नमस्कार....
कई बार तो लगता कि हम पर नया साल थोप दिया जाता है....!!
कुछ एक ने रेसोल्यूशन क्या चला दिया सब उसके मुरीद हो गए....!!!
जैसे मानो किसी ने अगर इस वर्ष का रेसोल्यूशन नहीं बनाया तो पापी हो गया....!!!
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खैर ये रेसोल्यूशन बड़ी बुरी चीज़ है टेम्पररी फोंल्डर जैसे....कुछ दिन गुजरते इसको हम शिफ्ट+डिलीट कर देते....ताकि ये हमारी और विकास कार्यो की डाटा-स्पीड ना रोक दे....!!!
चलिये रेसोल्यूशन
बना लिए हो तो भी ठीक है....
निभा रहे हो तो आप दिग्गज....
और टूट गए हो निराश मत होइए....!!!
निभा रहे हो तो आप दिग्गज....
और टूट गए हो निराश मत होइए....!!!
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और लग जाइए एक नयी ऊर्जा ने अपने कर्मो की उपासना करने.....!!!
रविवारीय चर्चा मे ई॰ राहुल मिश्रा का आप सभी को प्यार भरा नमस्कार....
चलिये कुछ अपने चुनिन्दा लिंक परोसता हूँ मैं....
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तुम्हारी ज़िद है
मुझे हराने की
और मेरी ज़िद है
तुम्हें पाने की...
तुम लाख कोशिश कर लो
मुझसे दूर रहने की
मुझे अपनी यादों
जुदा रखने की
लेकिन
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अब तुम कहते हो तो
सब सुनती हूँ बस सुनती हूं
उसी तरह जैसे पत्थरों पर गिरती है बूंदे
और सरक कर परे हो जाती हैं
एक आकार जो ...
अब बदलता ही नहीं
नहीं गढ़ता कोई मूरत और न कहानियां
ना कोई संवेदन और ना ही कोई आहट
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हम तो केवल हंसना चाहें
सबको ही, अपनाना चाहें
मुट्ठी भर जीवन पाए हैं
हंसकर इसे बिताना चाहें
खंड खंड संसार बंटा है , सबके अपने अपने गीत ।
देश नियम,निषेध बंधन में,क्यों बांधा जाए संगीत ।
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तन्हाई के लम्हे
गुज़रते जब मेरी
यादों में तुम
ख्यालों में मेरे
आते तुम जब
महका जाते
बगिया दिल की
सहेज रखी जहाँ
यादें तुम्हारी
समाये जहाँ
तुम ही तुम
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६..आसार नहीं है....सुरेश स्वप्निल
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यूं इश्क़ के मराहिल दुश्वार नहीं हैं
बस हम ही ख़ुद से इतने बेज़ार नहीं हैं ....!!!
देखो, हमारे तन पर क़ीमत नहीं लिखी
इंसां हैं हम मता-ए-बाज़ार नहीं हैं ....!!!
बेचें कि मुफ़्त दें दिल मसला उन्हीं का है
हम रास्ते में उनके दीवार नहीं हैं ....!!!
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नेता की भूख
पद के लालच में
नहीं देख पाती
बेबस जनता की तकलीफ़ें
जनता का रुदन
उसे चाहिये होता है एक उच्च पद
जहाँ वो सारे कुकृत्य करके भी बच जाये
स्वंय को पाक साफ़ सिद्ध कर सके
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आड़े अनुभवहीनता, पब्लिक थानेदार ।
भीड़ अड़ी भगदड़ बड़ी, भाड़े जन-दरबार ।
भाड़े जन-दरबार, नहीं व्यवहारिक कोशिश ।
चूके फिर इस बार, कौन कर बैठा साजिश ।
दूर हटे अरविन्द, आज छवि आप बिगाड़े ।
धीरे धीरे सीख, समय आयेगा आड़े ।
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९. गंगा प्रदूषण से सम्बन्धित आंकडे....गीता ज्ञानपीठ
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१०. प्रेम नहीं मजबूर....श्यामल सुमन
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सुमन प्रेम की राह में, काँटे बिछे अनेक।
दर्द हजारों का मिले, चुभ जाता जब एक।।
त्याग प्रेम का मूल है, मगर सहित सम्मान।
करता हँस कर के सुमन, अपना जीवन-दान।।
प्रेम गली में क्यों सुमन, खड़ी मिले दीवार।
सदियों से क्यों चल रहा, दुनिया का व्यवहार।।
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११. हम पर है....निर्मल आनंद
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फूल खिले हैं।
खुशबू आ रही है।
आनन्द उपलब्ध है।
लेना- न लेना,
हम पर है।
शाम हो रही है।
आसमां रंगीन है।
देखें या देख कर भी न देखें,
हम पर है।
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धन्यवाद...
