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रविवार, मार्च 02, 2014

"पौधे से सीखो" (चर्चा मंच-1539)

मित्रों!
रविवासरीय चर्चा मंच के अंक-1539 में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसंद के कुछ लिंक।
उठ जाओ कितने ही ऊपर देखो 
चाहे गगन को छूकर जुड़े रहना धरती से देखो 
बच्चों ! प्यारे पौधे से सीखो... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash

सुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।

भ्रमर की गुञ्जार गुन-गुन गान है गाने लगी,
तितलियों की फड़फड़ाहट कान में आने लगी,
छा गया है रंग मधुवन में बसन्ती रूप धर।
दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर...
उर्दू में कहावत है कि वह गृहस्थ धन्य है जिसके दस्तरख्वान पर कोई अतिथि भोजन ग्रहण करता है 
क्योंकि परमपिता परमात्मा उस गृहस्थ के ऊपर अनुग्रह कर उसे एक अतिथि की सेवा करने का अवसर प्रदान करते हैं. 
परन्तु आज के युग में अतिथि-सत्कार को लेकर कभी-कभी बड़ी कटु आलोचना होती है.अतिथि सत्कार के प्रति जो शाश्वत भावना होनी चाहिए उसके विपरीत ही होता है.समाज में...
देहात पर राजीव कुमार झा 
वक्त गुजरा आईना है जुल्फें संवार लो -  
जो लगे हैं दाग चेहरे उनको उतार लो...
उन्नयन पर udaya veer singh
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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"गीत-बिगड़ गये हालात" 
गुज़र गयी है अब तो, शिवशंकर जी की भी रात।
फागुन में ओले-पानी की, होती है बरसात।।

बदली छायी नील गगन में, सर्दी फिर से आयी,
स्वाटर-कोट निकाले फिर से, छूटी नहीं रजायी,
गेहूँ-सरसों की फसलों के, बिगड़ गये हालात...
उच्चारण
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157 साल बाद होगा 
शहीदों का अंतिम संस्कार 

चलो कोई तो याद आया !! 
कुछ संस्कार हैं शायद उनकी किस्मत में .......!!! 
अनाम देश भक्तों को देश की भाव-भीनी श्रद्धाञ्जलि.........
मुझे कुछ कहना है ....पर अरुणा -
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दिल्ली मे हुमायूँ का मक़बरा --  
एक सुन्दर पर्यटक स्थल ! 

रविवार को घर बैठना थोड़ा अखरता है। फिर सुहानी धूप का आनंद तो घर से बाहर निकल कर ही लिया जा सकता है। इसलिए इस रविवार को जाना हुआ एक ऐसी जगह जहाँ हम एक बार कॉलेज दिनों में ही गए थे । दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में बना है 
*हुमायूँ का मक़बरा* 
जिसके नवीकरण के बाद १८ सितम्बर २०१३ को प्रधान मंत्री जी ने उद्घाटन किया था...
अंतर्मंथन पर डॉ टी एस दराल
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यह पल 

ओस की बूँद ने आखिर खोज ही ली फूल की गोद, 
अब चाहे तेज़ हवाएं आएं उसे गिराने, मिट्टी में मिलाने, 
या सूरज की तेज़ किरण सोख ले उसे बेरहमी से, 
या कोई अनजान हाथ उसे अलग कर दे फूल से...
कविताएँ पर Onkar
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एक बेचारा आम आदमी 
टूट चुकी कमर बेचारे असहाय आम आदमी की 
ज़िंदगी के बोझ तले पिस रहा सुबह शाम 
और रहा खींचता वह चादर अपनी 
काट दी और फाड़ दी चादर उसकी 
महंगाई और भ्रष्टाचार सरीखे दानवों ने...
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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मृत्यु के बाद 

जन्म के बाद मृत्यु तो निःसंदेह 
मृत्यु के बाद जन्म कब कहाँ जन्म 
और कहाँ मृत्यु 
सबकुछ अनिश्चित … 
मेरी भावनायें...पर रश्मि प्रभा
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आंसू आंसू में अंतर है 
भिन्न-भिन्न मुस्कानें ! 
Mayhem
आंसू-आंसू में अंतर है भिन्न-भिन्न मुस्कानें ,
जीवन धारण करने वाला जन-जन ये पहचाने !
...........
एक आंसू में पीड़ा घुलकर भिगो रही है पलकें ,
हर्ष के कारण कभी कभी आँखों में आंसू छलकें ,
कौन है खरा कौन है मीठा पीने वाला जाने !
आंसू आंसू में अंतर है भिन्न-भिन्न मुस्कानें...

WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION पर 
shikha kaushik
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बादल भी कुछ नहीं लिखते 
बादलों को नहीं होती है घुटन 
शायद ज्यादा अच्छे होते है 
वे लोग जो कुछ नहीं लिखते है 
वैसे किसी के लिखने से ही 
लिखने वाले के बारे में 
कुछ पता चलता हो 
ऐसा भी जरूरी नहीं होता है...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी 
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कई रंग 

सूर्य विमुख 
पर चंदा रौशन 
उसी उर्जा से | 
मेरी दो आँखें 
चाँद व सूरज से 
मेरे दो बेटे...
Akanksha पर Asha Saxena
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किसी ने कहा था -  
अपना हाथ जगन्नाथ !! 
*रे ईर्ष्या! तू न गयी मन से रे *. 
मन का क्या कहें , 
जितना समझाए कोई कि 
मद , मोह , ईर्ष्या , लालच के फेर में 
मत पड़ रे बन्दे , 
मगर मन पर किसका अंकुश है...
ज्ञानवाणी पर वाणी गीत
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ख्याल चिन्ता व चिता—  
चिन्ता अढाई अक्षर का यह शब्द 
बहुत ही जालिम हैं 
इंसानी दिलोदिमाग पर हर घडी रहे 
इसका तो पहरा है कदमों आगे चले...
पथिक अनजाना- आपका ब्लॉग
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मेरे तो साजन हो तुम...!!! 

होगा तुम्हारा कोई नाम....  
लोग पुकारते होंगे, तुम्हे उस नाम से...  
जाओ मैं नही लेती... 
तुम्हारा नाम क्यों कि...  
मेरे तो साजन हो तुम... 
'आहुति' पर sushma 'आहुति'
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एक्स वाई जेड 
पण्डित धरणीधर शास्त्री नैनीताल जिले के एक महाविद्यालय में प्राध्यापक हैं. शास्त्री जी के एक साथ बहुत से विशेषण हैं. वे धैर्यवान हैं, देव-निष्ठावान, सुजान व भाग्यवान भी हैं. उनकी सुलक्षिणी अर्धांगिनी पद्मिनी देवी उनके बहुत अनुकूल है. हमेशा उनके हर कथन को आप्तोपदेश मानती रही है....
जाले पर 
(पुरुषोत्तम पाण्डेय) 
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14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    चर्चा मंच हुआ रंगीन कई विधाओं से |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  2. शीर्षक में स्थान देने के लिए आपका विशेष धन्यवाद सर!

    साद

    जवाब देंहटाएं
  3. आज आराम से बैठ कर पढ़ते हैं रोचक सूत्र।

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर चर्चाओं की कड़ी का एक और फूल । उल्लूक का आभार "बादल भी कुछ नहीं लिखते
    बादलों को नहीं होती है घुटन " को शामिल करने पर।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर चर्चा.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  6. गुज़र गयी है अब तो, शिवशंकर जी की भी रात।
    फागुन में ओले-पानी की, होती है बरसात।।

    बदली छायी नील गगन में, सर्दी फिर से आयी,
    स्वाटर-कोट निकाले फिर से, छूटी नहीं रजायी,
    गेहूँ-सरसों की फसलों के, बिगड़ गये हालात...
    उच्चारण

    bahut sundar rchnaa hai बोलते स्वर है रचना के सुंदरम मनोहरम

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह सारे बंद खूबसूरत लयात्मक अर्थ छटा लिए हमारे वक्त की झरबेरियां लिए।

    आज किसानों के चेहरों पर, छायी बहुत निराशा,
    धूमिल हुई उमंगों वाली, होली की अभिलाषा,
    पर्वत पर बसन्त में, होता जाता है हिमपात।

    मन मैला कलियुग में सबका, मैला है मधुमास,
    इसीलिए तो मौसम भी, करता खुलकर उपहास,
    इंसानों को बतला दी, उनकी असली औकात।

    कर्म-धुरन्धर, धर्म-धुरन्धर, लगते आज खिलौने,
    धरती के भगवान, आज लगते है कितने बौने,
    अवश-विवश-लाचार, भला देंगे कैसे सौगात।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर :

    --
    "दे रहा मधुमास दस्तक"

    सुमन पुलकित हो रहा अभिनव नवल शृंगार भर।
    दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर।।

    भ्रमर की गुञ्जार गुन-गुन गान है गाने लगी,
    तितलियों की फड़फड़ाहट कान में आने लगी,
    छा गया है रंग मधुवन में बसन्ती रूप धर।
    दे रहा मधुमास दस्तक है हृदय के द्वार पर...
    सुख का सूरज

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर और सार्थक चर्चा बहुत- बहुत बधाई आ० शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  10. बादल भी कुछ नहीं लिखते
    बादलों को नहीं होती है घुटन
    शायद ज्यादा अच्छे होते है
    वे लोग जो कुछ नहीं लिखते है
    वैसे किसी के लिखने से ही
    लिखने वाले के बारे में
    कुछ पता चलता हो
    ऐसा भी जरूरी नहीं होता है...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुविध रचनाओं के सुंदर लिंक्स हैं, मेरी रचना को भी स्थान दिया है हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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