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सोमवार, जनवरी 20, 2014

चर्चाकथा "अद्भुत आनन्दमयी बेला" (चर्चा मंच अंक-1498)

मित्रों।
सोमवार की चर्चा कथा में सभी पाठकों का स्वागत करता हूँ।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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      "अम्मा भी एक कोने से सब देख रही थी...." जब मेरी धरोहर पर "धूप और छांव की दोस्ती अज़ब गुजरी" थी और "फूल बसन्ती आने वाले" थे। अचानक प्रकाश के पुंज के रूप में "सूर्य सा उनको.." नजर आया। तभी आभास हुआ- "बेटियाँ और धान का पौधा" में कितनी समानता है।
         पीड़ा इस बात की है कि "बोड़ा निगले जिंदगी, हिंदी हुई अनाथ" लगता है हमारे कर्णधारों को "धोती का प्रमाणपत्र!" तो अच्छा लगता है मगर हिन्दी अच्छी नहीं लगती है। "परिस्थितियों से विवशदिलों से इसके प्रति "दूर होती ममता" इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। "हँसता गाता बचपन" आज न जाने कहाँ खो गया है? "रेखाचित्रों में स्मृतियाँ " कहीं गुम हो गयी लगतीं हैं। 
       "सृष्टि वर्णनडा श्याम गुप्त के महाकाव्य .."प्रेमकाव्य" से... सृष्टि-सृजन का वर्णन...मन को बहुत लुभाता है। लेकिन "रविकर घोंचू-मूर्ख, धरे पानी इक चुल्लू" फिर भी बसन्त के आते ही "फिर से अपने खेत में" बहार तो आयेगी ही। 
         मित्रों। "सुनो एक कहानी ....." यात्रा के प्रसंग की। "धर्म क्षेत्रे कुरू क्षेत्रे" हाँ जीवन एक युद्धक्षेत्र ही तो है। क्योंकि "लोंगेवाला- एक गौरवशाली युद्धक्षेत्र" है। जो कह रहा है- "देख लो एक बार जो मेरी तरफ" मगर जरा सम्भलकर क्योंकि "सर्द हवा...." से आपकी सेहत बिगड़ सकती है। 
        अपनों का साथ पर 14 दिसम्बर 2013 को अंजु चौधरी की "चन्द्र्कान्त देवताले जी से एक मुलाक़ात" हुई।  स्वभाव से हंसमुख .76 साल की उम्र में भी गजब का जोश देखते ही बनता था और दिनेश दधीचि "देखता रह गयापुरी शहर से चिलका जाने पर " चिलका झील" में ठाले बैठे.... "यादों के गलियारों से"  मिल गयी "एक भूख -- तीन प्रतिक्रियायें"... लेकिन फिर भी "एडजस्टमेंट " तो करना ही था..आज "अदभुत आनन्दमयी बेला" का।
मित्रों!
    अपना लिंक ढूँढ लीजिए न। आपका लिंक भी इसी कथा में कही जरूर होगा। 
            लिंकों की आज की चर्चा कथा बस इतनी ही।

12 टिप्‍पणियां:

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  2. सुप्रभात
    अनोखे रूप में सजा है चर्चामंच |
    सूत्रमय चर्चा बढ़िया है |

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  3. बड़ी ही सुन्दरता से संजोये सूत्र।

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  4. रोचक ढंग से समाँ बाधती आकर्षक प्रस्तुति ! मेरी प्रस्तुति को भी सम्मिलित किया आभारी हूँ !

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  5. अनोखे रूप में सजा है आज का चर्चामंच,आकर्षक प्रस्तुति .

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  6. मेरे आलेख को चर्चामंच में जगह देने के लिए, रूपचन्द्र जी बहुत बहुत धन्यवाद :)

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  7. बढिया अन्दाज़ ……सुन्दर लिंक्स

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  8. वाह नया अंदाज बहुत खूब ! बिजली धोखा दे गई देर हो गई आने में !

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