मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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आई री ऋतु वसंत सखी
![My Photo](http://lh5.googleusercontent.com/-lcmwohFQCus/AAAAAAAAAAI/AAAAAAAAAYY/uLIlNlhf0y4/s512-c/photo.jpg)
प्रकृति जिस समय अपने चरमोत्कर्ष पर होती है उसी समय जीवन का उदात्त काल होता है। वसंत वनस्पति के संवत्सर तप का अत्यंत मनमोहक पुरश्चरण है। सुरभित पुष्पों के बहुरंगी प्रसाधन से युक्त प्रकृति हमारी अंतश्चेतना का साक्षात्कार ऐसी उदात्त अनुभूतियों से कराती है जो अलौकिक है...
दिल से पर Kavita Vikas
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गर शब्द बंद हो सकते होते
किसी लॉकर में ...
अभी कुछ देर पहले विभा आंटी का यह फेसबुक स्टेटस नज़र में आया -
और इस स्टेटस ने मुझे से जो लिखवाया वह यहाँ भी प्रस्तुत है-
गर शब्द बंद हो सकते होते
किसी लॉकर में
तो लोग सहेज कर रखते
सोने के गहनों की तरह बैंक खातों में....
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
किसी लॉकर में ...
अभी कुछ देर पहले विभा आंटी का यह फेसबुक स्टेटस नज़र में आया -
और इस स्टेटस ने मुझे से जो लिखवाया वह यहाँ भी प्रस्तुत है-
गर शब्द बंद हो सकते होते
किसी लॉकर में
तो लोग सहेज कर रखते
सोने के गहनों की तरह बैंक खातों में....
जो मेरा मन कहे पर
Yashwant Yash
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देसी पीसा की मीनार हुमा टेम्पल
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyi3SbjuKsy8E_PXb0qXh8J_NmtCNwG7Uz0-bvogVQztO6njn5NM5lYf7tLCSxq4gvFE3c3ha331FwYshatBJ-pYefwVTqXTsW69X6YEnEZMgxA-D29yEgGFUlZkUGbdzsKVtF3O-hGoE/s400/DSC04900.JPG&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
सम्भलपुर के पास एक बहुत पुराना शिव मंदिर है
जो तिरछा बना है जैसे की 'पीसा की मीनार '
य़ह मंदिर बहुत पुराना है
और कई सालों से जस का तस है।
ना ज्यादा झुका न गिरा...
कासे कहूँ? पर kavita verma
सम्भलपुर के पास एक बहुत पुराना शिव मंदिर है
जो तिरछा बना है जैसे की 'पीसा की मीनार '
य़ह मंदिर बहुत पुराना है
और कई सालों से जस का तस है।
ना ज्यादा झुका न गिरा...
कासे कहूँ? पर kavita verma
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माइक्रो कविता और दसवाँ रस
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/proxy/AVvXsEj2yvjw4X8Nrpl9LjFH6P1c2hE-F7qmZwCr0HTxH9LsAq1KUk_kjdv3RjLxLP6Ii6aOijrwtcMd8GhpmpCS-MKRWG4eg36aUhMGXxWRp0eoLDDRT2f-vOGPMV1MmksVtiGFjpCNxv1wWmwk-WV2p7p1xeCDbdKgvDQxCQ=)
क्या आपका दिन काटे नहीं कटता?
तो समय बिताने के लिये
फल्ली खाने या अंत्याक्षरी खेलने की जरूरत नहीं है।
मेरी सलाह मानिये और कवि बन जाइये।
टाइम पास का इससे बढ़िया तरीका और कुछ नहीं हो सकता।
फिर भी समय बच जाय तो फिकर मत कीजिये।
बाकी समय एक अदद् श्रोता ढ़ूँढ़ने में कट जायेगा...
आरंभ पर Sanjeeva Tiwari -
क्या आपका दिन काटे नहीं कटता?
तो समय बिताने के लिये
फल्ली खाने या अंत्याक्षरी खेलने की जरूरत नहीं है।
मेरी सलाह मानिये और कवि बन जाइये।
टाइम पास का इससे बढ़िया तरीका और कुछ नहीं हो सकता।
फिर भी समय बच जाय तो फिकर मत कीजिये।
बाकी समय एक अदद् श्रोता ढ़ूँढ़ने में कट जायेगा...