--
आगे देखिए.. "मयंक का कोना"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
--
शत-शत नमन
छोटे कद और बड़े हौसले वाले
देश के लाल को
पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
--
"नवगीत-कुहरा घना है"
--
है चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत-
रविकर की कुण्डलियाँ
--
स्मार्ट फोन का ज़माना क्या कभी होगा पुराना…?
जब से फोन आए तब से सभी की ज़िंदगी ही बदल गयी। दूर बैठे अपने अपनों से जब मर्ज़ी बात करना आसान हो गया। यहाँ हम बात कर रहें है ‘लैंड लाइन’ वाले फोन की, फिर आया मोबाइल। जिससे हमें अपने बच्चों की पल पल की खबर रखना आसान हो गया। जिस के कारण बहुत हद तक हम चिंता मुक्त हो गए। मोबाइल आने से न सिर्फ बच्चों और परिवार वालों की बल्कि घर में काम करने आने वाली बाई से लेकर सब्जी बेचने वाला/वाली तक के आने या ना आने की जानकारी पहले ही मिल जाने की वजह से हम और भी कई तरह के कामों से चिंता मुक्त हो गए और सब से ज्यादा जो फायदा हुआ वो यह था कि किसी को भी फोन करने से पहले समय का ध्यान रखना या ट्रंकाल बुक करके घंटो इंतज़ार करने का रोना खत्म हो गया...
मेरे अनुभव पर Pallavi saxena
--
जो न कह पाया जुबाँ से...
जो न कह पाया जुबाँ से ख़त में सब लिखना पड़ा।
अपना इज़हारे-तमन्ना आख़िरश करना पड़ा ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
"ग़ज़ल-खास को होने लगी चिन्ता"
--
राय देने में
कहाँ कहता है कोई
खर्चा बहुत ज्यादा ही होता है
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
नरेन्द्र मोदी को सबक सिखाने
और हाशिये पर लाने के लिए
प्रधानमन्त्री का प्रत्याशी बनाया है ?
अलबेला खत्री
--
दोहा ....प्रथम प्रयास --१
Mera avyakta पर राम किशोर उपाध्याय
--
आज भी वह मेरे काम आया ......
कुछ चीज़ें
कभी कभी मिल कर
अचानक ही कहीं याद दिला देती हैं
पिछले दिनों की और गुज़र चुके वक़्त की
आज एक ऐसी ही चीज़ मिली
एक पुराना 25 पैसे का सिक्का ...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
--
करिश्मा है या भरम
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
मैं कहता हूँ एक चूहे को छोड़ दो
कविता के अंदर :
बिली कालिंस
कविता की शिनाख्त
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
मैं कहता हूँ उनसे कि एक कविता लो
और रोशनी की ओर कर उसे देखो
एक रंगीन स्लाइड की तरह...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
--
माँ सुनो !
*जब पहली बार *
*गूँजी मेरी किलकारी *
*लिया था अपने हाथों में *
*तुम्हारी सोच की हकीकत को *
*बताओ ना *
*कैसे स्वीकारा था तुमने...
बावरा मन पर
सु..मन (Suman Kapoor)
--
कुछ यूँ है तुम्हारा प्रेम --- :)
तुनकमिजाजी थोड़ी सी
रूठ जाना बिना बात के
कुछ ऐसा ही है
तुम्हारा प्रेम
मेरे लिये...
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने - पर
Divya Shukla
--
“कोपलों में अब अदाएँ आने वाली हैं”
सुलगते प्यार में, महकी हवाएँ आने वाली हैं।
कुछ लिंक आपका ब्लॉग से...
