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बुधवार, अक्तूबर 22, 2014

झालर-दीपों से सजे, आज सभी के गेह-चर्चा मंच 1774

"कुछ कहना है"

कौन कृषक का मित्र कहाये ।
कौन भूमि भुरभुरी बनाये ।
अगर बदन दो में बँट जाता  । 
क्या दोनों नव-जीवन पाता॥

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 



धनतेरस के पर्व पर, सजे हुए बाज़ार।
घर में लाओ आज कुछ, नये-नये उपहार।।

झालर-दीपों से सजे, आज सभी के गेह।
मन के नभ से आज तो, बरसे मधुरिम नेह।।

हिमकर श्याम 

Ghotoo 

haresh Kumar 


shikha kaushik 




देवेन्द्र पाण्डेय 





सुशील कुमार जोशी 




डॉ. जेन्नी शबनम 



विज्ञापन बनाते हुएअरुण चन्द्र रॉय 


GYanesh Kumar 



पंकज सुबीर

Virendra Kumar Sharma 


12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा सूत्रों से सजा आज का चर्चा मंच
    दीप मालिका दे रही साथ मन का है सत्संग |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर।
    दीपावली के पर्व पर त्योहारों की श्रृंखला आपको मुबारक हो।
    पोस्ट शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. आभार रविकर जी , एवं आप सभी को मंगलमय दिवाली की हार्दिक कामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर बुधवारीय चर्चा रविकर जी और आभार 'उलूक' का सूत्र 'जलायें दिये पर रहे ध्यान इतना कूड़ा धरा का कहीं बच ना पाये' को शमिल करने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर चर्चा ,दीपाली की मंगल शुभकामनाएँ ,सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर दीप लड़ियों से सजी चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. सुंदर चर्चा ,दीपाली की शुभकामनाएँ ,

    जवाब देंहटाएं
  8. सुंदर चर्चा...
    दिवाली की शुभकामनाओं के साथ...कुळदीप ठाकुर।

    जवाब देंहटाएं
  9. आदरणीय रविकर जी, नमस्कार! सुंदर लिंक्स, कुछ पढ़ा, कुछ बाकी हैं...मेरी रचना को स्थान दिया, हृदय से आपका धन्यवाद एवं आभार... दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ...

    जवाब देंहटाएं
  10. अद्यतन लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार आदरणीय रविकर जी।
    --
    चर्चा मंच के पाठकों को दीपोत्सव से जुड़े
    पंच पर्वों का हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  11. रविकर जी, बहुत सुंदर चिठ्टों से सजी है चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत सुन्दर चर्चा ,दीवाली की मंगल कामनायें

    जवाब देंहटाएं

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