शु्क्रवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बापू - 30 जनवरी को महाप्रयाण :
अन्तिम शब्द –
‘हे राम!’
मनोजपरमनोज कुमार
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बापू - 30 जनवरी को महाप्रयाण :
अन्तिम शब्द –
‘हे राम!’
मनोजपरमनोज कुमार
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एक बार फिर, गाँधी जी ख़ामोश थे
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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''सियासत की गोली गांधी के जा लगी !
फूल को तलवार बना देती सियासत !
मासूम को मक्कार बना देती सियासत...
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
पर shikha kaushik
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एक बार फिर, गाँधी जी ख़ामोश थे
शब्द-शिखर पर Akanksha Yadav
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''सियासत की गोली गांधी के जा लगी !
फूल को तलवार बना देती सियासत !
मासूम को मक्कार बना देती सियासत...
WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION
पर shikha kaushik
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ख्वाहिशें झाँकती हैं बन के ख्व़ाब !
SADA
अंज़ाम की परवाह
बिना किये जब
जिंदगी के साथ चलता है कोई
कदम से कदम मिलाकर तो
जीने का सलीक़ा आ जाता है...
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श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद
(१६वां अध्याय)
इतना आज है मैंने पाया अमुक मनोरथ पूर्ण करूँगा.
इतना धन है पास में मेरे इतना ही फिर प्राप्त करूँगा....
Kashish - My Poetry पर
Kailash Sharma
(१६वां अध्याय)
इतना आज है मैंने पाया अमुक मनोरथ पूर्ण करूँगा.
इतना धन है पास में मेरे इतना ही फिर प्राप्त करूँगा....
Kashish - My Poetry पर
Kailash Sharma
धुरी बन जाने को
नही समझ पाया मैं कभी
मनुष्य हृद्य धुरी कैसे बन सकता हैं ?
पाठ शांति का दे इंसानों को
र्निलोभी होने की सलाह दी जाती हैं ...
पथिकअनजाना
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चलते चलते बातें सेहत की
Eating high levels of flavonoids including anthocyanins and other compounds (found in berries ,tea ,and chocolate )could offer protection from type 2 diabetes .High intakes of the compounds are associated with lower insulin resistance and better blood glucose regulation...
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
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पहली मरतबा
योरोपीय न्यूक्लीयर एजन्सी (CERN )
के भौतिकी विद प्रति -हाइड्रोजन परमाणुओं का
पुंज बनाने में कामयाब हुए हैं।
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
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सिर्फ पढ़ने से ज्ञान नहीं मिलता
उसे आचरण में अपनाने से मिलता है..
जिस ज्ञान से चित्तशुद्धि होती है,
वही यथार्थ ज्ञान है,
बाकी सब अज्ञान है...
रमेश पाण्डेय
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नही समझ पाया मैं कभी
मनुष्य हृद्य धुरी कैसे बन सकता हैं ?
पाठ शांति का दे इंसानों को
र्निलोभी होने की सलाह दी जाती हैं ...
पथिकअनजाना
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चलते चलते बातें सेहत की
Eating high levels of flavonoids including anthocyanins and other compounds (found in berries ,tea ,and chocolate )could offer protection from type 2 diabetes .High intakes of the compounds are associated with lower insulin resistance and better blood glucose regulation...
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
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पहली मरतबा
योरोपीय न्यूक्लीयर एजन्सी (CERN )
के भौतिकी विद प्रति -हाइड्रोजन परमाणुओं का
पुंज बनाने में कामयाब हुए हैं।
वीरेन्द्र कुमार शर्मा
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सिर्फ पढ़ने से ज्ञान नहीं मिलता
उसे आचरण में अपनाने से मिलता है..
जिस ज्ञान से चित्तशुद्धि होती है,
वही यथार्थ ज्ञान है,
बाकी सब अज्ञान है...
रमेश पाण्डेय
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"मधुमास आ गया है"
टेसू के पेड़ पर अब,
कलियाँ दहक रहीं हैं।
मधुमास आ गया है,
चिड़ियाँ चहक रहीं हैं।
सरसों के खेत में भी,
पीले सुमन खिले हैं।
आने लगे चमन में,
भँवरों के काफिले हैं।
मादक सुगन्ध से अब,
गलियाँ महक रहीं है।
उच्चारण
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ऑनलाइन आधार कार्ड को
एल पी जी उपभोक्ता
आई डी के साथ कैसे जोड़ें
तकनीक दृष्टा ‹
ब्लॉग, सोशल मीडिया,
एसईओ और गैजेट पर
Vinay Prajapati
एल पी जी उपभोक्ता
आई डी के साथ कैसे जोड़ें
तकनीक दृष्टा ‹
ब्लॉग, सोशल मीडिया,
एसईओ और गैजेट पर
Vinay Prajapati
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जिद्दी जिंदगी..
जब से सोचने समझने लायक हुई,
न जाने कितने सपने खुली आँखों से देखे.
कभी कोई कहता
कोरे सपने देखने वाला कहीं नहीं पहुंचता
तो कभी कोई कहता
कोई बात नहीं देखो देखो
सपने देखने के
कोई दाम पैसे थोड़े न लगते हैं....
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney
जब से सोचने समझने लायक हुई,
न जाने कितने सपने खुली आँखों से देखे.
कभी कोई कहता
कोरे सपने देखने वाला कहीं नहीं पहुंचता
तो कभी कोई कहता
कोई बात नहीं देखो देखो
सपने देखने के
कोई दाम पैसे थोड़े न लगते हैं....
स्पंदन SPANDAN पर shikha varshney
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"भवसागर को कैसे पार करेगा"
जो बहती गंगा में अपने हाथ नही धो पाया,
जीवनरूपी भवसागर को, कैसे पार करेगा?
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जो मानव-चोला पाकर इन्सान नही हो पाया,
वो कुदरत की संरचना को, कैसे प्यार करेगा?
सुख का सूरज
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इंतज़ार
इंतज़ार कि घड़ियाँ गिनते - गिनते ,
प्रीत कि ओढ़नी ओढे मन
दुल्हन सा हो गया है ,
मिलन कि आस लिए बस दरवाज़े पर
टक - टकी लगाये
पहरा देते रहते हैं मेरे एहसास...
Love पर Rewa tibrewa
इंतज़ार
इंतज़ार कि घड़ियाँ गिनते - गिनते ,
प्रीत कि ओढ़नी ओढे मन
दुल्हन सा हो गया है ,
मिलन कि आस लिए बस दरवाज़े पर
टक - टकी लगाये
पहरा देते रहते हैं मेरे एहसास...
Love पर Rewa tibrewa
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सियासत “आप” की !
हिलगई नींव अब खानदानी महल की
'खास' अब लगाने लगे टोपी 'आम' की l
बढ़ गई धड़कन सियासत के मुक्केबाजों की
बेहोश हो रहे बार बार,
खाकर मुक्का एक 'आम' की...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद प्रसाद
हिलगई नींव अब खानदानी महल की
'खास' अब लगाने लगे टोपी 'आम' की l
बढ़ गई धड़कन सियासत के मुक्केबाजों की
बेहोश हो रहे बार बार,
खाकर मुक्का एक 'आम' की...
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर
कालीपद प्रसाद
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जिस्म की परछाईं भी लुप्त हो गयी
कुछ चली ऐसी बयार चिंगारियों की
जिस्म की परछाईं भी लुप्त हो गयी
अब परछाइयों की परछाइयाँ
ढूँढती हूँ पुराने मकाँ में...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta
कुछ चली ऐसी बयार चिंगारियों की
जिस्म की परछाईं भी लुप्त हो गयी
अब परछाइयों की परछाइयाँ
ढूँढती हूँ पुराने मकाँ में...
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र पर
vandana gupta
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विवशता में फायदे का सौदा
नहीं किया जा सकता है
विवशता की हालत में
कोई नियम लागू नहीं होता है।
कीचड़ में फँसे हाथी को
कौआ भी चोंच मारता है।।
कुँए में गिरे शेर को
बंदर भी आँखें दिखाता है।
उखड़े हुए पेड़ पर
हर कोई कुल्हाड़ी मारता है...
KAVITA RAWAT पर कविता रावत
नहीं किया जा सकता है
विवशता की हालत में
कोई नियम लागू नहीं होता है।
कीचड़ में फँसे हाथी को
कौआ भी चोंच मारता है।।
कुँए में गिरे शेर को
बंदर भी आँखें दिखाता है।
उखड़े हुए पेड़ पर
हर कोई कुल्हाड़ी मारता है...
