नृत्य जो दिखला रही दिन-रात भूतल पर
भीति पैदा कर रही है रूप भय का धर
छा रही संसार पर क्यों आज दानवता?
झूठ भी अब सत्य की ले ओट पलता है
न्याय की सोपान पर अन्याय खलता है
सो रही क्यों सुस्त होकर आज पावनता?
मूल्य जीवन के चटकते जा रहे जब से
बढ़ रही युग की समस्याएँ सभी तब से
शान्ति से आनन्द से है दूर यह जनता (साभार : कनकप्रभा) |
मैं, राजीव कुमार झा,
चर्चामंच : चर्चा अंक :1482 में, इस वर्ष की अपनी प्रथम प्रस्तुति में कुछ चुनिंदा लिंक्स के साथ, आप सबों का स्वागत करता हूँ. --
एक नजर डालें इन चुनिंदा लिंकों पर...
|
भावनाओं का सैलाव
कहाँ ले जाएगा
भेद अपने पराए में
कर न पाएगा | |
तब तक कीमती होती हैं जब तक रहती हैं ताले के इर्द - गिर्द और तब तक बना रहता हैं उनका वजूद और कीमत |
जो इब्तिदा में ही चश्म नम हैं
तो आइंद: भी कई सितम हैं सनम अगर हैं हमारे दिल में तो उनकी नज़्रों में हम ही हम हैं |
जा पहुँचता हूँ कभी डूबे हुए सूरज तक,
ऐसा लगता है मेरी ख़ुशियाँ वहीं बस्ती हैं,
जी में आता है,वहीं जा के रिहाइश कर लूँ ,
क्या बताऊँ कि अभी काम बहुत बाक़ी हैं।
|
आवरण में ज्ञान-विज्ञान से अन्याय की त्रासदी को
ललकारकर......
|
सरिता भाटिया
जबसे उनका यहाँ आना जाना हुआ
दिल हमारा भी उनका दीवाना हुआ
|
रेखा जोशी
तुम मेरे
मनमंदिर में आन बसे हर पल साथ हो मेरे तुम |
पानी मुफ्त पिलाइये, बिजली आधे दाम ।
आम आदमी खुश हुआ, मुँह में लगी हराम ।
|
अपर्णा खरे
ना जाने क्या हुआ मुझको....
नयन भर आए हैं...... सुनकर पीड़ा उनके दिल की अश्रु नहीं रूक पाए हैं... |
हर इक ख्वाब अब अधूरा सा लगता है
दिल का वही कोना आज फिर,टूटा सा लगता है |
कल रात
पल्लवी सक्सेना
सुनो जानते हो कल फिर आया था चाँद मेरे द्वारे
मेरे कमरे की खिड़की में टंगे जाली के परदे की ओट से
|
सुशील कुमार जोशी
समय बदला है
तरीके भी बदले हैं उसी तरह उसके साथ साथ बस नहीं बदली है तो तेरी समझ |
अजाने फ़लक की तलाश में!
अनुपमा पाठक
|
कालिपद "प्रसाद"
हिम शिखर है या सफ़ेद ओड्नी पहनी है धरती
हरा लहंगा पर रंग विरंगे फुल सजाई धरती
सरिता के स्रोत से कुछ रेखाएं भी खींची है
काले काले बादल से काजल लगाईं धरती |
|
सज्जन धर्मेन्द्र
इश्क जबसे वो करने लगे
रोज़ घंटों सँवरने लगे
गाल पे लाल बत्ती हुई
और लम्हे ठहरने लगे
|
तू मेरे साथ है तो ये जहान मेरा है!
ये जमीं मेरी है ये, आसमान मेरा है! जब से चाहत ने तेरी, सोच निखारी मेरी, तब से गीता भी मेरी और कुरान मेरा है! |
निवेदिता श्रीवास्तव
" चिराग तले अंधेरा " इस उक्ति का प्रयोग हम बड़े ही नामालुम तरीके से अनायास ही यदाकदा करते करते रहते हैं। इस का अर्थ भी हम अपनी सुविधानुसार ले लेते हैं । कभी इसके द्वारा हम किसी पर अपनी खुन्नस निकल लेते हैं ,तो कभी उपहास के लिए और कभी कुछ प्रतिक्रिया न देने के प्रयास में भी ऐसा बोल दिया जाता है ।
|
रश्मि शर्मा
तुमने कहा....
अब मैं लौट जाता हूं जो देना था दे दिया जो चाहा था तुमसे इस रिश्ते से |
गाउट सिर्फ और सिर्फ गाउट है, यूरिक एसिड अपचयन (metabolism )से ताल्लुक रखता है गाउट
गाउट सिर्फ और सिर्फ गाउट है इसे गठिया (संधिवात ,जोड़ों का दर्द
)समझ लिया जाता है। |
waah..........ati sundar charcha...........
जवाब देंहटाएंdhnyavaad
पठनीय..
जवाब देंहटाएंआदरणीय राजीव कुमार झा जी!
जवाब देंहटाएंआपने नये साल की अपनी पहली चर्चा बहुत अच्छे ढंग से की है।
सभी लिंक बहुत सुन्दर और पठनीय हैं।
आभार।
सुन्दर चर्चा!
जवाब देंहटाएंआभार!
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंइस वर्ष की आपकी पहली चर्चा के लिए पहले तो बधाई स्वीकार करें |
सूत्र बहुत अच्छे लगे |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुन्दर रोचक व पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंइस वर्ष की आपकी पहली चर्चा के लिए पहले तो बधाई.सभी लिंक बहुत सुन्दर और पठनीय हैं,धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबहुत से सुंदर सुंदर सूत्रों को पिरोया है आज की चर्चा में ! उल्लूक का " कुछ देशी इलाज करवा बहुत फालतू बातें आजकल कर रहा है" को शामिल किया आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और पठनीय हैं सभी लिंक ...... मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा !
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा है। धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढियाँ चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा -
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
badiya charcha ..shamil karne ke liye dhanyvaad .
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा ... सुन्दर लिनक्स का संयोजन .मेरी रचना " चाभिया" शामिल किये जाने का आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर संयोजन. सभी रचनाएँ बेहतरीन
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच में शामिल करने के लिए धन्यवाद !
सभी को मेरी तरफ से नया साल मुबारक !
बहुत सुंदर चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंदेख कर करतूत अपनी,
चाँद-सूरज हँस रहे हैं,
आदमी को बस्तियों में,
लोभ-लालच डस रहे हैं,
काल की गोदी में,
बैठे ही हुए सारे चने हैं।
दुःख और सुख भोगने को,
जीव के तन-मन बने हैं।।
बहुत सुन्दर है।
झा साहब की चर्चा के साहित्यिक तेवर देखते ही बनते हैं श्रेष्ठ सेतु चयन सुन्दर संयोजन।
जवाब देंहटाएंसटीक सत्य विश्लेषण।
जवाब देंहटाएं" नहीं बनेगा कोंग्रेस का प्रधानमंत्री,इसलिए मैं नहीं बनना चाहता अगला प्रधानमंत्री "- स० मनमोहन सिंह !!
" बेरोज़गारी हम दूर नहीं कर पाये " !!
" भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये " !!
" मंहगाई नहीं रोक पाये " !!
" अगला प्रधानमंत्री U.P.A. का बनेगा " !!
" मैं अगला प्रधानमंत्री नहीं बनना चाहता "!!
" कई बातों का मुझे आज तलक पता ही नहीं चला हम देखेंगे " !!
" इतिहासकार मुझे अच्छा प्रधानमंत्री लिखेंगे"!
" मीडिया चाहे मुझे बुरा कहे "!!
" मोदी प्रधानमंत्री बने तो घातक होगा " !!
" राहुल में कई खूबियां हैं " !!
" सोनिया जी अगला प्रधानमंत्री पद का दावेदार जल्द ही घोषित करेंगीं " !!
- स० मनमोहन सिंह
ये हैं हमारे शरीफ प्रधानमंत्री जी के वो कथन जो उन्होंने आज प्रैस से मिलिए कार्यक्रम में मुख्यतः कंही !! भारत के उन नागरिकों ने अपना माथा ही पीट लिया होगा जिन्होंने इसे देखा होगा !! और जिन्होंने इसे नहीं देखा होगा वो कल अखबारों में इसे पढ़कर अपना सर धुन लेंगे और कहेंगे के हे भगवान् किन पापों की सज़ा हमें इस रूप में मिल रही है ??
जिनको कोर्ट और S.I.T. ने निर्दोष घोषित करदिया हो वो मोदी जी और येदियुरप्पा तो इन्हें भ्रष्टाचारी और हत्यारे नज़र आ रहे हैं और अपने राजा ,कलमाड़ी,शीला दीक्षित और सज्जन कुमार निर्दोष नज़र आते हैं जिनको कोर्ट दोषी कह चुका है क्यों ???
मनमोहन जी जितने चाहे षड्यंत्र रच लो !! जितनी चाहे मर्ज़ी अपनी " आप " जैसी A.B.C.D.टीम बनालो , जनता 2014 में होने वाले चुनावों में कोंग्रेस ही नहीं बल्कि U.P.A.मुक्त प्रधानमंत्री चुनेगी !! ये " फिफ्थ पिल्लर कारप्शन किल्लर " ब्लॉग कि भविष्यवाणी है सभी नोट करलें समय आने पर हैम सभी को याद दिलाएंगे कि हमने ऐसा कहा था !!
हाँ - नहीं तो !!!!
जवाब देंहटाएंघोटालों की बारात के दूल्हा मनमोहन सिंह
मनमोहन सिंह ने अपने विदाई सम्बोधन में कहा -न तो विपक्ष से और न मीडिया ने मेरे साथ न्याय किया ,मुझे उम्मीद है इतिहासकार मेरी उपलब्धि के बारे में सही आकलन करेंगेंऔर मैं ने जो सेवायें की हैं उन्हें देश के सामने लायेंगे।
देश की जनता यह जानना चाहती है कि उन्होंने देश की सेवा किस रूप में की है। वे अपनी व्यक्ति गत ईमानदारी का ढिंढोरा पीटते रहे और उनकी नाक के नीचे घौटाले पर घोटाला होता रहा। नारी की इज्जत पर हमले होते रहे। चीन की सेनाएं अनेक बार भारत की सीमा का उल्लंघन करती रहीं और इतिहास में नाम पा जाने को आतुर प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह चुप्पी भरके बैठे रहे। जब पाकिस्तान के सैनिक भारतीय सैनिकों के सिर काटकर ले गए तब भी उनका मौन नहीं टूटा। ये पता लगाना मुश्किल था
कि वे दहशत में हैं ,अपमान से आहत हैं या फिर कूटनीतिक निगाह से
किन्हीं वोटों पर निगाह गढ़ाएं हुए हैं। अमरीका ,औस्ट्रेलिया और
कई अन्य
देशों में भारतीयों का अपमान होता रहा और वह मौन समाधि लगाए रहे।
इतिहास क्या लिखेगा कि उनके शासनकाल में राज खुल जाने के डर से फाइलें गुम होती रहीं या फिर उनका अग्नि संस्कार कर दिया गया। आखिर इतिहास क्या लिखेगा यही न कि बार -बार अदालतों से केंद्रीय सरकार को फटकार मिलती रही और प्रधानमन्त्री व्यक्तिगत ईमानदारी का गुणगान करते रहे। वह एक ऐसे प्रधानमन्त्री थे और हैं जिनका विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र सभा में भारत की बजाय किसी और देश की रिपोर्ट पढ़ने लग गया था। वह एक ऐसे प्रधानमन्त्री हैं और एक ऐसी पार्टी से सम्बद्ध हैं कि जिसके एक बड़बोले नेता ने पूर्व सेना अध्यक्ष के बारे में ये निंदनीय टिपण्णी की थी कि अरे वह तो एक मामूली सरकारी नौकर है। शायद इसी आधार पर उन्हें मंत्रीपद दे दिया गया था। और वही महाशय इस बार प्रेस वार्ता में उनके साथ बैठे थे।
इतिहास इस बात के लिए भी मनमोहन सिंह को याद करेगा कि उनके एक मंत्री ने किसी अन्य विचार के राजनीतिक कार्यकर्ता को ये धमकी भरी चुनौती दी थी कि मेरे इलाके में आके देखना। उन्हें प्रौन्नति देकर एक और अच्छा विभाग दे दिया गया। जिसे धमकी दी गई थी वह आज दिल्ली का मुख्यमन्त्री है। और प्रधानमन्त्री अपनी पार्टी की ओर से उन्हें समर्थन दे रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं है वह पश्चाताप कर रहे हैं। यह तो वो जाने पर
पर इतना ज़रूर है कि इतिहासकार ये लिखने से बच नहीं सकेगा कि १० साल के लिए एक ऐसे शख्श प्रधानमन्त्री बने थे जब सारी शासन व्यवस्था शिथिल हो गई थी। वे अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का नगाड़ा बजा रहे थे। उनके शासनकाल में कांग्रेसी घौटाले पे घोटाला करते जा रहे थे। उनकी अपनी कोई राय नहीं थी। जो बुलवाया जाता था वही बोलते थे।
इतिहासकार इस बात के लिए उन्हें ज़रूर शाबाशी देगा कि सरदार मनमोहन प्रधानमन्त्री के रूप में घोटालों की बारात के दूल्हा बने बैठे थे।
विशेष :मनमोहन की बुद्धि इतिहासकार है। इतिहास का अर्थ क्या वह यह समझते हैं कि सरकारी रिकार्ड देखकर इतिहास लिखा जाता है,जो उन्होंने ठीक कर लिए हैं ,जो कुछ देश का अच्छा या बुरा विकास हुआ है वह महत्वपूर्ण नहीं है।हमने आर टी आई क़ानून बनाया। अन्य अनेक क़ानून बनाये। क्या वह मनीष तिवारी जैसे लोगों से काल पात्र गढ़वा कर इतिहास लिखवाएंगे ?यदि ऐसा है तब और बात है। 'हाथ 'की सफाई से कुछ भी किया जा सकता है।
परपूर्णतया सहमत आपसे। शब्द खरा है एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
http://pitamberduttsharma.blogspot.in/2014/01/blog-post_3.html
" नहीं बनेगा कोंग्रेस का प्रधानमंत्री,
इसलिए मैं नहीं बनना चाहता अगला प्रधानमंत्री "
- स० मनमोहन सिंह !!
5TH Pillar Corruption Killer पर
PITAMBER DUTT SHARMA
परि पूर्णतया सहमत आपसे। हर शब्द खरा है आपकी पोस्ट का एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :
जवाब देंहटाएंhttp://pitamberduttsharma.blogspot.in/2014/01/blog-post_3.html
कुहरे की फुहार से,
जवाब देंहटाएंठहर गया जन-जीवन।
शीत की मार से,
काँप रहा मन और तन।
--
माता जी लेटी हैं,
ओढ़कर रजाई।
काका ने तसले में,
लकड़ियाँ सुलगाई।
गलियाँ हैं सूनी,
सड़कें वीरान हैं।
टोपों से ढके हुए,
लोगों के कान हैं।
खाने में खिचड़ी,
मटर का पुलाव है।
जगह-जगह जल रहा,
आग का अलाव है।
--
राजनीतिक भिक्षु,
हुो रहे बेचैन हैं।
मत के जुगाड़ में,
चौकन्ने नैन हैं।
--सुन्दर शब्द- चित्र बे -ईमान मौसम का
परिवर्तन का दौर, काल की घूमी चकरी-
हटाएंफरी फरी मारा किया, घरी घरी हड़काय ।
मरी मरी जनता रही, दपु-दबंग मुस्काय ।
रविकर की कुण्डलियाँ
रविकर की कुण्डलियाँ
बहुत सुन्दर