New blood test could be used
to predict if a patient
will have a heart attack
--
When smoking stopped being cool
--
Eat before you drink
--
खबरें सेहत की
(१)
Digested coconut oil can attack the bacteria
that cause tooth decay .
Coconut oil halts tooth decay
by attacking the bacteria that cause it
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
--
जनता दर्शन
मित्रों 11 जनवरी 2014 को
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के जनता दर्शन में
उमड़ी भीड़ और उसके बाद
मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल द्वारा किए गए प्रदर्शन से
मुझे एक कहानी याद आ गयी...
रमेश पाण्डेय
--
पसन्द आपकी --
पथिक अनजाना ४५० वी पोस्ट
पसन्द आपकी या तो गन्दे
विचारों को तुरन्त दफ़न करे
या ताउम्र गन्दे विचारों के
कफन में नफरत सब की सहें..
--
'जानता कौन है पराई चोट'
--
4 कार्टून :-
गाओ मँगलगान,
टोपियां आई रे...
काजल कुमार के कार्टून
--
आगे देखिए.. "मयंक का कोना"
(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
--
शत-शत नमन
छोटे कद और बड़े हौसले वाले
देश के लाल को
पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ...
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा
--
"नवगीत-कुहरा घना है"
काव्यसंग्रह "सुख का सूरज" से
एक गीत
दिन दुपहरी में दिवाकर अनमना है।
छा रहा मधुमास में कुहरा घना है...
सुख का सूरज--
है चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत-
रविकर की कुण्डलियाँ
--
स्मार्ट फोन का ज़माना क्या कभी होगा पुराना…?
जब से फोन आए तब से सभी की ज़िंदगी ही बदल गयी। दूर बैठे अपने अपनों से जब मर्ज़ी बात करना आसान हो गया। यहाँ हम बात कर रहें है ‘लैंड लाइन’ वाले फोन की, फिर आया मोबाइल। जिससे हमें अपने बच्चों की पल पल की खबर रखना आसान हो गया। जिस के कारण बहुत हद तक हम चिंता मुक्त हो गए। मोबाइल आने से न सिर्फ बच्चों और परिवार वालों की बल्कि घर में काम करने आने वाली बाई से लेकर सब्जी बेचने वाला/वाली तक के आने या ना आने की जानकारी पहले ही मिल जाने की वजह से हम और भी कई तरह के कामों से चिंता मुक्त हो गए और सब से ज्यादा जो फायदा हुआ वो यह था कि किसी को भी फोन करने से पहले समय का ध्यान रखना या ट्रंकाल बुक करके घंटो इंतज़ार करने का रोना खत्म हो गया...
मेरे अनुभव पर Pallavi saxena
--
जो न कह पाया जुबाँ से...
जो न कह पाया जुबाँ से ख़त में सब लिखना पड़ा।
अपना इज़हारे-तमन्ना आख़िरश करना पड़ा ...
डॉ. हीरालाल प्रजापति
--
"ग़ज़ल-खास को होने लगी चिन्ता"
दरक़ती जा रही हैं नींव, अब पुख़्ता ठिकानों की
तभी तो बढ़ गयी है माँग छोटे आशियानों की
जिन्हें वो देखते कलतक, हिक़ारत की नज़र से थे
उन्हीं के शीश पर छत, छा रहे हैं शामियानों की...
उच्चारण--
राय देने में
कहाँ कहता है कोई
खर्चा बहुत ज्यादा ही होता है
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
नरेन्द्र मोदी को सबक सिखाने
और हाशिये पर लाने के लिए
प्रधानमन्त्री का प्रत्याशी बनाया है ?
अलबेला खत्री
--
दोहा ....प्रथम प्रयास --१
मित्रो, आ. छाया शुक्ल जी के कुशल मार्गदर्शन में
मैंने आज दोहा लिखने का प्रयास किया हैं ...
उन्हें मेरा नमन ..
और यह दोहा उन्ही को समर्पित
विधा ==दोहे मात्रिक छंद
प्रथम तृतीय चरण में १३ - १३ मात्राएँ
द्वितीय चतुर्थ चरण में ११-११ मात्राएँ
व्यवहार ही महत्वपूर्ण,मित्रता या व्यापार,
सदाचार सबसे श्रेष्ठ, जीवन का आधार....
