सूत्र संयोजन आभारी है उल्लूक भी 'सब कुछ जायज है अखबार के समाचार के लिये
ReplyDeleteजैसे होता है प्यार के लिये" को भी स्थान मिला है !
सुब्दर रचनाओं का खूबसूरत तारतम्य है.बहुत बहुत बधाई है.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे सूत्र
ReplyDeleteबढ़िया लिंक्स व प्रस्तुति , राजीव भाई व मंच को धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: बच्चों के लिये मजेदार लिंक्स - ( Fun links for kids ) New links
॥ जय श्री हरि: ॥
विभिन्न रंगों में पिरोया सूत्र, बधाई!
ReplyDeleteबढ़िया चर्चा-
ReplyDeleteआभार आपका-
सुंदर चर्चा के लिए बधाई।
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स संयोजन एवं प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार
शुक्रिया मुझे चर्चामंच में सम्मिलित करने के लिए...
ReplyDeleteहमेशा की तरह बेहतरीन लिंक्स और दोस्तों से मिलना भी...
शुक्रिया...!!
बहुत आभार, मेरी रचना "फिलहाल "चुनने के लिए | अभिभूत हूँ
ReplyDelete
ReplyDeleteआप छुवे आकास, खेल मोदी का भाड़े-
(1)
लोकसभा में आपकी, आई सीट पचास |
लगे पलीता ख़्वाब में, टूटे भाजप आस |
टूटे भाजप आस, विपक्षी मौका ताड़े |
आप छुवे आकास, खेल मोदी का भाड़े |
माना अनुभवहीन, मीडिया लेकिन थामे |
कर दे सत्तासीन, त्रिशंकुल लोकसभा में ||
रविकर की कुण्डलियाँ
ReplyDeleteरविकर की कुण्डलियाँ
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मुफ़्तखोर है इस देश कि जनता
जनता इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है भला?
देश में लोकतंत्र चाहिए , ना कि मुफतखोरी !
देश को विकास कि राह पर ले जाने वाला चाहिए
न कि लालच देकर उल्लू सीधा करने वाला
सीआईए का एजेंट...
बहुत खूब सरजी !वाह वाह !
दिल्ली की सरकार में, पी एम् केजरिवाल |
गृहमंत्री भूषण बने, ले कश्मीर सँभाल |
ले कश्मीर सँभाल, जैन की क्रान्ति गुलाबी |
राखी का कल्याण, गला बच्चे का दाबी |
जुड़े आप से लोग, तोड़ती छींका बिल्ली |
जाय भाड़ में देश, भाड़ में जाए दिल्ली ||
सुन्दर चर्चा मंच सजाया ,
ReplyDeleteशानदार सेतु बिठलाया।
बहुत ही सुन्दर सूत्रों का सयोजन ....
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार
बहुत ही सुन्दर सूत्रों का सयोजन ....
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार