मित्रों।
मंगलवार की चर्चा में मेरी पसंद के लिंक देखिए।
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मेरा हर लफ्ज़ मेरे नाम की तस्वीर हो जाए
इकट्ठा हो गए हैं लोग तो तक़रीर हो जाए
करो इतनी मेहरबानी जुबां शमशीर हो जाए...
स्वप्न मेरे...पर Digamber Naswa
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वसन्त का आगमन !
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
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मेरा हर लफ्ज़ मेरे नाम की तस्वीर हो जाए
इकट्ठा हो गए हैं लोग तो तक़रीर हो जाए
करो इतनी मेहरबानी जुबां शमशीर हो जाए...
स्वप्न मेरे...पर Digamber Naswa
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वसन्त का आगमन !
मेरे विचार मेरी अनुभूति पर कालीपद प्रसाद
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ठुकरा दो या प्यार करो
बारिश तो लगभग रुक गयी थी लेकिन कोहरा अभी भी कायम था जब 19 जनवरी 2014 को जयपुर से सिकंदरा बाद जाने वाली गाड़ी सीहोर स्टेशन पर अपने निर्धारित समय सुबह के 7. 30 बजे से दो घंटे देर से पहुंची। ए.सी. कोच से उतरते ही ठंडी हवा के थपेड़े ने जोरदार वाला स्वागत किया। मुंह से गर्म भाप निकालते हुए मैं अभी चंद कदम चला ही था के सामने से कोहरे को चीरते सर पर टोपी पहने, मफलर लपेटे, जैकेट की जेब में हाथ डाले...
नीरज पर नीरज गोस्वामी
बारिश तो लगभग रुक गयी थी लेकिन कोहरा अभी भी कायम था जब 19 जनवरी 2014 को जयपुर से सिकंदरा बाद जाने वाली गाड़ी सीहोर स्टेशन पर अपने निर्धारित समय सुबह के 7. 30 बजे से दो घंटे देर से पहुंची। ए.सी. कोच से उतरते ही ठंडी हवा के थपेड़े ने जोरदार वाला स्वागत किया। मुंह से गर्म भाप निकालते हुए मैं अभी चंद कदम चला ही था के सामने से कोहरे को चीरते सर पर टोपी पहने, मफलर लपेटे, जैकेट की जेब में हाथ डाले...
नीरज पर नीरज गोस्वामी
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क्या करें
जब आपका मोबाइल फ़ोन
पानी में भीग जाए?
तकनीक दृष्टा ‹ ब्लॉग, सोशल मीडिया,
एसईओ और गैजेट पर Vinay Prajapati
जब आपका मोबाइल फ़ोन
पानी में भीग जाए?
तकनीक दृष्टा ‹ ब्लॉग, सोशल मीडिया,
एसईओ और गैजेट पर Vinay Prajapati
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"बकरे बकरी"
नन्हे सुमन
इस बाल-कविता को सुनिए-
अर्चना चावजी के स्वर में-
अर्चना चावजी के स्वर में-
रबड़ प्लाण्ट का वृक्ष लगा है,
मेरे घर के आगे!
पत्ते खाने बकरे-बकरी,
आये भागे-भागे!
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आँखों में आशा लेकर,
सब मेरे पास चले आये!
उचक-उचककर बड़े चाव से
सबने पत्ते खाये!!
दुनिया के जीवों का,
यदि तुम प्यार चाहते पाना!
भूखों को सच्चे मन से
तुम भोजन सदा खिलाना!!
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सच्चाई को दबाने का संघी आतंक
(मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत) के दंगे को संघियों ने भड़काया और मजदूर वर्ग के एक समुदाय को घर से बेघर कर दिया। दिन की उजाले की तरह साफ है कि दंगे राजनीतिक फायदे के लिये कराये गये थे, जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए अपने-अपने तरीकों से दंगें में अपनी-अपनी भूमिका को निभाया। मुख्य भूमिका भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम का था जिसने एक घटना को साम्प्रदायिक रंग देने और लोगों के अन्दर जहर घोलने के लिये, पकिस्तान के सियालकोट में दो युवकों की हत्या का बर्बर विडियो फेसबुक पर अपलोड किया। इस विडियो को जब फेसबुक से हटा दिया गया तो यह मोबाईल पर ...
लो क सं घ र्ष ! पर Randhir Singh Suman
(मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत) के दंगे को संघियों ने भड़काया और मजदूर वर्ग के एक समुदाय को घर से बेघर कर दिया। दिन की उजाले की तरह साफ है कि दंगे राजनीतिक फायदे के लिये कराये गये थे, जिसमें सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने फायदे के लिए अपने-अपने तरीकों से दंगें में अपनी-अपनी भूमिका को निभाया। मुख्य भूमिका भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम का था जिसने एक घटना को साम्प्रदायिक रंग देने और लोगों के अन्दर जहर घोलने के लिये, पकिस्तान के सियालकोट में दो युवकों की हत्या का बर्बर विडियो फेसबुक पर अपलोड किया। इस विडियो को जब फेसबुक से हटा दिया गया तो यह मोबाईल पर ...
लो क सं घ र्ष ! पर Randhir Singh Suman
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मैं अब तन्हा नहीं हूँ
साल २०१३ में वैसे तो कुल पांच पोस्ट लगाए थे मैंने अपने ब्लॉग पर पर उनमें से २८ जुलाई को लिखा गया पोस्ट "मैं भी डरता था" को छोड़ कर बाकी सारे काफी पुराने दिनों में लिखे गए थे। लिखने का एक फायदा था, लोगों के संपर्क में रहता था...
ख़ामोशी पर Abhishek Prasad
साल २०१३ में वैसे तो कुल पांच पोस्ट लगाए थे मैंने अपने ब्लॉग पर पर उनमें से २८ जुलाई को लिखा गया पोस्ट "मैं भी डरता था" को छोड़ कर बाकी सारे काफी पुराने दिनों में लिखे गए थे। लिखने का एक फायदा था, लोगों के संपर्क में रहता था...
ख़ामोशी पर Abhishek Prasad
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पहेली का हल
किस अंदाज से हम किस पहेली के हल को साबित करते हैं*
*हम अपने विवेक ज्ञान से हल खोज किसी तरह निकालेंगें...
आपका ब्लॉग पर Pathic Aanjana
किस अंदाज से हम किस पहेली के हल को साबित करते हैं*
*हम अपने विवेक ज्ञान से हल खोज किसी तरह निकालेंगें...
आपका ब्लॉग पर Pathic Aanjana
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कौन बदलेगा इस सोच को??
गर्भ गुहा के भीतर एक ज़िंदगी मुस्कराई ,
नन्हे नन्हे हाथ पांव पसारे.....
और फिर नन्हे होठों से मुस्कराई ,
लगी सोचने कि " मैं बाहर कब आऊँगी , "
जिसके अंदर मैं रहती हूँ,
उसको कब "माँ " कह कर बुला ऊँगी...
कुछ मेरी कलम से पर ranjana bhatia
गर्भ गुहा के भीतर एक ज़िंदगी मुस्कराई ,
नन्हे नन्हे हाथ पांव पसारे.....
और फिर नन्हे होठों से मुस्कराई ,
लगी सोचने कि " मैं बाहर कब आऊँगी , "
जिसके अंदर मैं रहती हूँ,
उसको कब "माँ " कह कर बुला ऊँगी...
कुछ मेरी कलम से पर ranjana bhatia
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प्रभु की सीख
एक भिखारी था| वह न ठीक से खाता था, न पीता था, जिस वजह से उसका बूढ़ा शरीर सूखकर कांटा हो गया था| उसकी एक-एक हड्डी गिनी जा सकती थी| उसकी आंखों की ज्योति चली गई थी...
Patali पर Patali-The-Village
एक भिखारी था| वह न ठीक से खाता था, न पीता था, जिस वजह से उसका बूढ़ा शरीर सूखकर कांटा हो गया था| उसकी एक-एक हड्डी गिनी जा सकती थी| उसकी आंखों की ज्योति चली गई थी...
Patali पर Patali-The-Village
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तुझसे बंधी... तुझमें बसी...
वो अलसुबह तुम्हारा चेहरा देख कर
दिन शुरु करना सब्जी चलाते हुए,
आटा गूंथते हुए... ...
एक सरसरी निगाह घडी पर डालते रहना
झुंझलाना इस बात पर कि
क्यूं कभी तुम्हें तौलिया नहीं मिलता?
तुम्हारी मंथर गति देख कर बिगडना...
नाश्ता खत्म करने को बहलाना...
मन के झरोखे से... पर monali
वो अलसुबह तुम्हारा चेहरा देख कर
दिन शुरु करना सब्जी चलाते हुए,
आटा गूंथते हुए... ...
एक सरसरी निगाह घडी पर डालते रहना
झुंझलाना इस बात पर कि
क्यूं कभी तुम्हें तौलिया नहीं मिलता?
तुम्हारी मंथर गति देख कर बिगडना...
नाश्ता खत्म करने को बहलाना...
मन के झरोखे से... पर monali
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ओम की गूँज
ओम की गूँज भंग होती नीरवता
गुंजित हुआ ब्रह्मांड आँखे मूंदे धरा पर
समाधिस्थ योगी विलीन
ओम में विचर रहा दूर कहीं...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
ओम की गूँज भंग होती नीरवता
गुंजित हुआ ब्रह्मांड आँखे मूंदे धरा पर
समाधिस्थ योगी विलीन
ओम में विचर रहा दूर कहीं...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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"फुरसत नहीं मिलती"
सुहाने गीत गाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।
नये पौधे लगाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।।
बहारों में नहीं है दम, फिजाओं में भरा है ग़म
नज़ारे हो गये हैं नम, सितारों में भरा है तम
हसीं दुनिया बनाने की, हमें फुरसत नहीं मिलती।
उच्चारण
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जीवन
जीवन दोनों के पास है
एक है इससे क्षुब्ध
दूसरा है इससे मुग्ध
एक पर है भार
बनकर बैठा दूजा इस पर
बैठकर है ऐंठा...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
जीवन दोनों के पास है
एक है इससे क्षुब्ध
दूसरा है इससे मुग्ध
एक पर है भार
बनकर बैठा दूजा इस पर
बैठकर है ऐंठा...
अंतर्नाद की थाप पर Kaushal Lal
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अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में
बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में
कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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आज का पंडित ,
महा दलित हो गया है
भिक्षा के सहारे ,
जिन्दगी की आस |
सदियों से उसका इतिहास |
कुछ मिल गया तो खाया ,
वरना भूखा ही सोया |
सदैव लक्ष्मी को दुत्कारा |
सरस्वती को पुकारा |
विद्या का पुजारी बन
जीवन बिताया...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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अँधेरे रास हैं आए वफ़ा तुझसे निभाने में
बड़ी मुश्किल से कुछ 'अपने' मिले हमको ज़माने में
कहीं उनको न खो दूँ ख्वाहिशें अपनी जुटाने में...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया
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आज का पंडित ,
महा दलित हो गया है
भिक्षा के सहारे ,
जिन्दगी की आस |
सदियों से उसका इतिहास |
कुछ मिल गया तो खाया ,
वरना भूखा ही सोया |
सदैव लक्ष्मी को दुत्कारा |
सरस्वती को पुकारा |
विद्या का पुजारी बन
जीवन बिताया...
तीखी कलम से पर
Naveen Mani Tripathi
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच रोज नए रंग ले कर आता है |लिंक्स देखने का बहुत बेसब्री से इन्तजार रहता है |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
बड़े ही सुन्दर और पठनीय सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सूत्र संकलन ! मुझे भी शामिल करने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर सूत्र सुंदर सूत्र संयोजन सुंदर चर्चा !
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय-
बहुत सुंदर सूत्र संकलन,धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआपका मैं अपने ब्लॉग ललित वाणी पर हार्दिक स्वागत करता हूँ मैंने भी एक ब्लॉग बनाया है मैं चाहता हूँ आप मेरा ब्लॉग पर एक बार आकर सुझाव अवश्य दें...
विस्तृत चर्चा सूत्र ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को स्थान देने का ...
बड़े ही सुन्दर और पठनीय सूत्र| मुझे भी शामिल करने के लिये आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.,मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के सभी दोस्तों को नमस्कार ....बहुत दुःख के साथ कहना पद रहा है की गूगल ने मेरा ब्लॉग हिन्दिकवितायें आपके विचार ब्लोक कर दिया है ...मैं बहुत परेशान हूँ इस लिए कुछ नहीं कर पा रही हूँ ,कितनी रिक्वेस्ट करने पर भी अनब्लोक नहीं हो रहा पांच साल की मेहनत बेकार हो गई
जवाब देंहटाएं