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शुक्रवार, जनवरी 10, 2014

"चली लांघने सप्त सिन्धु मैं" (चर्चा मंच:अंक 1488)

मैं राजेंद्र कुमार नये साल की प्रथम चर्चा में नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ आपका सादर अभिनन्दन करता हूँ। करीब दो माह से अपने प्रवास के चलते आपसे दूर रहा जिसका मुझे बहुत खेद है। तो आइये चलते हैं आपके कुछ चुनिंदा लिंकों की तरफ .....पहले एक सुभाषित पर मनन करते हैं   


विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोः विपरीतमेतद् ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय॥
अर्थ: विद्या, धन और शक्ति जहाँ एक खल (दुर्जन) को विवादी, अहंकारी और अत्याचारी बनाते हैं वहीं वे एक साधु (सज्जन) को ज्ञानी, दानी और रक्षक बनाते हैं।

चली लांघने सप्त सिन्धु मैं
मधु सिंह
चली लाघने सप्त सिन्धु मैं कोई खड़ा पुकार रहा है 
अपलक नयनों से रह -रह कोई जैसे मुझे निहार रहा है



सांझी : मिथकीय परंपरा
राजीव कुमार झा
संजा किशोरियों का लोकप्रिय त्यौहार है,साथ ही लोककला का श्रेष्ठ समायोजन.सावन के सुहाने मौसम की बहार छा जाने के बाद ही यह त्यौहार अपनी पूरी रंगीनियाँ … 
जिंदगी और तुमसे हार चुकी हूँ
सुषमा "आहुति"
रोज़ कि तरह दिन आज भी निकला है
पर कुछ उदास सा लग रहा है.…
तू ही सागर है तू ही किनारा
अनिता जी 


भगवद कथा हमें अपने स्वरूप में स्थित करने के लिए उपचार है. हमने जो अपने आप को बंधन में पड़ा हुआ मान लिया है, उससे छुड़ाने के लिए औषधि है. हरि ने अपने को अति सुलभ बना कर छिपा लिया है,

Study: Vitamin E May Help Memory
वीरेंद्र कुमार शर्मा 
 
     
 A new Finnish study discovers that elderly people with high serum vitamin E levels are less likely to suffer from memory disorders than their peers with lower levels.





बोलती तस्वीर
विभा रानी श्रीवास्तव 
उलझने ढेर सारी होने वाली ही थी 
समय की गति तेज होने वाली ही थी
मुश्किल नही हैं कुछ भी अगर
अजय यादव 
मेढकों की दुनिया का बड़ा महत्वपूर्ण दिन था |देश भर के मेढक उस विशालकाय टावर को देख रहें थे ,जो कुम्भ मेला परिक्षेत्र में निगरानी हेतु सेना द्वारा लगाया जा रहा था
ख़यालों की उलझन
निवेदिता श्रीवास्तव

ये मौसम ,
बड़े ही अजीब होते 
उन कदमों से 
इन आँखों तक
मीडिया भैंस
शालिनी कौशिक 

अभी कल ही की बात है सड़क पर एक भैंस बिगड़ गयी बस मच गया हड़कम्प और देखते देखते वह भैंस हमारे चबूतरे पर चढ़ आयी और हमारे होश फाख्ता ,आखिर भैंस से भिड़ना आसान थोड़े ही है। 
तेरी कहानी.... !!!
तरुणा मिश्रा 
तस्वीर कोई भी हो...तेरे अक्स मे ढल ही जाती हैं...!
सुखन किसी का हो... तेरी कहानी हो ही जाती हैं...!!
(सुखन-काव्य)
शहर में कितने रास्ते... कितनी गलियाँ हैं..मगर...
चलूँ मैं किसी पर भी....तेरे दर पर खुल ही जाती है ;
चन्द्र तुम मौन हो .......

मैं विकारी ... तुम निर्विकार ...!! 
निराकार मुझमे लेते हो आकार ,  ...
anupama's sukrity पर 
Anupama Tripathi 

सर्दी ने ढाया सितम
माहेश्वरी कनेरी 

ठिठुरती काँपती उँगलियाँ 
तैयार नहीं छूने को कलम
पड़े शीत की मार, आप ही मालिक मे
रविकर जी 
रैन बसेरे में बसे, मिले नहीं पर आप |
आम मिला इमली मिली, रहे अभी तक काँप |

रहे अभी तक काँप, रात थी बड़ी भयानक |
होते वायदे झूठ, गलत लिख गया कथानक |



बेगैरत सा यह समाज
आलोकिता 
हर रोज यहाँ संस्कारों को ताक पर रख कर,
बलात् हीं इंसानियत की हदों को तोड़ा जाता है|

नारी-शरीर को बनाकर कामुकता का खिलौना,
स्त्री-अस्मिता को यहाँ हर रोज़ हीं रौंदा जाता है|
क्‍या है रेटिना डिस्‍प्‍ले तकनीक

आज कल laptop, tablet या Smart Phone का प्रचलन इतना बढ गया है कि हम सारे दिन इनमें व्‍यस्‍त रखते हैं, मतलब सीधा सीधा यह है कि हमारी ऑखें भी व्‍यस्‍त रखती है, जिससे हमारी ऑखों को तरह-तरह की परेशानी भी हो जाती हैं,
"सितम बहुत सरदी ने ढाया"

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

मैदानों में कुहरा छाया।
सितम बहुत सरदी ने ढाया।।
सूरज को बादल ने घेरा,
शीतलता ने डाला डेरा,
ठिठुर रही है सबकी काया।
सितम बहुत सरदी ने ढाया।
मेरा मन खामोश है
लेकिन...
जीवन की भागदौड़ है
जग में बहुत शोर है।...

नीरज-हृदय
इसी के साथ आप सबको शुभ विदा मिलते हैं अगले शुक्रवार को कुछ नये लिंकों के साथ। आपका दिन मंगलमय हो। 
आगे देखिये  
  'मयंक का कोना'
--
बिखरे रंग


*१* 
मौन रहती 
अविरल बहती 
जीवन धारा ! ...
Sudhinama पर sadhana vaid -
--
एक गीत : 
नफ़रत की होलिका जलाएं... 
नफ़रत की होलिका जलाएं, रंग चलो प्यार के लगाएँ 
रस्में जो हो गईं पुरानी 
जैसे कि ठहरा हुआ पानी 
चेतना की नई लेखनी से 
नए दौर की लिखें कहानी 
’वसुधैव कुटुम्बकम’-की धुन पे, गूंज उठें वेद की ऋचाएँ...
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक

--
लेखकों को सुझाव : 
बिली कालिंस 

अध्ययन और अभिव्यक्ति की साझेदारी के  इस मंच पर नए बरस की पहली पोस्ट के रूप में विश्व कविता के सुधी पाठकों - प्रेमियों -कद्रदानों के लिए  आज प्रस्तुत है अमेरिकी  कवि  बिली कालिंस की यह एक कविता जो  मेरी समझ से हर देश - काल  में रचनाप्रक्रिया और रचनात्मक ईमानदारी  की राह - रेशे खोलती - सुलझाती  - सिखाती हमे साथ - साथ लिए जाती है... 

बिली कालिंस की कविता 
( अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह ) 
भले ही खप जाए इसमें सारी रात 
मगर एक हर्फ़ लिखने से पूर्व 
धो डालो दीवारें और रगड़ डालो अपने अध्ययन कक्ष का फर्श।... 
कर्मनाशा पर siddheshwar singh
--
"मधुमक्खी" 
बालकृति नन्हें सुमन से
 
बालकविता
honey-bee 
मधुमक्खी है नाम तुम्हारा।   
शहद बनाती कितना सारा।। 

इसको छत्ते में रखती हो।  
लेकिन कभी नही चखती हो।। 
नन्हे सुमन
--
50वीं पोस्ट - 
अपने ब्लॉग पाठक से पहला वार्तालापप्रचार पर 

HARSHVARDHAN
--
नयी करवट 
(दोहा-गीतों पर एक काव्य) 
(१) (सब का प्यार) 
(क) एक जल 
मित्रों!  आज 'नयी करवट' जो कि मेरा एक नव रचित दोहा-गज़ल-काव्य है, के प्रकाशन का शुभारम्भ कर रहा हूँ |यह एक  प्रथम अध्याय 'रहस्यवादी  दर्शन' का अध्याय है  | इस में कुल छ: या सात रचनाएँ हैं जिन में विशेषार्थ, कुछ प्रतीकों, रूपकों या उपमाओं को एकल उद्धरणों में प्रदर्शित किया गया है ! आप का इस गंभीर -शान्त रस-प्रधान अध्याय में  स्वागत हैं !


नदियाँ सारी अलग हैं, अलग अलग है राह |
पर सब में है ‘एक जल’, जिसका रहे ‘प्रवाह’ ||
‘दिशा’ सभी की अलग है, ‘गति’ है सब की भिन्न |
पर ‘सागर’ तो ‘एक’ ही, देता उन्हें पनाह ||
एक ‘नीर’ के ‘स्रोत’ हैं, ‘नाले’, ‘पोखर’ ‘ताल’ |
कुछ ‘उथले’, हैं ‘गहन’ कुछ, पर है ‘सिन्धु’ अथाह !!
--
संतुलित कहानी --- 
पर्यावरण दिवस...... 
ड़ा श्याम गुप्त 
क्लब हाउस के चारों ओर घूमते हुए मि.वर्मामि.सेन 
 मुकुलेश जी की मुलाक़ात सत्यप्रकाश जी से हुई |        
र्यावरण दिवस हैदोसौ पौधे आये हैं
ग्राउंड में लगवाने के लिएचलेंगे |’... 
--
क्षमाप्रार्थी न कहलावोगे ---पथिक अनजाना 
हमसफर मेरे ,आज मैंने हकीकत निचोड संवारी हैं 
जीवन समस्याओं अनिश्चित जीवनराह विचारी हैं.. 
--
यदि किसी धारदार चीज़ से चमड़ी कट फट गई है , 
जख्म पे थोड़ा सा हल्दी पाउडर लगा लें। 
खून का रिसाव बंद हो जाएगा। 
जो लोग नियमित ग्रीन टी का सेवन करते हैं 
उनमें दिल की बीमारी और कैंसर कम होते देखा गया है।सेहतनामा /आरोग्य समाचार 
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
--
बहना बह ना भाव में, हवा बहे प्रतिकूल- 

बहना बह ना भाव में, हवा बहे प्रतिकूल | 
दिग्गज अपने दाँव में, दिखे झोंकते धूल ... 
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर 
--
आम आदमी ! 
आम आदमी का " आप "सबको प्रिय है आज 
असंभव को संभव किया है आम आदमी आज | 
निराशा में आशा जगाया ,आम आदमी आज 
झोपड़ी में दीप जलाया "आप "के आदमी आज.... 
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद 

--
आजतक को 
अब अपना नाम बदल कर 
आपतक 
कर देना चाहिए 

अलबेला खत्री
--
पलटी मार लेना कभी भी 
बहुत आसान होता है 
इस जहाँ में
मौसम का असर
किसी भी मुद्दे पर
दिखाई देता है
किसी के बारे में
एक राय कायम
कर लेना वाकई
एक बहुत ही
टेढ़ी खीर होता है...

उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी

--
व्यक्ति पूजा की पराकाष्ठा !!! 

किस-किस को पूजिये, किस-किस को गाईये 
असंख्य देवी-देव हैं, बस मुंडी घुमाइये  :):)... 
काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा 

18 टिप्‍पणियां:

  1. पहली निगाह में बहुत अच्छे दिखाई दे रहे हैं। इन्हें पढ़ने के आज समय निकालना ही होगा। आभारी हूँ कि आपने मेरे ब्लॉग 'कर्मनाशा' की नई पोस्ट 'लेखकों को सुझाव : बिली कालिंस' को यहाँ स्थान दिया और हिन्दी ब्लॉग की बनती हुई दुनिया के साथ साझेदारी का एक अवसर उपलब्ध कराया।

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  2. शुभ प्रभात ।हार्दिक आभार शास्त्री जी आपने मेरी कविता को चर्चा मंच पर स्थान दिया ...!!बहुत बढ़िया लिंक्स चयन !!बढ़िया चर्चा ।

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  3. सार्थक एवँ पठनीय सूत्रं से सुसज्जित आज के चर्चामंच पर मेरे हाईकू के रंगों को भी आपने बिखेर दिया उसके लिये आभारी हूँ ! धन्यवाद !

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  4. सुंदर चर्चा.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

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  5. सुन्दर औ सार्थक चर्चा।
    --
    दो लिंक खुल नहीं रहे थे उन्हें फिर से मयंक का कोना में लगा दिया है।
    --
    भाई राजेन्द्र कुमार जी आपका आभार।

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  6. बहुरंगी सुन्दर रचनाओं का गुच्छा आपने सजाया है. बधाई है.

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  7. चर्चा हमेशा की तरह
    सुंदर और बहुरँगी
    नजर आ रही है
    मयंक जी के कोने में
    उल्लूक की बकबक
    भी मुस्कुरा रही है !
    आभार !

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  8. सुन्दर और सार्थक चर्चा।मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.राजेन्द्र जी

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  9. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद और आभार
    God Bless U

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  10. अच्छे समायोजन...धन्यवाद मेरी कहानी को स्थान देने हेतु,,,,

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  11. चली लांघने सप्त सिन्धु मैं
    मधु सिंह

    चली लाघने सप्त सिन्धु मैं कोई खड़ा पुकार रहा है
    अपलक नयनों से रह -रह कोई जैसे मुझे निहार रहा है

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  12. सुन्दर चरचा मंच सजाया

    उसमें हमको भी बिठलाया।

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  13. बहुत बढ़िया लिंक्स ,बढ़िया चर्चा, आभार ।

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  14. बहुत बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , मंच को धन्यवाद

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  15. सभी च्र्चामंच पर पधारे मित्रों को शुभ सर्व काल !
    आज का चर्चा मंच पूर्ण सम सामयिक है ! एतदर्थ सभी को शुभकामनाएं तथा चर्चाकार को विशेष वधाई और मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिये धन्यवाद !

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