फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, मई 13, 2020

"अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3700)

मित्रों!
क्या आप जानते हैं कि हैंड सैनिटाइजर का ज्यादा प्रयोग आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। आइए, आपको बताते हैं बार-बार हैंड सैनिटाइजर का इस्‍तेमाल करने से आपकी सेहत को क्या नुकसान पहुंच सकता है।  
रक्त में मिलने के बाद यह आपकी मांसपेशियों के ऑर्डिनेशन को नुकसान पहुंचाता है। हैंड सैनिटाइजर में विषैले तत्व और बेंजाल्कोनियम क्लोराइड होता है, जो कीटाणुओं और बैक्टीरिया को हाथों से बाहार निकाल देता है, लेकिन यह हमारी त्वचा के लिए अच्छा नहीं होता है। इससे त्वचा में जलन और खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
अतः कोरोना काल में जब तक बहुत जरूरी न हो  
आप हैंड सेनीटाइजर का उपयोग न करें।
*****
अब देखिए बुधवार की चर्चा में  
मेरी पसन्द के कुछ लिंक... 
*****

अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ  

सुशीला कुमारी 

सेवा ही धर्म है,  
सेवा ही कर्म है,  
हर रूप में वो..  
स्त्री तो नर्स है। 
*****

सावधान: हैंड सैनिटाइजर  

बना सकता हैं ज्यादा बीमार! 

जिस सैनिटाइजर का आप अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वो आपको बना सकता हैं ज्यादा बीमार!!! कोरोना वायरस के चलते हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करने की सलाह खुद सरकार ने दी हैं। हर जगह और हर समय साबुन और पानी से हाथ धोना मुमकिन नहीं होता, इसलिए भी कई लोग हैंड सैनिटाइजर का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं... 
*****

हमने तो जिसने ग़म दिया उसे भुला दिया ।।
आँखों को उसकी सिम्त से घुमा-फिरा लिया ।।
तुमने किया ग़लत जो बेवफ़ा की याद में ,
पी-पी जिगर को फूँक-फूँक ग़म ग़लत किया ।। 

कविता  (डॉ. हीरा लाल प्रजापति)
*****

लॉकडाउन में साथ-साथ 

लॉकडाउन में हैं,  
साथ-साथ हैं,  
मगर चुप हैं,  
महसूस कर रहे हैं  
रिश्तों की भीनी-सी आंच... 
कविताएँ पर Onkar  
*****

ड्रिंकिंग डे 

भोलेनाथ के प्रिय दिवस सोमवार को जैसे ही लॉकडाउन के तीसरे चरण के प्रथम दिन (4 मई) मदिरालयों का कपाट खुला लम्बी कतार में खड़े पियक्कड़ों में जो पहला ग्राहक था, वह प्रथम पूज्य गणेश बन गया। माला पहना कर उसका स्वागत शराब विक्रेता द्वारा किया गया। और फ़िर जो यहाँ अद्भुत दृश्य देखने को ... 
*****

एक चिड़िया की व्यथा 

उसकी पीड़ा को,
जब भी  सहलाया मैंने, 
आँखों में साहस को और, 
बलवती पाया मैंने... 
गूँगी गुड़िया पर Anita saini  
*****

साँझा चूल्हे से बकबक -  

भाग-१. 

बंजारा बस्ती के बाशिंदे
मैं एक असत्यापित साहित्यकार (?) होने के कारण इस पूरे आलेख में पूरी तरह गलत भी हो सकता हूँ ) या मुझे आए हैं  :-
1) कोई प्रकाशक
2) कोई साहित्यिक संस्था
3) कोई उत्साही, अतिमहत्वाकांक्षी या समर्पित रचनाकार।
वैसे तो अब इन उपरोक्त तीन में से किसी एक के भी 
तीन प्रकार होते हैं ... 
Subodh Sinha 
*****

उदास चेहरा भी कार्टून में जगह ले लेता है  

कुछ भी लिखे को व्यंग समझना  

जरूरी नहीं होता है:  

ताला बन्दी के बहाने बकवास 

उबासी लेता
व्यंग्य
अवसादग्रस्त है
मगर
मानने को
तैयार नहीं है... 
सुशील कुमार जोशी 
*****

चाहता हूँ 

चाहता हूँ 
शाम का यह सूरज 
गंगा की तरह 
किसी पवित्र नदी में 
डुबकी लगा कर 
अपने कर्मों का 
करले प्रायश्चित... 
यशवन्त माथुर  
*****

वह एक रात-कहानी 

भुतिया हवेली की दास्ताँ - Horror Stories
“लेकिन बुआ, वह हवेली अन्दर से साफ सुथरी है| वहाँ खाना भी पकता है तभी तो भाभी ने खिलाया|”
“भाभी ने खिलाया”, कहते हुए बुआ की तंद्रा टूटी ”सही सलामत आ गई मेरी बच्ची”कहते हुए बुआ ने नेहा को गले से लगा लिया|
भूत प्रेत पर विश्वास न करने वाली नेहा अब अविश्वास नहीं कर पा रही थी|
मधुर गुँजन पर ऋता शेखर 'मधु'  
*****

माँ की ममता की छांव 

मां ने मुझको धीर बंधाया।  
जब से गई है पलटकर न देखा,  
सपनों में भी मुझको दर्शन न कराया।  
मेरी कृतघ्नता का दिया दंड,  
मैं तुझको भूला, तूने मुझे 
जयन्ती प्रसाद शर्मा  
*****

परवरिश 

बच्चों को हम क्या सीखा रहे हैं सिर्फ किताबें रटाने से या उन्हें बोलना सीखाने से काम नहीं चलेगा उन्हें जिम्मेदार बनना होगा सिर्फ रेस में भागना ही जरूरी नहीं है जरूरी ये है भाग क्यों रहें हैं... 
स्पर्श पर deepti sharma  
*****

डियर कोरोना ! ये मेरा इंडिया... 

चुपचाप निकल पडे अकेले ही डगर अपनी,कलंकित न होने दी, देशभक्ति मगर अपनी।
सब सहा, न किसी पर पत्थर फेंका,न थूका,न किसी की गाड़ी जलाई, ना ही घर फूका। 

'परचेत'परपी.सी.गोदियाल "परचेत"  
*****

लघुकथा :  

केंचुल 

कार्यक्रम की सफलता को उत्सवित करते बातों में व्यस्त सब का ध्यान अचानक से ही अन्विता की तरफ गया । वह आरामदेह सोफे से उठ कर कोने के स्टूल पर बैठने में  लड़खड़ा गयी थी ।"क्या हुआ ... क्या हुआ ..." ,बोलते सब उसकी तरफ लपके ।
अन्विता धीरे से उठती हुई बोली ,"कुछ खास नहीं बस इंसान में बसे साँप की केंचुल उतरने का अनुभव कर लिया ।" 

झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
*****

अवसान 

आज सब जला देगी
जड़ चेतन प्राण औ धरती।
सूर्य का खूंटा पकड़ बिफरी
दग्ध दावानल मचाके।
आखिर थक गई शाम ढले
छुप बैठी जाके छाया में ।। 
*****

लॉकडाउन में गूंज रही कोयल की मधुर तान 

बसंत आते ही कोयल कूकने लगती है। लेकिन इनदिनों सन्नाटे के बीच मैं कोयल की कूक को बेहतर सुन रहा हूं। हो सकता है कि ये इत्तेफाक हो कि वह आजकल हर शाम को मुझे कुकते हुए सुनाई दे रही है। मौसम कोई भी हो कोयल गा रही है, आओ हम सब भी इसकी तान के संग हो लें...। 
BOL PAHADI पर Dhanesh Kothari 
*****

कोरोना योद्धा की काल्पनिकता से  

बाहर निकले मीडिया 

संभव है कि हमारे मीडिया के कई साथी इस पोस्ट पर नाराजगी जताएँ. हमारे कई दोस्त, उम्र में हमसे बड़े-छोटे लोग, हमारे कई विद्यार्थी मीडिया से जुड़े हुए हैं. उनकी नाराजगी की चिंता से अधिक आवश्यक हमें उनकी चिंता करना लगा. वे सभी लोग कुछ बिन्दुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए अपने कदम बढ़ाएंगे, ऐसी अपेक्षा ही कर सकते हैं. *पहली बात,* आप ऐसी कौन सी जानकारी सरकार तक, प्रशासन तक पहुँचाना चाहते हैं, जो उनके पास अपने स्त्रोतों से उनको उपलब्ध नहीं हो सकती? *दूसरी बात,* आपके द्वारा कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या आदि का आम नागरिकों के लिए क्या लाभ है... 
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर 
*****

उड़ते उम्मीदों के सफेद  

हंस फिर लोरियाँ गाएंगे 

एक 'क्यों' अटका है मुझमें माँ
तुम्हारे जाने के बाद.
ये सवाल तुम्हारी याद पर
जब तब भारी पड़ जाता है,
और आँसू ढूलकने नहीं देता
पर फूट-फूटकर पिघलता है अंतर्मन... 
Dr. Shreesh K. Pathak 
*****
*****
आज के लिए बस इतना ही... 
*****

13 टिप्‍पणियां:

  1. नर्स अथवा सिस्टर जिसमें अस्पताल में भर्ती रोगी ममतामयी माँ की छवि देखता है।जिनका दायित्व अत्यंत कठिन होता है। उन्हीं को समर्पित इस विशेष दिन और अंक पर बहुत सारी शुभकामनाएँ।
    चर्चामंच पर मेरे लेख 'ड्रिंकिंग डे' को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार गुरुजी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर प्रस्तुति. मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  3. बढिय़ा चर्चा संकलन । आभार शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  6. जो मेरा मन कहे को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद सर!

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  7. आज के परिवेश में नर्स रुपी ममतामयी माओं के विराट स्वरूप को सत सत नमन ,ईश्वर उन्हें अपने संरक्षण में रखें, यही प्रार्थना हैं। सुंदर लिंकों से सजी बेहतरीन प्रस्तुति सर ,सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुंदर जानकारी युक्त भूमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति शानदार चर्चा अंक सभी लिंक बहुत सुंदर।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने केलि हृदय तल से आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।रचना शामिल करने के लिए बहित बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन प्रस्तुति में मेरे सृजन को स्थान देने हेतु सादर आभार आदरणीय सर.
    प्रणाम

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।