बचपन
आशा सक्सेना
पचपन में
बचपन की बातें
नानी ने कहीं।
नानी ने कहीं।
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फिर भी कुछ लोग बड़े होते हैं क्योंकि …
प्रभात रंजन
जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं,
हमारा छोटापन भी बड़ा होता जाता है
छूटता जाता है अन्याय से आंख मिलाना
और उसे याद दिलाना
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शिखा कौशिक
चौदह वर्षीय रेहान ने डायनिंग टेबिल परभोजन की थाली गुस्से में अपने आगे से सरकाते हुए कहा-'' माँ ..आपने प्रॉमिस किया था कि
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डॉ उर्मिला सिंह
१.’आप बुलाएंगे’-----तो जरूर आएंगे
इस ’बुलाने’---के इंतजार में---
’आना’ भी भूल जाता है---आने को
कि---बुलाया भी जाता है---
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अशोक कुमार पाण्डेय
तमाम आशाओं और स्वप्नों को
अपनी आँखों में सँजोए हुए
आए वो शहर
अपनी आँखों में सँजोए हुए
आए वो शहर
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राजीव कुमार झा
वैदिक काल से भारत के कम जलवाले मरू क्षेत्रों में बहुलता से उगने वाला शमी वृक्ष अनेकों धार्मिक,सामाजिक,आर्थिक एवं पर्यावरण संबंधी गाथाओं का साक्षी एवं प्रणेता रहा है.यही वह वृक्ष है जिसमें अग्निदेव
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सरकारी मीडिया पर सेहत संबंधी जानकारी ..२
प्रवीण चोपड़ा
इस श्रृंखला की पहली कड़ी में मैंने कल ऑल इंडिया रेडियो विविध भारती पर प्रसारित होने वाले सेहत संबंधी कार्यक्रमों की समीक्षा की थी। आज ज़रा देखते हैं कि दूरदर्शन जैसे सरकारी चैनल पर सेहत संबंधी जानकारी किस तरह से उपलब्ध करवाई जा रही है।
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अरुण शर्मा अनन्त
लिखवा लाई भाग में, गिट्टी गारा रेह ।
झुलस गई है धूप में, तपकर कोमल देह ।।
प्यास बुझाती बैठकर, नैनों को कर बंद ।
कुछ पानी की बूंद का, रोड़ी लें आनंद ।।
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"आज मेरे देश को सुभाष चाहिए"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मीराबाई,सूर, तुलसीदास चाहिए।
आज मेरे देश को सुभाष चाहिए।।
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बस इस अदा से हमसे मिली ज़िन्दगी अक्सर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
मुदिता की हम करें साधना
"हो गया क्यों देश ऐसा"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कल्पनाएँ डर गयी हैं,
भावनाएँ मर गयीं हैं,
देख कर परिवेश ऐसा।
हो गया क्यों देश ऐसा??
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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के महान विचार और कथन
लिखवा लाई भाग में, गिट्टी गारा रेह ।
झुलस गई है धूप में, तपकर कोमल देह ।।
प्यास बुझाती बैठकर, नैनों को कर बंद ।
कुछ पानी की बूंद का, रोड़ी लें आनंद ।।
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"आज मेरे देश को सुभाष चाहिए"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
मीराबाई,सूर, तुलसीदास चाहिए।
आज मेरे देश को सुभाष चाहिए।।
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बस इस अदा से हमसे मिली ज़िन्दगी अक्सर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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मुदिता की हम करें साधना
अनीता जी
हमारे चित्त की जैसी चेतना है, कर्म का फल उसी के अनुसार मिलता है. शरीर के कर्म का फल नहीं मिलता. कर्म के पीछे की भावना ही प्रमुख है, पहले मन में ही कर्म उत्पन्न होता है. निर्मल चित्त से किया गया कर्म सुख का कारण बनेगा. सत्कर्म करते हुए मन मुदित होता है
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ये कैसा चांद है !
अभय श्रीवास्तव
सीना-ए-आसमां पे छुपा चांद है.
बदरी हया की हाय घिरा चांद है.
बड़ी अजब करे आंखमिचौली,
सांसों के जैसे चला चांद है.
-----------------------------------------अभय श्रीवास्तव
सीना-ए-आसमां पे छुपा चांद है.
बदरी हया की हाय घिरा चांद है.
बड़ी अजब करे आंखमिचौली,
सांसों के जैसे चला चांद है.
"हो गया क्यों देश ऐसा"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कल्पनाएँ डर गयी हैं,
भावनाएँ मर गयीं हैं,
देख कर परिवेश ऐसा।
हो गया क्यों देश ऐसा??
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी के महान विचार और कथन
हर्षवर्द्धन
तुम यदि जीवन प्राप्त करना चाहते हो तो पहला उसका उत्सर्ग करना सीखो, फिर चाहे तुम्हें जो कुर्बानी देनी पड़े दो। उसके बाद निश्चित ही विजय तुम्हारी होगी।
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-----------------------------------------तुम यदि जीवन प्राप्त करना चाहते हो तो पहला उसका उत्सर्ग करना सीखो, फिर चाहे तुम्हें जो कुर्बानी देनी पड़े दो। उसके बाद निश्चित ही विजय तुम्हारी होगी।
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तरह तरह की दिल्ली दीमक
रविकर जी
छियासठवां गणतन्त्र
विकेश कुमार बडोला
26 जनवरी, 1950 को संविधान-सभा में जो प्रस्ताव रखे गए और भारत सरकार अधिनियम,1935 से इनका मिलान, विश्लेषण, अध्ययन करने के बाद जो निर्णय लिए गए, वे भारतीय संविधान के शासन प्रलेख के रुप में दर्ज हो गए।
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प्रेरणा (सफलता के मायने)
बहुत समय पहले की बात है . एक बार एक व्यापारी सुबह सुबह अपने ऑफिस जा रहा था. उसने
देखा कि रास्ते में एक दीन हीन सा दिखने वाला आदमी बैठा था, उसके पास कुछ सूखे हुए फूल
बेचने के लिए रखे हुए थे और एक हाथ में उसने अपनी टोपी उलटी पकड़ी हुई थी
देखा कि रास्ते में एक दीन हीन सा दिखने वाला आदमी बैठा था, उसके पास कुछ सूखे हुए फूल
बेचने के लिए रखे हुए थे और एक हाथ में उसने अपनी टोपी उलटी पकड़ी हुई थी
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सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसूत्र चयन बहुत अच्छा |
मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
सुन्दर और रोचक सूत्र
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिनक्स राजेन्द्र जी ..
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी, समयानुकुल लिंक्स का चुनाव किया गया है, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा ! राजेंद्र जी.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
सुंदर सूत्र संयोजन !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
बहुत सुन्दर और व्यवस्थित चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार।
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मित्रों।
4 दिनों तक नेट नहीं चला।
कल शाम से ठीक हुआ है तो
अपनी हाजिरी लगा दी है।