सदाचार सबसे श्रेष्ठ, जीवन का आधार....
--
आज भी वह मेरे काम आया ......
कुछ चीज़ें
कभी कभी मिल कर
अचानक ही कहीं याद दिला देती हैं
पिछले दिनों की और गुज़र चुके वक़्त की
आज एक ऐसी ही चीज़ मिली
एक पुराना 25 पैसे का सिक्का ...
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash
--
करिश्मा है या भरम
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
--
मैं कहता हूँ एक चूहे को छोड़ दो
कविता के अंदर :
बिली कालिंस
कविता की शिनाख्त
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह )
मैं कहता हूँ उनसे कि एक कविता लो
और रोशनी की ओर कर उसे देखो
एक रंगीन स्लाइड की तरह...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
--
माँ सुनो !
*जब पहली बार *
*गूँजी मेरी किलकारी *
*लिया था अपने हाथों में *
*तुम्हारी सोच की हकीकत को *
*बताओ ना *
*कैसे स्वीकारा था तुमने...
बावरा मन पर
सु..मन (Suman Kapoor)
--
कुछ यूँ है तुम्हारा प्रेम --- :)
तुनकमिजाजी थोड़ी सी
रूठ जाना बिना बात के
कुछ ऐसा ही है
तुम्हारा प्रेम
मेरे लिये...
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने - पर
Divya Shukla
--
“कोपलों में अब अदाएँ आने वाली हैं”
सुलगते प्यार में, महकी हवाएँ आने वाली हैं।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं।।
चटककर खिल गईं कलियाँ,
महक से भर गईं गलियाँ,
सुमन की सूनी घाटी में, सदाएँ आने वाली है।
दिल-ए-बीमार को, देने दवाएँ आने वाली हैं...
--कुछ लिंक आपका ब्लॉग से...
New blood test could be used
to predict if a patient
will have a heart attack
--
When smoking stopped being cool
--
Eat before you drink
--
खबरें सेहत की
(१)
Digested coconut oil can attack the bacteria
that cause tooth decay .
Coconut oil halts tooth decay
by attacking the bacteria that cause it
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
--
जनता दर्शन
मित्रों 11 जनवरी 2014 को
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के जनता दर्शन में
उमड़ी भीड़ और उसके बाद
मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल द्वारा किए गए प्रदर्शन से
मुझे एक कहानी याद आ गयी...
रमेश पाण्डेय
--
पसन्द आपकी --
पथिक अनजाना ४५० वी पोस्ट
पसन्द आपकी या तो गन्दे
विचारों को तुरन्त दफ़न करे
या ताउम्र गन्दे विचारों के
कफन में नफरत सब की सहें..
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'जानता कौन है पराई चोट'
वज्न
2122 1212 22
पैरवी मेरी कर न पाई चोट
पास रहकर रही पराई चोट
फलसफ़े अनगिनत सिखा देगी
अस्ल में करती रहनुमाई चोट...
वाग्वैभव पर vandana--
4 कार्टून :-
गाओ मँगलगान,
टोपियां आई रे...
काजल कुमार के कार्टून
आभार। बहुत अच्छे लिंक्स। मेरे ब्लॉग 'कर्मनाशा' की नई पोस्ट को यहाँ जगह देने के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएं|शानदार लिंक्स |
आशा
चर्चा की सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात...।
रविवार मंगलकारी हो।
--
आभार मिश्रा राहुल जी आपका।
मेरे रचना ''जो न कह पाया जुबाँ से ख़त में सब लिखना पड़ा '' को शामिल करने हेतु धन्यवाद , मयंक जी !
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति , मिश्रा जी व मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएं॥ जय श्री हरि: ॥
बहुत सुंदर चर्चा राहुल जी, आभार !
जवाब देंहटाएंकार्टूनो को भी चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंखूबसूरत चर्चा ! मयंक के कोने में दिखा फिर उल्लूक का पर्चा ! आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा की सुन्दर प्रस्तुति,आभार मिश्रा राहुल जी आपका।
जवाब देंहटाएंnice links.thanks .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा राहुल जी, मेरी रचना शामिल करने ke लिए आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
nice links.
जवाब देंहटाएंthanks.
बहुत सुन्दर गीत है भाई साहब!
जवाब देंहटाएंसब के अपने स्वर सबकी अपनी तान ,
यही है मानुस की पहचान।
अरे तू जान सके तो जान ,
न कर इतना अभिमान।
वीरता पुरुष है सकल जहान
सुन्दर अनुकरणीय सार्वकालिक सत्य
जवाब देंहटाएं--
शत-शत नमन
छोटे कद और बड़े हौसले वाले
देश के लाल को
पुण्यतिथि पर शत-शत नमन ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर है स्पर्शय है तुम्हारा प्रेम
कुछ यूँ है तुम्हारा प्रेम --- :)
तुनकमिजाजी थोड़ी सी
रूठ जाना बिना बात के
कुछ ऐसा ही है
तुम्हारा प्रेम
मेरे लिये...
ये पन्ने ........सारे मेरे अपने - पर
Divya Shukla
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा है
करिश्मा है या भरम
ग़ाफ़िल की अमानत पर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
व्यवहार ही महत्वपूर्ण,मित्रता या व्यापार,
जवाब देंहटाएंसदाचार सबसे श्रेष्ठ,**जीवन का आधार.(1)
देखते ही मुखर हुये, नयन द्वय और धड़कन,
चढ़ी प्रत्यंचा सासों की,हुआ प्रेम का अंकुरण.(2)
गीत गा लिया पत्थरों ने,लुट गया सब संगीत,
क्या करना वीणा मृदंग,**जब रूठ गया मीत.(3)
हुआ बाहर भीतर सम,द्रवित भाव भरपूर,
बैरन हुई ठंडी पवन, मिलने को मजबूर. (4)
बन शिष्य सीख किसी से, रख चरणों में ध्यान,
जान लेगा रहस्य सभी ,**क्या वेद क्या पुराण.(5)
सखा उसे ही मानिए,सुख दुःख दोऊ निभाय,
गिन-गिन दोष दूर करे,जीवन निर्मल बनाय.(6)
सुन्दर प्रयास सुन्दर प्रस्तुति सुन्दर व्यंजना और सन्देश बधाई।
आड़े अनुभवहीनता, पब्लिक थानेदार ।
जवाब देंहटाएंभीड़ अड़ी भगदड़ बड़ी, भाड़े जन-दरबार ।
भाड़े जन-दरबार, नहीं व्यवहारिक कोशिश ।
चूके फिर इस बार, कौन कर बैठा साजिश ।
दूर हटे अरविन्द, आज छवि आप बिगाड़े ।
धीरे धीरे सीख, समय आयेगा आड़े ।
नीति नियम नीयत सही, सही कर्म ईमान |
सही जाय ना व्यवस्था, सी एम् जी हलकान |
सी एम् जी हलकान, बिना अनुभव के गड़बड़ |
बार बार व्यवधान, अगर मच जाती भगदड़ |
आशंकित सरकार, चलो खामी तो मानी|
चेतो अगली बार, नहीं दुहरा नादानी ||
सुन्दर अभिव्यंजना।
सुन्दर अभिव्यंजना। सुन्दर रूपक है यह रचना विडंबनाओं पर प्रहार है हमारे वक्त की।
जवाब देंहटाएं--
"ग़ज़ल-खास को होने लगी चिन्ता"
दरक़ती जा रही हैं नींव, अब पुख़्ता ठिकानों की
तभी तो बढ़ गयी है माँग छोटे आशियानों की
जिन्हें वो देखते कलतक, हिक़ारत की नज़र से थे
उन्हीं के शीश पर छत, छा रहे हैं शामियानों की...
उच्चारण
बहुत सुन्दर है !
जवाब देंहटाएंहै चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत-
भारत बांगला-देश में, बहुत बड़ा है फर्क |
यहाँ स्वर्ग इनके लिए, वहाँ बनाया नर्क |
वहाँ बनाया नर्क, अल्पसंख्यक आबादी |
करते नहीं कुतर्क, यहाँ हैं अम्मा दादी |
कई नरक से भाग, हजारों स्वर्ग-सिधारत |
है चोटी में खोट, करे चिंता क्यूँ भारत ||
सुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएं