फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, जनवरी 06, 2014

"बच्चों के खातिर" (चर्चा मंच:अंक-1484)

मित्रों!
नववर्ष 2014 के प्रथम सोमवार की 
पहली गुजारिश आपकी सेवा में प्रस्तुत है।
--
बच्चों के खातिर 

मित्रों नये वर्ष में ये मेरा नया प्रयोग है.. 
पहली बार कहानी लिखने का प्रयास किया है 
उम्मीद है मेरे इस प्रयोग को भी 
आप सभी स्नेह देंगे और साथ ही सुझाव भी ....
धन्यवाद..
अभिव्यंजना पर Maheshwari kaneri
--
--
"ग़ज़ल-बहता अविरल सोता है" 
मीठा पानी देती नदियाँ, बहता अविरल सोता है।
लेकिन गहरे सागर में, क्यों खारा जल होता है?
--
कर्म बनाता भाग्य हमारा, धर्म सिखाता मानवता,
कर्म-धर्म से हीन मनुज, जीवन का बोझा ढोता है...
उच्चारण
--
मन मैला तो कौन खुदा 
मन मैला तो कौन खुदा 
रहता है तू ,खुद से भी ज़ुदा.. 

गीत-ग़ज़ल पर शारदा अरोरा 
--
आँटी पुलिस बुला लेगी- 
गंदी बात गंदी बात!! 

कनाडा की शाम को आजतक पर “दिल्ली की आप सरकार की सबसे कम उम्र की महिला व बाल विकास मंत्री राखी बिड़ला” (बाकी मंत्रियों के लिए मात्र विभाग के साथ मंत्री लिए देने से भी चल जाता है) की कार पर हुए धातक हमले, जिसमें संयोग से वे पूरी तरह सुरक्षित रहीं, के चरम के बारे में पढ़ रहा था; हल्ले गुल्ले के बाद समाचार का निष्कर्ष अंतिम पैरा में: *क्या बच्चे की गेंद से टूटा गाड़ी का शीशा**?* *सूत्रों के हवाले से पता चला है कि कार का शीशा क्रिकेट खेल रहे एक बच्चे की गेंद से टूटा था. घटना के बाद हुई पुलिस पूछताछ से ये बात सामने आई है...
उड़न तश्तरी .... 
--
--
होता तो है मतलब का पता 
पर समझ में नहीं आ पाता है 
मकड़ियां होती ही हैं सामने से, 
आस पास या कहीं दूर पर भी 
जहाँ तक नजर में आ जाती हैं 
अब होती हैं तो होती हैं 
और किसी के कहीं होने में 
किसी का दोष नहीं होता है 
अब क्या करें वो भी ...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
--
--
ममता कि छाँव 

माँ रहती है तो सबकुछ  
कितना आसान होता है 
जैसे कोई गम ... 
कोई दुःख ... 
कोई कठिनाई ... 
बस छूकर निकल गई हो जैसे... 
मेरा मन पंछी सा पर 
Reena Maurya 
--
प्लास्टिकासुर ( कविता )... 
डा श्याम गुप्त.... 
पंडितजी ने पत्रा पढ़ा, 
और- गणना करके बताया, 
जज़मान ! 
प्रभु के - नए अवतार का समय है आया...
भारतीय नारी
--
”ईशावास्यम इदं सर्वं यद्किंचित जगत्याम जगत ..” . 
का काव्य-भावानुवाद...... 
ईश्वर माया से आच्छादित,
इस जग में जो कुछ अग-जग है |
सब जग में छाया है वह ही,
उस इच्छा से ही यह सब है....
डा श्याम गुप्त ...सृजन मंच ऑनलाइन 
--
--
ब्लाग के सभी पाठकों को महत्वपूर्ण सूचना 
इस ब्लाग के सभी पाठकों और खास पंजाब से जुङे लोगों के लिये यह एक महत्वपूर्ण सूचना है । परसों शाम को 3 JAN 2014 को निम्न 4 मेल आई डी से मुझे अश्लील और भद्दे मैसेज आये हैं...
सत्यकीखोज पर 

RAJEEV KULSHRESTHA
--
प्यास के पनघटों पर 

प्यास के पनघटों पर 
प्यास की गगरी न छलकती है 
प्यास से व्याकुल तो 
मीरा भी छनकती है 
दरस की दीवानी 
देखो गली गली भटकती है...
एक प्रयास पर vandana gupta 
--
सड़क पर लगे बेरीकेड -- 
आपका इम्तिहान ! 

आज एच टी में करन थापर का पुलिस बेरिकेडिंग पर लिखा दिलचस्प लेख पढ़कर 
हमें अपनी सालों पहले लिखी एक हास्य व्यंग कविता याद आ गई। 
लीजिये आप भी पढ़िए और देखिये कितनी समानताएं हैं दोनों में।  

सड़क पर पुलिस के बैरिकेड गड़े थे ,
ट्रैफिक जाम में फंसे हम बेचैन खड़े थे... 
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल 
--
कौन कहता मानव शक्तिशाली 
बिरले ही देखे जमीं पर ऐसे 
जो नरनारी नही मजबूर 
किसी ख्याल वस्तु शक्ति जीव के सामने 
नरनारी या तो अपना ख्यालपूरा होना चाहे 
या वे वस्तुको सिर नवाते हैं ... 
पथिक अनजाना आपका ब्लॉग
--
--
निगोड़ी भूख और गरीब का बच्चा. 

कोई पिज्जा नहीं खाता, कोई बर्गर नहीं खाता। 
हमारी भूख कैसी है? यह सबकुछ निगल जाता...
चौथाखंभा पर ARUN SATHI
--
"टर्र-टर्र मेंढक टर्राए" 
बालकृति नन्हें सुमन से
 

टर्र-टर्र मेंढक टर्राए!
शायद वर्षा जल्दी आये!
नन्हे सुमन
--
कार्टून :- 
अब यह बेताल न कीला जाएगा ... 

काजल कुमार के कार्टून

--
अनसुलझी पहेली

खामोशियाँ...!!! पर मिश्रा राहुल 

-- 
इसरो एवं भारत के वैज्ञानिकों ने 
आज देश का मस्तक और ऊंचा कर दिया 

अलबेला खत्री
--
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो ..... 

anupama's sukrity

--
आरोग्य दस्तक : 
( २) 
क्या आपके चेहरे पे कील मुंहासे यकायक बढ़ने लगें हैं ? 
यह आपके अतिशय दवाबग्रस्त 
(निरंतर स्ट्रेस में रहने) का नतीज़ा हो सकता है।आपका ब्लॉग पर 
Virendra Kumar Sharma
--
माँ की तेहरवीं पुण्य तिथि पर 
आप चली गयीं उस जहाँ में जहाँ ना कोई आपसे मिल सकता 
लगता है हर पल आप यहीं हैं ,हर पल यहीं हैं ......
Roshi 

--
कभी जीवन में अपने कुछ दुखद से पल भी आते हैं 
कभी जीवन में अपने 
कुछ दुखद से पल भी आते हैं 
सभी अपने 
हमेशा के लिए तब छोड़ जाते हैं... 
सरिता भाटिया 
--
वक़्त 

*वो वक़्त जब गुजर गया* 
*ये वक़्त भी गुजर जायेगा* 
ये बात अलग है कि 
कल तूने न दवा दी न दुआ की 
आज तेरे दुआओं की ज़रूरत है...
ज़रूरत पर Ramakant Singh 
--

13 टिप्‍पणियां:

  1. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आपका आभार जी.

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभप्रभात !!मेरी पोस्ट सम्मिलित करने हेतु हृदय से आभार शास्त्री जी |

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर रोचक और पठनीय सूत्र

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया चर्चा-
    अच्छे लिंक्स-
    आभार आदरणीय-

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर चर्चा ! उल्लूक का "होता तो है मतलब का पता पर समझ में नहीं आ पाता है" को शामिल करने पर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर चर्चा ! ्मेरी पोस्ट को जगह देने के लिये आभार

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया सूत्र , आ० शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद
    ॥ जय श्री हरि: ॥

    जवाब देंहटाएं
  8. आपको ये जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी की ब्लॉग जगत में एक नया ब्लॉग शुरू हुआ है। जिसका नाम It happens...(Lalit Chahar) है। जिसमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। सादर ..... आभार।।

    Blog Url :: http://lalitchahar.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  9. अच्छी सूचनाएं...धन्यवाद ...ईशावास्यं इदं सर्वं ....

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।