KAVITA RAWAT पर कविता रावत
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दिशाशूल :
अंधविश्वास बनाम तार्किकता
आज के इस वैज्ञानिक युग में भी बहुत सी ऐसी बातें हैं,जो समाज में प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं और अब भी अंधविश्वास की श्रेणी में ही गिनी जाती हैं.इन्हीं में से एक है – दिशाशूल. एक समय विशेष में दिशा-विशेष की यात्रा करने की बात को या मुहूर्त इत्यादि में विश्वास को आज का तथाकथित आधुनिक समाज अंध-विश्वास की श्रेणी में ही गिनता है.परन्तु ऐसे तथाकथित अंधविश्वासों का आधुनिक युग में वैज्ञानिक विश्लेषण हो रहा है.यह बात बहुत ही आश्चर्यजनक है कि उन तथाकथित अंधविश्वासों को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हो रही है...
देहात पर राजीव कुमार झा
अंधविश्वास बनाम तार्किकता
आज के इस वैज्ञानिक युग में भी बहुत सी ऐसी बातें हैं,जो समाज में प्राचीन काल से प्रचलित रही हैं और अब भी अंधविश्वास की श्रेणी में ही गिनी जाती हैं.इन्हीं में से एक है – दिशाशूल. एक समय विशेष में दिशा-विशेष की यात्रा करने की बात को या मुहूर्त इत्यादि में विश्वास को आज का तथाकथित आधुनिक समाज अंध-विश्वास की श्रेणी में ही गिनता है.परन्तु ऐसे तथाकथित अंधविश्वासों का आधुनिक युग में वैज्ञानिक विश्लेषण हो रहा है.यह बात बहुत ही आश्चर्यजनक है कि उन तथाकथित अंधविश्वासों को वैज्ञानिक मान्यता प्राप्त हो रही है...
देहात पर राजीव कुमार झा
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यह मैं हूँ कागज के खेत में
'रंग' सीरीज की अपनी कुछ कविताओं में से
एक कविता आप इसी ठिकाने पर पहले पढ़ चुके हैं।
लीजिए आज प्रस्तुत है एक और कविता...
'रंग' सीरीज की अपनी कुछ कविताओं में से
एक कविता आप इसी ठिकाने पर पहले पढ़ चुके हैं।
लीजिए आज प्रस्तुत है एक और कविता...
कुछ और रंग
एक कैनवस है यह
एक चौखुटा आकार
क्षितिज की छतरी
मानो आकाश का प्रतिरूप
जिसकी सीमायें बाँधती है हमारी आँख
और मन अहसूस करना चाहता है अंत का अनंत...
कर्मनाशा पर siddheshwar singh एक चौखुटा आकार
क्षितिज की छतरी
मानो आकाश का प्रतिरूप
जिसकी सीमायें बाँधती है हमारी आँख
और मन अहसूस करना चाहता है अंत का अनंत...
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यह क्या ?
यह क्या कहा
कैसा सदमा लगा
मैं भूली ना |
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लिखी किस्मत न
विधाता ने मेरी
भूल किसकी...
Akanksha पर Asha Saxena
यह क्या कहा
कैसा सदमा लगा
मैं भूली ना |
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लिखी किस्मत न
विधाता ने मेरी
भूल किसकी...
Akanksha पर Asha Saxena
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तू बहुत देर से मिला है मुझे..
अहमद फ़राज़
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धिक् पुरुष की गन्दी सोच
दामिनी गैंगरेप कांड और इसके पहले हुए बलात्कार और इसके बाद निरंतर हो रहे बलात्कारों ने देश में एक बहस सी छेड़ दी है और अधिकांशतया ये बहस एक ही कोण पर जाकर ठहर जाती है और वह कोण है नारी विरोध ,नारी से सम्बंधित जितने भी अपराध हैं उन सबमे एक ही परंपरा रही है नारी को ही जिम्मेदार ठहराने की .ये पहली और आखिरी पीड़ित होती है जो स्वयं ही अपराधी भी होती है...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
तू बहुत देर से मिला है मुझे..
अहमद फ़राज़
जिंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे
हमसफ़र चाहिये हुजूम नहीं
इक मुसाफ़िर भी काफ़िला है मुझे ...
मेरी धरोहर पर yashoda agrawal--
धिक् पुरुष की गन्दी सोच
दामिनी गैंगरेप कांड और इसके पहले हुए बलात्कार और इसके बाद निरंतर हो रहे बलात्कारों ने देश में एक बहस सी छेड़ दी है और अधिकांशतया ये बहस एक ही कोण पर जाकर ठहर जाती है और वह कोण है नारी विरोध ,नारी से सम्बंधित जितने भी अपराध हैं उन सबमे एक ही परंपरा रही है नारी को ही जिम्मेदार ठहराने की .ये पहली और आखिरी पीड़ित होती है जो स्वयं ही अपराधी भी होती है...
! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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गाती जाए सोन चिरैया-----
घर छोटा और गाड़ी छोटी पर ---
दिल बड़ा रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया...
Tere bin पर Dr.NISHA MAHARANA
--
'जय हो' की जय हो !
सलमान खान के फिल्मों की एक ख़ास विशेषता है कि इसे हर आम व ख़ास आदमी अपने परिवार के साथ देख सकता है । सलमान द्वारा अभिनीत हर फिल्म से हमें उम्मीद होती है - धाँसू डायलॉग, हँसते गुदगुदाते हुए डायलॉग, जोरदार एंट्री, जबरदस्त फाइट, नायिका के साथ स्वस्थ प्रेम दृश्य, डांस में कुछ ख़ास नया स्टेप्स, गीत के बोल और धुन ऐसे जो आम आदमी की जबान पर चढ़ जाए...
साझा-संसार पर डॉ. जेन्नी शबनम
--
लिबास-कहानी
मंजू ने लम्बी साँस लेते हुए मन में सोचा -''आज सासू माँ की तेरहवीं भी निपट गयी .माँ ने तो केवल इक्कीस साल संभाल कर रखा मुझे पर सासू माँ ने अपने मरते दम तक मेरे सम्मान ,मेरी गरिमा और सबसे बढ़कर मेरी इस देह की पवित्रता की रक्षा की . ससुराल आते ही जब ससुर जी के पांव छूने को झुकी तब आशीर्वाद देते हुए सिर पर से ससुर जी का हाथ पीछे पीठ पर पहुँचते ही सासू माँ ने टोका था उन्हें -'' बिटिया ही समझो ...
भारतीय नारी पर shikha kaushik
गाती जाए सोन चिरैया-----
घर छोटा और गाड़ी छोटी पर ---
दिल बड़ा रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया...
Tere bin पर Dr.NISHA MAHARANA
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'जय हो' की जय हो !
सलमान खान के फिल्मों की एक ख़ास विशेषता है कि इसे हर आम व ख़ास आदमी अपने परिवार के साथ देख सकता है । सलमान द्वारा अभिनीत हर फिल्म से हमें उम्मीद होती है - धाँसू डायलॉग, हँसते गुदगुदाते हुए डायलॉग, जोरदार एंट्री, जबरदस्त फाइट, नायिका के साथ स्वस्थ प्रेम दृश्य, डांस में कुछ ख़ास नया स्टेप्स, गीत के बोल और धुन ऐसे जो आम आदमी की जबान पर चढ़ जाए...
साझा-संसार पर डॉ. जेन्नी शबनम
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लिबास-कहानी
मंजू ने लम्बी साँस लेते हुए मन में सोचा -''आज सासू माँ की तेरहवीं भी निपट गयी .माँ ने तो केवल इक्कीस साल संभाल कर रखा मुझे पर सासू माँ ने अपने मरते दम तक मेरे सम्मान ,मेरी गरिमा और सबसे बढ़कर मेरी इस देह की पवित्रता की रक्षा की . ससुराल आते ही जब ससुर जी के पांव छूने को झुकी तब आशीर्वाद देते हुए सिर पर से ससुर जी का हाथ पीछे पीठ पर पहुँचते ही सासू माँ ने टोका था उन्हें -'' बिटिया ही समझो ...
भारतीय नारी पर shikha kaushik
चर्चामंच के सभी मित्रों को सुप्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
अत्यन्त पठनीय और रोचक सूत्र
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha...mere link ko sthan dene ke liye aabhar...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर , मेरी नई पोस्ट को यहाँ साझा करने के लिए >
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों के साथ सुंदर संयोजन सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंsundar links se susajjit charcha
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों के साथ सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार !
बहुत सार्थक और विस्तृत सूत्र...रोचक चर्चा..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सार्थक चर्चा ..
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार ..
bahut sundar ..thanks n aabhar ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स. मेरी पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं