मित्रों!
हर्ष और उल्लास के पर्व लोहिड़ी की शुभकामनाएँ।
आज बहुत व्यस्तता रही।
मेरी पसंद के कुछ लिंक सोमवासरीय चर्चा में देखिए।
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"पर्व लोहिड़ी का हमें, देता है सन्देश"
उच्चारण
पर्व लोहिड़ी का हमें, देता है सन्देश।
मानवता अपनाइए, सुधरेगा परिवेश।१।
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प्रेम और सद्भाव से, बनते बिगड़े काज।
मूँगफली औ' रेवड़ी, बाँटो सबको आज।२।
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हर युवा विवेकानन्द बने...
(स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिवस
{युवा दिवस} पर विशेष)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxfhiV5gcp0PIv5nDjkX_NRClz3a71POXVywiduhUm3tMzRHPJrni4Uq2Z06AZPAVsTS4ZiW8jwMP230RDw0zZxh37E5dO6Q9ldXqitNEbY98A_1lGaBD7SNFxYbHzsMVqN6RbcMSq_uI/s320/download.jpg)
अभिनव रचना (Hindi Poems) पर
ममता त्रिपाठी
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मकर संक्रान्ति :
सूर्य उपासना का पर्व
![](//4.bp.blogspot.com/-v-bS4TT3_TE/UtI7k-BmAJI/AAAAAAAAZGE/hDwso5yz3Tk/s200/Srafraz+Khan.JPG)
आलेख: सरफ़राज़ ख़ान
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लौरे
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हर युवा विवेकानन्द बने...
(स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिवस
{युवा दिवस} पर विशेष)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjxfhiV5gcp0PIv5nDjkX_NRClz3a71POXVywiduhUm3tMzRHPJrni4Uq2Z06AZPAVsTS4ZiW8jwMP230RDw0zZxh37E5dO6Q9ldXqitNEbY98A_1lGaBD7SNFxYbHzsMVqN6RbcMSq_uI/s320/download.jpg)
अभिनव रचना (Hindi Poems) पर
ममता त्रिपाठी
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मकर संक्रान्ति :
सूर्य उपासना का पर्व
आलेख: सरफ़राज़ ख़ान
मिसफिट Misfit पर गिरीश बिल्लौरे
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जोशे-मौजे-चनाब...
ख़्वाब ताज़ा गुलाब होते हैं
ख़्वाहिशों का जवाब होते हैं...
सुरेश स्वप्निल- साझा आसमान
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ख़्वाब ताज़ा गुलाब होते हैं
ख़्वाहिशों का जवाब होते हैं...
सुरेश स्वप्निल- साझा आसमान
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कुसुम-काय कामिनी दृगों में,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0EfhWLFlTRDof_goVaDiEpBOnui8qnv28AvccaF0G4s3bv74_tXyO2MgZ1CEKUi8acYYLGdpux89Xf_JrpDtSHYiQLpdkgFI7uXGk5VTKAwluUsGxtha03RZJWtgUNQLcWnhBfZe9w50/s320/1475999_621274127931001_1271570493_n.jpg)
कुसुम-काय कामिनी दृगों में जब मदिरा भर आती है
खोल अधर पल्लव अपने, मधुमत्त धरा कर जाती है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0EfhWLFlTRDof_goVaDiEpBOnui8qnv28AvccaF0G4s3bv74_tXyO2MgZ1CEKUi8acYYLGdpux89Xf_JrpDtSHYiQLpdkgFI7uXGk5VTKAwluUsGxtha03RZJWtgUNQLcWnhBfZe9w50/s320/1475999_621274127931001_1271570493_n.jpg)
कुसुम-काय कामिनी दृगों में जब मदिरा भर आती है
खोल अधर पल्लव अपने, मधुमत्त धरा कर जाती है...
काव्यान्जलि पर धीरेन्द्र सिंह भदौरिया
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"पन्नियाँ बीन रहा है बचपन"
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiz0mLAmnk0vxBcEcNKL8_Yp_EYAuvOFj5poREc4QMTKvqoTP-oEGrzGV9ZlNHU6da9N0_s9sauX91WhMvzGREoqtU-IqbogzNYbPufLp0hW2mYQMeWO_njwxF9Lfg28ym8ss9u7FF0um56/s400/DSCN1651.JPG)
ठण्ड से काँप रहा है
कोमल तन
कूड़े में से पन्नियाँ
बीन रहा है बचपन...
उच्चारण
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इस झूठी और बनावटी कहानी को
समझने के लिए
अब नीचे दिए गए
असली प्रमाण देखिये
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhushoZJPXdtBTJeEZJGf01p9dDTrUmAmpc_cuacYMtNnnQKrt3UzrRzkbOwfyiU_I84LUQV-pj8fr_DcUcFMVzcocmbW9YAnVeg2qFh4hEKnoeARfXHobIZ8EK3_BdfPjN7Xt7aVaUN3LM/s320/CD-05.jpg)
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स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर
आज उनके कुछ वचन साझा कर रहा हूँ
1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
2
धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं
3
एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है
- स्वामी विवेकानंद
अलबेला खत्री
समझने के लिए
अब नीचे दिए गए
असली प्रमाण देखिये
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhushoZJPXdtBTJeEZJGf01p9dDTrUmAmpc_cuacYMtNnnQKrt3UzrRzkbOwfyiU_I84LUQV-pj8fr_DcUcFMVzcocmbW9YAnVeg2qFh4hEKnoeARfXHobIZ8EK3_BdfPjN7Xt7aVaUN3LM/s320/CD-05.jpg)
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स्वामी विवेकानन्दजी की जयन्ती पर
आज उनके कुछ वचन साझा कर रहा हूँ
1
दुष्टों के दोषों की चर्चा करने से अपना चित्त प्रक्षुब्ध ही होता है इसलिए उनके वर्तन की ओर लक्ष्य न दे कर, अथवा उनकी चर्चा करने न बैठ कर, उनकी उपेक्षा करना ही अपने लिए श्रेयस्कर है ।
2
धर्म को लेकर कभी विवाद न करो । धर्म सम्बन्धी सारे विवाद और झगड़े केवल यही दर्शाते हैं कि वहां आध्यात्मिकता का अभाव है । धर्म सम्बन्धी झगड़े सदैव खोखली और असार बातों पर ही होते हैं
3
एक मोची, जो कम से कम समय में बढ़िया और मजबूत जूतों की जोड़ी तैयार कर सकता है, अपने व्यवसाय में वह उस प्राध्यापक की अपेक्षा कहीं अधिक श्रेष्ठ है जो दिन भर थोथी बकवास ही करता रहता है
- स्वामी विवेकानंद
अलबेला खत्री
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वशिष्ठ की वापसी और हमारी विक्षिप्तता...
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgF9lJVM4dbWwhO514PJJYUIbwW5UW7PEI4y4DcfHD62tO8ysGXthZnJbqZYztMALojiIFTJv9DHjgkZ7LdRLN9ud5d8Mcpqh9f6XR1GCNGLJ590g-xUiekNw-eKeQKvmQYyLLhNdKb6k0/s1600/scan0018.jpg)
[मित्रवर सुधांशु शेखर त्रिवेदीजी के आग्रह पर मेरे पूज्य पिताजी (*पं. प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त'*) का यह आलेख, जो १७ फरवरी १९९३ को नवभारत टाइम्स, पटना में छापा था और उनकी अप्रकाशित पुस्तक* 'सिर धुनि गिरा लागि पछितानी..'* में संग्रहीत है, उनके लिए और अन्य पाठकों के लिए भी, फेस बुक और ब्लॉग पर रख रहा हूँ...
मुक्ताकाश.... पर आनन्द वर्धन ओझा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgF9lJVM4dbWwhO514PJJYUIbwW5UW7PEI4y4DcfHD62tO8ysGXthZnJbqZYztMALojiIFTJv9DHjgkZ7LdRLN9ud5d8Mcpqh9f6XR1GCNGLJ590g-xUiekNw-eKeQKvmQYyLLhNdKb6k0/s1600/scan0018.jpg)
[मित्रवर सुधांशु शेखर त्रिवेदीजी के आग्रह पर मेरे पूज्य पिताजी (*पं. प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त'*) का यह आलेख, जो १७ फरवरी १९९३ को नवभारत टाइम्स, पटना में छापा था और उनकी अप्रकाशित पुस्तक* 'सिर धुनि गिरा लागि पछितानी..'* में संग्रहीत है, उनके लिए और अन्य पाठकों के लिए भी, फेस बुक और ब्लॉग पर रख रहा हूँ...
मुक्ताकाश.... पर आनन्द वर्धन ओझा
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मिर्ची क्यों लग रही है
अगर तेरी दुकान के बगल में
कोई नयी दुकान लगा रहा है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwFiQELoK7VZ0OyImKfozmPyrYjCqbYOCeO6wkRdjVtCYn6oO_sqMXC3eSJU1TmlFwGDdxe9i9_Tb67ywVWbrDXhsnGotGvlpJXQQGa3Y8H8gUD0hJLipPi3-2Xo5UyLDkBgh42ukJIula/s320/117.jpg)
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
अगर तेरी दुकान के बगल में
कोई नयी दुकान लगा रहा है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhwFiQELoK7VZ0OyImKfozmPyrYjCqbYOCeO6wkRdjVtCYn6oO_sqMXC3eSJU1TmlFwGDdxe9i9_Tb67ywVWbrDXhsnGotGvlpJXQQGa3Y8H8gUD0hJLipPi3-2Xo5UyLDkBgh42ukJIula/s320/117.jpg)
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
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इस दिवस पर -
आज नेताजी कि १५१ वीं जयंती है ..आज का दिन नेशनल यूथ डे के रूप में भी मनाया जाता है ..ख़ुशी कि बात यह है कि दुनिया के सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश भारत में आज बहुत से युवा ऐसे है जो सच में देश और समाज कि उन्नति के लिए बहुत कुछ करना चाहते है .....
प्रियदर्शिनी....पर प्रियदर्शिनी तिवारी
आज नेताजी कि १५१ वीं जयंती है ..आज का दिन नेशनल यूथ डे के रूप में भी मनाया जाता है ..ख़ुशी कि बात यह है कि दुनिया के सबसे ज्यादा युवा आबादी वाले देश भारत में आज बहुत से युवा ऐसे है जो सच में देश और समाज कि उन्नति के लिए बहुत कुछ करना चाहते है .....
प्रियदर्शिनी....पर प्रियदर्शिनी तिवारी
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सन्नाटा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhz2aklU10kmZNaBoYr3PLbCf8JH2GdhWoXnrShNjIeNHEZEmkA9oNWLSOQS7B_mRAPIZ5C-vA16vsKWvW4eSl77n5enqdqT73EgfctY_ROZzcS3jXq30AP6SATS3IGxyP4AZo9kCfv2fRi/s320/silence.jpg)
दर्पण के सामने खड़ी हूँ
लेकिन नहीं जानती
मुझे अपना ही प्रतिबिम्ब क्यों नहीं दिखाई देता ,
कितने जाने अनजाने लोगों की भीड़ है
सम्मुख लेकिन नहीं जानती वही
एक चिर परिचित चेहरा
क्यों नहीं दिखाई देता ...
Sudhinama पर sadhana vaid
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhz2aklU10kmZNaBoYr3PLbCf8JH2GdhWoXnrShNjIeNHEZEmkA9oNWLSOQS7B_mRAPIZ5C-vA16vsKWvW4eSl77n5enqdqT73EgfctY_ROZzcS3jXq30AP6SATS3IGxyP4AZo9kCfv2fRi/s320/silence.jpg)
दर्पण के सामने खड़ी हूँ
लेकिन नहीं जानती
मुझे अपना ही प्रतिबिम्ब क्यों नहीं दिखाई देता ,
कितने जाने अनजाने लोगों की भीड़ है
सम्मुख लेकिन नहीं जानती वही
एक चिर परिचित चेहरा
क्यों नहीं दिखाई देता ...
Sudhinama पर sadhana vaid
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जाते जाते भी हक़ यूँ अदा कीजिये
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkcvREI4ImqX1RufzgU3H7lHoBH7Qz3z7_q6Wl28LEkx25AV_fSoY7nDDiioa7i3ZZLtc4vYckF8DPpZOA-foRONOtNz1TUjI7n9an22cq11c4r_GPX-RzAxHol2MnpyeqijNH_RrAnsfJ/s320/download.jpg)
न हो हम से खता, ये दुआ कीजिये
अब जो कीजिये बस बज़ा कीजिये
कोई ले जाएगा पार दरिया में
बस आप गफलत में यूँ न रहा कीजिये...
कविता-एक कोशिश पर नीलांश
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgkcvREI4ImqX1RufzgU3H7lHoBH7Qz3z7_q6Wl28LEkx25AV_fSoY7nDDiioa7i3ZZLtc4vYckF8DPpZOA-foRONOtNz1TUjI7n9an22cq11c4r_GPX-RzAxHol2MnpyeqijNH_RrAnsfJ/s320/download.jpg)
न हो हम से खता, ये दुआ कीजिये
अब जो कीजिये बस बज़ा कीजिये
कोई ले जाएगा पार दरिया में
बस आप गफलत में यूँ न रहा कीजिये...
कविता-एक कोशिश पर नीलांश
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मनीषा जैन की कविताएँ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJq6apL7MifF7yPgc_SigtuSjOUqUTPbkNokSUNA-MdVsnUZks4kKL7OePVoGw7EaGspmCJn-2QJFiGPQ8kIRftGQwajlvE6uep4Zwih3n8Ey2xbLgozIePgg7n1joMHBuHcawgtyn-WBf/s400/Photo+of+Manisha+Jain(1).jpg)
जन्म- 24 सितम्बर, 1963 मेरठ उ.प्र.शिक्षा- बी. ए दिल्ली विश्वविद्यालय, एम. ए. हिन्दी साहित्यप्रकाशित रचनाएं- एक काव्य संग्रह प्रकाशित ‘‘रोज गूंथती हूं पहाड़’’। नया पथ, कृति ओर, अलाव, वर्तमान साहित्य, मुक्तिबोध, बयान, साहित्य भारती, जनसत्ता, रचनाक्रम, जनसंदेश, नई दुनिया, अभिनव इमरोज,युद्धरत आम आदमी आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, आलेख, समीक्षायें प्रकाशित...
पहली बार पर pahlee bar
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJq6apL7MifF7yPgc_SigtuSjOUqUTPbkNokSUNA-MdVsnUZks4kKL7OePVoGw7EaGspmCJn-2QJFiGPQ8kIRftGQwajlvE6uep4Zwih3n8Ey2xbLgozIePgg7n1joMHBuHcawgtyn-WBf/s400/Photo+of+Manisha+Jain(1).jpg)
जन्म- 24 सितम्बर, 1963 मेरठ उ.प्र.शिक्षा- बी. ए दिल्ली विश्वविद्यालय, एम. ए. हिन्दी साहित्यप्रकाशित रचनाएं- एक काव्य संग्रह प्रकाशित ‘‘रोज गूंथती हूं पहाड़’’। नया पथ, कृति ओर, अलाव, वर्तमान साहित्य, मुक्तिबोध, बयान, साहित्य भारती, जनसत्ता, रचनाक्रम, जनसंदेश, नई दुनिया, अभिनव इमरोज,युद्धरत आम आदमी आदि पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, आलेख, समीक्षायें प्रकाशित...
पहली बार पर pahlee bar
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"आँसू और पसीना"
आँसू और पसीने में होती है बहुत रवानी।
दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
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दुख आता है तो रोने लगते हैं नयन सलोने,
सुख में भी गीले हो जाते हैं आँखों के कोने,
हाव-भाव से पहचानी जाती है छिपी कहानी।
दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
"धरा के रंग"दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
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दुख आता है तो रोने लगते हैं नयन सलोने,
सुख में भी गीले हो जाते हैं आँखों के कोने,
हाव-भाव से पहचानी जाती है छिपी कहानी।
दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
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खोजूं कहाँ
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgb6NzZSYWwKwZa2H80mz1IyCfM4oy2iG5-w-U6-7EK891PeQ3JFDZr0fUhkzsi6b8A-T2HrqZGVMcj7wMAHfTM_UZ6SNIJ6vprs9_9Uw4HGkcxa3tgm8jJt6hyphenhyphenhqRTc33nZ6fuz315th8/s320/images.jpg)
खोजूं कहाँ तुझे ए मेरे मन
न जाने कहाँ खो गया है
चैन सारा हर लिया है...
Akanksha पर Asha Saxena
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgb6NzZSYWwKwZa2H80mz1IyCfM4oy2iG5-w-U6-7EK891PeQ3JFDZr0fUhkzsi6b8A-T2HrqZGVMcj7wMAHfTM_UZ6SNIJ6vprs9_9Uw4HGkcxa3tgm8jJt6hyphenhyphenhqRTc33nZ6fuz315th8/s320/images.jpg)
खोजूं कहाँ तुझे ए मेरे मन
न जाने कहाँ खो गया है
चैन सारा हर लिया है...
Akanksha पर Asha Saxena
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आरोग्य दस्तक
(१)
एक प्याला कॉफी में एक हज़ार से ऊपर रसायन मौज़ूद रहतें हैं इनमें से २६ का के ही गुणधर्मों का अध्ययन आदिनांक किया जा सका है।
(२)
रात्रि विश्राम (सोने के दौरान )आपकी गुर्रियां (वर्टीब्रे )फैलकर
लम्बी हो जातीं हैं लिहाज़ा सुबह जब आप सोकर उठते हैं आपकी
लम्बाई (हाइट )एक सेंटीमीटर ज्यादा रहती है ..
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(१)
एक प्याला कॉफी में एक हज़ार से ऊपर रसायन मौज़ूद रहतें हैं इनमें से २६ का के ही गुणधर्मों का अध्ययन आदिनांक किया जा सका है।
(२)
रात्रि विश्राम (सोने के दौरान )आपकी गुर्रियां (वर्टीब्रे )फैलकर
लम्बी हो जातीं हैं लिहाज़ा सुबह जब आप सोकर उठते हैं आपकी
लम्बाई (हाइट )एक सेंटीमीटर ज्यादा रहती है ..
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चातुर्य हर जगह --
पथिक अनजाना -
पथिक अनजाना -
नही सदैव तेरा चातुर्य हर जगह काम आवे
नही थोडा या अक्षयज्ञान तुझे आ राह बतावे...
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंलोहड़ी पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
आशा
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...आभार! पर्व लोहिड़ी की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
पर्व लोहिड़ी की शुभकामनाएँ-
लोहिड़ी की शुभकामनाएँ ! आभार ! सुंदर सजी चर्चा में आज की उल्लूक के
जवाब देंहटाएं"मिर्ची क्यों लग रही है अगर तेरी दुकान के बगल में कोई नयी दुकान लगा रहा है" को स्थान दिया !
सुप्रभात!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ...
लोहिड़ी पर्व की शुभकामनाएँ!
अति सुन्दर सांस्कृतिक रंग लिए है यह प्रस्तुति -शास्त्रीजी की।
जवाब देंहटाएंबेटा बेटी एक हैं जलाओ लोहड़ी दोनों के जन्म पर बजाओ ढोलकी
पर्व लोहिड़ी का हमें, देता है सन्देश।
मानवता अपनाइए, सुधरेगा परिवेश।१।
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प्रेम और सद्भाव से, बनते बिगड़े काज।
मूँगफली औ' रेवड़ी, बाँटो सबको आज।२।
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गुड़ में भरी मिठास है, तिल में होता स्नेह।
खाकर मीठा बोलिए, बना रहेगा नेह।३।
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बेटी रत्न अमोल है, कुदरत का उपहार।
बेटा-बेटी में करो, समता का व्यवहार।४।
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दो पहियों के बिन नहीं, गाड़ी का आधार।
नर औ' नारी के बिना, सूना है संसार।५।
http://uchcharan.blogspot.in/
सुन्दर साम्य आंसू और पसीने में -
जवाब देंहटाएंआँसू और पसीने में होती है बहुत रवानी।
दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
--
दुख आता है तो रोने लगते हैं नयन सलोने,
सुख में भी गीले हो जाते हैं आँखों के कोने,
हाव-भाव से पहचानी जाती है छिपी कहानी।
दोंनो में ही बहता रहता खारा-खारा पानी।।
"धरा के रंग"
कई सालों बाद जब वह आता है ,
जवाब देंहटाएंनौकरी से वापस ,
बदल जाता है वह
सर्दी में जमे घी जितना
अभिनव रूपकत्व लिए हैं तमाम रचनाएं हमारे वक्त का दर्द ,झरबेरियों सी चुभन ठंडे सम्बन्धों की नकली आंच।
लोहड़ी व मकर संक्रांति की सभी मित्रों व पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं ! आज के मंच पर आपने मेरी रचना को भी स्थान दिया बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार आपका !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा . लोहड़ी व मकर संक्रांति की सभी मित्रों व पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंपठनीय सुंदर लिंक्स ...!
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट शामिल करने के लिए आभार | शास्त्री जी ...
मकर संक्रांति की सभी मित्रों व पाठकों को हार्दिक शुभकामनाएं !
RECENT POST -: कुसुम-काय कामिनी दृगों में,
बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , मंच को धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा मंच---
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें
आभार भाई जी-
सुन्दर और पठनीय सूत्र..
जवाब देंहटाएं