आरंभ पर Sanjeeva Tiwari -
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"सर्दी से आराम मिला है"
![](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/1604867_238795076303360_1098640054_n.jpg)
![](https://fbcdn-sphotos-d-a.akamaihd.net/hphotos-ak-ash3/1604867_238795076303360_1098640054_n.jpg)
खुलकर फिर से घाम खिला है।
सर्दी से आराम मिला है।।
बादल-बदली नहीं गगन में,
धूप गुनगुनी है आँगन में,
चिड़िया निकलीं चुगने दाने,
मज़दूरों को काम मिला है।
सर्दी से आराम मिला है।।
उच्चारण
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तुम्हारा हाथ थामे
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjeBtjXRQEx1fZN1oOmf6qv70YnY3cJBB7bSQAMrwPPG64ojh6aYk7BKZ2RPGeElmPJ2TWO-vtdZL3pZm_kbG9BVbOpG8tFBPhxS2hZjWDvwLqV4Qk7hi8m4GWLiTQe8ZVDa5lEaTWDaLJ/s400/SAM_0811.JPG&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
एक मुठी ख्वाहिशे संकोची जिगर
और तुम्हारी देहरी चली आई थी
हाथ तुम्हारा थामे एक सोच के साथ
यह अजनबी हाथ जो थामा हैं
मैंने उम्र भर को उम्र भर जीने के लिए
क्या देगा साथ और आज मुढ कर देखती हूँ
तो मीठी सी मुस्कान तैर जाती हैं मेरे लबो पर...
निविया पर Neelima sharma
एक मुठी ख्वाहिशे संकोची जिगर
और तुम्हारी देहरी चली आई थी
हाथ तुम्हारा थामे एक सोच के साथ
यह अजनबी हाथ जो थामा हैं
मैंने उम्र भर को उम्र भर जीने के लिए
क्या देगा साथ और आज मुढ कर देखती हूँ
तो मीठी सी मुस्कान तैर जाती हैं मेरे लबो पर...
निविया पर Neelima sharma
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क्या कहूँ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDlLMTo_wE86H_mOfu9r-XBkuaUAaYyIyeT7frDnXv45KrAEvw0hKtsNm8Y9wIIvTuvD_xdIkxb8YJwnPeqhwCvEPhl_t61F1DHlDUYwglJ8csNW_IYSC4ZAinLaExJvaQAQ5knW-yRgPo/s320/abc.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
अमा अब क्या कहूँ तुझे
हमदम नूर-ए-जन्नत,
दिल की धड़कन
जान-ए-अज़ीज़,
शमा-ए-महफ़िल
गुल-ए-गुलिस्ताँ...
तमाशा-ए-जिंदगी पर
Tushar Raj Rastogi
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiDlLMTo_wE86H_mOfu9r-XBkuaUAaYyIyeT7frDnXv45KrAEvw0hKtsNm8Y9wIIvTuvD_xdIkxb8YJwnPeqhwCvEPhl_t61F1DHlDUYwglJ8csNW_IYSC4ZAinLaExJvaQAQ5knW-yRgPo/s320/abc.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
अमा अब क्या कहूँ तुझे
हमदम नूर-ए-जन्नत,
दिल की धड़कन
जान-ए-अज़ीज़,
शमा-ए-महफ़िल
गुल-ए-गुलिस्ताँ...
तमाशा-ए-जिंदगी पर
Tushar Raj Rastogi
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एक गीत -
रह गया कुछ अनकहा ही
![](//3.bp.blogspot.com/-9jpWLKC7Sic/UtzfazO4IGI/AAAAAAAAEi0/TJ_jeD9fiQI/s400/443909.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
रह गया कुछ अनकहा ही रख दिया तुमने रिसीवर |
हैं प्रतीक्षा में तुम्हारे आज भी कुछ प्रश्न- उत्तर...
छान्दसिक अनुगायन पर
जयकृष्ण राय तुषार
रह गया कुछ अनकहा ही
![](http://3.bp.blogspot.com/-9jpWLKC7Sic/UtzfazO4IGI/AAAAAAAAEi0/TJ_jeD9fiQI/s400/443909.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
रह गया कुछ अनकहा ही रख दिया तुमने रिसीवर |
हैं प्रतीक्षा में तुम्हारे आज भी कुछ प्रश्न- उत्तर...
छान्दसिक अनुगायन पर
जयकृष्ण राय तुषार
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सरकार का माल भी खायेंगे
और उस पर भौंकेंगे भी?
भैयाजी नमस्ते, क्या डपटा है आपने मीडिया को!
सरकार का माल भी खायेंगे और उस पर भौंकेंगे भी?
नमकहराम कहीं के...
आपका ब्लॉग पर
Ramesh Pandey
और उस पर भौंकेंगे भी?
भैयाजी नमस्ते, क्या डपटा है आपने मीडिया को!
सरकार का माल भी खायेंगे और उस पर भौंकेंगे भी?
नमकहराम कहीं के...
आपका ब्लॉग पर
Ramesh Pandey
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कायनात का ये कौन चित्रकार है ...
इक हसीन हादसे का वो शिकार है
कह रहे हैं लोग सब की वो बीमार है
शाल ओढ़ के ज़मीं पे चाँद आ गया
आज हुस्न पे तेरे गज़ब निखार है...
स्वप्न मेरे..पर Digamber Naswa
इक हसीन हादसे का वो शिकार है
कह रहे हैं लोग सब की वो बीमार है
शाल ओढ़ के ज़मीं पे चाँद आ गया
आज हुस्न पे तेरे गज़ब निखार है...
स्वप्न मेरे..पर Digamber Naswa
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काश: काँच खो जावे
देखते हैं करीबी से गुजरते हुये
हर इंसानी जीव को
मानो कर रहे हैं कोई शोध कार्य
इनके नजरियों पर कल्पना करते हैं
हर इंसान ने मानो पहने चश्मा ...
आपका ब्लॉग पर Pathic Aanjana
देखते हैं करीबी से गुजरते हुये
हर इंसानी जीव को
मानो कर रहे हैं कोई शोध कार्य
इनके नजरियों पर कल्पना करते हैं
हर इंसान ने मानो पहने चश्मा ...
आपका ब्लॉग पर Pathic Aanjana
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"गाँवों के जीवन की याद दिलाते हैं"
![](https://lh3.googleusercontent.com/blogger_img_proxy/AEn0k_tO9qqRNemvtyhNwY7HV8zEifxopW95MHDQjEyiADC2OKgvVvrytqPldatLcDwgH576o5fb3e08VDRXbgs779-pG0qrA7pYm0X8WG7Bpws2FWC2ZW-m7pK8XuRvIOdodxlr4MIKYQvyGalzONe26s0=s0-d)
जब भी सुखद-सलोने सपने,
नयनों में छा आते हैं।
गाँवों के निश्छल जीवन की,
हमको याद दिलाते हैं...
"धरा के रंग"
जब भी सुखद-सलोने सपने,
नयनों में छा आते हैं।
गाँवों के निश्छल जीवन की,
हमको याद दिलाते हैं...
"धरा के रंग"
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पलाश के फूल
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisS0oEXSXwVebyNCcWrGvD6Tz4DNn2Jdvq-nNmrQOUu6JD7G6LxMO4h8k0-0vQh968Gy_gW72bWuFTtD4MjPbZZOaLHLtTPNpc5o2uIhlheLsxsqoU5t7Bud-mCb9vHYR3G-HWCghui-k/s320/120px-Butea_monosperma2.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
*मंगल कुमकुम*
*कलश मधुरस*
*धूल धूसरित तन*
*मटमैला रंग*
*पास सड़कों से*
*दूर वनों तक*
*खिल उठा पलाश*...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEisS0oEXSXwVebyNCcWrGvD6Tz4DNn2Jdvq-nNmrQOUu6JD7G6LxMO4h8k0-0vQh968Gy_gW72bWuFTtD4MjPbZZOaLHLtTPNpc5o2uIhlheLsxsqoU5t7Bud-mCb9vHYR3G-HWCghui-k/s320/120px-Butea_monosperma2.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
*मंगल कुमकुम*
*कलश मधुरस*
*धूल धूसरित तन*
*मटमैला रंग*
*पास सड़कों से*
*दूर वनों तक*
*खिल उठा पलाश*...
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा
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कल्पना साकार न हुई
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioES_LPY09_EQh5QrgZTzbxur-wx9X03EAX3rFXFf5jC4IN9nR8P39UmW_b0JE-y20xNYyuElpCauT5c7Py0_IQ8h8j_-GWiVJFP4DXLhALY-cwet-j52VRoKt3skqmAgYRUiKQZkCSIw/s320/index.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
कल्पना छोटे से घर की
जाने कब से थी मन में सपनों में
दिखाई देता था वह
और आसपास की हरियाली
जहां बिताती घंटों बैठ
कापी कलम किताब ले
पन्ने भावों के भरती
कल्पना साकार करती
पर सपना सपना ही रह गया...
Akanksha पर Asha Saxena
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEioES_LPY09_EQh5QrgZTzbxur-wx9X03EAX3rFXFf5jC4IN9nR8P39UmW_b0JE-y20xNYyuElpCauT5c7Py0_IQ8h8j_-GWiVJFP4DXLhALY-cwet-j52VRoKt3skqmAgYRUiKQZkCSIw/s320/index.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
कल्पना छोटे से घर की
जाने कब से थी मन में सपनों में
दिखाई देता था वह
और आसपास की हरियाली
जहां बिताती घंटों बैठ
कापी कलम किताब ले
पन्ने भावों के भरती
कल्पना साकार करती
पर सपना सपना ही रह गया...
Akanksha पर Asha Saxena
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अच्छा होता है कभी कभी
बिजली का
लम्बा गुल हो जाना
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6p6MFZvc1fHsG1-IjHglCmHgRheX_FHu8luHIndkZLcNqSSz_w5lYPoseqOLjv4SATWiS1kEuMPSp73qD-OyRhQ64gQKfSuKdJCb-tIj6b6CmtNq4Kvef5I4p8kPTeaw3lGF1on2WKp_Y/s1600/117.jpg)
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
मन के द्वार हजार---
समीक्षा- ऋता शेखर 'मधु'
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5YGKxl_aZj2PLfXlqqhae9vfTIKirigSn8hd2Mkg__MQruqpdoAj3waZURMqZc9m0bzD9CRrKsQqFevrNa4D5h54jnyrtCFsAKZt6pwa8qfRmkPVj0XtYea-VFM89Wxci8a_BVv-tYMg/s400/man+ke+dwar+hazar.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
हिन्दी-हाइगा
--
इतिहास में स्त्री की झूठी भूमिका
हमें नहीं चाहिए इतिहास की उन किताबों में नाम
जिनमें त्याग की देवी बनाकर स्त्री-गुण गाए जाए
त्याग हमारा स्त्रिय गुण है जो उभरकर आ ही जाता है
पर इसे बंधन बनाकर हम पर थोपने का
प्रपंच बंद करो......
परवाज़.....पर kanu.
--
अच्छा होता है कभी कभी
बिजली का
लम्बा गुल हो जाना
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh6p6MFZvc1fHsG1-IjHglCmHgRheX_FHu8luHIndkZLcNqSSz_w5lYPoseqOLjv4SATWiS1kEuMPSp73qD-OyRhQ64gQKfSuKdJCb-tIj6b6CmtNq4Kvef5I4p8kPTeaw3lGF1on2WKp_Y/s1600/117.jpg)
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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मन के द्वार हजार---
समीक्षा- ऋता शेखर 'मधु'
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh5YGKxl_aZj2PLfXlqqhae9vfTIKirigSn8hd2Mkg__MQruqpdoAj3waZURMqZc9m0bzD9CRrKsQqFevrNa4D5h54jnyrtCFsAKZt6pwa8qfRmkPVj0XtYea-VFM89Wxci8a_BVv-tYMg/s400/man+ke+dwar+hazar.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
हिन्दी-हाइगा
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इतिहास में स्त्री की झूठी भूमिका
हमें नहीं चाहिए इतिहास की उन किताबों में नाम
जिनमें त्याग की देवी बनाकर स्त्री-गुण गाए जाए
त्याग हमारा स्त्रिय गुण है जो उभरकर आ ही जाता है
पर इसे बंधन बनाकर हम पर थोपने का
प्रपंच बंद करो......
परवाज़.....पर kanu.
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जहान - जहाँ या जहां - क्या लिखें
श्रीमद्भगवत गीता पिछले दिनों एक चर्चा में उठे प्रश्न को लेकर मंथन प्रारम्भ हुआ जिसके निष्कर्ष रूप में जो बातें सामने आईं उन्हें साझा करना जरूरी प्रतीत हुआ | जहान शब्द के संक्षिप्त रूप जहाँ और जहां के रूप में प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में देखे गए हैं इनमें से प्रामाणिक रूप कौनसा है...
वाग्वैभव पर vandana
श्रीमद्भगवत गीता पिछले दिनों एक चर्चा में उठे प्रश्न को लेकर मंथन प्रारम्भ हुआ जिसके निष्कर्ष रूप में जो बातें सामने आईं उन्हें साझा करना जरूरी प्रतीत हुआ | जहान शब्द के संक्षिप्त रूप जहाँ और जहां के रूप में प्रिंट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में देखे गए हैं इनमें से प्रामाणिक रूप कौनसा है...
वाग्वैभव पर vandana
कार्टून :-
तुम अपनी सिक्योरिटी
अपनी परेशानी मुझे दे दो
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKf_zI1qgxwp7dxNuEhWWvYDx5R5hbMHOONAYjsDjqisDxjvxGN-Jy9dNRDxJ0Ec5nDCv67qHAptJD08xW1LuNtXL2vbNJ4XXTCeTFDHo_gH7Ndom1rigsNNA82Bgg-FcTShZjlOwk0gI/s400/18.1.2014.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
--
एक और अद्यतन
कार्टून :- बोल, फिर जाएगा 'आप' की मीटिंगों में ?
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijEQ5Up3mZI8eFv13T26mt1qdTHUUHoeUT0adU3odF25rftqnpxzW9tkv63nsnE6ELjZbq0wxxxXf72i953Mk_1bRluwLrEwsTUiMkepSYx_zTGsoUpZownaqM5mdNHxvwgGZQ2bO-t2o/s400/19.1.2014.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
काजल कुमार के कार्टून
तुम अपनी सिक्योरिटी
अपनी परेशानी मुझे दे दो
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKf_zI1qgxwp7dxNuEhWWvYDx5R5hbMHOONAYjsDjqisDxjvxGN-Jy9dNRDxJ0Ec5nDCv67qHAptJD08xW1LuNtXL2vbNJ4XXTCeTFDHo_gH7Ndom1rigsNNA82Bgg-FcTShZjlOwk0gI/s400/18.1.2014.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
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एक और अद्यतन
कार्टून :- बोल, फिर जाएगा 'आप' की मीटिंगों में ?
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEijEQ5Up3mZI8eFv13T26mt1qdTHUUHoeUT0adU3odF25rftqnpxzW9tkv63nsnE6ELjZbq0wxxxXf72i953Mk_1bRluwLrEwsTUiMkepSYx_zTGsoUpZownaqM5mdNHxvwgGZQ2bO-t2o/s400/19.1.2014.jpg&container=blogger&gadget=a&rewriteMime=image)
काजल कुमार के कार्टून
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पूर्ण विराम... एक पूरा वजूद
धीमे-धीमे जलकर राख़ में बदलता
चेतावनी देता यही है
अंत सबका अंत ...
लम्हों का सफ़र पर डॉ. जेन्नी शबनम
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूत्रों का खासा भण्डार |मजेदार कार्टून |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार और धन्यवाद शास्त्री जी |
सुन्दर रोचक व पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और पठनीय सूत्र |आभारी हूँ शास्त्री जी |
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों से सजी आज मंगलवारीय चर्चा में उल्लूक की "होता है कभी कभी बिजली का लम्बा गुल हो जाना" को स्थान देने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
बढ़िया प्रस्तुति , मंच व शास्त्री जी को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: कंप्यूटर है ! -तो ये मालूम ही होगा -भाग - २
बहुत बहुत धन्यवाद सर!
जवाब देंहटाएंसादर
sundar links ...shamil karne ke liye abhar ..
जवाब देंहटाएंbehatrin links hain ...dhanywaad
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स .... मेरी रचना को शामिल करने के लिय आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..आभार ..
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा ... शुक्रिया मुझे भी शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएं